नादान इश्क़ - 5 rk bajpai द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नादान इश्क़ - 5

अब तक आपने देखा 

कैसे ईशान और रॉकी की बहस होती है। और ईशान वीर फिर से इतने दिन बाद मिलते है और ईशान अपने कॉलेज के सपने देखते देखते कब सो जाता है

अब आगे



अगले दिन ,


                     सुबह की हल्की-हल्की धूप ईशान के कमरे में आ रही है जिस वजह से कमरे में हल्की सी रोशनी है । ईशान आराम से गहरी नींद मे सो रहा था । उसके बाल उसके माथे पर बिखरे हुए थे जिससे वो और प्यारा लग रहा है । उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट है जिससे पता चल रहा है कि वह सुंदर कोई सपना देख रहा है। ।





   सपने में वह क्या देख रहा है यह तो नहीं पता चला लेकिन हां उसके चेहरे की मुस्कान बता रही है कि वह बहुत ही खूबसूरत सपना है । तभी सोते हुए ईशान को लगा कि कोई उसे जोर-जोर से हिला रहा है । ।





   उसने अपनी आंखें खोलकर देखी तो ईशान की मां कामिनी जी उसे चिल्लाते हुए बोली “ईशान उठना नही है क्या तुझे आज तेरे कॉलेज का पहला दिन है और तुझे पहले दिन की लेट होना है क्या ? जल्दी से तैयार होकर नीचे आजा तेरे पापा तुझे कब से आवाज दे रहे हैं” । ।



    

         ईशान जो अभी तक नींद में था जैसे ही उसने सुना की विक्रम जी उसे आवाज दे रहे है तो वह जल्दी से अपने बिस्तर से उठा और बोला “क्या पापा मुझे आवाज दे रहे है मैं अभी 2 मिनट में तैयार होकर आता हूं” । ।





    उसके मुंह से यह सुन कामिनी जी बोली “अरे 2 मिनट नहीं 10 मिनट में आ जाना लेकिन नहा कर आना हाथ मुंह धोकर मत आ जाना”।  ।





    ईशान बाथरूम में जाते हुए बोला “हां ठीक है मां मैं बस अभी आता हूं आप चलिए” । यह बोल बाथरूम में चला गया । ।





     उसके जाने के बाद कामिनी जी ने उसका बिस्तर ठीक किया और नीचे आ गई ।  कुछ ही देर में ईशान  तैयार होकर नीचे आया तो उसने देखा विक्रम जी हॉल मे बैठे उसका ही इंतजार कर रहे हैं । ।



    ईशान ने आकर सबसे पहले उनके पैर छुए और फिर बोला “क्या हुआ पापा आपने मुझे बुलाया कोई काम था क्या ?” । ।






      विक्रम जी ने एक नजर कामिनी जी और बाकी परिवार वालों को देखा और फिर मुस्कुरा कर ईशान की तरफ देखते हुए बोले “हां ईशान मेरे पास तुम्हारे लिए कुछ है जो मैं तुम्हें देना चाहता हूं” । ।






       ईशान ये सुन एक्साइटेड हो गया और विक्रम जी के चारों तरफ घूम कर देखने लगा पर उसे कुछ नही मिला । ।





   उसे इस तरह बच्चो जैसी हरकत करता देख विक्रम जी हंसे और बोले “तुम्हें मेरे पास कुछ नहीं मिलेगा तुम्हारा सरप्राइज बाहर है जाकर देखो”।  ।





     सरप्राइज का नाम सुनते ही ईशान खुश हो गया और फिर तुरंत बाहर की और भाग गया बाहर जाते ही उसकी आंखें हैरानी से खुली रह गई । उसे समझ ही नहीं आ रहा था वो कैसे रिएक्ट करें । ।



    उसकी आंखों के सामने एक नई चमचमाती बाइक खड़ी थी । वह कब से अपने पापा से बोल रहा था कि उसे एक बाइक लाकर दें लेकिन विक्रम जी हमेशा उसे यही कहकर टाल देते कि वह अभी छोटा है और वो उसे बाइक नहीं दिलाएंगे । ।





     ईशान ने एक नजर विक्रम जी को देखा और फिर दोबारा बाइक को । ।





                 उसने जल्दी से आकर विक्रम जी को गले लगाया और फिर बोला “थैंक यू पापा आपने यह बाइक मेरे लिए खरीदी , आप सच में बहुत अच्छे हैं यह मेरे कॉलेज का ही नहीं मेरी लाइफ का सबसे बेस्ट गिफ्ट होगा , थैंक यू पापा आप सबसे ज्यादा बेस्ट है आप हमेशा मेरी खुशी का ख्याल रखते हैं और कभी मुझे किसी चीज की कमी नहीं होनी देते” । ।





        विक्रम जी ने ईशान के सर पर हाथ फेरा और बोले “ईशान तुम मेरे बेटे हो और मैं तुम्हें कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दूंगा, जितना मेरे बस में हो सकेगा मैं हर वह चीज करूंगा जिससे मेरे बेटे को खुशी मिले और मेरा आशीर्वाद है खूब मन लगाकर पढ़ाई करना और एक अच्छा और बड़ा वकील बनकर हमारा और इस देश का नाम रोशन करना” । ।





