पंकज एस शॉर्ट स्टोरीज PSS Publisher द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

पंकज एस शॉर्ट स्टोरीज

मेरा नाम पंकज मोदक है। में एक लघु कहानीकार हुं।‌ मेरा जन्म इंडिया देश के एक गांव चन्दाहा में हुआ। जो झारखंड राज्य में स्थित है। मेरे पिताजी शंकर मोदक और मेरी माताजी ललिता देवी है। मेरे दो बड़े भाई और एक बड़ी बहन है। 

संपर्क ई-मेल पता:- pankajspersonal23@gmail.com

लेखक के विचार 
मेहनत और कोशिश करते रहो। अंत में दो चीजें होंगी सफल हो जाओगे या समाप्त हो जाओगे। परंतु मन में एक संतोष रहेगा कि मैंने कोशिश की थी। 

जिंदगी का आनंद लो, जिंदगी दौबारा नहीं मिलेंगी।

मौत का मजा तभी है, जब मौत अपने आप आएं।

पैसे तभी तक काम के है, जबतक आप जीवित हो।

अपनी जान बचाने या दूसरे की जान बचाने के लिए की गई हिंसा बुरा नहीं है। 

अधिकतर क्राइमस देर रात को होते हैं। 

मृत्यु दंड देने का अधिकार सिर्फ भगवान (प्रकृति) को है। 

बोर्ड परीक्षा में फैल होने से, आप जिंदगी में फैल नहीं होते।

बुरें कार्य करने से, आपके जीवन में अच्छे फूल नहीं खिलते।

सहायता नहीं करने से, सहायता मिलने की संभावना कम हो जाती है। 

सबसे बड़ा सपना 'जिंदगी का आनंद लेना वाला' होना चाहिए। क्योंकि बाद में पछतावा न हो कि मैं जिंदगी का आनंद नहीं ले पाया।

