अब तक कहानी में हम ने देखा कि लूसी कुछ बीती यादें भूल गई थी जिसमें रोवन और उसकी शादी भी शामिल थी। रोवन उकताहट में और इस मौत के खेल से तंग आ कर कहीं चला गया लेकिन उसे कमेला ने जाते हुए देख लिया साथ ही उसे ये पता चल गया के ये दोनों ज़िंदा है। वो लूसी को मारने के इरादे से उसके कमरे में गई। वहां झुमकी निगरानी में थी उसने रोवन की बंदूक दिखा कर उसे धमकाया। कमेला रोवन और लूसी में से किसी एक को खत्म करना चाहती है। झुमकी ने कई बार इन दोनों की मदद की इस लिए अब वो हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गई। अब लूसी के दिमाग में तूफान मचा था। उन यादों का तूफान जिन्हें वो कुछ समय के लिए भूल गई थी। उसकी सांसे तेज़ थी और ज़ुबान अब एक ही नाम दोहरा रही थी " रोवन!...रोवन!....रोवन सर!"
कमेला अब वहां से निकल कर रोवन के पीछे लगी। उसे भी मालूम नहीं था के वो कहां जा रहा है।
कमेला को अब एक मौका चाहिए था और रोवन को एक उपाय, जिस से वो कमेला को शिकस्त दे पाए और उनके ज़िन्दगी में छाए काले साए को बस एक किरण से खत्म कर सके, फरफर गाड़ी चलाते हुए वो एक म्यूजियम में पहुंचा जो काफी पुराने ज़माने की बनी हुई इमारत दिखती थी।
म्यूज़ियम एक सुनसान जगह पर था। वहां आसपास दूसरी इमारतें नहीं थी। उसे देख कर लगता था के जैसे किसी ज़माने में वो एक गिरजा घर रहा होगा। बाहर के दीवारों पर स्याही छाई हुई थी और हरे रंग के फफूंदी पड़ चुके थे। बाहर का नज़ारा काफी आकर्षक था। पेड़ों और पौधों को बड़े ही सुंदर ढंग से एक तरतीब में सजा कर लगाया गया था। बीच में एक छोटा सा झरना बना हुआ था और उस झरने के आसपास पांच परियों की मूर्तियां बनी हुई थी जिनके पंख फैले हुए थे।
रोवन इस इमारत के अंदर गया। अंदर कुछ ही लोग थे। बहुत ही शांति भरा माहौल था। एक बड़े से हॉल में बस कुछ कुछ अजीबो गरीब चीजें शीशों के बक्से में रखे हुए थे जिन्हें कुछ ही पुराने और पुरानी चीज़ों पर दिलचस्पी रखने वाले लोग देखने आते थे।
रोवन ने कुछ भी नहीं देखा और तेज़ी से चलते हुए एक कमरे में घुस गया। वहां एक अधेड़ उमर का आदमी व्हील चेयर में बैठा था। उसके पैर बेकार थे वो चल नहीं सकता था लेकिन इस म्यूज़ियम का मेनेजर वोही था। ये आदमी रोवन के पापा का खास स्टूडेंट था जिस से उन्हें बहुत लगाव हुआ करता था। रोवन को अंदर आते देख कागज़ात से नज़र हटाते हुए कहा :" ओह तो चांद नज़र आ गया!...दिल करता है तुम्हें भी म्यूज़ियम में शो पीस के तौर पर सजा दूं!"
ये कह कर उन्होंने ठहाके लगाया।
रोवन ने बहुत गंभीरता से कहा :" मुझे वो जार चाहिए!"
मैनेजर की हंसी बिल्कुल गायब हो गई और गुस्सैल चहरा बना कर बोला :" मैने तुम से फोन पर ही कहा था के वो जार तुम्हें तो क्या किसी को भी नहीं मिलेगी फिर भी तुम उसके लिए यहां आ गए!...no means no!"
