खामोशी का रहस्य - 7 Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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खामोशी का रहस्य - 7

माया को जब होश आया तब उसने अपने को अस्पताल में पाया थाजैसे ही उसे होश आया एक महिला पोलिश इंस्पेक्टर उससे पुछताक्ष करने के लिए आ गयी
क्या हुआ था तुम्हारे साथ
और माया ने पूरा किस्सा यानी आप बीती सुना दी थी।पोलिश इंस्पेक्टर ने फोन करके अनुराग से बात की थी।फोन करने के बाद दूसरे दिन अनुराग आया था।जो अनुराग उसके सामने चुप नही रहता था।वह अनमना सा बना रहा।उससे बात नही कि और कुछ देर बैठकर चला गया था।
औऱ फिर न वह आया न ही सास या ननद उसे जिस दिन छुट्टी मिलने वाली थी।उस दिन उस फोन भी किया गया था।जब काफी ििइंतरतजर के बाद भी वह नही आया तब एम्बुलेंस उसे घर छोड़ने के लिए गयी थी।
जब वह घर के अंदर गयी तो सास बोली थी
"अब यहा करने के लिए आई हो
°मम्मीजी यहा नही आती तो कहा जाती"
सास की बात सुनकर माया बोली थी
"तेरे मन मे आये जहाँ जा
सास बकती रही।वह सब कुछ सुनकर भी चुप रही और अपने कमरे में चली गई थी।अनुराग कमरे में ही था।पति को देखकर वह बोली
आज ऑफिस नही गए
"किस किस को सफाई देता फिरूँ
माया ने पति की बात का जवाब नही दिया और बोली,"जब घर पर ही थे तो अस्पताल क्यो नही आये
"माया अब मैं तुमसे कोई रिश्ता नही रखना चाहता
"तुम मुझसे प्यार करते हो और तुम ही यह बात कह रहे हो।"
"प्यार करता था।अब नही
"अब क्या हो गया जो तुम ऐसी बात कर रहे हो
"जो कुछ तुम्हारे साथ हुआ।उसे बताने की जरूरत नही।तुम सब कुछ जानती हो
"वो हादसा मेरी गलती नहीं थी।तुम भी मेरे साथ थे।वे लोग जबरदस्ती तुम्हारे सामने मुझे ले गए थे।मेरी रक्षा करना तुम्हारा कर्तव्य था
"मैने पूरा प्रयास किया।तुम्हे उन लोगो से बचाने का लेकिन वे 4 थे।मैं उनका मुकाबला नही कर पाया।"
माया को दोषी उसकी सास ही नही मां रही थी।उसका पति भी उसे ही दोषी मां नरहा था।जबकि वह जानता था कि उसका कोई दोष नहीं है।ऐसा किसी भी औरत के साथ हो सकता है।या यों कहें आये दिन होते रहते हैं।
माया ससुराल में उपेक्षित होकर रह गयी थी।सास खुद बोलती नही थी।उसने अपनी बेटियों को भी मना कर दिया था।पति भी उससे दूर रहने लगा।उससे बात करना तो दूर रात को दूसरे कमरे में सोने लगा।उसे खाने पीने को ऐसे दिया जाता जैसे जैसे किसी भिखारी को देते हैं।उसकी जिंदगी नरक बन गयी थी।
जब भी कोई कॉलोनी की औरत आती या कोई और वह उसकी बुराई करती
""कुलक्षणी यहाँ बेशर्मो की तरह पड़ी है।पति,सास और ननदे घण्टो कमरा बन्द करके न जाने क्या मन्त्रणा करते रहते।
सास तो न उससे बोलती न ही कोई काम करने देती थी।पति भी उससे ऐसे दूर रहता मानो वह अछूत हो।ननदो से वह बात करने की कोशिश करती तो वे मुह फेर लेती।वह दिन रात अकेली कमरे में पड़ी रहती।उसे उतना तंग किया जा रहा था कि वह खुद ही चली जाए।पर वह जाती कहा।मा बाप रहे नही थे।भाई था वह भी सोटेलवह तो अभी तक मिलने के लिए भी नही आया था।
और वह कहि नही गई तब एक दिन
अनुराग ने उसके सामने तलाकनामा रख दिया
इस पर दस्खत कर दो