इफेक्ट ऑफ केम्फूर 
February 15, 2023
शंकर जी के पिता- विजय जी बी.सी.सी.एल में कार्यरत थे। शंकर जी जब बारह वर्ष के थे। विजय जी नशे में धुत होकर आते और शंकर जी के माताजी सुमु देवी को काफी मारते-पीटते। यह देखकर शंकर जी उदास हो जाते थे। शंकर जी का एक दोस्त है- जिसका नाम नारायण था। वे एक ही कक्षा में थे और एक साथ पढ़ाई करते थे । उन्होंने 10वीं पास की। उस समय गांव में गाड़ी की सम्भावना ना के बराबर थीं । उन दोनों ने, शहर के एक कॉलेज में नामांकण कराया। कॉलेज में कार्य पड़ने पर उन दोनों को 15 किलोमीटर पैदल चलकर वहाँ पहुँचन पड़ता था। शंकर जी के पाँच बहनें थीं। जो उनसे उम्र में बड़ी थी। उस समय गांव के आस-पास कोई कॉलेज न था। गाँव में बेलगाड़ी की सुविधा थी । परंतु उतने दूर न जाती थी। उन्होंने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। अब वे दोनों पटना के एक विश्वविद्यालय में बी. ए. का नामांकण कराएं । शंकर जी के पिताजी कभी - कबार ही काम पर जाया करते थे। बाकि दिन नशे में धुत रहते थे । इसलिए वे बहुत ही कम वेतन लेकर घर में आते थे। घर का गुजारा चलना मुश्किल होता था। घर की आर्थिक स्थिती को देखते हुए, उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। वे लगभग बी. ए. पार्ट 2 तक पढ़ाई कर चुके थे । शंकर जी अब नौकरी की तलाश में इधर-उधर फिर रहे थे । एक दिन शंकर जी को पता चला कि कोई ब्रोकर कंसटेबल भर्ती कर रहा है। शंकर जी ब्रोकर के पास पहुँचें। ब्रोकर ने कहा- भर्ती के लिए आपको 50 हजार भरने पड़ेगे। परंतु उनके पिता जानते थे कि यह ब्रोकर रूपए ठग लेगा। इसलिए विजय जी ने शंकर जी को रूपए न दिए। शंकर जी अब कोयले बेचने का कार्य करने लगे । कड़ी धूप में खाधान से कोयला साईकिल पर लादकर लाना और फिर उसे बेचना । काफी मुश्किल का काम था। 21 वर्ष की उम्र में शंकर जी की शादी ललिता नामक एक लड़की से हुई। अब शंकर जी ने कोयले का काम छोड़कर मछली बेचने का कार्य करने लगे । एक दिन कुछ मछुआरों ने बाबू ग्राम के तालाब से मछलियाँ चोरी कर ली। उस दिन कुछ लोग सड़क पर आते जाते मछली बेचने वाले को पकड़ने के लिए सड़क पर खड़े थे । उस समय शंकर जी उस रास्ते से जा रहे थे। लोगों ने उन्हें रोका। लोग उन्हें गाली देने लगे, डाँटने लगे। शंकर जी ने कुछ नहीं किया था। फिर भी वे सब सुन रहे थे। उसके बाद उन्होंने मछली बेचने का काम छोड़कर, इकट्ठे किए हुए रुपयों से एक हार्डवेयर की दुकान खोली । वे कभी - कबार मेलों में जाकर छोले भी बेचा करते थे। उनकी पत्नी ने पहले बच्चे को जन्म दिया। परंतु बीमारी के चलते वह बच्चा बच न सका और वह मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसी तरह दूसरा बच्चा भी बीमारी के चलते बच न सका। उसके बाद उनके घर एक बेटी हुई। उसके बाद और तीन बेटे हुए। एक दिन शंकर जी को पेचिस की बीमारी हो गई । उन्होनें कुछ बजुर्गों से सुना था कि कपूर का सेवन करने से पेचीस रोग ठीक हो जाता है। शंकर जी ने अपना साईकिल लिया और कपूर खरीदने के लिए एक दुकान की ओर निकल पड़े। वे दुकान पर पहुँचे। उन्होंनें एक कपूर खरीदा और घर की ओर चल पड़े। उन्होंने घर पहुँचकर कपूर का सेवन कर लिया । कुछ देर बाद, वे कूदने लगे । सभी लोग और उनके घरवाले सब देख रहे थे। कपूर का प्रभाव इतना तेज था कि शंकर जी सह नहीं पा रहे थे । घरवालें चिंता में पड़ गये कि उन्हें क्या हुआ। कुछ देर बाद कपूर का प्रभाव कम हुआ। शंकर जी सामान्य अवस्था में आ गये। सभी लोग और घरवाले उनसे पूछने लगे- आपको क्या हुआ था ? शंकर जी ने सारी बात बताई । तब सभी को पता चला कि यह कपूर का प्रभाव था। कई वर्ष बीत गए। उन्होंने अपने मेहनत और संघर्ष से। छोटे दुकान को एक अच्छे हार्डवेयर दुकान में बदल दिया। जहां पर 200 से अधिक उत्पाद और सामग्रियां उपलब्ध। उन्होंने एक अच्छा और बड़ा मकान बनाया। जो 25 वर्ष से अधिक समय हो जाने के उपरांत भी टिका हुआ है और मजबूती से खड़ा है। जहां पर अच्छी और ठंडी हवाएं आती हैरेफ्यूज 
March 02, 2023
एक लड़की जिसका नाम सलिमा थी। वह नवीं कक्षा में ट्यूशन पढ़ने जाती थी। वही पर एक लड़के से उसे लगाव हो चुका था। धीरे-धीरे यह प्यार में बदल गया। कई दिनों बाद लड़के ने सलिमा के पास आकर कहा- मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। सलिमा ने कहा- तुम्हें मेरे माता-पिता से बात करनी होगी। लड़का बात करने से साफ-साफ इनकार कर देता है और कहता है- चलों हम भाग चलें। लड़की भागने से इनकार कर देती है और अपने घर की ओर चली जाती है। दूसरे दिन से उनमें कोई बातचीत और मिलना-जुलना नही होता है। धीरे-धीरे लड़के में गुस्सा बढ़ता चला गया। कुछ दिनों बाद लड़के में बदला लेने की इच्छा जागृत हो गई। दोपहर से पहले का समय था। सलिमा मेहमान घर से अपनी स्कूटी से घर आ रही थी। अब कुछ दूरी पर ही उसका घर था। वह इत्मीनान से अपनी स्कूटी से घर की ओर जा रही थी। उस दिन वह हेलमेट नहीं पहनी हुई थी। वह लड़का अपनी बाईक को तेज गति से चलाकर स्कूटी के पीछे टक्कर मार दी। सलिमा स्कूटी सहित कुछ दूरी पर जा गिरी। उस लड़की को काफी गम्भीर चोटें आई। उसके शरीर से खून काफी मात्रा में बहने लगा। वहाँ पर लोगों की भीड़ जमा हो गई। कुछ समय बाद उसके माता-पिता वहाँ आए। उन्होनें अपनी बेटी को उठाकर एक गाड़ी से अस्पताल ले जाने लगे। सलिमा के माथे पर भी गम्भीर चोटे आ चुकी थीं। कुछ समय बाद सलिमा ने गाड़ी मैं ही दम तोड़ दिया और वह मृत्यु को प्राप्त हो गई। माता-पिता के आंखों से आँसूओं की धारा बहनें लगी। कुछ दिनों बाद पुलिस ने छानबीन की और उस लड़के को पकड़ लिया गया। परंतु लड़के के पिता ने वकीलों और पुलिस अधिकारियों को खरीदकर अपने लड़के को निर्दोष साबित कर दिया। कुछ दिन बाद रिश्वतखोर वकीलों और अधिकारियों के बैंक अकाउंट में बड़े अमाउंट में धन ट्रांसफर होने के बाद इनकम टैक्स अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और पुछताछ करने लगी। कछ सप्ताह बीत गया। रात का समय था। वह लड़का नशे में धूत होकर अपनी कार से जा रहा था। कार से उसका नियंत्रण खोने लगा। कार काफी तेज गति से जा रही थी। आगे ब्रिज था। वह कार ब्रिज के धारियों से टकराकर नीचे जा गिरी और उसकी मृत्यु हो गई।
लास्ट विश 
March 07, 2023
विजय जी। उनका जन्म भारत देश के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे बी.सी.सी.एल. में कार्यरत थे। तनख्वाह तो अच्छी थी, पर लाते वह हजार थे। काम पर कभी कबार ही जाया करते थे बाकि दिन नशे में धूत रहते थे। इसलिए कम तनख्वाह लाते थे। उनकी शादी सुमु नामक लड़की से हुई थी। उनके पाँच पुत्रियाँ और एक पुत्र थे। एक दिन विजय जी रोज की तरह काम पर गये। पर घर न आए। शाम हो चुकी थी। सुमु को घबराहट हो रही थी। एक व्यक्ति ने उनके घर में आकर कहा विजय जी नशे में धूत होकर लाल बाँध के किनारे पर पड़े हुए है? मेरे पिता वहां जाकर उन्हें ले आए। अगले दिन । सुमु ने खूब समझाया कि दारू पीना स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है। पर इसका विजय जी पर कुछ असर न हुआ। उन्हें पेड़-पौधे लगाने का शोक था। उन्होंने कई पेड़ लगाये थे। कुछ लोगों नें विजय जी से आकर कहा- हमलोगों के बकरे-बकरियों को कुत्तें मार रहे है। विजय जी जोश में आकर कहा- में कुत्तों को मारूँगा। उन्होंने एक धनुष बनाया और कई सारी नुकीलें तीरें बनाई। उन्होंने कुत्तों को मारना शुरू किया। उन्होंनें दो-तीन कुत्तों को मार गिराया। कुछ साल बीत गए। विजय जी अब बूढ़े हो चुके थे। उनके बाल सफेद हो चुके थे। शराब ने उनके शरीर को काफी कमजोर बना दिया था। अब वे काम पर नहीं जाया करते। उनके शरीर में अब वह शक्ति न रही। अब वे अधिकतर समय खटियाँ पर ही लेटे रहते। विजय जी अपने परिवार वालों से कहने लगे। मैं और अधिक दिन न बच पाऊँगा। अगले दिन उनके बेटियों को मायकें से बुलाया गया। सभी परिवारवालों के चेहरे पर उदासी छायी हुई थी। उन्होने अपने-अपने पोतों को बुलाया। उनके हाथों में दो-दो रूपये दिए। गाँववाले भी उनके घर आए। विजय जी को आखरी समय में कुत्तों को मारने का पछतावा हो रहा था। सभी उनके बगल में खड़े हुए थे आखरी समय में उन्होंने अपनी आखिरी इच्छा जाहिर की। उन्होनें कहा- में दारू पीना चाहता हूँ। यह सुनकर सभी हैरान रह गए। पर उनकी बात को सब नजर अंदाज करके उनके मुंह में गटागट दूध पीलाने लगे। विजय जी के बड़ी पुत्री का एक बड़ा बेटा वहाँ पर खड़ा सब देख रहा था। उसका नाम पुना था। उसने पास के एक छोटे होटल से दो-तीन पैकेट दारू खरीदा और घर ले आया। विजय जी ने जब दारू को देखा तो उनके चेहरे पर एक प्रसन्नता उभर आई। पुना ने दारू के पैकेट को फाड़ा और उनके मुँह में डालने लगें। दारू पीने के कुछ समय बाद उनकी सांसे थम गई। वहाँ पर खामोशी छा गई। पुरा घर शोक में डूब गया। सभी फूट-फूटकर रोने लगे। विजय जी मृत्यु को प्राप्त हो गये और वे यह दुनिया छोड़ चले।टू ब्रोदर्श 
March 08, 2023
दोभाई पेड़ के ऊपर रहते थे। उनका घर-बार न था। एक की उम्र दस वर्ष और दूसरे की उम्र ग्यारह वर्ष के आस-पास थी। उनके जन्म के कुछ सालो बाद ही उनके माता पिता की मृत्यु हो गई थी। पहले भाई का नाम मेगन और दूसरे भाई का नाम ऐगन था। उनके रिश्तेदार भी इन्हें छोड़कर चले गये थे। ये दोनों भाई पेड़ के फलों और पत्तियों को खाकर अपना गुजारा चलाते थे। उनके पास कुछ था तो अंतिम समय में उनके पिता द्वारा कहे गए कुछ शब्द। उनके पिता ने कहा था। जब तुमलोग इस दुनिया से जाना तो प्रसिद्ध होकर जाना। वे दोनों पेड़ पर ही बैठकर पेड़ के नीचे बैठे हुए लोगों की बातें सुनते। धीरे-धीरे समय बीतता गया। एक दिन पेड़ के नीचे दो लोग बैठे हुए थे। वे दो लोग कुछ बातें कर रहे थे। पेड़ पर बैठे दोनों भाई उन लोगों की बातों को ध्यान से सुन रहे थे। वे दो लोग कह रहे थे कि दुनिया में पेड़ है तो जीवन है। यह बात उन भाईयों के मन में बैठ गयी। उन्हें दुनिया में कुछ करने के लिए एक बहुत बड़ा कार्य मिल गया। वे जगह-जगह पेड़ लगाने लगे। कई बार लोग उन्हें कहते- बेटा इस उम्र में पढ़ाई करों, यह क्यों कर रहे हो? परंतु वे पेड़ लगाने से पीछे नहीं हटते। अब उनका एक ही लक्ष्य बन गया था। विश्वभर में हरियाली फैलाना। एक दिन कुछ लोग पेड़ काट रहे थे। उन दो भाइयों ने यह खबर पुलिस को दे दी। पुलिस ने उन पेड़ काटने वाले लोगों को पकड़ लिया। कुछ साल बीत गए। अब वे दोनों बड़े हो गए। दो भाईयों ने अपने काम को कभी छोटा नहीं समझा। दोनों अपने कार्य को करते चले गए। कुछ किलोमीटर दूरी पर एक रेगिस्तान मौजूद था। जहाँ पर एक पेड़ भी मौजूद न था । उन दोनों ने रेगिस्तान को हरा-भरा करने का फैसला किया। वे दोनों रेगिस्तान में पेड़ लगाने, पानी देने और उगाने में जूट गए। लोग उन दो भाइयों को पागल कहने लगे। परंतु वे भाई अपने काम में जुटे रहे। लगभग दस साल बीत गए। अब रेगिस्तान हरा-भरा हो चुका था। वहाँ पर कई सारे पेड़ थे। जहाँ पर गर्म हवाएँ चलती थी। आज वहाँ पर ठंडी हवाएँ चल रही थी। अब वह रेगिस्तान न होकर एक हरा भरा जंगल था। जो लोग उन्हें पागल कहते थे। आज वे लोग उनका नाम कर रहे थे। हर तरफ उनकी वाह-वाही गूँज रही थी। सरकार ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार दिये। विदेशों से भी उन दो भाईयों लिए कई निमंत्रण आने लगे। काफी सालों बाद उन दोनों भाईयों ने विदेशी रेगिस्तानों को भी हरा-भरा कर दिया। उन्हें कई अंतराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार भी मिले। पुरी दुनिया में सबसे अधिक पेड़ लगाने का रिकॉर्ड उन दो भाईयों के नाम दर्ज हो गया। वे दो भाई अपने कार्य के चलते विश्व भर में प्रसिद्ध हो गए। उन दोनों भाईयों की उम्र सौ वर्ष के लगभग हो गई। उन दोनों ने एक फॉर्म भरा। जिसमें उन दोनों भाईयों के मृत्यु के बाद उनके शरीर में मौजूद अंग दूसरे को दे दिए जाएँ। धीरे-धीरे समय बीतता गया। कुछ दिनों बाद उनकी साँसे थम गई और वे मृत्यु की गोद में सो गए। मृत्यु के बाद भी उन दो भाईयों के चेहरे पर एक प्रकार की मुस्कान थी।टू स्टार साइड 
March 10, 2023