     उन्होंने अपनी जेब में से चाबी निकाली और ईशान को चाबी पकड़ा दी । ईशान में जल्दी से चाबी ली और फिर जल्दी से अपना बैग अंदर से ले आया । ।





कामिनी उसे रोकते हुए बोली “खबरदार जो बिना कुछ खाए घर से बाहर कदम भी रखा तो पहले खाना खाओ और फिर कॉलेज जाना” । ।



   

   ईशान जानता था की वो कामिनी जी को कितना भी समझा ले पर वो नही मानेंगी इसलिए वो जल्दी से अंदर गया और जल्दी जल्दी अपना नाश्ता करने लगा। ।





       नाश्ता करके वो बाहर आया और  बाइक पर बैठ गया और विक्रम जी से  बोला “ठीक है पापा अब मैं कॉलेज के लिए निकलता हूं वरना मुझे पहले दिन ही लेट हो जाएगा” । ।





       वह जल्दी से कॉलेज के लिए निकल गया । बाइक चलाते वक्त भी उसके चेहरे पर से मुस्कान जा नहीं रही है।  वह इतना ज्यादा खुश है कि उसकी खुशी को शायद ही कोई बयां कर सके । ।





    कुछ ही देर में वह अपनी उस के साथ कॉलेज पहुंच गया । उसने बाइक जल्दी से पार्किंग में खड़ी करी तभी उसकी नजर वीर पर गई और उसने दूर से ही वीर को हाथ हिलाते हुए आवाज दिया “ओय वीर रुक मैं भी आ रहा हूं” । । 





    वह जल्दी से वीर के पास आया । वीर ने भी उसे बाइक से उतरता हुआ देख लिया था यह देख  वीर बोला “अरे ईशान यह बाइक किसकी है और यह तो एकदम नई लग रही है” । ।





     ईशान खुश होते हुए बोला “यह मुझे पापा ने गिफ्ट करी है मेरे कॉलेज के पहले दिन पर ,  देख न मेरी नई जिंदगी की शुरुआत ही कितनी अच्छी हुई है आज के दिन मुझे मेरी मनपसंद बाइक मिल गई अब पता नहीं मुझे और क्या-क्या मिलने वाला है आज पहले दिन” । ।






      वीर उसे छेड़ते हुए बोला “वैसे कहीं तुझे आज तेरा प्यार तो नहीं मिलने वाला , क्योंकि मैंने सुना है बहुत लोगों को कॉलेज के पहले दिन ही अपना प्यार मिल जाता है” । ।





    ईशान हंसने लगा और बोला “क्या यार तू भी चल वरना हम क्लास के लिए लेट हो जाएंगे” । दोनों हंसते हुए  क्लास के लिए निकल गए । ।





   सब लोगों का आज फर्स्ट सेमेस्टर में पहला दिन था इसलिए सब क्लास में बैठे हुए एक दूसरे से जान पहचान बढ़ा रहे हैं ईशान और वीर एक पास बैठे हुए एक दूसरे से बात कर रहे हैं कि तभी प्रोफेसर क्लास में आ जाते हैं  । । 





   सब बच्चों ने उन्हें गुड मॉर्निंग विश किया और वापस अपनी जगह पर बैठ गए । प्रोफेसर सबसे बोले  “स्टूडेंट्स आज तुम्हारा पहला दिन है तो पढ़ाई तो वैसे भी नहीं होनी , इसलिए हम सब ने सोचा है कि आज आप सब लोग एक दूसरे को जाने और एक दूसरे को अपना इंट्रोडक्शन दे और इसके लिए सबको सेमिनार हॉल में जाना होगा वहां सब एक-एक करके अपना इंट्रोडक्शन देंगे और सब लोगों को कुछ ना कुछ करके दिखाना होगा” । ।





   सब बच्चों ने उनकी बात मानी और कुछ ही देर में पूरी क्लास सेमिनार हॉल में इकट्ठी हो गई । एक-एक करके सब लोग अपना इंट्रोडक्शन देने लगे किसी ने डांस किया।  किसी ने जोक क्रैक किया तो किसी ने कुछ किया । ।





         उसके बाद बारी आई वीर की । वीर उठा और उसने अपना इंट्रोडक्शन दिया और उसके बाद एक गाना गया । । 



  वीर के इंट्रोडक्शन देने के बाद अब सिर्फ एक ईशान ही बचा था । ईशान उठकर स्टेज पर आया और अपना इंट्रोडक्शन देने लगा मैं वीर मल्होत्रा मेरी उम्र 19 साल है । मुझे आज आप लोगो के सामने यहां बोलने का मौका मिला कभी लगा नही था मेरी आदत है की मुझे बोलना अच्छा लगता है।। और ज्यादा अच्छा तब लगता है जब लोग मुझे सुनते है तो आप लोग ने सबने अपनी अपनी बात रखी और अब ये जो मौका मुझे मिला है इसको मैं आप सब के लिए याद गार बनाना चाहता हु इसलिए कुछ लाइंस है जो मैने खुद लिखी है किसी के लिए क्युकी मुझे सायरी करना काफी पसंद है।।





    उसकी बात पर सब तालियां बजाने लगे ईशान ने एक नजर सामने खड़े सब बच्चों को देखा और फिर बोलना शुरू किया । ।

अर्ज है






   अगर उसकी खुशबू किसी इत्र में समाई होती 

अगर उसकी खुशबू किसी इत्र में समाई होती...

