एग्जाम ड्यूटी - 2 pinki द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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एग्जाम ड्यूटी - 2



कॉलेज का वह कमरा छात्रों से भरा हुआ था। हर कोई अपनी परीक्षा में डूबा हुआ था, और मैं, एक पर्यवेक्षक की भूमिका में, चुपचाप उनके प्रयासों का साक्षी बनी हुई थी। मेरे सामने बैठे एक छात्र ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींचा। उसकी कलम बिना रुके चल रही थी। उसके चेहरे पर गहरी तल्लीनता थी, और उसकी आंखों में मेहनत की सच्चाई झलक रही थी।

उसकी लगन को देखकर मैं अपने अतीत में खो गई। मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए। हमारे समय में पढ़ाई का अर्थ था संघर्ष। एक साधारण डिग्री के लिए हमें दिन-रात मेहनत करनी पड़ती थी। संसाधनों की कमी थी, तकनीकी सहूलियतों का तो नाम भी नहीं था। किताबें ढूंढने में ही हफ्ते लग जाते थे, और परीक्षा की तैयारी के लिए हमारी रातें जागते हुए गुजरती थीं।

लेकिन आज के समय को देखिए। यह लड़का एक ही समय में दो-दो डिग्रियां कर रहा था। मेरी आंखों के सामने यह नई पीढ़ी खड़ी थी—एक ऐसी पीढ़ी जो सुविधाओं के सहारे तो है, लेकिन मेहनत और लगन में किसी से कम नहीं। मैंने गौर से देखा, यह छात्र डिस्टेंस एजुकेशन का हिस्सा था। दिन में नौकरी करता था, और रात को पढ़ाई।

परीक्षा की गहमागहमी के बीच मेरे मन में उसके जीवन की कहानी को जानने की उत्सुकता बढ़ने लगी। जब परीक्षा खत्म हुई, और सभी छात्र धीरे-धीरे बाहर जाने लगे, मैंने उस छात्र को रोक लिया। "बेटा, क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं?" मैंने मुस्कुराते हुए कहा।

वह थोड़ा झिझका, फिर विनम्रता से बोला, "जी, मैडम।"

"आप इतनी मेहनत कैसे कर लेते हैं? नौकरी और पढ़ाई एक साथ करना आसान नहीं है।"

वह मुस्कुराया, लेकिन उसकी मुस्कान में संघर्ष की छाया साफ दिखाई दी। "मैडम, आसान तो नहीं है, लेकिन जरूरत सब कुछ सिखा देती है। मेरे पिता एक किसान हैं। हमारा गांव छोटे से खेतों और बड़े सपनों वाला गांव है। बचपन में ही मैंने देख लिया था कि हमारे घर की हालत सुधारने के लिए मुझे कुछ करना होगा। पढ़ाई का शौक था, लेकिन पैसे कमाने की मजबूरी ने नौकरी पर लगा दिया। फिर भी, मैंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। डिस्टेंस एजुकेशन से डिग्री हासिल करने की ठानी। यह मेरा सपना है कि मैं अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकालूं।"

उसके शब्दों में छिपे जज्बे ने मुझे भीतर तक झकझोर दिया। मैंने पूछा, "आपका दिन कैसे गुजरता है?"

"सुबह चार बजे उठता हूं, थोड़ा पढ़ाई करता हूं। फिर नौकरी पर जाता हूं, और शाम को लौटकर फिर पढ़ाई में लग जाता हूं। छुट्टियों में परीक्षा देने आता हूं। यह सब आसान नहीं है, लेकिन जब मेरे माता-पिता की आंखों में उम्मीद देखता हूं, तो थकान गायब हो जाती है।"

उसकी कहानी मुझे अपने समय की याद दिला रही थी, लेकिन आज की पीढ़ी की परिस्थितियां अलग थीं। तकनीक और सुविधाएं जरूर थीं, लेकिन प्रतिस्पर्धा और दबाव भी बहुत ज्यादा था।

कुछ महीनों बाद, मैंने उस छात्र को फिर देखा। इस बार वह परीक्षा के बाद कॉलेज के प्रांगण में खड़ा था। उसकी आंखों में आत्मविश्वास था। मैंने पास जाकर पूछा, "कैसी रही परीक्षा?"

उसने मुस्कुराते हुए कहा, "बहुत अच्छी। मुझे भरोसा है कि इस बार मैं अच्छे नंबरों से पास हो जाऊंगा। यह मेरी आखिरी परीक्षा है। इसके बाद नौकरी में प्रमोशन का मौका मिलेगा। मेरे माता-पिता का सपना अब पूरा होगा।"

उसकी मेहनत और आत्मविश्वास को देखकर मेरा मन गर्व से भर गया। वह छात्र सिर्फ एक कहानी नहीं था; वह संघर्ष, उम्मीद, और सफलता की मिसाल था।

यह कहानी हर उस युवा को समर्पित है, जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करता है। यह कहानी संघर्ष की मशाल लेकर चलने वाले उन लोगों की है, जो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनते हैं।