रात के समय एक बच्चे का जन्म हुआ। उस समय आसमान में हजारों तारें टिमटिमा रहे थे। हज़ारों तारों की रोशनी से पूरी दुनिया जगमगा रही थी। माता-पिता ने अपने बच्चे का नाम तारू रखा। तारू धीरे - धीरे बड़ा होने लगा। वह रात को सोते समय अक्सर तारों को देखा करता। वह अपने पिता से कहता पापा एक दिन में तारें के पास‌ जाऊँगा। पिता कहते- हाँ बेटा। उसने अठ्ठारह वर्ष की उम्र में बारहवीं पास की। भूगोल के प्रति उसकी रुचि काफी अधिक थी। धीरे-धीरे समय बीतता गया। तारू ने छब्बीस वर्ष की उम्र में भूगोल में पी. एचडी. की। वह अब डॉ. तारू बन चुका था। उन्हें एक अंतरिक्ष संस्था में कार्य मिला। तारू अपने आपसी अंतरिक्ष कार्यकताओं के साथ मिलकर एक ऐसी रॉकेट का निर्माण करने लगे। जिससे तारें पर जाया जा सके। साल दर साल बीतते चले गये। वे सभी अपने कार्य पर लगे रहे। लगभग दस सालों के बाद एक एडवांस रॉकेट का निर्माण किया गया। तारू ने कहा- मैं रॉकेट से तारे पर जाना चाहता हूँ। परंतु सबने मना कर दिया और कहा- आपका वहाँ जाना या किसी मनुष्य के लिए वहाँ जाना जीवन के लिए खतरा हो सकता है। क्योंकि तारे अत्याधिक गर्म होते है। उनमें ना हवा है और ना ही पानी। सबने तय किया कि रॉकेट पर एक रोबोट को अंतरिक्ष सूट पहनाकर भेजा जाएँ। तारू ने उस रॉकेट को बनाने में काफी अधिक मेहनत की थी। इसलिए सबने मिलकर उस रॉकेट का नाम तारू-1 रखा। उस रॉकेट से सेटेलाईट लाँच की जाने वाली थी। दूसरे दिन। सुबह का समय था। हर - तरफ सूर्य की रोशनी फैली हुई थी। बहुत सारे लोग रॉकेट परीक्षण देखने आये। तारू अंतरिक्ष सूट पहकर रॉबोट की तरह स्थिर होकर रॉकेट में बैठ गया। सभी को लगा यह एक रोबोट है। रॉकेट को लॉचं किया गया। रॉकेट ने उड़ान भरी। हर-तरह धुआं जा गया। रॉकेट आसमान को चिरती हुई, अंतरिक्ष की ओर चल पड़ी। कुछ दिनों बाद अंतरिक्ष संस्था में कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को पता चला कि रोबोट की जगह तारू रॉकेट में बैठा था। यह खबर उनके माता-पिता तक पहुँची। माता पिता खूब रोने लगे। उनके आँखों से आँसूओं की तेज धारा बह निकली। अब कुछ नहीं किया जा सकता। अब रॉकेट काफी दूर निकल चुका था। रॉकेट तारे की ओर बढ़ती चली गयी। दिन बीतते चले गये। लगभग छः महीने बाद रॉकेट अब तारे के निकट पहुँच चुकी थी। गर्मी काफी तीव्र थी। रॉकेट में मौजूद राशन और पानी समाप्त हो चुका था। सेटेलाईट को लॉचं कर दिया गया। सेटेलाईट तारे के चारों ओर घूमने लगी। सेटेलाईट में मौजूद कैमरे से सबने तारे के भू-भाग को देखा। जो काफी गर्म थी और गर्म लावा ही लावा दिखाई दे रही थी। तारू तारे की ओर बढ़ने लगा। तारे की तेज रोशनी को वह सह नहीं पा रहा था। उसका पुरा शरीर गर्मी के कारण पसीने से भीग रहा था। जैसे-जैसे वह तारें की ओर बढ़ता गया। उसका शरीर गलने लगा। तारू का तारें पर जाने का सपना पूरा होने वाला था। इतने दर्द और जलन के बावजूद भी तारू के चेहरे पर एक अजीब संतोष और एक अजीब मुस्कान थी। कुछ समय बाद तारू तारें में समा गया। पूरी दुनिया के लोगों की आँखें नम हो गई और वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक इस दुनिया से चला गया।
टेलू 
March 13, 2023
एक अठ्ठारह वर्ष का युवक जिसका नाम टेलू था। वह सिर्फ खाना-खाता और बिस्तर पर लेट जाता। वह घर या बाहर का कोई काम ना करता था। बस आराम करता था। उसकी माता घर का कार्य करती थी। पिता सरकारी दफ्तर में कार्यरत थे। उसके माता-पिता टेलू को कई बार डाँटते कि कोई काम कर ले, नहीं तो जिन्दगी का गुजारा कैसे चलेगा। परंतु टेलू उनकी बातों पर ध्यान न देता। धीरे-धीरे समय बीतता चला गया। एक दिन टेलू के पिता बीमार पड़ गये। माता और पिता हमेशा अपने बेटे के बारे में सोच सोचकर परेशान और उदास रहते। उदास रहने के कारण पिता का स्वास्थ्य धीरे-धीरे और बिगड़ता चला जा रहा था। उसके पिता अब दफ्तर न जाते थे। अब वे बीमारी के कारण खटियाँ पर ही लेटे रहते थे। अब जमा-पूँजी धीरे-धीरे समाप्त होने लगी थी। उसके पिता के इलाज पर काफी रूपया खर्च हो चुका था। परंतु उदासी और चिंता के कारण उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हो पा रहा था। ऐसे ही कुछ साल बीत गए। अब उनके पास मात्र कुछ ही रूपये बचे हुए थे। सुबह का समय था। हल्की-हल्की ठंडी हवाएँ चल रही थी। जब टेलू की माता अपने पति को देखने आई तो उसके पति की सांसे थम चुकी थी। टेलू की माता फूट-फूटकर रोने लगी। कुछ देर बाद गाँव के लोग वहाँ पर जमा हो गए। टेलू वही पर उदास खड़ा अपने पिता की ओर देख रहा था। कुछ समय बाद उसके पिता के शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। कुछ दिन बाद टेलू के माता ने घर को मलन नामक सेठ के पास गिरवी रख दिया और कुछ रूपयें प्राप्त हुए। उन रूपयों से प्रतिभोज का शुभारंभ किया गया। कई प्रकार के पकवान और खाने की वस्तुएँ बनायी गयी। बहुत सारे लोग खाना-खाकर चले गए। दूसरे दिन टेलू उसी तरह खटिया पर लेटा हुआ था। उसकी माता पति के गम में डुबी रहती। जिससे उसका शरीर कमजोर होने लगा था। अब वह समय पर खाना भी न खाती। कुछ दिनों बाद माँ की भी मृत्यु हो गई। माँ के शरीर का अंतिम संस्कार किया गया। टेलू ने किसी भी प्रकार का प्रतिभोज का आयोजन न किया। कुछ दिनों बाद मलन सेठ ने उस घर को ले लिया। अब टेलू के पास न माँ-बाप थे और न घर-बार। उसके पास एक चीज थी। वह थी आलसीपन। टेलू अब वन की ओर जाने लगा। गाँव के सभी लोग उसे आलसी कहकर पुकार रहे थे। कार्य न करने की वजह से टेलू का पेट मोटापे के कारण फूल चुका था। वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। आलसीपन के कारण टेलू में कार्य करने की इच्छा समाप्त हो चुकी थी। टेलू अब मोटापे का शिकार हो चुका था। अब टेलू को पछतावा हो रहा था। परंतु अब बहुत देर हो चुकी थी। उसके आँखों से आँसू टपकने लगे और धरती को छुने लगे।
द ऑल्ड वूमेन 
March 14, 2023
एक आदमी जिसका नाम लामीत था। एक दिन वह कार्य करके शाम के समय अपने घर लौटा। लामीत की एक तलीशा नामक एक पत्नी था। उनकी शादी कुछ सालों पहले हुई थी। परंतु उनकी कोई औलाद ना थी। लामीत के घर आते ही किसी बात पर लामीत और उनकी पत्नी के बीच बहस शुरू हो गई। यह बहस धीरे-धीरे झगड़े में बदल गई। लामित घर से निकलकर वन की ओर चल पड़ा। तलीशा द्वार पर खड़े होकर पति को एकटक से देखती रही। उस समय रात हो चुकी थी। आकाश में तारे टिमटिमा रहे थे। चाँदनी रोशनी में रास्ता कुछ-कुछ दिखाई दे रहा था। लामीत वन की ओर चलता जा रहा था। उसे किसी की रोने की अवाज सुनाई दी। वह वही पर रुक गया। वह इधर-उधर देखने लगा। उसे एक बूढ़ी औरत दिखाई दी। जमीन पर बैठी हुई थी। रो रही थी। जमीन पर एक लालटेन रखी हुई थी। लामित उस बूढ़ी औरत के पास पहुँचा और बोला दादी तुम यहाँ पर रो क्यों रही हो? उस बूढ़ी औरत ने कहा- बेटा में एक झोपड़ी में रहती हँ, जो वहाँ पर उस छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। रोज रात को वहां पर डाकू आ जाते। रोज रात में अपने घर से शाम के समय निकल जाती और यहाँ पहुँचकर रोती रहती। डाकू सब घर में बना खाना भी खा जाते। में कुछ नहीं कर सकती। उनके पास बहुत सारे बन्दुकें और बम मौजूद है। लामित अपने मन में कुछ देर सोचा और बोला दादी में कुछ ऐसा करूँगा कि वे डाकू दोबारा तुम्हारे घर ना आयेंगे। बूढी औरत के चेहरे पर एक प्रसन्नता उभर आई। लामीत और वह बूढ़ी औरत सुबह के समय अपने झोपड़ी में आए। बूढ़ी औरत ने कई प्रकार के पकवान बनाकर लामीत को खिलाया। लामीत डाकूओं को भगाने के योजना के कार्य में जूट गया। शाम होने वाली थी | बूढ़ी औरत लामीत को अलविदा कहकर एक लालटेन लेकर वन की ओर चल पड़ी। लामीत एक ऊँचे घने पेड़ के ऊपर चढ़ गया। कुछ देर बाद सूरज ढल गया। रात हो गई। वहाँ पर डाकू आ गए, योजना के मुताबिक लामीत ने कुछ चीजों से एक बहुत बड़ी डरावनी परछाई का निर्माण किया। लामीत जोर-जोर से डरावनी आवाज निकालने लगा। डर के मारे डाकूओं के हृदय जोर-जोर से धड़कने लगे, उनके माथे से पसीना उभरने लगा। देरी ना करते हुए डाकू वहां से भाग निकले। लामीत की योजना सफल हुई। कुछ समय बाद सुबह हुई। बूढ़ी औरत वहाँ पर आई। उन्होंने देखा। लामीत झोपड़ी के भीतर खटिया पर लेटा हुआ था। यह देखकर बूढ़ी औरत को प्रसन्नता हुई। बूढ़ी औरत ने लामीत को जगाया। लामीत उठा। लामीत ने मुँह धोया और बूढ़ी औरत को रात की घटना को विस्तार से बताया। बूढ़ी औरत ने खुश होकर उसे कुछ सोने के गहने दिए। बूढ़ी औरत वह सोने के गहने डाकूओं से बचाकर झोपड़ी के जमीन के नीचे दबाकर रखे थे। कुछ देर बाद बूढ़ी औरत ने भोजन बनाया। आज भी भोजन काफी स्वादिष्ट बना था। लामीत ने पेट भरकर भोजन किया। लामीत ने बूढ़ी औरत को अलविदा कहा और मन में खुश होता हुआ अपने घर की ओर चल पड़ा। सममोहन 
March 15, 2023
एक लड़का जिसका नाम सममोहन था। उसके पिता कबाड़ का काम किया करते थे। उनकी माता घर का कार्य करती थी। बचपन से सममोहन को किताबों में काफी रुचि थीं। वह अपना अधिकतर समय किताबों को पढ़ने में बीताता। उसे रोबोटिक किताबें पढ़ना काफी पसंद था। उसकी उम्र लगभग सोलह वर्ष के आस-पास थीं। वे तीनों एक पुरानी झोपड़ी में रहा करते थे। उनके झोपड़ी के नो सौ मीटर की दूरी पर एक घना जंगल था। सममोहन ने आठवीं कक्षा तक ही पढ़ाई की थी। एक दिन सम्मोहन किताबें पढ़ रहा था। उसमें मन में एक ख्याल आया कि क्यों न एक रोबोट बनाया जाएँ । सममोहन रोबोट बनाने के कार्य में जूट गया। घर में पड़े कबाड़ से भी उसे कई प्रकार के जरूरतमंद वस्तुएँ मिली। वह रोबोट बनाने के कार्य में जूटा रहा। धीरे-धीरे समय बीतता गया। लगभग सात वर्ष बीत गए। रोबोट बनकर तैयार हो गया। रोबोट अच्छे से कार्य कर रहा था। रात का समय हो रहा था। आसमान में काले बादल घिरे हुए थे। सममोहन जहाँ पर कार्य कर रहा था। वह बोरियों से ढकी हुई थी। सममोहन ने बोरियों की मदद से से एक कार्य करने की जगह तैयार कर ली थी। उस रात सममोहन काफी थकावट महसूस कर रहा था। इसलिए वह वही पर सो गया। रोबोट में कुछ शोट-सर्किट होने लगा। परंतु सममोहन थकान के कारण गहरी नींद में चला गया था। वह रोबोट पर ध्यान ना दे सका। शोट-सर्किट की वजह से रोबोट ने अपना आपा खो दिया। रोबोट सममोहन को मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ा। रोबोट अपने हाथों से सममोहन का गला दबाने लगा। कुछ देर बाद दम घुटने की वजह से सममोहन की साँसे थम गई। रोबोट वहाँ से निकलकर धीमी गति से चलते-चलते घने जंगल की ओर चला गया। कुछ घण्टों बाद सुबह हुई। माता-पिता झोपड़ी से निकलकर कार्य करने वाली जगह पर गये तो सममोहन वही पर बेजान पड़ा हुआ था। माता- पिता सममोहन को देखकर खूब रोने लगे। उनके आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी। कुछ देर बाद दस लोगों की टोली सममोहन को उठाकर जंगल में दफनाने के लिए ले जाने लगे। दोपहर का समय हो रहा था। कुछ देर बाद वे जंगल पहुँचे। जमीन पर कई जन्तुओं की लाशें पड़ी हुई दिखाई दी। देखने पर ऐसा लग रहा था मानों कुछ देर पहले ही इन्हें मारा गया हो। यह देखकर सभी लोग थर-थर काँपने लगे। अब लोग वहाँ से भाग पाते है कि तबतक एक रोबोट आकर धीरे-धीरे एक-एक करके लोगों को मारने लगा। कुछ लोग वहां से भाग निकले। कुछ लोगों की लाशें वहीं पर मृत पड़ी रही। अब रोबोट की बैटरी भी समाप्त हो गई। रोबोट भी वहीं पर बेजान सा गिर गया। भागे हुए लोगों ने पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाई कि रोबोट ने कई लोगों को मार दिया। कुछ देर बाद पुलिस अधिकारी वहाँ पर पहुंचे। पुलिस अधिकारियों ने देखा। जमीन पर लोगों की लाशें पड़ी हुई थी। पुलिस अधिकारियों ने गाँववालों की लाशों को गाड़ी में डाला और जन्तुओं की लाशों को मिट्टी में दफना दिया। पुलिस अधिकारीयों को कुछ दूरी पर रोबोट दिखाई पड़ा। वे समझ गए कि रोबोट का ही यह सब काम है। अधिकारियों ने रोबोट को भी एक अन्य गाड़ी में डाल दिया। कुछ समय बाद अधिकारी गाँव पहुँचे। अधिकारियों ने लाशों को गाँव में मौजूद लोगों को दे दिया। गाँव के कई परिवारों में मातम सा छा गया। परिवार वाले शोक में डूब गए। पुलिस अधिकारियों ने रोबोट में मौजूद जरूरी वस्तुओं को ले लिया और उसे हथोड़े से तोड़-फोड़कर कबाड़ में फेंक दिया। रोबोट टूटा-फूटा वहीं पर पड़ा रहाद ऑल्ड फोर्ट 
March 17, 2023
एक किला जो सैकड़ों साल पुराना था। इसलिए लोगों ने उस किले का नाम पुराना किला रख दिया था। कई दिनों से उस किले के बारे में कुछ डरावनी बातें फैलनी लगी थी। रात के समय उस किले में जाने पर वापस न लोटना, रात को गये मनुष्य का मृत शरीर सुबह को मिलना। सरीम नामक एक व्यक्ति जो अमेरिका से कार्य करके कुछ दिन पहले ही अपने वतन लौटा। उसने भी यह सारी बातें सुनी। उसे इन बातों पर यकीन नहीं हो रहा था। सरीम ने सच का पता लगाने के लिए उस पुराने किले में जाने का फैसला किया। अभी सुबह का समय हो रहा था। सरीम ने खाना-खाया और आधे घण्टे बाद सो गया। सरीम रात होने का इंतजार कर रहा था। कुछ देर बाद रात हो गई। सरीम नींद से उठा और एक पुरानी टॉर्च लेकर पैदल पुराने किले की ओर जाने लगा। उसके घर से किले की दूरी लगभग एक किलोमीटर के आस-पास थी। रात के समय हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था। वह आगे बढ़ता चला जा रहा था। रात काफी गहरी हो चुकी थी। चलते-चलते सरीम के हाथ से टॉर्च छूटकर नीचे गिर पड़ा। पत्थर से टकराकर टॉर्च खराब हो गया। सरीम अँधेरे में ही जाने लगा। वह किले के पास पहुँच गया। उसे किले के ऊपर वाले भाग पर एक मशाल जलती हुई दिखाई दी। मशाल के सामने कुछ लोग बैठे हुए थे। उनके हाथों में धारदार कुल्हाड़ियाँ, तलवार...आदि मौजूद थे। सरीम समझ गया कि वे सब डाकू है। उसे सच का पता चल चुका था। सरीम छिपते हुए बिना आवाज किए हुए अपने घर की ओर जाने लगा। उसका हृदय जोर-जोर से धड़क रहा था। उसे डर था कि कोई डाकू कहीं पीछे से ना आ जाए। वह पसीने से तर-बतर हो रहा था। कुछ देर बाद वह अपने घर के पास आ पहुँचा। उसके जान-मे-जान आई। उसने भगवान को धन्यवाद कहा और अपने बिस्तर में लेट गया। टॉर्च का खराब होना उसके लिए अच्छा साबित हुआ। एक वर्ष बाद। जब सरीम अपना अखबार पढ़ रहा था। उसमें छपा था कि पुराने किले में, कुछ डाकू लोग नशे की हालत में किलें से गिरकर मारे गए।
