अंधेरे का बंदी Shivam Yadav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अंधेरे का बंदी

रात का सन्नाटा गहरा और भयानक था। हवा में अजीब सी ठंडक थी, जो हड्डियों तक सिहरन पैदा कर रही थी। आरव अकेले अपने पुराने पुश्तैनी मकान में रात बिता रहा था, जो उसके दादा के जमाने से वीरान पड़ा था। गाँव वालों के अनुसार, इस घर में कुछ अनहोनी जरूर थी—कुछ ऐसा, जो आँखों से नजर नहीं आता, पर महसूस किया जा सकता है।

आरव ने इन कहानियों को हमेशा अफवाह समझा, लेकिन इस रात उसका सामना कुछ ऐसा होने वाला था, जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी। घड़ी की सूइयाँ रात के 12 बजा रही थीं, और चारों ओर घना अंधेरा पसरा था। अचानक, उसे घर के किसी कोने से हल्की-हल्की फुसफुसाहट सुनाई देने लगी। पहले उसने सोचा कि शायद ये उसका वहम है, पर आवाजें लगातार बढ़ने लगीं। वो आवाजें जैसे उसके कानों में घुसकर, उसकी आत्मा को झकझोर रही थीं।

वो दरवाजे की ओर बढ़ा तो महसूस किया कि उसके पीछे कोई चल रहा है। डर के मारे उसकी सांसें तेज हो गईं। हर कदम पर उसे ऐसा लगा जैसे कोई उसकी हर हरकत पर नजर रखे हुए है। डर से उसकी हथेलियाँ पसीने से भीग गई थीं, और दिल की धड़कन इतनी तेज थी मानो अभी बाहर आ जाएगी।

जैसे ही उसने गलियारे में कदम रखा, बत्तियाँ अचानक झपकने लगीं। उसकी आँखें अंधेरे में कुछ अजीब सा आकार देख पा रही थीं—वो एक काली, धुंधली आकृति थी, जिसकी आँखें अंगारों जैसी लाल थीं। वो धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ रही थी। आरव की टांगें मानो जमीन से चिपक गईं, वो चाहकर भी हिल नहीं पा रहा था।

उस काली आकृति ने अपनी भयानक मुस्कान के साथ उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा, "तूने हमें यहाँ आने से मना किया था, पर अब हम यहीं रहेंगे…" उसकी आवाज इतनी ठंडी थी मानो बर्फ के टुकड़े उसकी आत्मा को चीर रहे हों। आरव ने खुद को संभालने की कोशिश की, लेकिन उसका दिमाग शून्य हो चुका था।

आखिरी उम्मीद के साथ उसने दरवाजे की ओर भागने का प्रयास किया, लेकिन हर दरवाजा बंद हो चुका था। उसकी चीखें अब सिर्फ उस घर के बंद दरवाजों के पीछे दबकर रह गईं। जब अगली सुबह गाँव के लोग उस घर में पहुंचे, तो घर के गलियारों में सिर्फ सन्नाटा था। आरव का कहीं कोई नामोनिशान नहीं था, और उस दिन के बाद किसी ने उसे फिर कभी नहीं देखा।

कहते हैं, अब उस घर में जब भी को कदम रखता है, उसे आरव की डरावनी चीखें और उस काली आकृति की फुसफुसाहटें जरूर सुनाई देती हैं...         
   Kaisa laga hamari kahani 
             
 Agar aisi kahani or sunni ya dekhni h to 
..........Mera channel khofnak safar........
           Ko subscribe karna na bhula ....   
            Tumhara bhi .....



Imagine a cold, silent night when you're alone at home. There’s an unsettling calm, broken only by the faint ticking of a clock. You feel a slight shiver, perhaps from the chill, or maybe it’s something else. Everything seems normal at first, but you sense a strange presence, as if someone’s watching you.  

       Agar story English ma chaiya to 

                  Jarur batana h 
 Thank you for see