जंगल - भाग 16 Neeraj Sharma द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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जंगल - भाग 16

     --------(16)------

          कार वही सड़क पर ख़डी रही थी। उसने  रीना को वही नम्बर पे फोन किया। जो गुप्त था। किसी सीमा नाम की लड़की पर चलता था, गुप्त फोन... "हेलो "उधर से कोई आवाज़ नहीं.... राहुल को फिर रिंग टोन सुनी।"हेलो, कैसे हो राहुल।" 

"कहा हो तुम "----"बताना भी जरुरी नहीं समझा तुमने।" दिल खोल के रीना ने डाट लगायी जैसे।

" मै तुझे परायेया लगी,... राहुल ने कहा " मै बिज़ी हुँ, भागा नहीं हुँ। " 

"कल टकले को छोड़ कर dsp से मेरी बात करा देना।"

"वो कल मेरे साथ नहीं.... हाँ तुम किधर हो..."

"मैं यही हुँ।" थोड़ा अंडर ग्रोड हुँ। "

"कयो ----तुमने कोई खून किया है, जा बैंक लूटी है "

"जल्दी आओ " रीना ने पूछा... फोन कट हो गया।

उसने कम्प्यूटर से कॉन्सेशन किया, वो कोई दिशा नहीं दें रहा था।

"शातिर हो, ---" वो बुडबड़ाई थी।

"फोन कहा से हुआ है " मन मे एक लम्मी जंग चल रही थी। रात के  दस वजे का समय।

कार के  बीच बैठने का मन नहीं था, वो एक ख़ुफ़िया इंसान से मिल कर आया था। कुछ भी हो सकता है।

कंधो पर उसने बैग लटका लिया था। वो बस अड़े के लिए निकल पड़ा। बहुत आगे भी नहीं गया था। एक आग का धमाका... ड्राम.... साथ वाली गली और घर की चोखतो को आग ने घेर लिया था।

लकड़ के खोखे गिर गए, आग के उबार ऐसे हुए, कि छनंन मे जल कर राख़ था। पुलिस की गाड़ियों की दौड़ लगी। आखिर हुआ कया," एक बम्ब!!!" कार जल रही थी, उसके परखचे उड़ गए थे। राहुल की तेज बुद्धि ने उसे बचा लिया था।------शक और गहरा हो गया था।

कितना सच था। कितना झूठ था उसका उस फोटो का दिखाना, और नाम बताना। ख़ुफ़िया था सही अंदाजा था, राहुल का.... वो बस मे बैठ चूका था। सवेरे की अख़बार मे कार का नम्बर राहुल की कार का ही था।

सब हैरत मे थे। ये असिडेंट अख़बार मे टाइम 9:40 का रात का था। राहुल का ही जिक्र चल रहा था, ये घटना शिमला की थी।

राहुल ने अख़बार देखी, पहली सुर्खियों मे उसकी कार का जिक्र, घबराहट थी उसे। जॉन की । 

पर परमात्मा बहुत बे अंत है। राहुल की आवाज़ सच थी। बच गया, तो जरूरी है, इतनी बड़ी घटना से बचना कोई रब ने कोई आप से भलाई का कोई काम कराना होता है। "उसने पढ़ा था।" गहरे उतर कर अँधेरे के बाद रौशनी भी जरुरी होती है।

रीना को फोन 10 वजे के करीब था। "शुक्र किया, जीवत है " उसके चेहरे पे मुस्कान थी। "तभी फोन टकले रंगीले का गुजा " सुना तुमने, तेरा दोस्त राहुल, मर गया.... बुरा हुआ। " रीना चुप रही। " अब बोलोगी नहीं, यार का दुख तो सब को होता है, तुझे जयादा करने की जरूरत नहीं , टकला है शादी तुझसे कराऊंगा.... "जैसे वो रोब डाल रहा हो।

"यू सेटअप "-----ऐसा सोचो भी मत, शादी, घटिया तहरीर सुनने के लिए तुजसे करुँगी।" एक दम से रीना ने कहा।

स्वीटी, तुम तन से मन से मेरी हो, अगर राहुल तुम्हे खुश कर भी गया तो मेरी हो तुम। " 

उसे इतना गुसा आया, उसने फोन पटक दिया।

वो इंतज़ार मे थी, "राहुल के फोन की -----------"