जूनियर रनर 
March 18, 2023
जब रिदम की मां उसे लेकर बाजार जा रही थी। दंगे में शामिल लोगों द्वारा गोली चलाने की वजह से उसकी मां की मौत हो जाती है। रिदम वहीं सड़क पर बैठी रो रही थी।‌ कुछ देर बाद पुलिस अधिकारी वहां आकर उसकी मां की लाश को लेकर जाते हैं और रिदम को उसके पिता के हवाले कर देते हैं। उस समय रिदम की उम्र लगभग 12 वर्ष के आसपास थी। कुछ दिनों बाद रिदम को उसके पिता अनाथ आश्रम में भर्ती करा देते हैं और दुसरी शादी कर लेते हैं। रिदम उदास हो जाती है। 10 वर्ष बाद। रिदम जो एक जुनियर धाविका थी। पिछले कुछ प्रतियोगिताओं में रिदम का प्रदर्शन काफी खराब हो रहा था। इसलिए वह कुछ दिनों से और अधिक उदास रहने लगी थी। कुछ दिनों बाद जिले में एक जुनियर दौड़ प्रतियोगिता होने वाली थी। रिदम उस प्रतियोगिता के लिए दिन-रात मेहनत करती रहती। अब वह अच्छे से खाना भी नहीं खाती। जिसके कारण उसका शरीर धीरे-धीरे कमजोर होने लगा था। कुछ दिनों बाद दौड़ प्रतियोगिता शुरू हुई। अब सभी धाविका दौड़ने वाले थे कि रिदम चक्कर खाकर नीचे गिर पड़ी। रिदम को अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ दिन बाद रिदम स्वस्थ हो गई। अब वह मेहनत भी करती और समय-समय पर अच्छे से खाना भी खाती। 1 वर्ष बाद। फिर से जिले में दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हुई। इस बार रिदम डिस्ट्रिक्ट लेवल दौड़ प्रतियोगिता में सेकेंड आई। दुसरी बार उसने स्टेट लेवल दौड़ प्रतियोगिता में थर्ड पोजिशन प्राप्त की। कुछ वर्षों बाद उसने राष्ट्रीय दौड़ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और फिर से थर्ड आई। एक तरफ थर्ड आने की खुशी थी तो‌ दुसरी तरफ प्रथम न आने का गम। वह अब कोच द्वारा दिए जाने वाले ट्रेनिंग को करती थी। उसके साथ ही अन्य अभ्यास भी करती। जैसे- छोटे-मोटे पर्वतों में चढ़ना-उतरना, सुबह के समय कुछ किलोमीटर दौड़ना....आदि। वर्ल्ड ओलिंपिक के लिए रिदम सहित पांच खिलाड़ी चयनित हुए। रिदम दौड़ में सबको पीछे छोड़ रही थी और काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। वह वक्त आया, जब रिदम ओलिंपिक में गोल्ड जीती और प्रथम श्रेणी में आई। वह अपने देश के झंडे को लहराते हुए दौड़े जा रही थी। आज उसके पिता भी स्टेडियम पर मौजूद थे और तालियां मार रहे थेस्मार्ट डॉग 
March 19, 2023
सुनेत नामक एक व्यक्ति की पत्नी जो बीमारी के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गई थी। उसका एक सात साल का लड़का था। कुछ दिनों बाद सुनेत ने दूसरी शादी कर ली। उस लड़के को अब एक सौतेली माँ मिल चुकी थी। कुछ साल तक सब कुछ अच्छा चलता रहा। परतु जब सौतेली माँ का बच्चा हुआ तो उस सात साल के लड़के के प्रति प्यार धीरे-धीरे समाप्त हो गया। घर के बाहर एक पेड़ के नीचे एक कुत्ता बैठा रहता था। वह लड़का और उसके साथ खेलता। सुनेत नाश्ता करके सुबह को अपने काम पर चला जाता। सौतेली माँ और उस लड़के के बीच रोजाना नोक-झोंक, डाट-फटकार होती रहती थी। एक दिन सौतेली माँ इन सब से तंग आकर उस लड़के को रस्सी से बाँधकर अपने घर के पीछे ले गई। वहाँ पर एक पुराना कब्र पड़ा हुआ था। उसने उस लड़के को कब्र में बंद करके वहाँ पर मौजूद गड्ढे में डालकर उसे दफना दिया। वही कुछ दूरी पर कुत्ता यह सब देख रहा था। कुत्ता देरी न करते हुए दौड़कर सुनेत के पास पहुँचा। सुनेत उस कुत्ते को पहचानता था। कुत्ते के आँखों में ढेर सारे आँसू झलक आए थे। सुनेत कुत्ते के साथ जाने लगा। कुछ देर बाद सुनेत घर के पीछे वाले जगह पर पहुँचे। कुत्ते ने इशारे से बताया। यहाँ पर खोदने के लिए। सुनेत खोदने लगा। कुछ समय बाद उसे कब्र दिखी। उसने कब्र को खोला तो उसके होश उड़ गये। सुनेत अपने लड़के को कब्र से निकालकर अस्पताल ले गया। लड़के की साँसे अभी भी चल रही थी। कुछ दिन बाद वह लड़का स्वस्थ हो गया। पुलिस अधिकारियों ने उस सौतेली माँ को पकड़ लिया। इस अपराध के लिए न्यायलय ने उस महिला को दस साल की सजा सुनाई।
ए माउंटेन 
March 20, 2023
एक सुंदर पहाड़ जो एक घने जंगल में था। उस पहाड़ पर चढ़ने लिए हर साल कई पर्यटक आते। परंतु जो भी पर्यटक पहाड़ के ऊपरी भाग में पहुँचता वह वापस ना आता। दिनों-दिन चढ़ने वाले पर्यटक लापता हो रहे थे। एक डिटेक्टिव जिसका नाम सेनन था। उसने फैसला किया कि में पता लगाऊँगा कि इतने सारे पर्यटक लापता क्यों हो रहे है? उस पहाड़ का राज क्या है? सुबह हुई। काले बादल आसमान में घिरे हुए थे। सेनन हाथ-मुँह धोकर और खाना-खाकर अकेले किराये की गाड़ी में पहाड़ की ओर चल पड़ा। कुछ घण्टे बाद वह उस सड़क के पास पहुँचा। जो जंगल के भीतर था। सेनन जंगल के कच्चे रास्त से होते हुए पहाड़ की ओर जाने लगा। कुछ समय बाद वह उस पहाड़ के पास पहुंचा। वह पहाड़ पर चढ़ने लगा। वह पहाड़ के काफी ऊँचाई तक पहुँच गया। उसने पहाड़ ऊपर देखा। पहाड़ के ऊपरी वाले भाग पर मुस्कुराते हुए बहुत सारे लोग दिखाई दिए। जो सेनन को घूर-घूर कर देख रहे थे। सेनन पहाड़ के ऊपरी भाग में ना चढ़ते हुए। जल्दी-जल्दी नीचे उतरने लगा। कुछ समय बाद वह नीचे पहुँच गया। सेनन ने जब उन लोगों को देखा था तो वे अपना एक-एक हाथ पीछे किये हुए थे। यानि उन सभी के पीछे किए हुए हाथों में हथियार थे। उनके दाढ़ी-मुँछ और नाखून काफी बड़े थे। इसलिए वे पर्यटक नहीं थे। वे नरभक्षी थे। जो पहाड़ पर आने वाले पर्यटकों का कत्ल कर रहे थे। सेनन ने एक पत्थर से पहाड़ के नीचे वाले भाग पर बड़े-बड़े अक्षरों से नरभक्षी लिख दिया और वह भगवान को धन्यवाद कहता हुआ अपने घर की ओर चल पड़ा। कुछ वर्षों बाद वर्षा के मौसम में भयंकर बिजलाहट हो‌ रही थी। उस पहाड़ पर एक के बाद एक कई बार बिजली गिरी। इस बिजलाहट में पहाड़ पर रहने वाले नरभक्षी लोग मारे गए। द ऑल्ड केभ 
March 21, 2023
दोदोस्त जिनकी उम्र लगभग पच्चीस वर्ष के आसपास थी। एक का नाम सेगन और दूसरे का नाम बेमन था। एक दिन वे अपनी जीप से अनजान वन में घुमने आये। वे वन में पैदल चल रहे थे। वन में धीमी गति से हवाएँ चल रही थी। उस दिन आसमान में काले बादल घिरे हुए थे। उन्हें दो गुफाएं दिखी। जो काफी पुरानी दिखाई दे रही थी। दोनों गुफाओं के बाहर दो बोर्ड लगी हुई थी। एक पर लिखा था-धन और दूसरे पर लिखा हुआ था-ज्ञान। धन की लालच में बेमन पहले वाले गुफा की ओर गया और सेगन ज्ञान के लिए दूसरे गुफा कि ओर गया। कुछ समय बाद वे गुफा के भीतर पहुँच गये। उन दोनों को वही सब मिला जो बोर्डों पर लिखा हुआ था। परंतु बेमन को धन और उसके साथ धन की रक्षा करने वाले रक्षक भी मिल गए। जंगली लोग गुफा में मौजूद धन की रक्षा करते थे। दुसरी तरफ सेगन को दूसरे गुफा में बहुत सारे पुस्तकें मिली। उन पुस्तकों में से सेगन को एक ऐसी किताब मिली, जिसमें दूसरे गुफा के बारे में लिखा हुआ था। वह उस पुस्तक को पढ़ने लगा। कुछ देर पढ़ने के बाद उसे पता चला कि धन की रक्षा करने वाले लोग धन को लेने आने वाले लोगों को पहाड़ से नीचे फेंक देते हैं। जंगली रक्षक बेमन को पहाड़ की ओर ले जाने लगे। सेगन देरी ना करते हुए। बहुत सारे पत्तों, भूसों, पुआलों...आदि को पहाड़ के सबसे नीचे वाले सतह पर डालने लगा। कुछ समय बाद सूरज ढलने लगा और शाम हो गई। पहाड के निचली सतह पर काफी मात्रा में पत्तें,भूसें, पुआल...आदि जमा हो गए थे। जंगली रक्षक पहाड़ के ऊपरी सतह पर पहुँचें। रक्षकों ने बेमन को नीचे फेंक दिया। सेगन नीचे पेड़ के पीछे छूपकर यह सब दृश्य देख रहा था। बेमन पहाड़ से नीचे धड़ाम से गिरा। सेगन देरी न करते हुए। उसके पास पहुंचा। बेमन के हाथ-पांव टूट चुके थे। वह दर्द से करहाने लगा। जंगली रक्षक बेमन को जीवित देखकर जल्दी-जल्दी पहाड़ से नीचे उतरने लगे। सेगन ने बेमन को जैसै-तैसै वहां से उठाकर अपनी जीप में बैठाया। सेगन जीप को तेज गति से चलाकर सीधे अस्पताल ले गया और बेमन की जान बच गई। कुछ दिनों बाद पुलिस अधिकारियों ने उस गुफा में रहने वाले लोगों को पकड़ लिया और सोने को जब्त कर लिया गया।मेटन 
March 22, 2023
मेटन नामक एक अधिकारी जो अपने परिवार के साथ वन के निकट एक गाँव में रहते थे। मेटन की एक पत्नी और चार साल की एक बच्ची है। एक दिन मेटन अपने जीप पर सवार होकर वन की देखभाल कर रहा था। मेटन ने देखा कुछ तश्करी करने वाले लोग एक मगरमच्छ के बच्चे को ले जा रहे है। मेटन ने अपनी बन्दूक को उन लोगों के ऊपर तानकर कहा-अपने हाथ ऊपर करो। उन तश्करों ने हाथ ऊपर कर दिया। उन तश्करों को जेल भेज दिया गया। न्यायालय ने उन तश्करों को दस साल की सजा सुनाई। उन तश्करों ने अनेक जानवरों को मारकर उनके शरीर के अंगों को बेच दिये थे। मेटन उस मगरमच्छ के बच्चे को अपने घर ले गया और उस बच्चे को अपने बच्चे तरह पालने लगा। कुछ सालों बाद मेटन की पत्नी ने एक ओर बच्चे को जन्म दिया। धीरे-धीरे समय बीतता गया। वे तश्करी करने वाले लोग दस वर्ष पूर्ण हो जाने के बाद जेल से छूट गए। लम्बे वक्त तक जेल में रहने के बाद उन्हानें उस अधिकारी से बदला लेने का फैसला किया। उन तश्करीं करने लोगों ने अधिकारी के बच्चों कों मारने का फैसला किया। दूसरे दिन शाम के समय जब अधिकारी घर लाटा। तब उसने देखा घर के फर्श पर कई खून के कतरे गिरे हुए थे। वही पर मगरमच्छ था। उसके मुँह पर खून लगा हुआ था और पेट फूला हुआ था। अधिकारी ने सोचा मगरमच्छ ने उनके साथ विश्वासघात किया। उसने मेरे बच्चों को खा लिया। अधिकारी ने क्रोध में आकर एक कुल्हाड़ी से मगरमच्छ पर वार पर वार करता गया। मगरमच्छ के आंखों से आँसू निकलने लगा। दूसरे कमरे से बच्चे की रोने की आवाज सुनाई दी। अधिकारी दोड़ता हुआ उस कमरे में पहुँचा। तो देखा कि दोनों बच्चें और उनकी पत्नी सही सलामत थे। वही उस कमरे के जमीन पर तश्करी करने वाले लोग घायल होकर पड़े हुए थे। वही पर दो-तीन धारदार हथियार भी पड़े हुए थे। उनकी पत्नी ने कहा- ये तश्करी करने वाले लोग हमें मारने आये थे। परंतु, मगरमच्छ ने उन तश्करों को मारकर घायल कर दिया और घर के फर्श पर जाकर वह आपका इंतजार करने लगा। मेटन ने कहा- उसका पेट क्यों फूला हुआ था? पत्नी ने कहा- सुबह के समय मगरमच्छ ने बहुत सारे फलों को निगल लिया था। इसलिए उसका पेट फूल चुका था। पछतावे ने अधिकारी के मन को घर कर लिया। वह वहीं हताश होकर बैठ गया। उसके आंखों से आँसू झलक आए। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह वहीं पर रोता, बिलखता और पक्षताता रहा। परंतु, अब बहुत देर ही चुकी थी। मगरमच्छ मृत्यु की गोद में सो चुका था।
द पेन ऑफ बिंग लॉस्ट 
March 23, 2023
