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अक्ल
कभी कभी वक्त को भी पंछी की तरह पर लग जाते हैं। ऐसे देखते देखते ही पाँच साल और गुज़र गए। रिमझिम बकील बन गयी उसने नन्हें की मदद से अपनी माँ के केस को दोबारा खोला। निहाल ने वो एफआईआर ढूंढ निकाली, जो उसकी माँ सुजाता के मौत के दौरान लिखी गई थीं। नीमवती उसके नाना नानी और ज़हरीली जड़ी बूटियाँ बेचने वाले वैद ने उसकी माँ को इंसाफ दिलवाने में मुख्य भूमिका निभाई। सुजाता की सास को पाँच साल, ससुर को दस साल और देवर को चौदह साल की सजा सुनाई गई। एक बेटी ने अठाइस साल बाद अपनी मरी माँ को न्याय दिलाया, यह खबर कितने दिन तक टीवी और अख़बार में छायी रही। अब रिमझिम एक सफल वकील बन चुकी है। गरीब बेटियों को न्याय दिलाने में वह उनके माँ बाप से अपनी फीस भी नहीं लेती। महिला वकीलों में उसका नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है।
आज मालपुरा में फिर मेले का आयोजन किया जा रहा है। इस मेले में गॉंव के सरपंच माखनलाल ने नंदन, निहाल और रिमझिम को ख़ास मेहमान के रूप में आमंत्रित किया है। निहाल घर पहुँचा तो उसके भतीजा भतीजी यानी सरला और ऋतिक दोनों उसे लिपट गए। सरला पाँच साल की हो चुकी है ऋतिक अभी तीन साल का है। उसने दोनों को एक साथ गोदी में उठाया और उन्हें लाड लगाने लगा। “अरे! भैया!! अभी थककर आये हो, बाद में इन शैतानों के साथ खेल लेना। अब उसने उन दोनों को निहाल की गोदी से नीचे उतारा तो वह अंदर आते लक्ष्मण प्रसाद से लिपट गए। निहाल ने उनके पैर छुए तो उन्होंने उसे ख़ुशी से आशीर्वाद दिया। वही किशोर भी खेतों से लौट आया, वह निहाल के गले लगकर बोला,
सुना है भाई? बहुत तरक्की कर ली है। अब दोनों चारपी पर बैठ गए और राधा ने दोनों को लस्सी पकड़ा दी।
भाभी आपने दोनों बच्चों का स्कूल में एडमिशन तो करवा दिया है न ?
हाँ भैया? गॉंव के बाहर जो प्राइमरी स्कूल है, वहाँ करवाया है।
थोड़ा और बड़े हो जाये। फिर मैं अपने साथ ले जाऊँगा। वहाँ के स्कूल में पढ़ेंगे।
अब कहाँ होगी तेरी पोस्टिंग ?
फिलहाल दो महीने की छुट्टी पर आया हूँ, उसके बाद यहाँ से मुंबई की क्राइम ब्रांच में सीनियर इंस्पेक्टर की ड्यूटी ज्वाइन करनी है।
आज तेरी माँ होती तो ख़ुशी से पूरे गॉंव में लड्डू बँटवा देती।
बापू ऐसे क्यों कह रहें हैं, हम आपकी पोती सरला के हाथ से पूरे गॉंव में लड्डू बँटवा देते हैं। राधा ने भोजन की थाली लगाते हुए कहा।
बहुत अच्छे बहू !! यह हुई न बात उन्होंने गोदी में बैठी सरला को सीने से लगा लिया।
अच्छा नन्हें !!! मैंने सुना इस बार मेले में डीआईजी ख़ासतौर से तुझसे मिलने आ रहें हैं। लक्ष्मण प्रसाद बोले।
सुना तो मैंने भी है।
पिछली बार आये थे तो अपनी बेटी की शादी तुझसे करने के लिए कह कर रहें थें। लक्ष्मण प्रसाद ने सरला को गोद से उतारा।
हाँ भैया!! इस बार आप शादी करवाकर ही जाये। आपके दोस्त नंदन की शादी भी अगले महीने है।
पहले मैं लड़की से मिल तो लो। फिर बताऊँगा। वैसे बापू काजल कब आ रही है?
