अनदेखा रहस्य - भाग 4 Bhavika Rathod द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अनदेखा रहस्य - भाग 4

बहुत रात, काला साया, सुनसान हवेली,जानकी को डर के मारे पता नही रहा की अब वो क्या करे, जैसे ही वह दरवाजे की ओर जाने लगी तब अचानक से दरवाजा बंद हो गया।

           यह सब देख कर जानकी डरने लगी।वह जानती नही थी की इसके साथ क्या होने वाला था। क्या हों रहा था। 

                रात के करीब २:३० बजे थे। यह वक्त अब विकराल रूप धारण कर रहा था। जानकी चिलाने लगी। खोलो..... खोलो..... दरवाजा खोलो..... कोई मेरी मदद करो.......लेकिन हवेली के बाहर किस तक उसकी आवाज पहुंचती। इतनी जंगल के बीचों बीच वाली ये हवेली बहुत ही डरावनी और सुनसान। यहां ना कोई आता था। ना की इस हवेली के सामने देखता था। 

             वो बड़े बुजुर्ग कहते थे ना कि हमारी सादी की तारीख़ जब ले लेते है तब से लेकर सादी पूरी हो जाने तक हमे कही नही निकलना चाहिए।

        जानकी की एक भूल के कारण अब वो बहुत ही बड़ी मुसकेली में पड़ गई।

अंधेरी रात हमेशा से ही रहस्य और रोमांच का प्रतीक रही है। यह वह समय है जब दिन की चहल-पहल समाप्त हो जाती है और सन्नाटा अपने पंख फैलाता है। जब सूर्य अस्त हो जाता है और आकाश काले बादलों से ढक जाता है, तब अंधेरा पूरी तरह से छा जाता है। इस अंधेरे में, हमारे आसपास की वस्तुएं धुंधली हो जाती हैं और दृश्यता कम हो जाती है। यह वह समय होता है जब हमारी कल्पनाएँ और भय जाग्रत होते हैं।

            जानकी अचानक से जाग गई। वह एक बहुत ही बुरा सपना था। जिसे जानकी सोच कर भी घबरा गई थी। जानकी ने ऐसा सपना पहली बार देखा था। उसने इधर उधर देखा सब सो रहे थे। वो पसीने से लथपथ हो गई। बहुत ही डरी हुई जानकी यह नही जानती थी की अब आगे उसके साथ क्या होने वाला था। सुबह के ०४:०० बज गए।जानकी की बारात आने वाली है। सब लोग धीमे धीमे उठ गए और त्यार होने लगे। जानकी को भी त्यार होने के लिए एक रूम में अपनी सहेली के साथ त्यार होने के लिए भेज दिया। वह बहुत खुश थी।थोड़ी पल में वो रात वाला सपना याद आ गया। वो डर, वो मायूसी,जैसे कोई उसको देख रहा हो जानकी को ऐसा लगने लगा। वे यह सब से बहुत परेशान थी। आज उसकी बारात आने वाली थी। यह बात सोच कर फिर से वह मुस्कुराने लगी। सहेलियां भी खूब त्यार होके आई थी। सब जानकी का मजाक उड़ा रहे थे उसे हसा रहे थे। जानकी भी सरमाने लगी ओर मन ही मन में मुस्कुराने लगी। 

        वह त्यार हो रही थी। सब सहेली भी उसके आस पास थी। तभी अचानक उस रूम में शान्ति हो गई और सब सहेलियां भी गायब हो गई।जानकी इधर उधर देखने लगी। कोई नहीं था कमरे में अचानक से सीसे में उसको एक परछाई दिखने लगी। वो रात का सपना याद कर के बहुत ही डर गई।दिन में भी रात दिखी। वह पसीने से लथपथ हो गई। उसने परछाई देखते ही आंखे बंध कर दी। थोड़ी देर बाद आंखे खुली तो उसकी सहेली भी वहा थी सब ओर सब जानकी को पूछ रही थी अरे क्या हुवा जानकी क्या हुवा....जानकी बहुत डर गई उसकी सास फूलने लगी उसकी सहेली ने उसे पानी पिलाया।जानकी ना कुछ बोल पा रही थी ना कुछ सुन पा रही थी।जानकी बेहद डरी हुई नजर आ रही थी। अब इसकी सारी सहेली इसके पास ही थी। जानकी ने सबको पूछा तुम सब कहा चली गई थी।में तुम सब को ढूंढ रही थीं।