एक जंगल जहाँ पर बहुत जीव-जन्तु रह रहे थे। सभी जन्तु खुशहाली से जीवन व्यतीत कर रहे थे। हर तरफ हरियाली छायी हुई थी। हल्की-हल्की हवाएँ चल रही थी। उसी समय धाय! धाय! की आवाजें आई। दो-तीन जानवर नीचे गिर पड़े। उन्हें गोली लग चुकी थी। शिकारी धड़ाधड़ गोली चलाने लगे। जानवर दौड़ने-भागने लगे। गोली लगने से जमीन पर एकाएक जानवर गिरने लगे। जानवर दर्द से करहा रहे थे। कुछ देर बाद उनकी गोलियाँ समाप्त हो गई। उनके जीप में एक महिला बैठी थी। उसके हाथ में एक छोटा-सा बच्चा था। महिला जंगल में उन लोगों के साथ सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखने आयी थी। परंतु जंगल में ऐसा होगा, उसे पता न था। गोलियाँ चलनी बंद होते ही जानवर आग-बबूला हो गये। जानवर शिकारियों की तरफ हमला करने के लिए दौड़ने लगे। हड़बड़ाकर शिकारी अपने-अपने जीपों में चढ़ने लगे। हड़बड़ाहट में महिला के हाथों से बच्चा छूट गया और वह सुखे पत्तों के ढेर के ऊपर गिर गया। तबतक जीप स्टार्ट हो हुई। महिला जीप से नीचे कुदने की कोशिश करने लगी। परंतु शिकारियों ने उन्हें पकड़ लिया। जानवर जीप के बहुत करीब आ चुके थे। जीप चल पड़ी। बच्चे की माँ फूट फूटकर रो रही थी। उनकी आँखों से आँसू टपक रहे थे। जीप जंगल से होते हुए शहर की ओर जाने लगी। उसी समय तालाब से एक दरियाई घोड़ा बाहर निकल रहा था। बच्चे को मारने के लिए भेड़िया उसकी ओर बढ़ा। दरियाई घोड़े ने यह देखा। दरियाई घोड़े ने वहां आकर उस बच्चे को बचा लिया। दरियाई घोड़ा और भेड़िया आपस में भीड़ गये। दरियाई घोड़े को कुछ चोटे आई। परंतु दरियाई घोड़े ने भेड़िया को पछाड़ दिया। दरियाई घोड़ा अन्य जानवरों से उस बच्चे की रक्षा करने लगा। उधर वे शिकारी डर के मारे तेज गति से शहर की ओर बढ़ रहे थे। महिला रोये जा रही थी। महिला ने किसी तरह उनसे अपना हाथ छुड़ाकर जीप से कूद गयी। जिसके कारण महिला के शरीर में कई खरोंचे आई और सिर पर गम्भीर चोट लगी। जिसके कारण वह वहीं पर बेहोश हो गई। सड़क के दूसरी तरफ एक गहरी खाई थी। जीप चालक को कुछ छींके आई। जिसके कारण चालक द्वारा जीप का बैलेंस बिगड़ गया और जीप खाई में जा गिरी। महिला सड़क पर बेहोश पड़ी हुई थी। कुछ घण्टे बाद उस सड़क पर एक वन अधिकारी अपनी जीप से जा रहा था। उसने महिला को देखा। अधिकारी ने महिला को उठाकर अपनी जीप में बैठाया और उसे अस्पताल ले गए। दरियाई घोड़ा उसी जगह पर दो दिनों तक उसकी माता का इंतजार करने लगा। परंतु वह न आई। इधर दो दिन से ज्यादा बीत जाने के बाद दरियाई घोड़ा बच्चे को लेकर थोड़ी दूरी पर एक गुफा में ले गया। दरियाई घोड़ा फलों को कुचलकर निकले हुए रस को बच्चे को पिलाता। शाम हो गई। उधर कुछ दिनों बाद महिला को होश आया। महिला को अपने बच्चे की याद आई। वह फिर से रोने लगी। सूरज पूर्ण ढल गया। रात हो गई। महिला सुबह होने का इंतजार करने लगी। सुबह हुई। महिला एक किराये की गाड़ी में बैठकर अकेले जंगल की ओर चल पड़ी। जंगल के पास स्थित सड़क पर वह उतर गई। वह जंगल के भीतर जाने लगी। सूरज की रोशनी से सारा जगह चमक रहा था। चिड़ियों की चहचहाट सुनाई दे रही थी। वह पागलों की तरह अपने बच्चे को ढूँढने लगी। परंतु बच्चा न मिला। वह हताश-उदास होकर नीचे बैठ गयी। मानों बच्चे को पाने की आश अब समाप्त हो रही थी। कड़ी धूप चारों ओर फैली हुई थी। एक हिरण उस महिला को पहचान गया। हिरण महिला की पल्लू को मुँह से पकड़कर पल्लू खींचते हुए महिला को गुफा की ओर ले जाने लगा। कुछ समय बाद महिला उस गुफा के पास पहुँची। बच्चा गुफा के बाहर घास के ऊपर खेल रहा था। दरियाई घोड़ा बच्चे को खेलता हुआ देख रहा था और मन ही मन खुश हो रहा था। महिला दौड़कर आई। अपने बच्चे को अपने गोद में उठा लिया और उनकी आँखों से खुशी के आँसूओं की धारा बह निकली।द सायक्लॉन 
March 25, 2023
एक व्यक्ति जिनका नाम सदन था। उसका जन्म समंदर के किनारे स्थित एक गाँव में हुआ था। वह गरीब था। वह नाव पर यात्रियों को बिठाकर समंदर की सैर कराता था। उसकी रोजी-रोटी उसके कार्य पर निर्भर थी। वह एक पुरानी झोपड़ी में रहता था। उसके पास एक पुरानी रेडियो मौजूद थी। जिसपर वह गानें और सामाचार सुनता था। जिन्दगी अच्छी चल रही थी। शाम के समय वह घर लौटा। रात के समय वह अपनी खटियाँ पर लेटा हुआ था। रेडियो पर सामाचार आ रहा था कि तीस दिनों तक मौसम में बदलाव आ सकता है और समंदर में तुफान और चक्रवात आने की संभावना है। इसलिए आप 30 दिनों तक समंदर के आसपास न जाएँ। घर में रहे। सुरक्षित रहें। वह यह सुनकर उदास हो गया। थकान के कारण वह लेटे-लेटे सो गया। सुबह हुई। वह अपनी नाव लेकर समंदर की ओर चला। कुछ समय बाद वह समंदर के किनारे पहुँच गया। समंदर के आसपास कोई न था। धीमी-धीमी हवाएं चल रही थी। आसमान में काले बादल घिरे हुए थे। सदन समंदर के किनारे उदास बैठा हुआ था। कुछ घंटों बाद शाम हो गई। सूरज अब ढलने वाला था। सदन अपनी नाव को घसीटता हुआ। अपने झोपड़ी की ओर चल पड़ा। ऐसे ही समय बीतता गया। दो सप्ताह बीत गए। सदन के पास मौजूद रूपयें और राशन समाप्त हो चुके थे। वह अब भूखे पेट रहने लगा। दो दिन बीत गए। वह अब काफी कमजोर हो चुका था। सोलह दिन बीत चुके थे। सुबह का समय था। सदन भूखे पेट अपनी नाव को घसीटता हुआ। समंदर की ओर चला गया। आज भी वहाँ पर कोई न था। वह अपनी नाव को पानी में उतारकर उसमें चढ़कर लेट गया ।। वह कुछ देर तक आसमान की ओर एकटक से देखता रहा। आसमान का में काले बादल छाये थे। तेज हवाएँ चल रही थी। धीरे-धीरे मौसम में परिवर्तन आने लगा। लहरें ऊँची उठने लगी। समंदर में चक्रवात की उत्पत्ति हुई। बादल गरजने लगे। बारिश होने लगी। चक्रवात को देखकर सदन भय से काँपने लगा। उसे लगा, उसका अंत नजदीक है। वह बेहोश होकर गिर पड़ा। लहरें सदन की नाव को एक द्वीप पर ले गयी। सदन का नाव पुरी तरह टूट-फूट चुका था। सदन द्वीप के समंदर तट के किनारे बेहोश पड़ा हुआ था। चक्रवात शांत हो चुका था। समंदर की लहरें सामान्य हो चुकी थी। द्वीप के कुछ स्थानीय आदिवासियों ने सदन को उठाकर अपने झोपड़ी में ले गये। सदन को जगाया गया। आदिवासियों ने उसे कुछ फल खाने को दिये। सदन ने सारी बात आदिवासियों को बताई। कुछ दिनों तक सदन उनके साथ रहा। अब सदन के मन में अपने घर जाने की इच्छा हुई। परंतु उसका नाव बेकार हो चुका था। यह सदन जानता था। वह समंदर के किनारे पर गया। जहाँ पर उसकी नाव पड़ी हुई थी। वह नाव को देखकर आश्चर्य में पड़ गया। नाव की पुरी तरह मरम्मत हो चुकी थी। उसका मन प्रसन्नचित हो उठा। पता चला कि आदिवासियों ने उसकी नाव की मरम्मत की है। सदन आदिवासियों को धन्यवाद और अलविदा कहकर अपने घर की ओर चल पड़ा। कुछ देर बाद वह समंदर तट के पास पहुँचा। तट पर बहुत सारे यात्री मौजूद थे। तीस दिन बीत चुके थे। यात्रियों को देखकर वह फूला न समाया। उसने मन-ही-मन आदिवासियों और भगवान को धन्यवाद कहा और अपने काम में जूट गयालघु 
March 26, 2023
लघु नाम का एक लड़का। वह लगभग तेरह साल का था। वह एक गरीब परिवार से था। लघु अपने माता -पिता का एकमात्र बच्चा था। एक दिन छोटा अपने दोस्त के घर पर टीवी देख रहा था। अपने दोस्त के घर को अपने घर से कुछ दूरी पर बैठे देखकर। वे दोनों टीवी पर देख रहे हैं। शक्तिमान नामक एक धारावाहिक टीवी पर चल रहा था। दोनों खुश दिख रहे थे। सीरियल लगभग एक घंटे के बाद समाप्त हो गया। अपने दोस्त को अलविदा कहकर, लघु अपने घर की ओर चला गया। वह टहल रहा था। एक छोटा पर्वत लगू के घर से कुछ दूरी पर मौजूद था। वह अपने दिमाग में सोचने लगा। क्या मैं शक्तिशाली हो सकता हूं? गलत जानकारी उनके दिमाग में आई। उन्होंने घर पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। उसने अपने हाथ धोए, खाया और खाट पर बैठ गया। दोपहर में देर हो चुकी थी। गर्म हवाएं बह रही थीं। उनके पिता काम करने गए थे। कुछ समय बाद शाम हो गई थी। अब बाहर की गर्म हवा ठंडी हवा में बदल गई है। छोटे बेड से उठने लगे। माँ ने पूछा कि तुम कहाँ जा रहे हो बेटा? थोड़ा कहा और वह बाहर चला गया। आज उन्होंने पहली बार अपनी मां से झूठ बोला। छोटे पहाड़ की ओर चलना शुरू कर दिया। एक धीमी हवा चारों ओर बह रही थी। कुछ समय बाद उन्होंने पहाड़ के ऊपरी हिस्से पर प्रतिक्रिया व्यक्त की। अब सूरज सेट करने वाला था। सूरज को आकाश में लाल देखा गया था। एक छोटे से शकीटन की तरह -चक्कर लगाने के लिए, नीचे कूद गया। लघु धड़ाम से नीचे गिरा। उसने दर्द में कराहना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद सूरज डूब गया और उसकी सांसें थम गई।
माउंटेनर 
March 27, 2023
एक लड़का जिसका नाम सिरीमन था। वह एक मध्यम गरीब परिवार से था। वह अपने परिवार वालों और मित्रों से कई बार सुनता था कि कैलाश पर्वत के सबसे ऊपरी चोटी पर शिव जी स्वयं विराजमान रहते है। उन पर ठंड का कोई असर नहीं होता। यह बात सिरिमन के मन में बैठ गया था। उसके मन में पर्वतारोही बनने का सपना उदय हुआ। कैलाश पर्वत पर चढ़ना उसका लक्ष्य और सपना बन गया। उसने सोलह वर्ष की उम्र में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। सिरीमन ने एक कला महाविद्यालय में नामांकन कराया। जहाँ पर वह पर्वतारोही के बारे में पढ़ाई की। वह पर्वतारोही बनने के लिए खूब मन लगाकर पर्वत चढ़ने, उतरने का अभ्यास करता रहता। कुछ सालों बाद उसने अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग दोनों पुरी कर लीं। अब वह इक्कीस वर्ष का हो चुका था। उसने अपने कुछ पर्वतारोही मित्रों को कहा- चलों हम कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने चले। मित्रों ने साफ इनकार कर दिया। मित्रों ने कहा- आज तक वहाँ कोई पर्वतरोही कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नहीं कर पाया। उस पर्वत की बर्फ के फिसलने का डर हमेशा बना रहता है।यह कहकर उनके मित्र वहाँ से चले गये। परंतु उसका मनोबल कम न हुआ। सिरीमन अपना बैग पैक करके, वह अकेले ठंड के मौसम में कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने निकल पड़ा। उसने खाने-पीने की वस्तुएँ और जरूरी सामान अपने बैग में भर लिया था। कुछ दिन बाद वह तिब्बत पहुँचा। वह तिब्बत के एक किराये के कमरे में रूक गया। सुबह हुई। वह हाथ-मुँह धोकर, खाना खाकर कैलाश पर्वत चढ़ने के लिए निकल पड़ा। कुछ देर बाद वह कैलाश पर्वत के पास पहुँचा। आस-पास कोई और व्यक्ति न था। हर तरफ बर्फ की चादर बिछी हुई थी। सिरीमन को एक सफेद भालू दिखाई पड़ा। जो सिरीमन के बैग की ओर एकटक से देख रहा था। सिरीमन ने कुछ खाने की वस्तुएँ उस भालू को खिलाया। खाना खाकर वह भालू वहाँ से चला गया। सिरीमन पर्वत चढ़ने लगा। कुछ देर बाद वह काफी ऊँचाई तक पहुँच गया। ठंडी हवाएँ चल रही थी। सिरीमन चढ़ता चला जा रहा था। तभी उस जगह पर बर्फ की परत घिसक गयी। सिरीमन नीचे जा गिरा। सिरीमन के हाथ-पाँव सुन्न हो गये। सिरीमन वहां पर पड़ा हुआ था। आसपास कोई व्यक्ति मौजूद न था। तभी वहाँ पर वह सफेद भालू आया और सिरीमन को घसीटता हुआ। एक गाँव में ले गया। गाँव के लोगों ने सिरीमन को पास के एक अस्पताल में भर्ती कर दिया। कुछ दिन बाद उनके माता-पिता सिरीमन को देखने तिब्बत आये। डॉक्टर ने सिरीमन के माता-पिता से कहा- आपके पुत्र को पेरालायसेस हो चुका है। उसका पुरा शरीर सुन्न हो चुका है। कुछ साल बीत गए। किसी बीमारी के कारण उनके पिता मृत्यु को प्राप्त हो गये। सिरीमन ने जब यह बात सुनी तो उसके आँखों में आँसू बह निकले। सिरीमन अपने पिता का दाह-संस्कार करने में असमर्थ था। इसलिए उनकी माता ने उनका दाह संस्कार किया। कुछ साल बाद सिरीमन अपने शरीर को धीरे-धीरे हिला पाने में समर्थ होने लगा। डॉक्टरों की ट्रीटमेंट सफल होने लगी। कुछ दिनों बाद वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गया। सिरीमन अपनी माता का आर्शीवाद लेकर फिर से कैलाश पर्वत की चढ़ाई करने निकल पड़ा। कुछ देर बाद वह कैलाश पर्वत के पास पहुँच गया। वह पर्वत पर चढ़ाई करने लगा। कंपकंपा देने वाली ठंड चारों ओर फैली हुई थी। कुछ समय बाद वह कैलाश पर्वत के सबसे आखिरी चोटी पर चढ़ गया। उसका मन खुशी के मारे प्रसन्नचित हो उठा। उसने इधर-उधर देखा। वहाँ पर न शिवजी दिखाई पड़े ना कोई और। बर्फ की मोटी-मोटी चादर हर तरफ फैली हुई दिखाई पड़ी। पंख की भाँति छोटी-छोटी बर्फ ऊपर से गिर रही थी। सिरीमन ने पर्वत से नीचे की ओर देखा तो वह सफेद भालू सिरीमन की ओर एकटक से देख रहा थाए स्पाइडर 
March 28, 2023
एलेन नामक लड़का जिसकी उम्र लगभग आठ वर्ष के आसपास थी । वह एक मध्यम परिवार से था। उसके पिता एक प्राइवेट प्लान्ट में मजदूर थे। रविवार का दिन था। उसके पिता अखबार पढ़ रहे थे। उसकी माता खाना बनाने में व्यस्त थी। एलेन टी.वी. देख रहा था। टी०वी० पर स्पाइडर मैन नामक मूवी प्रसारित हो रही थी। एलन ध्यान से उस उस मूवी को देखे जा रहा था। जैसे-जैसे वह मूवी को देखता जा रहा था। उसके मन में गलत जानकारीयां घर करती चली जा रही थी। एलेन ने मन में सोचा क्या में भी स्पाइडर मैन बन सकता है। दुसरे दिन उसके माता-पिता को किसी जरूरी कार्य के चलते बाहर जाना पड़ा। उस दिन वह लड़का घर में अकेला था। स्पाईडर मैन बनने की बात उसके मस्तिष्क में चल ही रही थी। सुबह के लगभग नो बज रहे थे। हल्की-हल्की हवाएँ खिड़की से भीतर की ओर आ रही थी। एलेन दरवाजा खोलकर बाहर की ओर गया। धूप चारों ओर फैली हुई थी। एलेन ने पेड़ों पर लटके हुए कई प्रकार के मकड़ीयों को हाथ में पकड़ा और घर की और बढ़ने लगा। मकड़ियाँ एलेन के हाथ पर काँटने लगे। मकड़ियों के कटाव से एलेन को असहनीय दर्द होने लगा। एलेन का पकड़ाव छूटने‌ लगा। हाथ से मकड़ियाँ छूट गई। वह दर्द से करहाने लगा। कुछ देर बाद वह बेहोश होकर गिर पड़ा। धूप काफी तेज थी। कुछ समय बाद उसके माता-पिता वहाँ पहुँचे। माता-पिता ने एलेन को उठाकर अस्पताल पहुँचाया। उस समय एलेन के माता पिता के चेहरे पर हतासी और उदासी झलक रही थी। एलेन अस्पताल के एक बेड पर लेटा हुआ था। डॉक्टर उसका इलाज कर रहे थे। शाम हो गई थी। कई दिनों तक इलाज चला। कुछ दिनों बाद एलेन स्वस्थ हो गया। अब एलेन कई प्रकार के गलत जानकारीयों से मुक्त हो चुका था। एलेन के मन में मकड़ियों के प्रति एक प्रकार का डर सा बन गया। माता-पिता एलेन को लेकर किराये की गाड़ी में बैठकर अपने घर की ओर चल पड़े। द ब्रिज 
March 29, 2023