    न जाने कितने देश में लड़ाई होती।।   

  वह शख्स एक बार हां कह देता मुझे..

  तो मैंने अपने घर से उसके घर तक सड़क सजाई होती...

    सबसे ज्यादा हमारी बारात में मैं नाचता

सबसे ज्यादा हमारी बारात में मैं नाचता

    मैंने अपने खुद में शहनाई बजाई होती....

   कोहिनूर से कीमती अगर कोई हीरा  होता 

     उसको मैं पहनाता और हमारी सगाई होती....

   जो लोग कहते थे कि तुम लोगों को

             कुछ नहीं होने  वाला....

     उनको अपने हाथों से मिठाई खिलाई होती.....

     बस एक बार हां कह देती मुझे वो।।

  मैंने अपने घर से उसके घर तक सड़क बनाई होती...... 





 उसकी यह शायरी सुनकर एक पल के लिए तो पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया और फिर 1 मिनट बाद ही पूरे हॉल में जोर-जोर से तालिया की गूंज सुनाई देने लगी  । । 



          सब जोर-जोर से सीटी बजाने लगे और वंस मोर वंस मोर बोलने लगे । । प्रोफेसर ने भी ईशान की तरफ देखा और बोले एमहां ईशान एक शायरी तो और बनती है” । ।  ईशान प्रोफेसर की बात डालना नहीं चाहता था इसलिए उसने एक शायरी और बोली ।



  अपनो से ज्यादा गैर मेरी मुसीबत में खड़े हुए।।

अपनो से ज्यादा गैर मेरी मुसीबत में खड़े हुए।।

तो जायज है की वो उनसे बड़े हुए।। 

किसी सपेरे से उधार लेके बजाई थी 

बीन हमने न जाने क्यों मेरे यार उठ खड़े हुए।।

    





उसके बोलने के बाद दोबारा हॉल में तालिया का शोर होने लगा । ईशान की सायरी सुन कर लोग उसके दीवाने हुए और काफी लोग लड़के और लड़कियां उससे दोस्ती करना चाहते थे क्युकी ईशान ने अपना नेचर ही ऐसा बताया है।। फिर कुछ देर बाद ईशान अपनी जगह पर आकर वापस बैठ गया और कुछ ही देर में कंपटीशन भी खत्म हो गया । सब लोग वहां से बाहर निकल गए । ।





   वीर ईशान से बोला “मानना पड़ेगा ईशान तू तो बहुत ही अच्छी शायरी करता है पहले तो तू बस थोड़ी बहुत ही शायरी करता था लेकिन लगता है कि इन 2 सालों में तू बहुत ही अच्छी शायरी करने लगा है” । ।





   ईशान हंसा और बोला “अरे ऐसा कुछ भी नहीं है बस जो दिल में आता है वह मैं जुबान पर ला देता हूं ज्यादा कुछ नहीं” । ।





 वीर उससे रिक्वेस्ट करते हुए बोला “यार मुझे भी शायरी सीखनी है अब”। ।





   ईशान हंसा और बोला “अरे लेकिन तुझे शायरी क्यों सीखनी है” । ।





   वीर :  “अरे तू जानता नहीं है लेकिन मैं दावे से कह सकता हूं तेरी ये शायरी को सुनकर हॉल में बैठी कितनी लड़कियां तुझसे इंप्रेस हो चुकी होगी इसलिए मैं भी सोच रहा हूं कि मैं भी शायरी शुरू कर दूं ताकि एक दो लड़की मुझसे भी इंप्रेस हो जाए” । ।





   ईशान उसकी बात सुनकर पेट पकड़ कर हंसने लगा और बोला “तू पागल हो गया है चल अब कैंटीन चलते है” । ।





   वह दोनों कैंटीन की तरफ बढ़ ही रहे थे । तभी ईशान के फोन पर किसी का फोन आने लगा । यह देख ईशान बोला  वीर तू आगे चल मैं बस अभी बात करके 2 मिनट में आता हूं” । ।





            ईशान की बात सुन कैंटीन की तरफ चला गया वह भी अपना फोन चला रहा था और फोन चलाते चलाते उसने ध्यान ही नहीं दिया कि कोई उसके सामने से आ रहा है ।  और वह सामने से आ रही एक लड़की से टकरा गया । ।



ईशान को किसका कॉल आया? और किससे ईशान की टक्कर हुई ? कौन थी वो लड़की? क्या ईशान की जिंदगी की नई शुरुआत थी? या उसके जिंदगी की बर्बादी? 

जानने के लिए पढ़ते रहे

"नादान इश्क"