रोवन ने टेबल पर ज़ोर से हाथ मार कर खूंखार आंखों से देखते हुए कहा :" I know that no means no but you know what आप पापा के स्टूडेंट थे मेरे नहीं इस लिए मैं कोई भी रहम नहीं करूंगा! अगर आप ने वो जार मुझे नहीं दिया तो मैं इस पूरे म्यूज़ियम को तहस नहस कर दूंगा फिर आप क्या करेंगे?....मैने बहुत रिक्वेस्ट कर के बस वो जार मांगा है अगर सलीके से नहीं दिया तो मैं छिन भी सकता हूं! और हां!....मुझे जेल जाने का डर नहीं है। पहले भी दो बार जा चुका हूं।"
इस से पहले की मैनेजर उस पर गुस्से से चिल्लाता उसने झट से मैनेजर के माथे पर गन रख कर कहा :" अपनी बीवी को बचाने के लिए मैं ऐसे बेगैरत इंसान का मर्डर भी कर दूं तो कोई बड़ी बात नहीं जिसे मेरे पापा ने पैसा, घर, गाड़ी यहां तक की ये नौकरी भी दिलाई और वो आदमी मुझे एक जार नहीं दे सकता!....वैसे भी दुनिया वाले मुझे खूनी ही समझते हैं तो क्यों न एक खून कर के उन्हें सही साबित कर दिया जाए!....तो क्या कहते हैं? फैसला आपका!"
मैनेजर थर थर कांपने लगा और गिड़गिड़ा कर हाथ जोड़ते हुए बोला :" प्लीज़ बंदूक जेब में रखो! देखो ऐसा वैसा कुछ मत करना मेरे सर पर पूरे परिवार की और इस म्यूज़ियम की ज़िम्मेदारी है। मैं तुम्हें वो जार दे दूंगा लेकिन इसके बाद शायद मुझे नौकरी से निकाल दे पर कोई बात नहीं ये सब तो तुम्हारे पापा का ही दिया हुआ है। चलो मैं वो तुम्हें देता हूं! मेरे साथ आओ!"
रोवन ने बंदूक जेब में रखा और उसके पीछे पीछे चलने लगा। एक शीशे के बक्से के अंदर एक शीशे का मोटा सा बोतल रखा हुआ था जिसका ढक्कन एक तांबे का ताला जैसा था और उसमें एक पतली सी चेन लटक रही थी जिसके आखरी छोर में एक बहुत ही छोटी सी चाबी थी जो इस ढक्कन नुमा ताले को खोलती थी। ये कोई आम शीशे का बोतल नहीं है बल्कि इसके शीशे में कई काले जादू के माहिर फनकारों ने अपने इल्म से इस काबिल बनाया जो शीशा होते हुए भी चुंबक की तरह अदृश्य रूहों को अपने अंदर खींच लेता है। इसकी तीन शर्तें हैं। एक ये कि किसी भी रूह को कैद करने के लिए पहले उसे पूरी तरह कमज़ोर करना होगा। दूसरी शर्त ये है कि उसके ढक्कन को झटपट बंद करना होगा और तीसरी, इसे टूटने से बचाना होगा।
अभी म्यूजियम में लोग नहीं थे। ज़्यादा तर लोग शाम को देखने आते हैं इस लिए मैनेजर ने नज़र बचा कर उस बक्से को खोला जिसमें पासवर्ड लगा कर लॉक किया गया था। बोतल निकाल कर डरे सहमे रोवन को देते हुए कहा :" जाओ अपनी पत्नी को बचाओ लेकिन दोबारा किसी को इस तरह डराना मत! बहुत खतरनाक लगते हो!"
रोवन ने बोतल लिया और धीमी आवाज़ से कहा :"मैं बेरहम नहीं हूं इस लिए कह रहा हूं! अगर सब ठीक रहा तो आपकी नौकरी नहीं जाएगी! ये जार वापस यहीं आएगी अगर वापस न आए तो आप मेरे कॉलेज आ जाना वहां आपको डायरेक्टर का ओहदा मिल जाएगा!"