एक महिला रेलगाड़ी से जा रही थी। उसके गले में एक कीमती सोने की चेन थी। जो चाँदनी रात की रोशनी में चमक रही थी। वह काफी खुश थी। वह अपने घर जा रही थी। वह महिला रेलगाड़ी के दरवाजे के पास खड़ी होकर को बाहर का नजारा देख‌ रही थी। दो लोगों की नजर उसके सोने की चेन पर पड़ी। उनके मन में लालच जाग गया। उस समय अधिकतर लोग सो चुके थे। दो लोग महिला के पास आये और सोने की चेन उससे मांगने लगे। महिला ने साफ-साफ इनकार दिया। तब उन दो लोगों ने महिला से चैन छीनने की कोशिश की। वह रेलगाड़ी एक ब्रिज से गुजर रही थी। इस छिना-झपटी में महिला को उन दो लोगों ने धकेल दिया और चेन गले से निकाल लिया। महिला सीधे नीचे नदी में जा गिरी। नदी का बहाव काफी तेज था। वह महिला चिखती-चिल्लाती उस नदी की तेज धारा में बह गयी। वे दोनों उस महिला को देखकर मुस्कुराये जा रहे थे। कुछ दिनों बाद। वे अपने घर में टी.वी. देख रहे थे और इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि आज रात फिर किसी महिला को लूटा जाए। बाहर तेज वर्षा हो रही थी। उनका घर नदी के पास स्थित था। घर काफी पुराना था। शायद उस घर को उनके परदादा ने बनाया था। नदी का जल स्तर बढ़ने लगा। नदी का जल तेज होने लगा। कुछ ही देर बाद नदी के पानी ने बाढ़ का रूप ले लिया। इस भीषण बाढ़ में उनका घर ध्वस्त हो गया। वे लोग और उनका घर पानी के तेज बहाव में समा गया।
गैंग ऑफ किडनैपर्स 
March 30, 2023
एक शहर जहाँ पर दिन-प्रतिदिन बच्चे गायब हो रहे थे। सब कनफ्यूज थे कि बच्चे गायब कैसे हो रहे है? एक दिन खुफिया विभाग के अधिकारियों को पता चला कि किडनेपरों की टोली बहुत सारे बच्चों को बोरियों में भरकर वन के रास्ते ले जा रहे हैं। उन अधिकारियों ने यह सूचना आर्मी के जवानों को भेज दिया। आर्मी के जवान किडनेपरों को पकड़ने के लिए वन की ओर निकल पड़े। दोपहर का समय था। हर तरफ गर्म हवाएँ फैली हुई थी। कुछ समय बाद आर्मी के जवान वहाँ पहुँचे। जवानों ने सभी किडनेपरों को पकड़ लिया। सभी बच्चों को बोरियों से बाहर निकाला गया। सभी बच्चे बेहोश हो चुके थे। उनके ऊपर पानी छिड़कर उन्हें जगाया गया। उन बच्चों को उनके माता-पिता को और किडनेपरों को पुलिस को सौंप दिया गया। पुलिस ने छानबीन शुरु की। किडनेपरों ने बताया। हम लोग अलग-अलग गाँवों और शहरों से बच्चों को किडनेप करते है। किडनेप किये हुए बच्चों को हम ऑर्गन डीलर को मुंह माँगे दाम पर बेच देते है। कुछ दिन बाद आर्गन डीलर को पकड़ लिया गया। पुलिस अधिकारियों ने उस डीलर से पूछताछ शुरू की। डीलर ने बताया। हमलोग उन बच्चों के शरीर से ऑर्गनों को निकाल लेते है और उन निकालें गए ऑर्गनों को देश-विदेश के बड़े-बड़े अस्पतालों के डॉक्टरों को बेच देते है। हमलोग बच्चों की लाशों को जलजहाज के द्वारा विदेश ले जाकर उन्हें मिट्टी में दफना देते थे। ऑर्गन डीलर के साथ कार्य करने वाले लोगों को भी पकड़ लिया गया। परन्तु इस कांड में बड़े लोग शामिल थे। इसलिए कुछ दिन जेल में रहने के पश्चात वे छूट गए। क्योंकि उन्होंने पुलिस अधिकारियों को मोटा धन देकर खरीद लिया था। कुछ सप्ताह बीत गए। किडनेपरों की टोली फिर से बच्चों का शिकार करने के लिए निकल पड़ी। वे एक तालाब में उतरकर, उस पार जाने लगे। उस तालाब के किनारों पर बिजली के खंभे गढ़े हुए थे और उनपर बिजली के तार लटके हुए थे। तार काफी साल पुराने थे। परंतु उन तारों में हाई वोल्टेज करंट दौड़ता था। वे तालाब के बीचों-बीच पहुंच चुके थे। बिजली का तार खंभे से छूटकर पानी में जा गिरा। पानी में करंट फैल गया और देखते-ही-देखते उस टोली के सारे लोग मारे गए। उधर इस कांड में शामिल डीलर और डॉक्टर को टी.बी. की बीमारी ने‌ जकड़ लिया। दिन-रात खांसने के कारण, उनकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होने लगी। जिन पुलिस अधिकारियों को रिश्वत के रुप में मोटा धन मिला था। कुछ दिनों बाद इनकम टैक्स विभाग के अधिकारियों ने उन पुलिस अधिकारियों के घर में छापेमारी की। जिसके बाद उनके घर से बड़ी मात्रा में काला धन जब्त हुआ। उन रिश्वतखोर अधिकारियों को गिरफतार कर लिया गया।
द ट्रेक 
March 31, 2023
सैकड़ों के लगभग लोग‌ रेलगाड़ी में सवारी कर रहे थे। रेलगाड़ी खचाखच यात्रियों से भरी हुई थी। सुबह का समय था। हल्की-हल्की ठंडी हवाएं चल रही थी। रेलगाड़ी अभी स्टेशन से काफी दूर थी। पटरी के कुछ दूरी पर एक चरवाहा भेड़ों को चरा रहा था। चरवाहे की नजर उस पटरी पर पड़ी। जो काफी हद तक टूट चुकी थी। चरवाहा एक बूढ़ा था। उसके बाल,दाढ़ी और मुँछ सफेद हो चुके थे। वह देरी न करते हुए आने वाली रेलगाड़ी की ओर दौड़ा। उसकी सांसें तेज हो रही थी। पुरा शरीर थकावट के कारण दर्द करने लगा। अब धूप चारों ओर फैलने लगी थी। कुछ देर बाद चरवाहा काफी दूर पहुंच गया। चरवाहे ने आती हुई रेलगाड़ी को देखा। चरवाहे ने एक लाल रंग का गमछा पहना था। चरवाहा हांफते हुए अपने लाल गमछे को पटरी पर खड़े होकर लहरा दिया। रेलगाड़ी ड्राईवर ने लाल गमछा देखकर खतरे को भाप लिया और उसने ईमरजेंसी ब्रेक लगा दिया। चरवाहा पटरी से हट गया। रेलगाड़ी के पहियों के घिसटने से चिंगारीयाँ उठने लगी। कुछ दूर जाने के बाद रेलगाड़ी रुक गई। रेलगाड़ी से बहुत सारे लोग बाहर निकले। कुछ देर बाद चरवाहा वहाँ पहुंचा। एक आदमी ने क्रोध में आकर उस चरवाहे को थप्पड़ जड़ दिया। किसी काम के चलते उस आदमी को जल्दी पहुंचना था। उस आदमी ने सोचा था कि बिना किसी कारण के ही इस चरवाहे ने लाल गमछा दिखाया। चरवाहा थप्पड़ खाकर वहाँ से बिना कुछ कहें, अपने भेड़ों को लेकर चला गया। जब बहुत सारे लोग कुछ दूर चलें तो उन्होंने देखा सचमुच पटरी टूटी हुई थी। उस आदमी को अपने गलती पर पछतावा होने लगा। दोपहर का समय हो रहा था। कुछ दिनों बाद सरकार ने उस चरवाहे को पुरस्कार देकर सम्मानित किया और उस आदमी ने चरवाहे से माफी भी मांगी। द ऑल्ड हाउस 
April 01, 2023
कुछ बच्चें सिनेमा हॉल से मूवी देखकर बाहर निकलें। शाम हो चुकी थीं। वे बच्चे अपने घर की ओर जा रहे थे। आसमान में बादल घिर चुके थे। वे मस्ती-मजाक करते हुए आगे बढ़ रहे थे। ठंडी हवाएँ चल रही थी। कुछ समय बाद बरसात शुरू हो गई। वे भींगने से बचने के लिए एक पुराने घर के पास आ गये। वह घर काफी पुराना था। कुछ समय बीत गया। परंतु बारिश थमने का नहीं ले रही थी। अब रात हो चुकी थी। घर का दरवाजा खुला हुआ था। वे घर के भीतर गये। भीतर काफी अँधेरा था। दरवाजा बंद होने की आवाज आई। जैसे किसी ने दरवाजा बंद कर दिया हो। बच्चों का हृदय जोर-जोर से धड़कने लगा। अंधेरे में साफ-साफ दिखाई नहीं दे रहा था।बच्चे घर में बंद हो चुके थे। कोई कातिल दौड़कर आकर बच्चों पर धारदार चाकू से वार करता चला जा रहा था। बच्चों की चीख गूंजने लगी। एक बच्चा दौड़ा। वह सीढ़ियों से होते हुए ऊपर की ओर जाने लगा। कातिल भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा। ऊपर के कमरे में एक कमजोर कांच की खड़की थी। बच्चे ने कांच की खिड़की पर जोरदार टक्कर मारी। कांच टूट गई और वह बच्चा नीचे धड़ाम से गिरा। वहाँ से एक पुलिस की जीप गुजर रही थी। पुलिस अधिकारियों ने आवाज सुनी। अधिकारी जीप से नकलें और बच्चे के पास दौड़े। कातिल खिड़की से बच्चे को घूर रहा था। अधिकारियों ने खिड़की की तरफ देखा। कातिल छिप गया। अधिकारियों ने एम्बुलेंस बुलाकर उस बच्चे को अस्पताल भेज दिया। अधिकारी लाईट लेकर भीतर गये‌। घर का फर्श खुन से लाल हो चुका था। फर्श पर बच्चों की लाशें पड़ी हुई थी। कातिल वहां से भागने लगा। पुलिस अधिकारियों ने उसपर गोलियां चलाई। परंतु वह वहां से भाग निकला। पुरें शहर में पुलिस अधिकारियों द्वारा छानबीन होने लगी। वह कातिल पास में मौजूद वन के काफी भीतर एक बहुत पुराने घर में जा छिपा। दो दिनों तक वह वहीं पर छिपा रहा। वह अधिकारियों के पकड़ से बच जाने का जीत मनाने लगा। वह उस पुराने घर के फर्श पर जोर जोर से नाचने और कूदने लगा। जिसके कारण घर की छत उस पर गिर गयी। सिर पर गहरी चोट लगी। खून बहने लगा। कुछ देर बाद भूख, प्यास और अधिक खून बहने के कारण, उसकी सांसें थम गई। कछ दिनों बाद उसकी लाश सड़ गयी और दुर्गंध फैलने लगी। चूहे लाश के शरीर से मांस को कुतरने लगे। मोटिवेशनल स्पीकर 
April 02, 2023
एक गरीब परिवार का लड़का जिसका नाम तनेष था। उसकी उम्र लगभग सोलह वर्ष के आस-पास थी। गरीबी के कारण तनेष को चोरी करने की आदत लग चुकी थी। एक दिन मौका पाकर तनेष एक आदमी के घर घुस गया। वह चोरी करने में सफल न हो सका और पकड़ा गया। जब पिता को यह बात पता चली तो वह बहुत क्रोधित हो उठे। तनेष के पिता वहाँ आकर तनेष को दो थप्पड़ लगाया। वह वहीं पर रोने लगा। उसके आँखों से आँसू टपकने लगे। सभी अपने-अपने घर चले गये। दूसरे दिन तनेष घर छोड़कर भाग गया। पूरे गाँव में यह खबर फैल गयी। तनेष की खोजबीन होने लगी। परंतु वह नहीं मिला। तनेष दूर किसी जिले में चला गया था। तनेष ने एक पेड़ पर आश्रय लिया और एक ढाबे पर काम करने लगा। काम करने पर मिलने वाले रूपयों से वह खाने-पीने की सामने खरीदकर खाता-पिता और कुछ रूपये बचाता। बचायें हुए रूपयों से कुछ किताबें खरीदता और पढ़ता रहता। उधर माता-पिता को तनेष नहीं मिलने पर घर पर उदास बैठे रहते। ऐसे ही दिन बीतते चले गये। पाँच साल बीत गए। तनेष अब छोटे-मोटे स्टेजों पर मोटिवेशनल स्पीकर का कार्य करने लगा। जिससे उसे कुछ रुपये मिल जाते थे। अब वह ढाबे पर कार्य करने नहीं जाता था। धीरे-धीरे वह प्रसिद्ध होता चला गया। एक दिन तनेष के माता-पिता सब्जी खरीदने के लिए बाजार आए हुए थे। एक जान-पहचान वाले आदमी ने आकर कहा- आपका बेटा स्टेज पर अभिनय कर रहा है। यह सुनकर माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान आ गयी। वे जल्दी-जल्दी स्टेज की ओर बढ़ने लगे। स्टेज के चारों ओर हजारों की संख्या में लोग जमा थे। पिता भी अपने बेटे का शों देखने लगे। आज बेटे को देखकर माता-पिता को गर्व हो रहा था। कुछ घण्टे बाद शो समाप्त हो गया। सभी लोग अपने-अपने घर जाने लगे। तनेष भी अपने कार की ओर बढ़ने लगा। पिता को कुछ कहने की हिम्मत न हुई। वे दोनों चुपचाप अपने घर की ओर पैदल चलने लगे। तनेष ने उनकी ओर देखा। तनेष ने अपने माता-पिता को पहचान लिया। तनेष पीछे से आकर अपने पिता के कंधे पर हाथ रखा। पिता ने पीछे मुड़कर देखा तो वह उनका पुत्र था। जो अब बाईस वर्ष का युवक हो चुका था। पुत्र ने अपने माता-पिता के पैर छुए और माता-पिता के आँखों से खुशी के आँसू झलक आए। पेनन्स 
April 07, 2023
एक व्यक्ति जिसका नाम रघुमन था। जब वह अठ्ठारह वर्ष का हो गया था तब वह अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर अपने माता पिता से अर्शीवाद लेकर तपस्या करने जंगल निकल पड़ा था। वह जंगल में रहकर तपस्या करता। उनके माता-पिता भी नही जानते थे कि उनका इकलौता बेटा कौन से जंगल में चला गया है। वह पेड़-पौधों के पत्तों को खाकर अपना पेट भरता। झील-झरनों के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाता। ऐसे ही दिन बीतते चले गये। कुछ साल बाद रघुमन के पिता की मृत्यु हो गयी। पिता का दाह-संस्कार करने के लिए गाँव वालों ने रघुमन की खोजबीन की। परंतु रघुमन न मिला। रघुमन की माँ ने उनका दाह-संस्कार किया। कुछ दिन बीत गए। रघुमन अपनी तपस्या में लिन था। उसे यह भी पता न था कि उसके पिता मृत्यु को प्राप्त हो गये है। उसकी माँ ने अपने घर को गिरवी रख दी। गिरवी रखने से जो रुपये आये। उनसे भोज का प्रबन्ध किया। गाँव भर के लोग भोज में आये। शाम हो गई। सभी लोग खाना खाकर घर चले गये। रघुमन की माँ खटियाँ पर लेटी हुई थी। वह अपने पति और बेटे को याद कर रही थी। ऐसे ही समय बीतता गया। अब घर का राशन समाप्त हो गया। रघुमन की माँ अब भूखे पेट सोने लगी। कुछ दिनों बाद रघुमन की माँ की साँसे थम गई। गाँव वालों ने उसकी मां का दाह संस्कार किया। बयालिस वर्ष बीत गए। बयालिस साल तक तपस्या करने बाद भी रघुमन को भगवान न मिलें। वह अब साठ वर्ष का हो चुका था। उसके बाल, दाढ़ी और मुँछ लम्बे और सफेद हो चुके थे। रघुमन अब बूढ़ा हो चुका था। वह अपने गाँव आया। परंतु लोग उसे पहचान न पाये। रघुमन अपने घर पहुँचा। घर पर ताला लगा हुआ‌ था। रघुमन ने एक व्यक्ति से पूछा- भाई यहाँ पर ताला क्यों लगा है? और यहां पर रहने वाले कहाँ गये? व्यक्ति ने सारी बात कह सुनाई। रघुमन को पता चला कि उसके माता-पिता अब इस दुनिया में नही रहे। उसे गहरा धक्का सा लगा। रमन वही पर बैठ गया और फूट-फूटकर रोने लगा। अब घर भी जमींदार का हो चुका था। रघुमन ने अपने आँसू पौंछे और एक बरगद के पेड़ कें नीचे बैठ गया। उसे अब पछतावा हो रहा था। वह मन-ही-मन सोच रहा था। मैं चाहता तो अपने माता-पिता की सेवा कर सकता था या अपने माता-पिता के साथ खुशी-खुशी रह सकता था। परंतु अब बहुत देर हो चुकी थी। रघुमन के पास अब काम करने की क्षमता भी न बची थी। अब वह रोजाना उसी पेड़ के नीचे बैठा रहता। कोई खाने को देता तो खा लेता या जब खाना न मिलता तो भूखे पेट ही रह जाता। सेपरेशन 
April 10, 2023
