आप लोगो ने मेरी पिछली कहानी को पढ़ा हिमानी और उसके पति ने कैसे एक आत्मा को मुक्ति दिलाई थी । तभी मुझे उन दोनों के बारे उनकी लव स्टोरी के बारे में जानने के लिए कॉमेंट आ रहे थे । इस लिए आज उनकी ही कहानी लेके आई हु जिसमें उनके प्रेम, संघर्ष और समर्पण को पूरी तरह से उकेरने का प्रयास किया गया है ।
हिमानी ओझा का जीवन व्यस्त और संतुलित था। वह एक सरकारी नौकरी में कार्यरत थी और अपने काम में निपुण थी। उसकी आदतें बहुत अनुशासित थीं, और अपनी जिम्मेदारियों को वह हमेशा प्राथमिकता देती थी। परिवार और समाज दोनों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को निभाने में हिमानी हमेशा खुद को झोंक देती थी। हालांकि, उसकी इस कठोरता के पीछे एक गहरी संवेदनशीलता और सच्चाई थी, जिसे वह केवल अपने तक ही सीमित रखती थी।
दूसरी ओर, सुमित जोशी एक सरल और शांत स्वभाव का लड़का था। वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था, और अपनी जिंदगी में खुश था। उसकी बातें बेहद विनम्र और उसके विचार संतुलित थे। उसके लिए रिश्तों में गहराई और समझ अहमियत रखते थे। उसे जीवन के हर पहलू में संतुलन पसंद था, और वह दिखावा पसंद नहीं करता था।
एक बार हिमानी की दोस्त और सुमित की बहन ऐश्वर्या ने RNDK कंपनी मे चेयरमैन पोस्ट मिलने की खुशी में पार्टी रखी थी । इस पार्टी मे हिमानी और सुमित की मुलाकात हुई । हिमानी अपने खाने में तल्लीन थी, जबकि सुमित अपने दोस्तों के साथ पार्टी में शामिल हुआ था। उस पहली मुलाकात में ही सुमित हिमानी के गंभीर और आत्मविश्वास से भरे स्वभाव की ओर आकर्षित हो गया। दोनों की बातचीत शुरुआत में औपचारिक थी, लेकिन धीरे-धीरे एक-दूसरे के बारे में जानने लगे। सुमित का मिलनसार और विनम्र स्वभाव हिमानी को पसंद आया। दोनों की बातचीत का सिलसिला बढ़ा और वे एक-दूसरे के करीब आने लगे।
कुछ महीनों बाद, सुमित ने हिमानी से अपने दिल की बात कह दी। उसे एहसास हुआ कि वह सिर्फ एक दोस्ती नहीं, बल्कि उससे कुछ ज्यादा महसूस कर रहा है। लेकिन हिमानी इस रिश्ते को लेकर दुविधा में थी। उसने सुमित को बताया कि वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों में इतनी उलझी हुई है कि अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में सोचने का समय ही नहीं निकाल पाती। उसे डर था कि शादी के बाद उसकी प्राथमिकताएं बदल जाएंगी और वह अपने परिवार को समय नहीं दे पाएगी।
सुमित ने हिमानी की भावनाओं को समझा और उसे भरोसा दिलाया कि वह उसकी हर जिम्मेदारी में उसके साथ रहेगा। उसने हिमानी को यकीन दिलाया कि वह उसके परिवार को भी उतना ही सम्मान देगा जितना वह उसे देता है। सुमित का यह समझदारी भरा दृष्टिकोण हिमानी के दिल को छू गया, और उसने अपने दिल के दरवाजे सुमित के लिए खोल दिए।
कुछ समय बाद, एक चिकित्सकीय जाँच में पता चला कि हिमानी को अस्थमा है। उसे कई खाने-पीने की चीजों से परहेज रखने की सलाह दी गई थी। हिमानी के लिए यह खबर किसी झटके से कम नहीं थी, क्योंकि उसे अपनी नौकरी के दौरान ही कई बार शारीरिक परिश्रम करना पड़ता था।
जब सुमित को इसके बारे में पता चला, तो उसने बिना कोई शिकायत किए हिमानी के हर दुख को अपनाने का फैसला किया। उसने यह तय किया कि वह वही खाएगा जो हिमानी खा सकती है, ताकि उसे किसी प्रकार की असहजता महसूस न हो। उसने बिना किसी हिचकिचाहट के खुद को हिमानी की जीवनशैली के अनुरूप ढाल लिया। यह हिमानी के लिए सच्चे प्यार का सबसे बड़ा उदाहरण था। उसके प्रति सुमित के इस समर्पण ने उसे अंदर से मजबूत बना दिया।
समय के साथ उनका प्यार और मजबूत हो गया, और दोनों ने शादी का फैसला किया। उनकी शादी एक छोटे से समारोह में परिवार और दोस्तों के बीच हुई। शादी के बाद सुमित ने हिमानी के स्वास्थ्य का हर संभव ख्याल रखा और उसकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखा। परिवार में कुछ लोग उनके रिश्ते को लेकर संदेह करते थे, लेकिन सुमित ने हमेशा हिमानी का समर्थन किया और परिवार को भी विश्वास दिलाया कि उनकी शादी का आधार प्यार और समझ है।
शादी के बाद भी कई बार ऐसी स्थितियां आईं जब सुमित को अपने करियर में अच्छे अवसर मिले, लेकिन उसने हिमानी के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उन अवसरों को त्याग दिया। त्याग और समर्पण का यह सिलसिला उनकी शादी के बाद भी जारी रहा। त्योहारों के दौरान भी वह यह सुनिश्चित करता कि हिमानी को किसी भी प्रकार का असहजता न हो, और वह सिर्फ उन्हीं व्यंजनों का सेवन करता जो हिमानी के लिए सुरक्षित थे।
हिमानी को कई बार महसूस होता कि उसकी बीमारी के कारण सुमित को कई त्याग करने पड़ रहे हैं। उसने एक बार सुमित से यह बात भी कह दी कि वह उसकी वजह से खुद को बांध रहा है, लेकिन सुमित ने मुस्कुराते हुए कहा, "प्यार का मतलब सिर्फ एक-दूसरे के साथ होना नहीं है, बल्कि एक-दूसरे की खुशियों में अपनी खुशियाँ ढूंढना है। मैं तुम्हारे साथ रहकर ही खुश हूँ, तो फिर यह सब छोड़ना कोई बड़ी बात नहीं।"
समय के साथ सुमित और हिमानी का रिश्ता और मजबूत होता गया। हिमानी ने सुमित के सच्चे प्रेम और समर्पण के आगे अपने डर और संकोच को छोड़ दिया। धीरे-धीरे, दोनों ने अपनी मुश्किलों का सामना मिलकर किया और अपने रिश्ते को नए ऊंचाई पर पहुँचाया।
अब हिमानी को विश्वास हो गया था कि सच्चा प्यार वही है जहाँ बिना शर्त का समर्थन, समझ और साथ होता है। दोनों ने जीवन के हर उतार-चढ़ाव में एक-दूसरे का साथ निभाया और अपने प्रेम को एक नई शुरुआत दी।
निष्कर्ष
यह कहानी सिर्फ एक साधारण प्रेम कथा नहीं, बल्कि एक दूसरे के प्रति सच्चे समर्पण और त्याग की मिसाल है। सुमित का हिमानी के लिए हर त्याग और हिमानी का सुमित के साथ हर कदम पर रहना, इस बात को दर्शाता है कि सच्चे प्यार में कुछ पाने से ज्यादा, किसी के लिए कुछ कर गुजरने की भावना अधिक महत्वपूर्ण होती है।