जंगल - भाग 22 Neeraj Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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जंगल - भाग 22

   ------------ जंगल ( 22 ) धारावायक 

देश को चलाने वाले कैसे सोचते है, कभी कभी मै सोचता हु। सोचते है कया अख़बार वाले, तो सच लिखने से कतराते कयो है। सच बोलो, बोलते है तो फिर गांज़ कयो गिर जाती है। खोजने वाले कया खोज लेते है, तुम उन पर छोड़ दो।

तभी फोन की एक घंटी वजी... मोबइल पे, रिग टोन थी। राहुल ने फोन उठा लिया था, एक हाथ से स्टेरिग संभाले वो मजिल  की दुरी तेह कर रहा था। साथ मै माधुरी उर्फ़ संगीना से बात हो रही थी। " उसने पूछा था। सर आप जल्दी घर आये, आप से मिलने वाले आये हुए है । " उसे फोन मे गड़ बढ़ लगी। उसने फोन dsp को कर दिया, जो होगा देखा जायेगा। फिर वो तेजी से  जीप को चलाने लगा ----- कुछ मिंटो बाद ही, एक सनाटा था। घर खाली था, कोई नहीं था। एक पत्र था, " स्मार्ट इतने भी मत बनो, कि खुद ही परेशान हो जाओ। " लिखने वाला डेश था। माया सदमे मे थी। " कौन हो सकता है " माया ने जैसे होठो मे गाली निकाली। फिर से cctv कैमरे खंगाले... चार आदमी जिनके मुह बंधे हुए थे, नबर बारीकी से देखा तो शिमले का था। " कौन हो सकता है " माया ने  सोचते हुए जोर दिया...

Dsp तरुण ने सब कुछ आपने अधिकार मे कर लिया था। Cctv की हर गति विधि निकाली गयी। राहुल चुप था। बेबसी के आगे एक दरेया था आग का, कूदना पड़ेगा ही। तभी काल आयी, " हेलो, आप जान चुके हो --" आगे से फोन पर गंभीर बात थी। चुप था राहुल।

" बोलो पेयादें, चुप कयों हो। " आगे से भारी सी आवाज़ आयी।

" रिकॉर्डिंग पे फोन था। " -----" राहुल बोल रहा हु , मेरे बच्चे को छोड़ दो, और संगीना को भी... प्ल्ज़ एक बार मौका दो गलती सुधारने की " राहुल गिड़गिड़ा पड़ा। " हुँ ---- चलो जंग बंद करते है वो चार करोड़ वही छोड़ आओ। " राहुल ने एक गहरी सास छोड़ते कहा, मैं समझा नहीं। " चुप सहसा ही जयादा थी।

फिर फोन की रिंग टोन वजी। -----" हेलो " गिड़गिड़ाहत थी।

           " बच्चे की खातर तो करोगे। " 

          "कल तुझे जिन्दा या मुर्दा मिल जायेगा। " रुक कर बोला फिर लेकिन एक की मौत इसमें अवश्य होंगी, समझे तुम " दूसरी तरफ आवाज़ थी।

"मुझे कैसे मालूम होगा, दोनों को छोड़ दो तुम। "  राहुल फिर बेबसी से बोला। 

"नहीं रे नहीं " हसते हुए बोला वो, जो सेठ ने गलती की हम नहीं करेंगे। पैसा लेकर आज शाम को पुलिस के बिना आओ। "  दूसरी तरफ गहरी आवाज़ थी।

फोन कट कर चूका था।

राहुल ढेरी सी गिरा के बैठ गया था। आँखे भरी हुई थी।

हाथ काँप रहे थे। इतने जयादा पूछो मत। 

तरुण ने वार्तालाब सुनी, पर वादा किया, तुम्हारा लड़का सही सलामत आएगा। हौसले के इलावा कुछ भी नहीं था।

----------------------------- देश के दुश्मन।

 जल्दी आ रहा नया सीरीज मे राहुल के साथ माया भी 

कितना लमा चलता है उपन्यास धारावाहिक ।

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 राहुल को जबरदस्ती माया ने कोल्ड कॉफी पिलाही थी। वो दोनों चुप थे, एक लमा सनाटा कभी पीछा ना छोड़ने वाला। दुपहर के 12 वज चले थे। दोनों सोच रहे थे। 

(चलदा )                                   नीरज शर्मा 

                                            शहकोट, जलधर।