क्या ऐसा सच में था ? Naina Yadav द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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क्या ऐसा सच में था ?

वो इक खाब है या हकीकत ये लफ्जों में बयान ना कर सकता है पता नहीं वो क्या है पर दिल को सुकून आ जाता है | ऐसा ही कुछ हुआ वो देखता रह गया जाने उसकी आँखों को कोई भा सा गया हर्षित को जाने कोई अपना सा लगने लगा था बस वो समझ नहीं पा रहा था क्या वो हकीकत में है या वो सिर्फ उसका भ्रम है उसकी आंखों में कुछ अलग सी चमक थी पर ना जाने क्यों वो कुछ बदल गया सा लग रहा था |
कुछ समय पहले

हर्षित एक सीधा सा लड़का था | हमेशा कुछ अपने आप में रहने वाला था जो उसके अंदर चल रहा था वो किसी को भी नहीं पता था | पर अब हर्षित कुछ बदल सा गया है वो खुश सा रहने लगा था जब भी कोई पूछा तो वो कुछ नहीं बताता बस कहता है "कोई अपना है" और वहां से चल देता | अब वो पूरी तरह से बदल गया है| ख़ुशी सी भर गई थी दर्द तो उसके जीवन में पहले से ही था पर सब बातों से अंजान होने का नाटक करता था | आज मैंने रोक कर पूछ ही लिया "इतना बदलाव कैसे आया" वो मुस्कुराया और बोला अपनी जिंदगी का पता मिल गया है मुझे कुछ समझ में नहीं आया तो मैं उसके पीछे चला गया | उसका कमरा पूरी तरह से सजा हुआ था वहां गुलाब के फूल थे ये सब कुछ अलग अलग सा था क्योंकि आज तक तो उसने ऐसा कुछ नहीं किया था तो आज ये सब कैसे हो गया वो अंदर चला गया वो किसी से बात करने लगा वो बात कर ही रहा था मुझे अचंभा हुआ की हर्षित तो अकेला रहता है तो वो किस्से बात कर रहा है मैंने जाकर देखा तो मैं चौंक गया क्योंकि वहां कोई नहीं था पर वो किसी से बहुत प्यार से बात कर रहा था मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है सब बदला बदला है हर्षित बोला मिल ये वही है जिसकी मैं बात कर रहा था मेरा जीवन भर का साथी | मैं सोच रहा था कि मिलु किस्से यहां तो कोई है ही नहीं मुझे लगा वो पागल तो नहीं हो गया मैंने उसे बोला "हां पर तो कोई भी नहीं है" वो बोला "ये तो हमेशा से मेरे साथ ही है इसके होते मुझे कुछ नहीं हो सकता "मैं सकबकाता हुआ बहार जा ही रहा था मुझे इक लड़की की फोटो मिली मुझे लगा हर्षित उसी लड़की की बात कर रही है मैं वहां से कुछ भी सोच सकता हूं समझ निकल गया कुछ दिन बीत गए मुझे अभी भी उस लड़की की कोई खबर नहीं थी ये लड़की है कौन | मेरा दोस्त अपने पिता जी के लिए फूल लेकर कब्रिस्तान जा रहा था, मैं भी उसके साथ चला गया जब मैं वहां पहुंच गया मेरे दोस्त ने फूल चढ़ाये जब हम वहाँ से जा रहे थे तो मुझे इक क़बर दिखी उसमें उसकी लड़की की फोटो थी जिसकी मुझे इतने दिनों से तलाश थी अब तो मेरी समझ से सब कुछ गायब सा होने लगा | क्या ऐसा हो सकता है ये लड़की तो मर गई तो फिर हर्षित उसका क्या। क्या उसका ये हाल इसी वजह से हुआ है मैं उसके घर गया रात के 10 बजे थे तो वो बहुत रो रहा था मैंने पूछा तो बोला "वो पता नहीं कहा चली गई है तू देख ना पुलिस स्टेशन में शिकायत लिखवा दे | मैं क्या कर सकता था मैंने उससे उस लड़की के बारे में पूछा तो उसने बताया वो 1 साल पहले मिला था | वे अच्छे दोस्त बन गए लेकिन वह दोस्ती कब प्यार मे बदल गई उन्हें पता ही नहीं चला। वो जब जब भी वह उससे मिलता था और उसे फूल देता था उसने बताया उसे फूल बहुत पसंद था वो उसके लिए शेर भी लिखा करता था . उसने बताया वो जब भी उसे देखता था तो उसकी धड़कन तेज हो जाती थी इक दिन वो दोनों कहीं घूमने जाते थे तो उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया था फिर जब उसे हो आया तो उसने खुद को अस्पताल मे पाया वो लड़की उसके साथ ही थी वो हमेशा से इक साथ ही रहने लगे पर पता नहीं वो आज कह चली गई है अब मुझे सब समझ आ गया था मुझे उसके लिए बुरा लगने लगा वो बहुत ज्यादा रोने लगा वो खुद को संभल नहीं पाया और बेहोश हो गया फिर वो फिर से गुमसुम सा रहने लगा किसी से कुछ ना खेता। जब वो थोड़ा ठीक सा हो गया तो मैंने उसे बताया वो लड़की उसकी कार एक्सीडेंट में मर गई थी ये सब सिर्फ उसका भ्रम था मैंने उसकी क़बार भी दिखाई। और आज वही चमक है उसकी आँखों में फिर देख रहा हूँ वही प्यार जो पहले था वही फूल वही बाते मुझे उसकी बहुत परवाह होने लगी जब मैं उसके घर गया तो इक नोट था "जब वो नहीं तो मैं भी नहीं अगर हमारा मिलन यहां नहीं हो सकता तो कहीं और ही सही पर हम मिलेंगे जरूर" जब मैंने ये पढ़ा तो मैं जल्दी से वहां से भागा जब तक मैं वहा पाहुच पाता तब तक बहुत देर हो चुकी थी अब वो इस दुनिया में नहीं था मैं पूरी तरह बिखर गया। आज नहीं उसकी याद आती है पर सोचता हूँ क्या हुआ होगा क्या वो मिले होंगे आज उसकी लड़की के बगल में मेरे दोस्त की भी मौत है, दोनों पर ही हमेशा फूल चढ़ा कर आता हूं फूल रखने से पहले ही मेरे आंसू आ जाते हैं जाने ये इक खबर थी या ये उसकी हकीकत ही थी पर यही सच्चा प्यार था वो नहीं जो आज कल लोग करते हैं यहाँ हर किसी की आँखों में लालसा है। सच्चा प्यार बहुत कम लोगों को नसीब होता है कभी लड़की धोखेबाज़ तो कभी लड़का धोखेबाज़ होता है पर जेबी दोनों सच्चे होते हैं फिर जहां उने अलग कर देते हैं पर किस्मत उनके साथ ले ही आती है चाहे वो कैसे भी हो पीआर ये सवाल सवाल ही रह गया आज भी मेरा जवाब ढूंढ रहा हूं क्या ये इक हकीकत थी या सिर्फ इक खाब ?