         अरे जानकी हम सब तो यही थी तुम्हारे पास तुमको क्या हो गया था। तुम अचानक से कही खो हुई थी।सबने जानकी का मजाक उड़ाते बोली अरे आज ही तो सादी है । अब क्यू गौतम के ख्यालों में खोने लगी। ऐसा बोलते ही सब हंसने लगी।जानकी बहुत ही डरी हुई थी।

              जानकी की मां ओर पापा जानकी को देखने आए। जानकी बेहद ही खूबसूरत लग रही थी। वो पूरा लाल सादी का जोड़ा । पूरे हाथो में मेंहदी। हल्दी वाला पूरा शरीर। उनके गोरे हाथो में वो लाल चूड़ी बहुत ही आकर्षक कर रही थी। पूरी दुल्हन के रूप में जानकी को देख के उसके माता पिता की आंखों में आसूं आ गए।उसकी मां उसकी ओर गई और जानकी की आंखों में थोड़ा सा काजल लगाया।ओर कान के पीछे काला टीका किया।जानकी सब भूल गई । उसके मम्मी पापा को देख के उसकी आंखो मे आशु आ गए। जानकी की मां बोली मेरी बेटी एक दम अप्सरा लग रही है। पापा बोले मेरी लाडो इतनी बड़ी कब हो गई पता ही नही चला। ऐशा बोलते ही रोने लगे।

         आखिर एक बेटी बिदा जो होने जा रही थी।पिता की नजरो मे बेटी उसकी नन्ही सी प्रिंसेस ही रहती है । वो कितनी बड़ी क्यू ना हो जाए।ऐशा ही अब बारात आने वाली थी। जानकी खुस थी। 

            वो सोच रही थी की गौतम को आते ही सबसे पहले ये पूछूंगी की क्या कल रात और परसो वाली रात को तुम यहां आए थे क्या?

              बारात आ गई।।।।।।।

       चारो तरफ शोर। बैंड बाजा के साथ पूरे होश और जोश में बारात आ ही गई। सब बहुत ही खुस थे। नाचते गाते सब जानकी के आंगन में आ पहुंचे।जानकी के माता पिता जानकी के पास से तुरंत ही बाहर चले गए। जानकी की सारी सहेलियां भी बारात और गौतम को देख ने के लिए बाहर चली गई।जानकी अब और भी बहुत खुस थी।उसकी खुशी को किसी की नजर लग गई थी ये जानकी को नही पता था।

             जानकी कमरे की खिड़की से बारात को देखने लगी। मन में ही मन में बहुत ही खुश दिख रही जानकी की नजर अचानक से उस हवेली के ऊपर पड़ी। यह हवेली दिन में भी खौफ फैला दे ऐशा दृश्य था।बहुत ही सुन सान हवेली। हवेली को देखते ही जानकी बहुत डर और घभरा गई। उसने तुरंत ही खिड़की बंध कर दी।

          अचानक से उसकी सारी सहेली इसके कमरे में जानकी को लेने आ गए। जानकी बाहर जाने के लिए बहुत ही उतावली हो रही थी। आखिर उसको गौतम को देखना था।

गौतम...... बिलकुल ही एक हीरो की तरह लग रहा था। 

          गौतम की वो नीली आंखे। काले घने बाल। वो दूल्हा वाला शूट। आंखो पे चश्मा। बहुत ही प्यारा लग रहा था। जानकी उसको देखते ही सारी शिकायते भूल गई। गौतम को देखते ही रह गई।

        गौतम भी जानकी को देखते ही रह गया। एक दूसरे से नजर ही नहीं हटा रहे थे। वह दोनो बहुत ही खुश थे इस सादी से।

        अब आगे की कहानी जो ही हवेली का रहस्य वो इसके बाद का चैप्टर में जानेंगे......

 Bhavika Rathod ❤️