अर्ध परिणीती Neeta Batham द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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अर्ध परिणीती

दो प्यार करने वालों की छोटी सी स्टोरी 20 साल का एक लम्बा रिश्ता बहुत से सुख दुख आए जिंदगी में पर हर वक्त साथ थे वो नीती उस रिश्ते में बहुत खुश थीं उसकी तो पूरी दुनिया बस कुशल ही था सुबह की पहली सूरज की किरण से लेके रात के चांद की शीतलता तक नीती की हर बात उनहीं से शुरू उन्हीं पे खत्म होती थी कुशल के चारों ओर ही घूमती है उसकी जिन्दगी मन ही मन माता रानी को साक्षी मान के उसे अपना पति अपना सब कुछ मान चुकी है वो उसके लिए तीज रखती है करवाचौथ का व्रत करती है मतलब उनकी खुशी के लिये नीति कुछ भी कर सकती है और हमेशा करती रहेगी अपनी आखिरी सास तक बस इसे ही वक्त गुजरता गया नीति के लिए कुश क्या था ये शायद कुश भी कभी समझ ही नहीं पाया जब कुश नीति को अपनी बाहों में भरता था हग करता था तो नीति को एहसास होता था कि अब उसका कोई कुछ नही बिगड़ सकता उसे दुनिया की कोई मुश्किल कोई परेशानी नहीं घेर सकती वो उसकी हिम्मत बन जाता है वो एहसास उसे खुशी देता हैं उसके रिश्ते का सबसे मजबूत और महत्वपूर्ण पल कुश की बहे है जहां उसका शुकून बसता है फिर जिंदगी के करवट बदली और सब कुछ रेत की तरह फिसलने लगा जिस पल से नीति सबसे ज्यादा डरती थी वो सपने में भी सोच कर सहम जाती थीं ऐसा कुछ हकीकत में हो गया पेरेंट्स नहीं माने हमारी शादी के लिए......और कुश की शादी किसी ओर से जुड गई नीति उस समय जाते जी मर गई उसकी पूरी दुनिया कुश है सारी जिंदगी उसके सामने से गुजर रही थी उसके सपने उसकी हसी खुशी सब एक पल में ख़त्म हो गए उसने खुदको बहुत संभालने की कोशिश की अब भी कर रही है पर कुछ भी ठीक नहीं हो पा रहा वो कुश के बिना जीना सिख ही नहीं पा रही जो कभी अपने कुश से लडती नहीं थी उसकी शादी होने के 11 साल बाद भी उससे लड़ रही है उसे लगा था आज हालात ऐसे हैं कि नीति पूरी तरह बस जिन्दा लाश बन गई है उसकी जीने की चाहत खत्म हो गई है और वो डिप्रेशन से गुजर रही है आज पूरे 3 साल हो गए डिप्रेशन का ट्रीटमेंट करते हुए पर कुछ भी ठीक नही हो रहा मानो चारों ओर सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा हो आज भी हर रात अपनी रजाई से लिपट कर रोती है ये सोच कर कि जिसके नाम से परिणीता होना चाहती थी उसके नाम की अर्ध परिणीती बनके रह गई पर दुआ हमेशा यही रहेगी उसकी की कुश हमेशा खुश रहे मुस्कुराते रहे चाहें उनकी दुनिया में हम रहे न रहे !!वो कहते है।। छोटी सी दुनिया मोब्बत की है मेरे पास ओर तो कुछ नहीं है।। 

।। माग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र पहनने का उसका ख्वाब रहा 

हाथो में मेहंदी उसके नाम की ओर माथे पर बिंदी 

ओर खुशियों का छोटा सा संसार उसके साथ 

होना तो उसके नाम से परिणीता का ख्वाब रहा ।।

                                 Nitika batham