Krick नाम कैसे मिला? krick द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • You Are My Choice - 41

    श्रेया अपने दोनो हाथों से आकाश का हाथ कसके पकड़कर सो रही थी।...

  • Podcast mein Comedy

    1.       Carryminati podcastकैरी     तो कैसे है आप लोग चलो श...

  • जिंदगी के रंग हजार - 16

    कोई न कोई ऐसा ही कारनामा करता रहता था।और अटक लड़ाई मोल लेना उ...

  • I Hate Love - 7

     जानवी की भी अब उठ कर वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 48

    पिछले भाग में हम ने देखा कि लूना के कातिल पिता का किसी ने बह...

श्रेणी
शेयर करे

Krick नाम कैसे मिला?

"स्कूल के दिनो की बात है एक दिन  मे और एक लड़की  एक दिन साथ मे प्रोजेक्ट बना रहे थे  , मे ग्यारहवीं मे था और वो बारवी मे थी हम दोनो ही बायोलॉजी के छात्र थे। उमर मे तो मे उससे एक महिना बड़ा ही था लेकिन बचपन मे जान बुच कर पापा ने दो बार एक ही कक्षा मे बिठाया था इसकी वजसे मे दुसरो की तुलना मे दो साल पीछे ही था और वो मेरे से एक कक्षा आगे ही थी लेकिन उसके दिमांग से तो मे कई साल आगे था ! तो एक दिन हम साथ मे प्रोजेक्ट बना रहे थे तब पहली बार उसके साथ बात  चित शरू हुवी मे बडे से पोस्टर मे स्कूल का नाम लिख रहा था और मेरी दोस्त मेरा सिर खा रही थी। वो मुझसे पहली बार ही मिली थी और बाते तो ऐसे कर रही थी जैसे की बचपन से ही जानती हो! मतलब मेरे साथ मस्ती कर रही थी बहुत बाते कर रही थी तो उसकी मस्ती मे मैने बडी स्पेलिंग मिस्टेक कर दी थी जो बाद मे बडी ही मुशिकल से  सुधार दी। जिसकी वजसे बाल बाल सर की डाट खाने से बचे और उसे मुझे तंग करने मे बड़ा मजा आता है ! बस ऐसे ही हमारे बीच बहुत सी बाते हुवी और हम दोनो दोस्त बन गये।उसे किटकेट और डेरी मिल्क  बहुत पसंद थी। उसके लिये मेरे ब्लेज़र की  जेब मे हमेशा एक चॉकलेट रहती ही थी और उसे भी ये पता ही रहता तो वो जान बुच कर बहाने बनाके नखरे करके मेरे से चॉकलेट लेहि लेती थी वेसे भी वो उसके हिस्से की ही होती थी ! वैसे क्रिक और दूसरा वॉट्सन ये दो वैज्ञानिक है जिन्होंने डी.ने. ऐ  अनु मॉडल की खोज की थी। मेरी दोस्त ने वही मॉडल अपनी बुक के लास्ट पेज पर लिखा था वो तो ठीक बात है लेकिन बहुत बार पेज मे क्रिक और वोटसन् का नाम भी लिखा था। मैने उसे पूछा की तुम ये बार बार क्रिक का नाम क्यु लिख रही हो? तो पता चला की उसे ये नाम बहुत पसंद है ! ये नाम उस बोलना बहुत अच्छा लगता था इस लिये उसने मेरा नाम ही  क्रिक  रख दिया। जिससे वो बार बार मुझे इस नाम से बुलाया करे। मुझे भी ये नाम बहुत अच्छा लगा। उसके बाद वो हमेशा मुझे क्रिक नाम से बुलाती थी ! हमारी दोस्ती अब बहुत ही गेहरी हो गई थी हमारे बीच बहुत सी बाते होती थी मेने भी उसके बहुत नाम रखे ही थे। नखरे बाज नकचडी, बंदरिया, जीनी मिनी ये सब नाम से मे उससे बुलाता था ऐसे बहुत नाम रखे थे लेकिन उसका दिया गया ये क्रिक नाम मुझे इतना पसंद आया की मैने अपना सोशल मीडिया मे मेरी इस नाम से ही पहचान बना ली। जिसे की उसकी दोस्ती को मे कभी ना भुला सकु वो मेरी पहली दोस्त थी। अभी भी है ही। हम स्कूल मे साथ थे लेकिन हमारे गोल अलग अलग थे इस लिये कॉलेज हमे बदल नी पडी। उसके क्रिक नाम से ही कॉलेज मे मुझे सब बुलाते है। कोई मुझे क्रिक बोलता है तो तब मुझे  उसकी याद आ जाती है बहुत बार लोग मुझे पूछते रहते है की तेरा क्रिक नाम क्यों है? किसने रखा? जब जब क्रिक नाम का मतलब लोग पूछते है तब तब मुझे अंदर से बहुत ही खुशी होती है और मे अपनी दोस्ती को भी याद कर लेता हूँ ! लेकिन नाम के पीछे की ये कहानी बार बार लोगो को  कैसे बताऊ ये सोचने लग जाता हूँ बता बता के थक जाता हूँ लेकिन अब मैने ये लिख ही दिया है इस लिए किसीको अगर जान ना है तो खुद ही पढ़ ले मेरा दिमांग ना खाये। ये क्रिक नाम स्कूल की पहली  फ्रेंड ने दिया था उसे पता होगा या नही ये तो नही पता लेकिन क्रिक नाम सुनते ही वो मुझे याद आ जाती है  !