शाम को आएगी । कुछ देर बतियाने के बाद, वे लोग खाना खाने लगे ।
शाम को मेले में पूरा गॉंव मौजूद है। सभी नन्हें, निहाल और रिमझिम को बहुत सम्मान दे रहें हैं । उसने मेले में देखा कि वहीँ पहले जैसी रौनक है। निहाल का पूरा परिवार मौजद है। काजल भी आ चुकी है, वह शहर से एमबीए कर रही है। जमींदार ने निहाल और नंदन को डीआईजी से मिलवाया तो उन्होंने अपनी बेटी नेहा से निहाल को मिलवाया। वह भी दिल्ली सचिवालय में अधिकारी है, शादी के बाद वह पोस्टिंग उसके साथ मुंबई में ले लेगी। नंदन ने उन दोनों को अकेले छोड़ दिया और वे दोनों अब झूले का आनंद लेने लगे।
रिमझिम विशाल के साथ आई हुई हैं। उसने विशाल को अपने नाना नानी से मिलवाया। वह भी बहुत जल्द उससे शादी करने वाली है।
सोना, गोपाल और अपनी भाभी सुमित्रा, जो राधा की छोटी बहन भी है के साथ आई है तो वहीँ निर्मला बिरजू और अपने दो बच्चों के साथ मेले में आई है, साथ में राजवीर, रघु और उसकी बीवी भी है। सोना ने निहाल को नेहा के साथ झूले पर देखा तो उसे जलन होने लगी। उन दोनों में अब भी सुलह नहीं हुई है। “अगर उस दिन स्टेशन पर बात हो जाती तो शायद इस नेहा की जगह मैं होती।“ यह ख्याल आते ही उसकी आँख में आँसू आ गए। रिमझिम ने उसके उतरे चेहरे को देखकर कहा, “उससे बात कर लें,”
अब क्या फायदा वह तो किसी और का हो चुका है।
अभी सिर्फ उसकी शादी की बात चल रही है, हुई नहीं है।
हो भी जाएगी। वैसे भी मैं उसके काबिल नहीं हूँ और राजवीर ने मुझे शादी के लिए पूछा है।
सोना, प्यार बार बार ज़िंदगी में नहीं आता।
हाँ लेकिन अब वो मुझसे प्यार नहीं करता।
वो तेरे अलावा किसी और से भी प्यार नहीं कर सकता। रिमझिम ने सोना की आँखों में देखते हुए कहा।
बिरजू निहाल से मिला तो उसने उसे गले लगा लिया, “तरक्की मुबारक हो, भाई।“ निहाल को बिरजू से बात करते देख नेहा अपने पिता के पास वापिस आ गई तो उसके पिता उसे निहाल के परिवार से मिलवाने लगें।
बिरजू भाई, आपको भी!!!।
अरे! मैं कहा!!
क्यों सुनो है, आपने दिल्ली में अपना कंप्यूटर प्लाज़ा खोल लिया है और निर्मला भाभी ने फैशन हाउस।
लेकिन इसमें राजवीर और सोना की मेहनत भी है। मैं पढ़ाता हूँ और साथ में वह अपना कंप्यूटर हार्डवेयर का बिज़नेस देखता है।
अच्छा भाई, आपको एक बात बतानी थी ?
क्या ??
आपने मुझे जमुना के बारे में बताया था न?