ये कह कर रोवन जाने लगा तो मैनेजर ने झट से पूछा :" लेकिन डायरेक्टर तो तुम हो!"
रोवन ने अपने कदम रोक कर मुड़ते हुए कहा :" अगर मैं ज़िंदा न रहा तो!"
बस फिर वो तेज़ी में अपनी गाड़ी में बैठ कर चला गया।
कमेला उसके पीछे ही थी। उसने जब रोवन के पास वो बोतल देखा तो असमंजस में बोली :" ये क्या है? इस बोतल को देख कर मुझे इतनी बेचैनी क्यों मची है?....मुझे इस रोवन को रस्ते में ही खत्म करना होगा!"
अपने आप में बड़बड़ा कर वो उसके गाड़ी के पीछे लगी।
कुछ आगे जा कर वो उसके गाड़ी के सामने अचानक आ गई जो रोवन को एक सफेद परछाई की तरह दिखी लेकिन कमेला का गुस्सा तब फूटा जब रोवन ने उसे देख कर भी अनदेखा कर दिया और गाड़ी उसके आरपार करते हुए उसी तेज़ी में चला गया। अब कमेला ने एक चाल चली। जब रोवन की गाड़ी एक सुनसान जगह पर से गुजरी तब उसने अचानक सड़क के किनारे में लगा एक पेड़ उसकी गाड़ी की ओर फेंक दिया जो उड़ता हुआ धड़ाम से गाड़ी से टकराया। रोवन ने पूरी कोशिश की के उसे चोट न आए लेकिन शीशा टूट कर उसके बदन पर कई जगह गढ़ गया था। समय रहते उसने फौरन सर को झुका लिया था इस लिए उसका चहरा बच गया। टूटी हुई कार और ज़ख्मी बदन के साथ वो रुका नहीं और सनसनाते हुए जाने लगा। अब उसके बदन से खून निकल कर सफेद शर्ट को रंगने लगा।
कमेला की कोशिश नाकाम हो रही थी जिस से अब वो बौखला चुकी थी। कुछ आगे जा कर रोवन रुक गया। जहां वो रुका था वो एक खंडहर मकान था। जिसके दीवारों पर लताएं चढ़ गई थी। किसी ज़माने में वो एक सरकारी कार्यालय हुआ करता था जो अब हॉन्टेड प्लेस माना जाता है।
रोवन ने ये जगह इस लिए चुनी क्यों के इसके आसपास कोई नहीं होता। सिर्फ सड़क से इक्का दुक्का गाड़ियां फुर्र फुर्र उड़ती हुई चली जाती।
रोवन मकान के अंदर गया। उसमें एक ही बड़ा सा हॉल नुमा कमरा था और बाकी छोटे छोटे कुछ कमरे थे जिनमें बड़े बड़े घांस उगे थे।
उस हॉल के एक कोने में उसने बड़े एहतियात से बोतल को उसका ढक्कन खोल कर रखा। उन छोटे कमरों के लकड़ी के दरवाज़े को एक लात मार कर खोल लिया और बोतल को महफूज़ करने के लिए कोने में खड़ा कर दिया। जिसके पीछे बोतल छुप गई।
इतने में कमेला वहां गुर्राते हुए आई, आते ही उसने दीवारों से ईंटे निकाल निकाल कर रोवन की ओर उड़ा कर फेंकने लगी। कई बार रोवन ने खुद को ईंटों से बचाया लेकिन एक ईंट उसके सर पर लग गई जिस से उसका सर ज़ख्मी हो गया और खून निकल आया।
उसने एक बार चिल्ला कर कहा :"मैं जानता हूं तुम मुझे सुन रही हो! अपनी पूरी कोशिश कर लो कमेला! आज तुम्हारे पास आखरी मौका है। तुम इतनी कमज़ोर हो चुकी हो कि अब तक मुझ जैसे निहत्थे इंसान को नहीं मार पाई!...चलो मैं हाज़िर हूं लगा दो अपनी पूरी ताकत!"
