तीन साल हो गए हैं, पर दिल आज भी उसी पल में अटका हुआ है जब पहली बार उनसे मुलाकात हुई थी। ये मुलाकात भी ऐसे जैसे किसी फ़िल्मी कहानी का हिस्सा हो। एक आम से दिन में, मैं अपने कुछ ज़रूरी काम से अस्पताल गई थी, और वहीं मेरी नज़र उन पर पड़ गई। शायद उनका ध्यान उनके काम में था, पर मेरा पूरा ध्यान उन पर ही टिक गया था। ताज्जुब की बात ये थी कि बस एक पल के लिए ही सही, लेकिन कुछ तो अलग था उनमें जो मुझे उनकी तरफ खींच लाया।
मैं वहीं उन्हें देखती रह गई। लगता था जैसे वक़्त ही थम गया हो, और मैं बस उनके इस रूप को अपने दिल के किसी खास कोने में महसूस करना चाहती थी। मैं उन्हें इतने गौर से देख रही थी कि उनका चेहरा, उनकी आंखों में वो मासूमियत और वो अजीब सा सुकून मेरी यादों में बस गया। एक अजीब सी तसल्ली थी जो मुझे उनके पास होने में महसूस हो रही थी। लेकिन क्या उन्होंने मुझे देखा भी होगा? क्या उन्होंने मेरे चेहरे पर वो बेचैनी और वो चाहत देखी होगी जो मेरे दिल का एक हिस्सा बन चुकी थी?
उनके साथ गुजारा वो एक पल आज भी मेरे साथ है, लेकिन पता नहीं उनके दिल में मेरे लिए कुछ भी जगह है या नहीं। क्या वो मुझे याद भी करते होंगे कभी, या फिर उनके लिए वो सिर्फ एक और रूटीन का दिन था?
अक्सर सोचती हूं कि क्या ये मेरा इंतजार करना सही है? तीन साल से मैं अपने दिल के अंदर एक उम्मीद जगाए बैठी हूं कि शायद कभी वो मुझे भी याद करें, शायद कभी उनके दिल में भी मेरे लिए कुछ एहसास जाग जाए। लेकिन फिर सोचती हूं, क्या मैं बस एक ख्वाब में जी रही हूं, जो कभी पूरा होगा या नहीं?
मुझे ऐसा लगता है जैसे उनके पास होने के बगैर भी मेरा दिल उनसे जुड़ा है। रोज़ सुबह जब आंखें खुलती हैं, तो बस उनका ख्याल आता है। रोज़ रात को सोने से पहले उनका चेहरा मेरे दिल के इतने करीब महसूस होता है कि लगता है जैसे वो मेरे सामने ही हैं। ये इंतजार आसान नहीं है, लेकिन इसमें ही तो मेरी खुशी भी छुपी है। शायद ये एक तरह का प्यार ही है, जो बिना उन्हें बताए भी मैं महसूस करती हूं।
कभी-कभी सोचती हूं, क्या उन्हें भी कभी मेरे बारे में सोचने का मन करता होगा? क्या उनके दिल में भी कभी ऐसे जज़्बात आते होंगे जो उन्हें किसी अनजाने चेहरे की याद दिला दे? क्या कभी उन्होंने महसूस किया होगा कि कोई है जो उन्हें इतना याद करता है, कोई है जो बस उनके इंतजार में वक्त गुजार रहा है? शायद वो भी कभी मेरे ख्यालों में खो जाएं, या शायद ये सिर्फ मेरी उम्मीद ही है जो मुझे जीने की एक वजह दे रही है।
प्यार के इस इंतजार में बहुत सारे सवाल हैं जो मेरा दिल रोज़-रोज़ मुझसे पूछता है। अगर मैं कभी उनके सामने अपने दिल के जज़्बात को बयां कर भी दूं, तो क्या वो मुझे समझ पाएंगे? क्या वो मुझे अपनाने का फैसला ले पाएंगे या फिर अपने फैसलों में ही उलझ कर रह जाएंगे? क्या वो मेरी चाहत का जवाब देने की हिम्मत करेंगे या फिर हमारी जाति के फ़र्क और हमारी दूरियों को देखते हुए ये सोचेंगे कि ये मुमकिन नहीं है?