"कई बार जैसे के साथ तेसा वयव्हार ठीक ही है लेकिन उनकी वजसे हमे हमारे अच्छे गुण और संस्कार नही बदल ने है इस लिये मे केहता हूँ की जिवन मे हर एक रिस्ता ईमानदारी से निभाये चाहे सामने वाला कितनी ही चालाकी करे अपने आप को ना बदलिये क्युकी ईश्वर हमारे कर्म सीन भी करते है और रिप्लाय भी करते है ! 

"वो मुझे भूल जाये तो कोई गम नही लेकिन क्रिक नाम मुझे उसको भूल ने की मुझे ईजाजत  नही देता ! "

"उसे मुझे क्रिक नाम से बुलाना बहुत अच्छा लगता था अगली कहानी मे जिस नकचडी लडकी की मे बात कर ने वाला हूँ ये कोई और नही यही है ! "

"स्कूल की दोस्ती बहुत ही खास थी क्युकी हम एक इंसान के साथ दो तीन चार साल तक साथ रहते है उसके बारे मे हम सब कुछ जान जाते है इस लिये ही तो कहते है......!!!! " चाहे कितने ही सालों के बाद ही अपने स्कूल के यारो से क्यों ना मिलो दोस्ती वही से शरू होगी जहा से साथ छुटा था!...... क्रिक

"रामायण और महाभारत के संस्कारों से मेरा बचपन गुजरा है राधा कृष्ण के प्रेम को मैने समझा है इस लिये मे बहुत ही सोच समझ कर ही रिश्ते बनाता हु अगर एक बार रिस्ता बन जाये तो उसे पूरे जिवन भर निभाता हूँ। " रिश्ते और रास्तो मे एक छोटा सा फ़ासला है कई बार जिवन के रास्ते मे रिश्ते बन जाते है और कई बार रिश्ते के अंदर जिवन के सही रास्ते मिल जाते है इस लिये चलते रहिये और रिश्ते ईमानदारी से निभाते रहिये अपना व्यक्तित्व चंदन की तरह रखिये अगर तिलक दूसरे के माथे पे लगा दे तो खुद के हाथ भी महेक उठ ते है  ! "राधे राधे "

" तो इस तरह मुझे मस्ती मस्ती मे दोस्ती मे क्रिक नाम मिला दोस्ती ना भुलाई जाये इस लिये मैने ये नाम रख लिया ना दोस्ती टूटे गी ना ही क्रिक नाम मिटेगा ! "