कमेला ने चिढ़ कर अब और तेज़ी से ईंटों को उड़ा कर रोवन की ओर फेंकना शुरू किया लेकिन रोवन बार बार बच जाता। उसने बंदूक निकाला और अंदाज़ा लगा कर कई बार फायर किया लेकिन कमेला भी बचती रही।
अब कमेला खुद को बहुत कमज़ोर महसूस करने लगी थी। उसकी सांसे चढ़ने लगी और आँखें फटने लगी थीं। वो समझ गई थी के ये उसका आखरी पल है इस लिए उसने पूरी जी जान लगा दी और जिस तरफ रोवन खड़ा था उस तरफ की पूरी दीवार को एक साथ गिराने की कोशिश करने लगी। ऐसा करने में उसके जिस्म की सभी नसे बाहर आ रही थी जो फीके हरे रंग की थी। उसके आंखों की पुतलियां भी सफेद पड़ने लगी थी के तभी लगातार पांच गोलियां चली। उन गोलियों ने कमेला के सीने को छलनी कर दिया था। वो एक भयानक आवाज़ के साथ काले धुएं में बदलने लगी। रोवन ने देखा के लूसी दोनों हाथों से बंदूक पकड़ कर दुवार पर खड़ी है। उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई है और उन में रोवन के लिए प्यार और फिक्र की लालिमा छाई हुई है।
रोवन ने फौरन बोतल के सामने से दरवाज़े को गिरा दिया। अब काला धुआं बनी हुई कमेला उसे दिख रही थी। वो धुवां ऊपर की ओर उड़ने वाला था के बोतल ने धुवां को अपनी ओर खींच लिया। जैसे ही पूरी तरह से वो अंदर चली गई रोवन ने ढक्कन बंद कर के चाबी को तोड़ कर दूर फेंक दिया।
अब वहां एक शांति फैल गई थी। रोवन पूरी तरह से ज़ख्मी हो गया था। उसके पास लूसी दौड़ी जो ज़मीन पर घुटनों पर बोतल लिए बैठा था और उठने की कोशिश कर रहा था लेकिन अब उसके आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा। लूसी के पीछे से कियान भागता हुआ आया। देखा तो लूसी ने रोवन को गले लगाए रखा है और फुट फूट कर रो रही है। रोवन खून से लथपथ है और उसकी पलकें ढलकी हुई है। लड़खड़ाते हुए वो उठा और धीरे से बोला :" ये जार टूटना नहीं चाहिए लूसी! इसे एंटीक आर्टिफैक्टस म्यूजियम पहुंचाना है! मैं तुम्हें याद नहीं पर इस बात को याद रखना के मेरी ज़िन्दगी का एक ही मक़सद है "तुम्हें ज़िंदा रखना।"
अब रोवन में बेहोशी छा गई थी।
लूसी ने उसके हाथ से बोतल लिया और रोते रोते बोली :" आप ये सब क्यों कह रहे हैं! मैं आपको कभी नहीं भूल सकती!....कियान भैया इन्हें हॉस्पिटल ले चलिए न! कितने ज़ख्मी है ये! कितना खून बह रहा है।"
कियान ने जल्दी जल्दी से उसे संभाला और हॉस्पिटल ले गया। लूसी ने बोतल को बड़े एहतियात से कार की सीट के नीचे छुपा दिया जहां वो सब से ज़्यादा महफूज़ है।
लूसी के सर पर पट्टी लगी थी और रोने की वजह से उसका चहरा लाल हो कर सूज गया था। उसकी पलकें मोटी मोटी हो गई थी। उसे तकलीफों का समंदर सा नज़र आ रहा था। अपने अतीत के बारे में और अपने उन असली माता पिता के बारे में जिन्होंने उसके खातिर जान गंवा दी और अब अपने पति के बारे में सोच सोच कर हल्कान हो रही थी पर इन सब से बड़ी चिंता ये थी के रोवन बहुत ज़्यादा ज़ख्मी है। अगर उसे कुछ हो गया तो वो सह नहीं पाएगी।