हाँ!!! जब तू नशा करने वालों को पकड़ना चाह रहा था पर तुझे उसके बारे में क्या बात करनी है । वह निहाल का मुँह देखने लगा ।
एक केस के सिलसिले में, मैं रानीखेत गया था, वहाँ यह गुत्थी भी सुलझी ।
कैसी गुत्थी? उसके चेहरे पर परेशानी के हाव भाव आ गए ।
दरअसल जमुना ने अपने भाईओ को किसी का खून करते देख लिया था और उन्हें डर था कि वह किसी को कुछ बता न दें इसलिए उन्होंने उसे पहाड़ से फ़ेंक दिया।
क्या !!!!! मेरी जमुना का खून हुआ था!! उसे अब भी विश्वास नहीं हुआ।
उसके दोनों भाई जेल में है। भाई! खून कभी न कभी खुद बोलता है और जुर्म ज्यादा देर तक छिपा नहीं रह सकता। बिरजू के सामने जमुना का चेहरा आ गया और उसकी आँख में आँसू आ गए। निहाल ने उसके कंधे पर सहानुभूति से हाथ रख दिया।
कुछ देर की चहल पहल देखने के बाद, सभी लोग मेले से विदा ले रहें है दिया। सोना ने देखा कि निहाल नेहा से ही बात करने में लगा हुआ है, उसने पूरे मेले मैं उसे देखा तक नहीं। “यह क्यों देखेगा, इसके तो भाव बढ़ चुके हैं।“ सोना ने गुस्से में कहा पर उसकी आँखों में आँसू साफ़ नज़र आ रहें हैं।
अगले दिन शाम के समय, निहाल अपनी मनपसंद जगह नदी के किनारे पेड़ के नीचे बैठकर डूबता सूरज देख रहा है। तभी वहाँ पर सोना आ जाती है।
“मुबारक हो।“ उसकी आवाज से उसका ध्यान भंग हुआ।
सोना!! तुम ?
हाँ मैं, क्यों किसी और का इंतज़ार था।
हाँ, सोमेश का।
वह भी सब इंस्पेक्टर बन गया है।
पता है। मुझे कह रहा था में आज आऊँगा गाँव । वैसे तुम भी तो फैशन डिज़ाइनर बन गई हो।
निर्मला जीजी को जो दस लाख मिले थे, हमने उसमे थोड़े और पैसे मिलाकर फैशन हाउस खोल लिया।
अच्छा है। निहाल मुस्कुराया।
सुना है, शादी कर रहे हो?
तुम अपना स्वयंवर कब कर रही हो। वह हँसी ।
मुझे नहीं लगता कि स्वयंवर में कोई पुलिसवाला आएगा।
क्या पता आ जाए । वैसे भी तुम्हारा सपना तो यही था, पुलिसवाले की दुल्हन। अब निहाल सोना की आँखों में देखने लगा तो उसकी रुलाई फूट पड़ी।
“मैं उस दिन स्टेशन पर तुमसे बात करने आई थीं, मगर तुमने मेरी एक नहीं सुनी ।“
कब ?? वह हैरान है ।
जब तुम मध्यप्रदेश जा रहें थे।
क्या बात करनी थीं ? वह अब हैरान है ।
“यही कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।“ उसने भी उसकी आँखों में देखते हुए जवाब दिया तो नन्हें ने उसे कसकर गले लगा लिया।
“सोना! तुम पुलिसवाले की ही दुल्हन ही बनोगी।“ उसने अब उसके होंठ चूम लिए। दूर खड़े नंदन, सोमेश और रिमझिम यह देखकर मुस्कुरा रहें हैं।
एक महीने बाद नंदन के साथ साथ निहाल की भी शादी सोना से हो गई। वह उसे लेकर मुंबई चला गया। अब राजवीर अपने लिए शहर की कोई छोरी ही ढूँढ रहा है।
गॉंव में बच्चे स्कूल में पढ़ रहें हैं और मास्टर जी उन्हें समझाते हुए कह रहें हैं, “बेटा नकल कितनी भी चल ले, मगर एक दिन पकड़ी जाती है और अक्ल कभी हमें हारने नहीं देती।“ सभी बच्चे बोले, “जी मास्टरजी !!!!!”