सिनेमा हॉल में बजरंगी भाईजान नामक फिल्म लगी थी। रशम वह फिल्म देख रहा था। फिल्म सामाप्त होने के बाद वह अपनी मोटर साईकिल से अपने घर जा रहा था। उस समय लगभग रात के आठ बज रहे थे। वह ट्रेन स्टेशन के सामने से गुजर रहा था। उसे किसी बच्ची की रोने की आवाज सुनाई दी। रशम मोटर साईकिल रोककर स्टेशन में गया। रशम ने देखा- एक बारह वर्ष की बच्ची माँ कहकर रोये जा रही थी। रशम ने कहा- तुम्हारा नाम क्या है? तुम कहाँ की हो? उस बच्ची ने कहा- मेरा नाम शरीफा है। मैं पाकिस्तान की हूँ। वह बच्ची कैसे अपनी माँ से बिछड़ गई। यह सारी बात उसने रशम को बताई। रशम उसे अपने घर ले गया। सुबई हुई। रशम उसे लेकर एक कार्यालय में ले गया। जहाँ पर पाकिस्तानी बीजा बनता है। भारतीय अधिकारिय ने रशम से कहा-सात दिनों तक पाकिस्तान जाने वाली सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है। इसलिए आप सात दिनों के बाद आइए। रशम वहाँ से शरीफा को लेकर चला गया। रशम बजरंगी भाईजान फिल्म से प्रेरित होकर बच्ची को दूसरे रास्ते से ले जाने के बारे में सोचने लगा। अगले दिन। रशम उस बच्ची को लेकर राजस्थान के पश्चिम में मौजूद पाकिस्तान बॉर्डर के पास पहुँचा। हर तरफ रेत फैली हुई थी। गर्म हवाएँ चल रही थी। रशम इधर-उधर सुरंग ढूँढ़ने लगा। परंतु उसे सुरंग न मिला। रशम अब बॉर्डर पर बिछे कटीले तारों को काटकर पाकिस्तान जाने की कोशिश करने लगा। तब तक वहाँ पर भारतीय सैनिक आ गए। रशम को पकड़ लिया गया। रशम से पूछताछ होने लगी। रशम ने सारी बात बताई। रशम के परिवार वाले कुछ देर बाद वहाँ पहुँचे। कुछ दिनों बाद रशम को छोड़ दिया गया। भारत सरकार ने उस छोटी बच्ची को पाकिस्तान सरकार को सौंप दिया। पाकिस्तान सरकार ने सही सलामत उस बच्ची को उसके माता-पिता तक पहुँचा दिया। द लिंक 
April 11, 2023
सरिया नामक अठ्ठारह वर्ष की एक लड़की जो कुछ दिन पहले अपनी बारहवीं की पढ़ाई पूरी की। सरिया अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। उसके माता-पिता उसे बहुत ही लाड़ प्यार करते। एक दिन सरिया अपने कमरे के पलंग पर लेटी हुई थी और फेसबुक चला रही थी। उसके फेसबुक पर सिलौन नामक लड़के का फरेंड रिक्वेस्ट आया। सरिया ने फरेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लिया। सिलौन ने सरिया को एक लिंक भेजा। सरिया ने लिंक पर क्लिक करके एक डेटिंग ऐप पर अपना एकाउंट खोल लिया और प्ले स्टोर से ऐप को इंस्टॉल कर लिया। कुछ दिनों तक उनकी बातें चलती रही।सिलौन ने सेक्स करने के लिए सरिया को डेट किया। सरिया मान गयी। दूसरे दिन सुबह का समय था। सरिया तैयार होकर अपनी मां से कहा- मां में अपने दोस्तों के साथ घूमने जा रही हूं, शाम को वापस लौट आऊँगी। यह कहकर सरिया एक किराये की गाड़ी में बैठकर सिलौन द्वारा दिये गये पते पर पहुंची। वह किराये के कमरे के भीतर गई। उसने देखा। सिलोन पलंग पर बैठा हुआ था। दोनों मिलकर सेक्स करने लगे। कुछ समय बाद शाम हो गई। उनका सेक्स कार्यक्रम समाप्त हुआ। दोनों अपने-अपने घर चले गए। दूसरे दिन सरिया सोकर उठी‌। उसके मोबाईल पर एक मैसेज आया। जिसमें लिखा था- आप मुझे जल्द-से-जल्द पाँच लाख रूपये दे दो। नहीं तो में सेक्स किया हुआ वीडियो वायरल कर दूँगा। तुम्हारे पास मात्र दो दिन समय है। सिलौन ही था जिसने यह मैसेज किया था। सिलौन ने छिपाकर रखे हुए कैमरे से वीडियो उतार ली थी। सरिया सदमे में आ गयी। उसे कुछ समझ नही आ रहा था कि अब क्या करें? सरिया एक माध्यम परिवार से थी। उसने आत्महत्या करने की सोची। उसने अपने आपको फंदे से लटका ली। वह छटपटाने लगी। तभी उसकी माँ वहाँ आकर उसके पैर पकड़ लिये। उस दिन रविवार होने की वजह उसके पिता भी घर पर थे। उसके पिता वहां आकर उसे नीचे उतारे। उसकी सांसें चल रही थी। सरिया को पलंग पर बैठाया गया। पानी पिलाने के बाद माँ ने कहा- बेटा तुम यह क्यों कर रही थी? सरिया ने सारी बात अपने माता पिता को बताई। माता-पिता ने सरिया का साथ दिया। उन्होंने पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखाई। सिलौन को पकड़कर जेल में डाल दिया गया। पुलिस अधिकारियों ने सिलौन की खूब पिटाई की और उससे वह वीडियो लेकर डिलीट कर दिया। द ऑल्ड मे‌न 
April 13, 2023
दोआतंकवादी ट्रेन की पटरी पर बम लगा रहे थे। कुछ दूरी पर एक चरवाहा भेड़ों को चरा रहा था। वह चरवाहा बूढ़ा व्यक्ति था। जिसकी उम्र लगभग साठ वर्ष के पार थी। आतंकवादीयों ने पटरी पर बम लगाकर पटरी को उड़ा दिया। जोरदार आवाज हुई। बूढ़ा व्यक्ति बोला- क्या हुआ? यह देखने आने लगे। वहाँ से आतंकवादी भागने लगे। अचानक मौसम में बदलाव हुआ। काले बादल घिरने लगे। एक बिजलाहट उन दोनों आतंकवादियों पर पड़ी और वे जमीन पर गिर पड़े। पटरी का काफ़ी हिस्सा टूट-फूट चुका था। उस बूढ़े व्यक्ति ने यह सब देखा। बूढ़े व्यक्ति ने बहुत दूर से ट्रेन की आवाज सुनी। जो लगभग काफी दूर थी। बूढ़े व्यक्ति के गले में एक लाल गमछा था। बूढ़ा व्यक्ति गमछा लेकर ट्रेन की पटरियों पर दौड़ने लगा। उसकी साँसे तेज हो रही थी। वह थक गया और रुक गया। वह हांफने लगा। वह फिर अपनी सारी शक्ति लगाकर दौड़ा। वह फिर रूका और फिर दौड़ा। ऐसा करते-करते वह ट्रेन के काफी समीप आ पहुँचा। उसने हाँफते हुए। लाल गमछे को झंडे की तरह लहरा दिया। ट्रेन चालक ने यह देखा। बूढ़ा व्यक्ति पटरी से थोड़ी दूरी पर खड़ा हो गया। ट्रेन चालक ने ईमरजेंसी ब्रेक लगायी। ट्रेन टूटी हुई पटरी से लगभग एक सौ मीटर की दूरी पर था। ट्रेन के पहिये घसीटते हुए चली जा रही थी। ट्रेन के पहियों के घिसाव के कारण पटरियों पर चिंगारीयां उठने लगी। ट्रेन टूटी हुई पटरी के थोड़ी दूरी पर आकर रुकी। सभी लोग नीचे उतरने लगे। ट्रेन चालक भी नीचे उतरे। ट्रेन चालक ने देखा। पटरी बुरी तरह टूटी हुई थी। ट्रेन चालक मन में बड़बड़ाते हुए कहा- आज यदि वह बूढ़ा व्यक्ति न होता तो भारी दुर्घटना हो सकती थी। कुछ देर बाद वहाँ पर पुलीस आई। वहाँ पर दो आदमी पड़े हुए थे। उनको अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने कहा- इन दोनों को पेरालायसेस हो चुका है। बूढ़े व्यक्ति की खोजबीन होने लगी। परंतु वह बूढ़ा व्यक्ति न मिला। शायद वह बूढ़ा व्यक्ति अपने अच्छे कार्य का श्रेय नहीं लेना चाहता था।
द क्रोप 
April 14, 2023
एक व्यक्ति जिसका नाम सरेश था। वह एक किसान था। उसकी शादी मुनी नामक एक लड़की से हुई थी। उनके दो बच्चे थे। सरेश रोज सुबह उठकर हाथ-मुँह धोकर, खाना-खाकर खेत में काम करने के लिए निकल पड़ता था। उनके घर की रोजी रोटी खेती पर निर्भर थी। शाम होते-होते सरेश घर लोट आता था। वह एक गरीब परिवार से था। जिसका मुख्य व्यवसाय खेती था। उसके पास न ट्रैक्टर थी और न ही गाय, बैल। सिर्फ उसके पास एक लकड़ी का हल था। जिससे वह खेत जोतता था। एक दिन सरेश सुबह उठकर खेत की ओर गया। खेत में देखा तो खेत पर फसल लहलहा रही थी। खेत में मौजूद धान पक चुके थे। खेत में मौजूद फसल को देखने पर लग रहा था कि सुनहरा रंग छाया हुआ है। किसान भागा-भागा अपने घर पहुँचा। उसने सारी बात अपने पत्नी को बताई। सरेश और मुनी फसल काटने वाले ओजार लेकर खेत पहुँचे। वे दोनों फसल काटने लगे। शाम हो गई। सब फसल कट चुका था। वे दोनों फसलों को बोरियों में भरकर घर ले गए। दूसरे दिन वे फसल को पछाड़ने लगे। कुछ घण्टों बाद फसल से धान अलग हो गया। उन्होंने किराये पर एक मशीन लिया। उन्होंने मशीन से धान से चावल निकाल लिए और मशीन को वापस कर दिया। उन्होंनें चावल को बोरियों में भर दिया। अगले दिन। किसान चावल की बोरियों को सरकारी अधिकारी को बेचने गया। सरकारी अधिकारी ने किसान से कहा में आपको सिर्फ पचास रुपये दे सकता हुं। सरेश जान गया कि यह मुझे ठगने की कोशिश कर रहा है। इतने सारे चावलों का मूल्य पचास रुपये से कहीं ज्यादा था। सरेश ने इसका विरोध किया तो अधिकारी ने सरेश को दो चमाट जड़ दिये। सरेश वही पर उदास खड़ा रहा।आँसू टपकाने लगा। एक व्यक्ति ने इस दृश्य को वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। धीरे- धीरे यह दृश्य पुरे देश में फैल गया। सभी किसान धीरे-धीरे आंदोलन करने लगे। देश के सभी किसान सरेश का समर्थन करने लगे। देश के सभी किसानों ने खेती करना छोड़ दिया और आंदोलन में भाग लिया। कुछ दिन बीत गए। सरकारी राशन भंडार धीरे-धीरे समाप्त होने लगा। देश की आर्थिक क्रिया खराब होने लगी। देश के खाद्य-पदार्थों की कीमत दिनों-दिनों बढ़ती चली गयी। जिसे खरीदने में लोग असमर्थ होने लगे। देश के प्रधानमंत्री ने सरेश से मिलने का फैसला किया। प्रधानमंत्री सरेश के पास आए। सरेश ने सारी बात प्रधानमंत्री को बताई। प्रधानमंत्री ने उस अधिकारी को यहाँ बुलाया और माफी मांगने के लिए कहा। अधिकारी ने रमेश से हाथ जोड़कर माफी मांगी। प्रधानमंत्री ने अपने अधिकारियों से कहा- इस दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारी को उसके पद से हटा दिया जाएँ। उसके बाद वहाँ पर तालियों की गूँज उठने लगी। प्रधानमंत्री अपनी गाड़ी में बैठकर वहाँ से चले गए। आंदोलन समाप्त हुआ। सरेश ने अपने चावल को सरकार को उचित दाम पर बेचा। समय बीतता गया। धीरे-धीरे सरकारी राशन भंडार भरने लगे। आर्थिक क्रिया सामान्य होने लगी और खाद्य-पदार्थों की कीमतें सामान्य होती चली गयी।
इलेक्ट्रिक रीत 
April 16, 2023
जब एक किन्नर बच्ची का जन्म हुआ तो‌ माता-पिता ने उसका नाम रीत रखा। तब सारे आस-पड़ोस के लोगों ने रीत के माता-पिता को समझाया कि इस बच्चे को किन्नरों को सौंप दो। परंतु उन्होंने उनकी बातों को टाल दिया और उस बच्चे को पालने का फैसला किया। धीरे-धीरे रीत बड़ी होने लगी। उसका दाखिला एक विद्यालय में कराया गया। वह अब छः वर्ष की हो गई थी। कक्षा में पढ़ाने वाले शिक्षक या शिक्षिका रीत को सबसे अलग सबसे आखिरी बेंच पर बिठाते। बच्चे उसका मजाक उड़ाते। कभी-कबार वह रो पड़ती और उसके आँखों से आँसू निकल आते। उसके साथ कोई छात्र या छात्रा बात नहीं करते, न खेलते और न उसके साथ रहते। आये दिन कभी-न-कभी आस-पड़ोस के लोग रीत के माता-पिता को खरी-खोटी सुनाया करते। जिससे वे दुःखी हो जाते। रीत घर आकर रोती हुई। अपने माता-पिता के गले लग जाती। तब उनके माता-पिता रीत का होंसला बढ़ाते। ऐसे ही दिन बीतता चला गया। रीत अब बारह वर्ष की हो गई। रीत अब अपना अधिकांश समय किताब पढ़ने में बिताती। उसे गणित और भौतिकी में विशेष रूची थी। अब किताब ही रीत के दोस्त बन चुके थे। कुछ साल बीत गए। उसने दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं की पढ़ाई पुरी की। वह अब इंजनियरिंग की पढ़ाई शुरू की? कुछ सालों बाद उसने ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पी.एचडी. की पढ़ाई पूरी की। उसे अब डॉक्टरेट मिल चुकी थी। वह अब डॉ. रीत बन चुकी थी। वह अब छब्बीस वर्ष की हो चुकी थी। वह अब अपना अधिकांश समय कुछ नया बनाने में लगाती। कुछ दिन बीत गए। रीत को इलेक्ट्रिकल रॉकेट बनाने का ख्याल आया। जिससे रॉकेट से प्रदूषण भी न फैले और पर्यावरण प्रदूषण मुक्त रहे। रीत ने रॉकेट का डिजाइन बनाने का तरीका और मॉडल तैयार कर लिया। वह देश के स्पेस अधिकारों के पास गयी। उसने उसके बारे में सारी बात बताई। अधिकारी मान गये। पाँच साल बाद इलेक्ट्रिकल रॉकेट बनकर तैयार हुआ। रॉकेट परीक्षण के दिन बहुत सारे देशवासी परीक्षण देखने आये। रॉकेट को लॉचं किया गया। रॉकेट कुछ दूर उड़ने के बाद वह नीचे गिर गया और ब्लास्ट हो गया। परीक्षण असफल हुआ। रीत को एक प्रकार का झटका सा लगा। अधिकारों ने रीत को खरी-खोटी सुनाकर वहाँ से निकाल दिया। अपनी बच्ची की असफलता के कारण रीत के पिता को एक सदमा सा लगा। उन्हें हृदय घात आया और वे बच न सके। रीत घर आयी तो देखा पिताज़ी अर्थी पर लेटे हुए थे और माँ फूट-फूटकर रो रही थी। रीत के आँखों से आँसू टपकने लगे। एक असफलता का दुःख और दूसरा पिता के मृत्यु का दुःख। दोनों दुःख रीत को साथ-साथ मिल गया। पिता के शरीर का दाह-संस्कार किया गया। रीत अब दुःखी और चिंतित रहने लगी थी। कुछ महीने बीत गए। अब उसकी माँ अपने आपको संभालकर रीत का हौशला बढ़ाती। ऐसे ही दिन बीतते चले गए। एक दिन अधिकारी सी.सी.टी.वी केमरा जाँच कर रहे थे। तभी उन्होनें देखा लालिमा नामक एक इंजीनियर इलेक्ट्रिक्ल रॉकेट से कई सारे मशीन निकाल रही थी। अधिकारों को पता चल गया कि रॉकेट का परीक्षण सफल क्यों नहीं हुआ। अधिकारी अपनी गलती पर पछताते हुए। रीत के पास गये। उन्होंने रीत से माफी मांगी और सारी बात बताई। अधिकारों ने रीत से कहा- कृपया आप फिर से इलेक्ट्रिल रॉकेट बनाए। रीत मान गयी। कुछ साल बाद रीत ने फिर से एक इलेक्ट्रिकल रॉकेट बनाया। परीक्षण देखने इस बार भी लोग आये। रॉकेट को लॉच किया गया। रॉकेट सफलता पूर्वक उड़ी। परीक्षण सफल हुआ। हर तरफ रीत का नाम होने लगा। सभी देशवासी अब रीत को इलेक्ट्रिक रीत कहकर पुकार रहे थे। जो लोग उनकी माँ को खरी-खटी सुनाते थे। आज वे लोग उनका सम्मान कर रहे थे।। इस सफलता की घड़ी में रीत के पिता रीत के साथ न थे। रीत ने आसमान की ओर देखकर मन-ही-मन कहा - मिसिंग यू डाड।