उसके आंसु अपने आप बहे जा रहे थे। रोवन का इलाज चल रहा था और बाहर मां लूसी को संभालने में लगी थी।
खैर जैसे तैसे कर के डॉक्टरों ने, लूसी और रोवन के परिवार की दुवाओं ने उसे बचा लिया लेकिन वो अब भी बेहोश था।
दूसरे दिन सुबह :__
सुहानी सी सुबह जिसकी रौशनी में ताज़गी का पिटारा था। ओस से घुली हुई ठंडी हवाएं रूह तक सरायत कर के दिल को ठंडक देने वाली जन्नत की खुशबूदार हवा महसूस हो रही थी। खड़की से उगते सूरज की एक किरण रोवन के आंखों पर पड़ी तो उसने धीरे धीरे आँखें खोली। एक सुकून भरा सन्नाटा कई सालों बाद आज महसूस हुई। उसने अपने आसपास देखा तो पाया के लूसी किसी छोटी बच्ची की तरह उसके बाज़ू पर हाथ रख कर पास में सोई हुई है। उसे देखते ही रोवन के चहरे पर खिली खिली एक मुस्कान छा गई।
रोवन ने प्यार भरी नज़रों से देखते हुए धीरे से उसके सर को चूमा। कुछ ही पल में वो जाग उठी। जागते ही रोवन को होश में देखा तो खुशी से आंखें चमक उठी। हड़बड़ी में बोलने लगी :" आप ठीक है न? दर्द हो रहा है क्या? डॉक्टर को बुलाऊं?
रोवन ने हल्की सी हंसी के साथ कहा :" मेरी चिड़िया फिर से चहचहाने लगी!....मैं बिल्कुल ठीक हो गया हूं!"
" रोवन सर! आप ने अपनी ज़िंदगी में इतनी तकलीफों को कैसे सह लिया? मैं अब समझी के ग़म का बोझ क्या होता है! लेकिन आप है न बस आप मेरे साथ हैं तो मैं सब भूल जाऊंगी!"
लूसी ने उसके हाथों को अपने आंखों में लगाते हुए मासूम आवाज़ में कहा।
रोवन ने प्यार से उसके चहरे को छू कर कहा :" सब ठीक है! अब हम आम कपल की तरह रह सकते हैं! लेकिन हम तब तक प्यार के परिंदे नहीं बन सकते जब तक तुम मुझे रोवन सर रोवन सर बुलाती रहोगी!....मुझे भूल गई थी पर रोवन सर बोलना नहीं भूली!"
लूसी ने खूनखुनाते हुए कहा :" दे दिया ताना सुबह सुबह!...अब मैं क्या करूं आपको शुरू से डॉयरेक्टर सर के नज़र से ही देखा है और आप की बहुत रिस्पेक्ट भी करती हूं। नाम से बुलाने में थोड़ी सी बत्तमीज़ी लगती है!"
रोवन ने एक आईब्रो उठा कर गंभीर शकल बनाते हुए कहा :" तो अब अपना नज़रिया बदलो और गंदी नज़र डालो मुझ पर! तुम्हारी मिल्कियत हूं मैं समझ गई तुम?....अब से सर बुलाया तो गुस्सा हो जाऊंगा!"
लूसी मुस्कुरा कर :" हां हां मैं अब से रोवन बुलाऊंगी! अब खुश?....मेरे हसबैंड जी!"
" हां खुश! बहुत खुश !"
रोवन ने मुस्कुरा कर कहा और फिर दोनों में बहुत सारी बातें हुईं।
रोवन ने कियान के हाथों बोतल को वापस उसी जगह भेजवा दिया तब तक किसी को पता भी नहीं चला के बोतल वहां से गायब भी हुई थी। लेकिन अब ये सिर्फ एक शक्तिशाली मायावी बोतल ही नहीं रही अब उसमें एक बुरी रूह भी कैद है पर ये बात सिर्फ रोवन, लूसी, कियान और मैनेजर ही जनता है।
______The 🔚_____