मुझे याद है वो पहली मुलाकात, उनके साथ वो कुछ पल जो आज भी मेरे साथ हैं। मैं बार-बार उस दिन की याद में खो जाती हूं, जैसे वो मेरी ज़िंदगी का एक हिस्सा बन चुके हैं। शायद ये मेरी बेवकूफी है जो इतने अरसे बाद भी उनके इंतजार में बैठी हूं। लेकिन मैं खुद को ये उम्मीद देना नहीं छोड़ सकती।
तीन साल से मेरा दिल उनके लिए ही धड़क रहा है, और आज भी मेरे अंदर वो उम्मीद जिंदा है कि शायद एक दिन वो मेरे हो जाएंगे। शायद कभी वो अपने दिल में मेरे जज़्बात को महसूस करेंगे, और शायद उनके दिल में भी एक अंजाना सा एहसास जाग जाए।
क्या यही प्यार है? क्या बिना किसी वजह के, बिना किसी उम्मीद के किसी के लिए इतना इंतजार करना, अपने दिल में इतनी चाहत जगाए रखना ही प्यार है? कभी-कभी सोचती हूं कि अगर ये प्यार नहीं तो क्या है? जो एहसास मैंने उनके लिए महसूस किया, वो क्या बस एक ख्याल था? पर फिर वो ख्याल तीन सालों तक क्यों जिंदा रहा?
इस कहानी में कई सवालों का जवाब मेरे पास नहीं है। शायद ये मेरी कहानी है जो हमेशा अधूरी ही रहेगी, लेकिन फिर भी ये मेरे दिल के सबसे करीब है। मेरा दिल कहता है कि ये प्यार है, और प्यार में इंतजार करना ही तो सबसे खूबसूरत चीज़ होती है। शायद वो कभी समझ नहीं पाएंगे कि किसी ने उन्हें इतना चाहा, पर मैं ये इंतजार आज भी जी रही हूं और जीती रहूंगी।
क्या पता, एक दिन वो मेरे ख्यालों में अपना जवाब देने आएंगे और कहेंगे कि उन्हें भी ये एहसास है कि कोई उन्हें याद करता है, कोई उनके इंतजार में वक्त गुजार रहा है। शायद वो पल कभी आए या न आए, पर ये उम्मीद मेरा साथी बन गई है, एक कहानी बन गई है जो कभी भी पूरा नहीं हो सकती लेकिन फिर भी मेरे दिल में हमेशा के लिए ज़िंदा रहेगी।
शायद ये सफर यूँही खामोशियों में बीत जाए, पर इस दिल में ये खामोश चाहतें हमेशा जिन्दा रहेंगी। एक उम्मीद के सहारे, हर रात ये दिल उसी अनजानी मुलाकात की तरह बस उसे महसूस करता रहेगा। शायद ये इंतजार अधूरा ही रहे, पर इस खामोश चाहत का एहसास हमेशा पूरा रहेगा।
कभी-कभी सोचती हूं कि ये खामोश चाहतें कब तक मेरे दिल में यूँ ही रहेंगी। ये अनकही बातें, ये बेनाम एहसास, शायद मेरे ही दिल की धड़कनों का हिस्सा बन चुके हैं। मेरे पास उनकी यादें हैं, वो हर लम्हा जो मैंने उनसे महसूस किया है। और यही मेरी चाहत की सबसे खूबसूरत पहचान है—एक खामोश चाहत, जो शायद कभी पूरी न हो, पर हमेशा दिल में बसी रहेगी।
दिल में कई अरमान छुपे हुए हैं, जिनका हकदार बस वही है। ये चाहत कभी जुबां पर नहीं आएगी, पर हर धड़कन में उनका एहसास है। शायद वो मेरे करीब कभी न आएं, लेकिन ये चाहत हमेशा मेरी रूह में जिंदा रहेगी। ये अधूरापन ही मेरी पूरी कहानी है।
मेरा दिल अब भी उन खामोशियों में बसा है, जहां सिर्फ उनकी यादें और मेरी चाहतें हैं। शायद ये कहानी अधूरी है, पर इस अधूरेपन में ही इसकी खूबसूरती है।
कभी-कभी खामोश चाहतें भी वो कह जाती हैं, जो शब्द नहीं कह पाते।
कुछ कहानियां बिना कहे भी पूरी लगती हैं, जैसे मेरी खामोश चाहत।"