अधिकार Suresh Chaudhary द्वारा आध्यात्मिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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अधिकार

" लता, एक कप चाय दे दो यार,,,,। वासु ने सोफे पर बैठते हुए आवाज दी।

" आपने घड़ी में टाइम देखा,,,,। लता ने कमरे में प्रवेश होने के साथ ही उखड़े हुए मूड में पूछा।

"हां नौ बज रहे है,,,। वासु ने सामान्यत जवाब दिया 

"तो महोदय यह भी बता दीजिए कि यह टाइम खाना खाने का है या चाय पीनें का,,। थोड़ी तेज आवाज में पूछा लता ने।

"अरे यार चाय का भी कोई टाइम होता है क्या, जब इच्छा होती हैं पी लेनी चाहिए,,।

"तो मेरे हजूर, जरा यह भी बता दो कि अभी आप चाय लेंगे तो खाना किस टाईम लोगे और सोएंगे किस टाइम,,। पुनः चिड़चिड़े अंदाज में कहा लता ने 

"क्या बात है लता, किसी ने कुछ कहा क्या,,।

"क्या मतलब है तुम्हारा,,,,।

"मेरा मतलब है कि मैं रोज ही मंदिर से इसी टाइम आता हूं और खाना खा कर सो जाता हूं,,।

"तो फ़िर आज क्यों मूड बदल गया साहब का,,।

"मूड नहीं बदला है लता, आज कुछ तबियत खराब सी लग रही है,,,।

"रोज रोज तबियत खराब का बहाना, अरे चाय के लिए बहाना बनाने की आदत हो गई तुम्हारी,,।

"अच्छा, इसका मतलब यह है कि मैं बहाना बना रहा हूं,,।

"और नहीं तो क्या तीस साल हो गए, तुम्हारे बहाने देखते देखते,,।

"अरे आज हुआ क्या है किसी पड़ोसन से कुछ कहा सुनी हुई क्या,,।

"मै इतनी ख़ाली नहीं हूं तुम्हारी तरह,,।

"इसका मतलब यह है कि मैं ख़ाली हूं,,।

"बिल्कुल, क्या करते हो, सात बजे आफिस से आ कर मंदिर चले जाते हो और आ कर खाना खा कर सो जाते हो, कुछ घर के काम काज की भी चिंता है या नहीं,,।

"अरे तुम हो ना घर के काम काज के लिए,,। वासु ने मजाकिया अंदाज में कहा 

"मैं नौकरानी बन कर नहीं आई थी तुम्हारे घर में,,।

"अब यह नौकरानी वाली बात कहां से आ गई,,।

"बहुत हो चुका, अब मैं इस घर में नहीं रहूंगी,,।

"फ़िर कहां जाओगी,,। वासु ने हंसते हुए पूछा 

"भाड़ में जाऊंगी, लेकिन यहां नहीं रहूंगी,,।

"यह तुम्हें क्या हो गया है लता,,,।

"हुआ कुछ भी नहीं, मुझे तलाक चाहिये तुम से,,। यह सुनते ही सीरियस हो गया वासु 

"लता तुम जानती हो कि तुम क्या कह रही हो,,।

"हां जानती हूं, कह दिया तो कह दिया, मुझे तलाक चाहिये,,। यह सुनते ही वासु सोफे से खड़ा हो कर लता के पास आ गया 

"इतनी छोटी सी बात को बड़ी मत बनाओं लता, लोग क्या कहेंगे,,। लेकिन लता ने वासु की एक भी नहीं सुनी और पैर पटकते हुये कमरे से बाहर चली गई।

वासु के मस्तिष्क में एक तूफान सा उठ खड़ा हुआ, सोचने लगा,, झगड़ा तो पहले भी हुआ लेकिन बात यहां तक आ गई। चुपचाप सोफे पर ही लेट गया और सोचते सोचते रात के दो बज गए। अचानक सिर में तेज दर्द हो गया और थोड़ी देर में ही दर्द असहनीय हो गया।

सोफे से खड़ा हो कर मेज पर रखी टेबलेट उठाई और किचन में पानी लेने के लिए आ गया। आरओ में से पानी लिया, तभी वासु को लगा कि पीछे कोई है, मूड कर देखा तो सामने लता खड़ी है।

"क्या कर रहे हो,,। धीमी आवाज में पूछा 

"सिर में तेज दर्द हो गया है, दवा लें रहा हूं,,।

"मुझे आवाज दे देते,,।

चुप रहा वासु 

"रात में पानी देने का अधिकार मेरा है, तुम ख़ुद क्यों ले रहे थे,,।

"तुम शाम लड़ जो पड़ी थी,,।

"लड़ाई अपनी जगह पर है और अधिकार अपनी जगह पर, तुमने रात में खाना नहीं खाया था ना इसीलिए सिर में दर्द हुआ होगा, अब तुम जा कर सोफे पर बैठ जाओ मैं चाय बना कर लाती हूं,,। कहते कहते लता की आंखो में आंसू आ गए।

वासु ने दोनों बांहे फैला दी और लता वासु की बाहों में समा गई। वासु की पलकें भी भीग गई।