रिपेनटेंस 
April 17, 2023
एक लड़का जिसका नाम लालम था। वह एक गरीब परिवार से था। उसके पिता कोयला बेचते थे। उसकी माँ लालम से रोजाना कहा करती कि बेटा पढ़ाई करो, विद्यालय जाओ। परंतु लालम उनकी बातों को न मानता। वह कभी कबार ही विद्यालय जाता और घर में पढ़ाई भी नहीं करता। वह अपने दोस्तो के साथ खेलने और घूमने में मगन रहता। लालम के दोस्त माध्यम परिवार से थे। उनके पिता सरकारी दफ्तरों में कार्यरत थे। लालम के पिता कभी-कबार ही कोयला लाने और बेचने जाते थे और बाकि दिन नशे में धूत रहते। परीक्षा का समय आया। लालम ने परीक्षा दी। परंतु पढ़ाई ना करने की वजह से वह परीक्षा में फैल गया। ऐसे ही दिन और साल बीतते चले गये। लालम अब अठ्ठारह वर्ष का हो चुका था। लालम के पिता अब कोयला लाने और बेचने नहीं जाते। उसके पिता अब हमेशा नशे में धूत रहने लगे। लालम के दोस्त अब व्यापारी बन चुके थे। क्योंकि उनके दोस्तों के पास पर्याप्त रूपये थे। लालम अब रोजाना कोयले लाने और बेचने जाता। एक दिन लालम कोयला लाने के लिए साइकिल पर पाँच बोरि बाँधकर खाधान की ओर निकल पड़ा। गर्मी का मौसम था। कुछ देर बाद वह खाधान में पहुँचा। खाधान काफी पुराना था। वह साइकिल को खड़ा करके बोरियों में कोयला भरने लगा। कड़ी धूप चारों ओर फैली हुई थी। लालम के माथे से पसीना टपक रहा था। गर्म हवाएँ चल रही थी। रास्ते पर कुछ मोटर साईकिलें आती हुई दिखी। मोटर साईकिलों पर सवार लड़को ने लालम से कहा- कैसे हो लालम? लालम ने कहा- अच्छा हूँ। वे मोटर साइकिलें अपने रास्ते चली गयी। उन मोटर साइकिलों में लालम के दोस्त सवार थे। लालम मोटर साईकिलों को जाते हुए एकटक से देखता रहा। दोपहर का समय हो रहा था। लालम ने कोयलों को बोरियों में भरा और बोरियों को साईकिल पर लादकर वह मन-ही-मन सोचने लगा। काश! मैनें अपनी माँ की बात मान ली होती तो आज में कोयला नहीं ढोह रहा होता। आज उसे पछतावा हो रहा था। वह अपनी जिन्दगी को कोसता हुआ। साईकिल लेकर अपने घर की ओर बढ़ता चला।
गवर्नमेंट हॉस्टल 
April 18, 2023
सरकारी विद्यालयों में चलने वाले नवोदय की परीक्षा से पास होकर बहुत सारे बच्चें एक सरकारी होस्टल में आये हुए थे। एक बार मैदान में खेलते हुए सनन और गमन नामक दो लड़कों कि किसी बात पर लड़ाई हो जाती है। गमन थोड़ा ताकतवर था। इसलिए सनन ने गमन को लड़ाई मे पटक दिया। इस हाथापाई के बाद सनन के मन में गमन से बदला लेने की भावना उत्पन्न हो गई। दोनों की उम्र लगभग पंद्रह वर्ष के आसपास थी। कुछ दिन बीत गए। रविवार का दिन था। हर रविवार को होस्टल द्वारा बच्चों के मनोरंजन के लिए टी.वी. देखने दिया जाता था। उसी होस्टल में कई बडे़-बडे़ कमरे मौजूद थे। उन कमरों में बहुत सारे बैड रखे हुए थे। उन्हीं कमरों में से एक कमरा जिसे लोग भूतिया मानते थे। उसी कमरे में किसी कारणवश एक बच्चे की मौत हो गई थी। वह कमरा दो मंजिले पर स्थित था और वह कई सालों से बन्द था। परंतु आज किसी ने उस कमरें को खोल दिया था। रात का समय था। होस्टल के बच्चे टी.वी. देख रहे थे। घड़ी में लगभग दस के आसपास बज रहे थे। सनन ने सुबह के समय बाजार जाकर एक पंजा लाया था। उसका पंजा नुकीला और धारदार था। टी.वी. देख रहे एक सीनियर बच्चे ने गमन से कहा- तुम जरा सनन को बुलाकर लाओ। वह भी कुछ देर टी.वी. देख लेगा। जब सनन को पता चला कि गमन मुझे बुलाने आ रहा है तो वह उस दो मंजिलें पर स्थित कमरे में चला गया और चद्दर ओढ़कर बैठ गया। वह सनन के कमरे में गया, परंतु सनन ना मिला। उसने सोचा। शायद वह ऊपर वाले कमरे में गया होगा। गमन सीढियों से होते हुए दूसरे मंजिलें पर स्थित कमरे में पहुँचा। वह तीन बैडों को पार करके थोड़ा आगे गया। उसे एक कम्बल ओढ़े कोई दिखा। उसने कहा- अरे चलो टी.वी. देखने चलते है। कई बार पुकारने के उपरांत भी कोई जवाब ना मिला। तब गमन मुड़कर कमरे से बाहर जाने के लिए अपने कदम बढ़ाये ही थे कि कंबल ओढ़े सनन ने दौड़कर गमन को पीछे से दबोच लिया और पंजा उसके हाथ पर गढ़ा दिए। गमन उसे भूत समझकर जोर से धक्का देकर वहां से भाग निकला। उसके हाथों पर पंजों के निशान गढ़ चुके थे। जो नाखूनों के निशान की तरह दिख रहे थे। सनन ने सोचा। अब यहाँ पर बच्चे और शिक्षक जांच करने के लिए आ सकते हैं। इसलिए सनन भी वहाँ से भाग गया। गमन का हाथ पुरा लाल हो चुका था और उसके हाथ से खून निकलने लगा था। जब बच्चों और शिक्षकों ने यह देखा तो वे सब घबरा उठे। गमन के मुँह से डर के मारे आवाज भी नहीं निकल पा रही थी। सभी उस कमर में गये। परंतु वहाँ पर कोई न था। गमन और सब ने सोचा। यह किसी भूत का किया-धरा है। सुबह के समय माता-पिता आकर गमन को घर ले गए। भूत की आढ़ मे सनन बच चुका था। सनन छत पर खड़े होकर गमन को जाते हुए देखकर मन-ही-मन मुस्कुराये जा रहा था।‌ सेलो- समथिंग डिफरेंट 
April 21, 2023
सेलो, और द 120 डेज ऑफ सोडम में आपने देखा चार अमीर आदमी कई लड़कों और लड़कियों को एक हवेली में बन्दी बनाकर उनपर अत्याचार करते है और अंत में बेरहमी से उन सभी को मार डालते हैं। मारने के बाद गार्डस नाचने लगते है। बरामदे पर काफी मात्रा में खून के छींटे गिरे हुए थे और लड़के और लड़कियों की लाशें पड़ी हुई थी। लाशों के ऊपर एक भी कपड़ा न था। उन लाशों के कई अंग कटे हुए थे और जमीन पर बिखरे हुए थे। कुछ समय बाद अमीर आदमियों द्वारा कहे जाने पर डायनामाइट द्वारा उस हवेली को उड़ा दिया गया। जो डायनामाइट बचा, उन्होंने अपनी जीप में रख लिया। वे सभी अपने गाड़ियों में बैठकर शहर की ओर जाने लगे। गार्डस ने जीप में रखे हुए डायनामाइट को जलाकर दूर फेंकने की कोशिश कर ही रहा था। तभी एक जोरदार विस्फोट होता है‌ और उन गार्डस के चिथड़े उड़ जाते हैं। गाड़ियां रुक जाती है। कुछ देर शोक मनाने के बाद वे अमीर आदमी, उनकी पत्नियां और स्टुअर्टस आगे बढ़ने लगते हैं। ट्रक पर कई पेट्रोल की टंकियां थी और उस ट्रक पर स्टुअर्टस सवार थे। एक स्टुअर्ट ने अपनी सिगरेट सुलगाई और सिगरेट पीने लगा। उसी समय एक स्पीड ब्रेकर के ऊपर से ट्रक गुजरी। जिसके कारण जलती हुई सिगरेट पेट्रोल की टंकी पर जा गिरी। जिस टंकी पर जलती हुई सिगरेट गिरी।‌ वह खुली हुई थी। जिसके कारण भयंकर आग ने देखते-ही-देखते उन चार स्टुअर्ट को अपनी गिरफ्त में ले लिया। ट्रक रूक गई। वे दहकती आग में जलने लगे, तड़पने लगे, चीखने-चिल्लाने लगे। वे अमीर आदमी और उनकी पत्नियां इस दृश्य को देखने लगी। कुछ समय बाद वे शांत हो गए। ट्रक भी पूरी तरह जल गया। वे अपनी कार में बैठकर शहर की ओर जाने लगे। इन दृश्यों को देखने के बाद, मृत्यु के डर से उनके पसीने छूटने लगे। वे अपनी पत्नियों को वहीं पर छोड़कर, अपनी कार में बैठकर तेज गति से शहर की ओर बढ़ने लगते हैं। सड़क के कुछ दूरी पर रोड रोलर से सड़क को समतल किया जा रहा था। वह कार तेज गति के कारण बेकाबू होकर रोड रोलर से जा टकराई। इस टक्कर के कारण रोड रोलर का ड्राइवर घासों में जा गिरा। रोड रोलर द्वारा धीरे धीरे कार कुचलने लगी। साथ ही वे अमीर आदमी भी तड़पते हुए कुचले जाने लगें। कुछ समय बाद उन चार अमीर आदमियों की दर्दनाक मृत्यु हो गई। सड़क पर खून के छींटे और उनकी कुचली हुई लाशें पड़ी हुई थी। उनपर मक्खियां भीनभीना रही थी। उधर उनकी पत्नियां दूसरे के ट्रक को चोरी करके, ट्रक चलाने लगती है। परंतु ट्रक चला न पाने के कारण, ट्रक ब्रिज से नीचे गिरकर पलट जाती है। इस दुर्घटना के कारण उन्हें गहरी चोट आती है, परंतु उनकी जान बच जाती है।
डायिंग टू लीव 
April 23, 2023
मोतीलाल जी। उनकी तीन बेटियां थी। सुमु, आशा और बेली। तीनों पुत्रियों का विवाह हो चुका था। कई साल बीत जाने के बाद भी आशा जी की कोई संतान नहीं हुई। आशा जी अपने बड़ी बहन के बेटे और बेटियों को अपनी संतानों की तरह मानते और उनसे स्नेह करते थे। आशा जी के पति को एक गंभीर बीमारी हो गई थी। जिसके कारण वे अधिक साल तक बच न सके। अब वह अकेली हो गई थी। परंतु उन्होंने जीने की चाह नहीं छोड़ी और जीवन को अच्छें से जीने का‌ फैसला किया। वह अपनी बड़ी बहन के साथ रहने लगी। उनके पास पहले से एक गाय थी। उन्होंने एक-दों बकरियां खरीद ली। कुछ दिनों बाद वह चावल से मूरी (फूला हुआ चावल) बनाने लगी और बेचने लगी। मूरी बेचने से मिलने वाले रुपयों को इक्ट्ठा करने‌ लगी।‌ कई साल बाद जब पर्याप्त रुपये इक्ट्ठा हो जाते तो वह अन्य महिलाओं के साथ दूर दराजों में स्थित मंदिरों में घूमने और पूजा करने जाती। पहली यात्रा उन्होंने झारखंड से तमिलनाडू तक की यात्रा की। जहां पर कई भव्य मंदिर स्थित थे। दूसरी यात्रा उन्होंने झारखंड से उत्तर प्रदेश तक की यात्रा की। जहां पर काशी नामक मंदिर स्थित था। तीसरी यात्रा उन्होनें अपनी छोटी बहन और उनके बच्चों के साथ दिल्ली से जम्मू कश्मीर तक की यात्रा की। जहाँ पर वेष्णो देवी मंदिर स्थित था। चौथी यात्रा उन्होंने झारखंड से नेपाल तक की यात्रा की। वह आज भी कड़ी धूप में मेलों में जाकर खाद्य पदार्थ बेचती है। रूपयें इक्ट्ठा करती और नयें नयें मंदिरों और नयी नयी जगहों में घूमने का सपना देखती।
द रेट आइलैंड 
May 01, 2023
देश के लोग चूहों से होने वाले नुकसान से परेशान थे। उस देश के सरकार को एक समाधान सूझा। चूहों से छुटकारा पाने का। समाधान के तहत सरकार ने कहा- देश में मौजुद चूहों को एक आईलैंड पर छोड़ दिए जाएंगे। विदेशी भी इस आईलैंड पर भारी मात्रा में चूहों को छोड़ सकते है। सिर्फ उन्हें थोड़ा भुगतान‌ करना होगा। धीरे-धीरे उस आइलैंड पर चूहों को छोड़ा जाने लगा। कुछ महीने तो सब ठीक ठाक रहा। परंतु वक्त बीतने के साथ उस आईलैंड पर चूहों की संख्या लाख से भी ज्यादा हो गई‌ और उनकी संख्या और बढ़ती चली गयी। वह आइलैंड मात्र कुछ किलोमीटर में फैला हुआ था। सरकार ने उन्हें मानो मरने के लिए छोड़ दिया था। उस आईलैंड पर न चावल थे और न गेहूँ। वहां पर कुछ नारियल के पेड़ थे और दूर तक फैला हुआ रेत। खाने की कमी और काफी अधिक संख्या के कारण चूहें भुख से पागल से हो गए। लाखों की संख्या में मौजूद चुहों ने उस आईलैंड पर रहने वाले अन्य जीवों को कुतर डाला और कुछ चुहें तो अपने ही शरीर के कुछ हिस्सों को कुतर रहे थे। चूहों को छोड़ने वाली एक टीम वहां पहुंची। वहां का दृश्य देखकर वे काफी घबरा गये। लाखों की तादाद में चूहे उस टीम की ओर गुस्से से देख रही थी। लाखों चूहे उनपर हमला करने के लिए आगे बढ़ी। वे लोग भागने की कोशिश करने लगे। परंतु तबतक लाखों चूहों ने उनपर हमला कर दिया और कुतरना शुरू किया। वे जोर जोर से चिल्लाने लगे। कुछ देर बाद चिल्लाहट बंद हो गई। सरकार ने आईलैंड पर चूहों को छोड़ने पर पाबंदी लगा दी और सरकार को मजबुरन उस आईलैंड में जाने पर पुरी तरह से प्रतिबंध लगाना पड़ा। वह आइलैंड चूहा द्वीप के नाम से मशहुर हो गया। परंतु इस घटना के कुछ दिनों बाद उस आइलैंड पर भयंकर तुफान आया और अधिक संख्या में चूहें मारें गए। परंतु कुछ चूहें जो पागल नहीं हुए थे और अच्छे थे। जिन्होंने किसी तरह नारियल के पत्तों को खाकर अपना पेट भरा था। वे बहते हुए, किसी तरह किनारे पर पहुंच गए। जलस्तर बढ़ने के कारण वह आइलैंड समंदर में समा गया।
पेरिन
May 02, 2023
पेरिन‌ नामक लड़की जो कुछ सालों पहले कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने घर आई। उसके पिता विदेश में काम करते थे। इसलिए घर कम ही आते थे। उसकी मां की मृत्यु हो गई थी। पेरिन के भाई-बहन नहीं थे। इसलिए वह अपने बड़े से घर में अकेली रहती थी। उसे किसी भी चीज की कमी न थी। पिता हर महीने उसके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर देते थे। उसे अपने घर में अकेलापन महसूस होता था। कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने के बाद वह अब अधिकतर समय अश्लील वीडियोज देखने में व्यतीत करने लगी। धीरे-धीरे वक्त बीतता गया। वह अब खाना-पीना खाने के बाद सिर्फ अश्लील वीडियोज देखती रहती और हस्तमैथुन करती रहती। रोजाना अधिक घंटों तक अश्लील वीडियोज देखने से वह मानसिक रूप से बीमार हो गई। वह घर से बाहर निकलकर पब्लिक प्लेस में जाकर, अपने कपड़ों को उतारने लगी। लोग यह दृश्य देख रहे थे, वीडियो बना रहे थे। पेरिन‌ ने सारे कपड़े उतार दिए और लोगों के बीच हस्तमैथुन करने लगी। सारे लोग पेरिन को देखकर, जोर-जोर से हंस रहे थे। पुलिस अधिकारी वहां आए और पेरिन को अपने साथ ले गए। पुलिस थाने पहुंचने के बाद उन अधिकारियों ने उसे कपड़े पहनाने की जगह वायग्रा की गोली खाकर, उसके साथ संभोग करने लगे। कई घण्टों तक यह चलता रहा। एक एक करके सबने अपनी हवस बुझाई। पेरिन अभी भी नंगी थी। पागलखाने में कार्य करने वाले कर्मचारियों को बुलाया गया। पेरिन को उनके साथ भेज दिया गया। वे कर्मचारी पेरिन को देखकर अपना आपा खो बैठे और एक-एक करके उसके साथ संभोग करने लगे। कुछ देर बाद पागलखाने पहुंचे। पेरिन को अभी भी कपड़े नहीं पहनाये गए थे। कर्मचारी उसे पकड़कर इलेक्ट्रिक कमरे की ओर बढ़ने लगे। पेरिन को अपने योनि में काफी दर्द होने लगा। वह अब काफी हद तक होश में आ चुकी थी। वह चिल्लाए जा‌ रही थी। मुझे छोड़ो। परन्तु पेरिन के कई घण्टे पहले के व्यवहार के कारण, कर्मचारी उसे पागल ही समझ रहे थे। दुसरी तरफ उसका विडियो वायरल हो रहा था। पेरिन को इलेक्ट्रिक चेयर में बिठाया गया और उसे कसके बांध दिया गया। कर्मचारी ने जैसे ही इलेक्ट्रिक शॉक देने का बटन दबाया। पेरिन जोर से चीखी और अपने नींद से जाग गयी। उसका माथा पसीने से भर गया। वह इधर-उधर देखने लगी। वह अपने कमरे में थी और घड़ी में लगभग रात के तीन बज रहे थे। उसने पास में रखे पानी को पीया। उसे समझ आया कि यह मात्र एक डरावना सपना था। वह अपने मन में बड़-बड़ाती हुई, काला संभोग कहकर सो गई।द प्रांक 
May 03, 2023
एक यूट्यूबर जिसका नाम जनव था। वह अपने यूट्यूब चैनल पर शरारत वाली वीडियोज अपलोड करता रहता था। जिसके कारण लोगों को काफी समस्या होती थी। उसके द्वारा शरारत करने के कारण बहुत सारे लोग शरारत समझकर जरूरतमंद लोगों की मदद भी नहीं करते थे। उसे लोगों से‌ कई बार‌ गालियाँ भी‌ पड़ती। परंतु वह सुधरने का नाम न लेता। परंतु जनव अपने चैनल द्वारा कमाया हुआ रूपये का पचास प्रतिशत‌ अनाथ आश्रम के बच्चों के लिए दान कर देता था। जिसके कारण आश्रम के बच्चें उसे प्रणाम करते और दुआएं देते। एक बार रात के समय जनव शरारत वाली वीडियो बनाने की योजना बना रहा था। उस रात वहां पर एक छोटी ब्लब जल रही थी। दो आदमी बाईक पर सवार होकर आ रहे थे। सड़क के उस स्थान पर गतिरोधक मौजूद थीं। पीछे बैठे हुए आदमी के पास सुरक्षा के लिए एक पिस्टल मौजूद थी। वे धीरे से आ रहे थे। तभी जनव रात के अंधरे में डरावनी कॉस्टूम पहनकर उनके सामने प्रकट हो गया और उनके पास बढ़ने लगा। दोनों आदमी बेहद डर गये। वहां पर बाइक की लाईट और मात्र एक छोटी सी बल्ब जल रही थी। बाईक के पीछे बैठा हुआ आदमी इतना डर गया था कि उसने अपने पिस्टल से उस पर लगातार तीन गोलियाँ दाग दी। यह सब देखकर कैमरामैन वहाँ से दुम-दबाके भाग निकला। जनव नीचे गिर पड़ा। वे आदमी बाईक पर सवार होकर तेज गति से वहां से भाग निकले। आखरी समय में जनव अपने माता-पिता को याद करने लगा। याद करते हुए अनायास ही उसके आँखों से आँसू झलक आये। वह वहीं पर पड़ा हुआ अपनी चंद साँसे गिन रहा था। तभी वहां पर एक पुलिस अधिकारियों की जीप गुजर रही थी। पुलिस अधिकारियों ने उसे देखा। अधिकारियों ने देरी ना करते हुए जनव को अस्पताल में भर्ती कराया। कुछ समय बाद उसके माता-पिता अस्पताल पहुँचे। मां अपने बेटे के लिए निरंतर रोये जा रही थी। सुबह हुई। डॉक्टर ने कहा- वह अब ठीक है। आप यह दवाईयां ले आइए। जनव के पिता दवाईयाँ लेने चले गये। जनव की माँ ने सोचा। में कुछ खाने की‌ चीजें लेकर आती हूँ। यह सोचकर माँ खाने की चीजें लेने बाजार चली गई। धूप हर-तरफ छायी हुई थी। मां खाना लेकर आ रही थी। तभी अधिक उदासी, चिंता, थकान और अनिद्रा के कारण उन्हें हृदयघात हुआ। वे अपने हाथ से छाती को पकड़कर नीचे गिर पड़ी। शहर में शरारत इतना ज्यादा हो रहा था कि सब लोगों ने सोचा। वह भी अपने बेटे की तरह शरारत कर रही है और किसी ने भी उनकी मदद नहीं की। आधे घण्टे बाद पिता अपनी पत्नी को खोजते-खोजते वहां पहुंचे। पिता ने उन्हें उठाकर एक गाड़ी की सहायता से अस्पताल ले गए। कुछ समय डॉक्टरों के जाँच करने के बाद डॉक्टर ने कहा- सी ईज नो मोर। डॉक्टर ने सॉरी कहते हुए कहा- आप कुछ देर पहले इसे ले आते तो वह बच सकती थी। अपनी माँ की मृत्यु की खबर पाकर बैड पर लेटे हुए जनव की आँखों से आंसू आने लगे। कुछ महीनें बाद जनव पूरी तरह स्वस्थ हो गया। कुछ दिनों बाद जब जनव को पता चला कि उसके घटिया शरारत की वजह से उसकी मां की जान गई है तो वह अपना सिर पकड़कर फूट-फूटकर रोने लगा। उसके बाद जनव शरारत वाली वीडियोज बनाना छोड़कर कॉमेडी वाली वीडियोज बनाना शुरु कर दिया। कुछ सालों बाद कॉमेडी की वजह से उसे खूब प्रसिद्धी मिली। कभी कबार जनव अपनी मां को याद करता हुआ गम में डूब जाता। परंतु वह आज खुद गम मे डूबकर करोड़ों लोगों को हँसा रहा था। मेडनेस 
May 04, 2023
सेगवी और रेमक दोनों बचपन के दोस्त और पड़ोसी भी थे। सेगवी अच्छे से पढ़ाई नहीं करती थी और रेमक पढ़ाई में काफी तेज था। जिसके कारण वह अपने विद्यालय का सबसे होनहार और पढ़ाकू लड़का था। जब सेगवी बोर्ड परीक्षा में कई बार असफल रही। जिसके बाद वह रेमक से काफी चिढ़ने लगी। कुछ सालों बाद भी सेगवी आठवीं में ही रह गई और रेमक ने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर ली। कुछ दिनों बाद सेगवी पढ़ाई से तंग आकर वह कुछ सोचने लगी। काफी सोचने के बाद सेगवी के दिमाग में एक खुरापाती तरकीब ने जन्म लिया। जो बहुत बड़ा पागलपन सिद्ध होने वाला था। दुसरे दिन सेगवी काले कपड़े पहनकर, अपने चेहरें को काले कपड़े से ढककर और एक असली पिस्टल अलमारी से निकालकर अपने तरकीब को पुरा करने निकल पड़ी। वह पिस्टल उसके पिताजी का‌ था जो एक पुलिस अधिकारी थे। शाम का समय हो रहा था रेमक अपनी साईकिल पर सवार होकर घर लौट रहा था तभी रेमक को रोक्कर सेगवी ने उसपर पिस्टल तान दी। पिस्टल देखकर रेमक का हृदय जोर-जोर से धड़क रहा था सेगवी ने कहा- तुम मुझसे सेक्स करोगे? नहीं तो में गोली चला दुंगी। सेगवी ने पिस्टल की नोक पर उससे सेक्स किया और कुछ समय बाद वह वहां से ऐसे चली गयी मानो कुछ हुआ ही न हो। रेमक घर तो लौटा परंतु उसने शर्म के मारे अपने परिवार वालों को कुछ नहीं बताया कुछ महीनें बाद सेगवी ने फिर से बिना पढ़ाई किये परीक्षा दी परन्तु इस बार भी वह असफल रही। सेगवी ने सोचा था एक बहुत तेज दिमाग और सफल व्यक्ति से सेक्स करूंगी तो मै भी तेज दिमाग वाली और सफल लड़की बन जाऊँगी। सेगवी अब समझ गयी थी कि ज्ञान प्राप्त किये बिना ज्ञानी नहीं बना जा सकता उसका दिमाग तेज तो नहीं हुआ परंतु कंडोम का उपयोग किये बिना सेकस करने के कारण वह गर्भवती जरूर हो गई। जब उसके घरवालों को पता चला तो सेगवी को खूब डाट पड़ी परंतु सेगवी ने अपने द्वारा किए खुरापाती काम को किसी को नहीं बताया। नो महीनें बीत जाने के बद सेगवी ने बच्चे को जन्म दिया। जन्म के कुछ सप्ताह बाद ही उसके घरवालों ने उस बच्चे को ऐसे माता-पिता को सौंप दिया। जिसकी कोई संतान न थी। उसके कुछ दिनों बाद ही जल्दी बाजी में सेगवी की शादी करा दी। सेगवी को अपने गलती पर पछतावा हो चुका था। वह अपने बच्चे के बारे में सचती रहती और सोचते-सोचते कई बार उसकी आँखे नम हो जाती। दुसरी तरफ रेमक ने भी एक पढ़ाकू लड़की से शादी कर ली। रेमक आज भी रात को सोते समय यही सोचता रहता है कि वह लड़की कौन थी और उसने यह क्यों किया? 
भेलोरा 
May 07, 2023
पुराने समय पहले भेलोरा नामक स्थान पर एक महल हुआ करता था। जो पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ था। महल की राजकुमारी बहुत रूपवान थी। महल में बहुत सारे नौकर नौकरानीयाँ काम करती थीं। एक नौकर जिसका नाम गैरोल था। वह अक्सर राजकुमारी को आते-जाते समय घुरा करता था। राजकुमारी भी गैरोल को अक्सर देखा करती थी। दोनों की उम्र अठ्ठारह वर्ष से अधिक थी। धीरे- धीरे वक्त बीतता गया और उनमें लगाव बढ़ने लगा। रात का समय था। राजकुमारी महल के बाहर बैठी हुई, गैरोल का इंतजार कर रही थी। तभी उसके काका सा आकर जबरदस्ती राजकुमारी की इज्जत लूटने की कोशिश करने लगा। कुछ समय बाद वहां गैरोल पहुंचा। यह दृश्य देखकर गैरोल आग-बबूला हो उठा। काका सा और गैरोल के बीच खूब हाथापाई हुई। जिसके कारण दीनों जखमी हो गए। वहां पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने गैरोल को पकड़कर वहां से ले गई और राजकुमारी ने कुछ न कहा। परिवार के कहने पर राजकुमारी ने न्यायालय मैं झूठी गवाही दी। जिसके कारण गैरोल को दस साल की सजा सुनाई गई। कुछ दिनों बाद राजकुमारी गैरोल से मिलने गई। गैरोल ने कहा- तुमने ऐसा क्यों किया? राजकुमारी ने कहा- अपने खानदान की शान और इज्जत के लिए। मुझे माफ कर देना। उसके बाद राजकुमारी वहां से चली गयी। यह सुनने के बाद गैरोल की आँखों में क्रोध की चिंगारी सुलगने लगी। उधर राजकुमारी को एक प्रकार की जटिल बीमारी हो गई। जिसके कारण वह दस साल तक उस बीमारी से ग्रसित रही। दस साल पुर्ण हो जाने के बाद गैरोल जेल से छूट गया। इतने वर्ष बीत जाने के बाद कई डॉक्टरों से इलाज कराने के बाद राजकुमारी भी स्वस्थ हो गई। कुछ दिनों बाद राजकुमारी की शादी लग गई। हर तरफ रोशनी से भेलोरा जगमगा रहा था। हर तरफ खुशियाँ मनाई जा रही थी। तभी एक खबर आती है कि राजकुमारी से शादी होने वाले दुल्हे को किसी ने पैर पर रस्सी बांधकर पेड़ से लटका दिया है और उसका गुप्तांग काट दिया है। कटे हुए गुप्तांग से खून टपक रहा था। उस दुल्हे को अस्पताल में भर्ती कराया गया। जिसके बाद उसकी जान बच गई। परंतु शादी का माहौल अब शोक के माहौल में बदल गया। धीरे-धीरे वक्त बीतता गया। इसी तरह राजकुमारी से शादी लगने वाले कई दुल्हों की उसी तरह हालत हुई। अब कोई भी राजकुमारी से शादी नहीं करना चाह रहा था। एक दिन राजकुमारी को एक पत्र आया। पत्र में लिखा था- तुम्हारी शादी अधुरी रहेगी, तुम्हारा गैरोल। यह पढ़कर राजकुमारी को एक झटका सा लगा। पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट लिखाई गई। गैरोल की खोज शुरू हई। अब राजकुमारी उदास और गुमसुम सी बैठी रहती। एक दिन इन सब से तंग आकर राजकुमारी ने एक गलत कदम उठाने का फैसला किया। वह एक सुनसान ब्रिज पर पहुँची। एक दुल्हन की तरह सज-धजकर। वह ब्रिज के नीचे बहते हुए नदी के पानी को कुछ देर तक देखती रही और नदी में कूद गयी। जब गैरोल को यह बात पता चली तो वह घोर पश्चाताप में डूब गया। कुछ समय बाद वह भी उस ब्रिज के पास पहुंचा। उसके आँखों से आँसू झलक रहे थे। हल्की-हल्की ठंडी‌ हवाएँ चल रही थी। कुछ मीनट बाद गैरोल भी उस नदी में कूद गया। कुछ देर तक चिल्लाहट के बाद सब शांत हो गया। अब शाम होने चली थी और वे दोनों नदी के तेज बहाव में बहते चले जा रहे थे। हॉप टू रीच हॉम
May 25, 2023
एक वाहन में सवार होकर एक ड्राईवर एक बारह या तेरह वर्ष का लड़का और लड़के का बड़ा भाई और बड़े भाई का एक दोस्त। जिसका यह वाहन था। वे उस वाहन पर सवार होकर एक शादी में दावत खाने जा रहे थे। रात का समय था। कुछ घण्टों बाद वे शादी में पहुँच गए। वे सब दावत खाने के बाद शादी में कुछ देर टहलते रहे। उसके बाद वे वाहन पर सवार होकर घर की ओर जाने लगे। कुछ दूरी तय करने के बाद वाहन रूक गई। शायद वाहन में कुछ खराबी आ गई थी। कुछ देर बाद सुबह होने वाली थी। अभी रात के साढ़े चार बज रहे थे। सब वाहन से नीचे उतरे। ड्राईवर ने वाहन को कुछ देर तक देखा और वाहन को ठीक करने की कोशिश करने लगा। परंतु वह वाहन को ठीक न कर सका और मैकेनिक को ढूँढने लगा। कुछ देर बाद सुबह हो गई। ड्राईवर उस वाहन के पास आया और कहा- मुझे मैकेनिक न मिला। वे सब इधर-उधर देखने लगे। वे एक गाँव में थे जहाँ पर सन्नाट पसरा हुआ था। गाँव में कई सारे झोपड़ी बने हुए थे। परंतु उनके अलावा उस गाँव में कोई ओर मनुष्य न था। एक झोपड़ी के पास एक खाॅंट पड़ी हुई थी। उन्होंने खाँट को उठाया और उस खाँट पर वह लड़का और उसके भाई का दोस्त बैठ गया। वाहन पर शराब और एक बड़े डिब्बे में पेट्रोल रखा हुआ था। लड़के के बड़े भाई ने छुपकर बोतलों में मौजूद शराब को एक के बाद एक गटकने लगा। ड्राईवर ने देखा तो उसने भी कुछ शराब पी ली। लड़के का बड़ा भाई नशे में धूत होकर कपड़ों को उतारने लगा और जाँघिया पहना हुआ झोपड़ी के दीवार के सामने जाकर लेट गया। ड्राईवर भी वहीं पर जाकर सो गया। मानों उन्हें घर जाने की कुछ फिक्र ही न हो। गर्मी के मौसम के कारण धूप काफी तेज थी। चारों तरफ धूप फैली हुई और गर्म हवाएँ चल रही थी। वाहन के मालिक यानि लड़के के बड़े भाई के दोस्त को बड़ा क्रोध आ रहा था। क्रोध को वे नियंत्रित न कर सकें और क्रोधावश वाहन पर मौजूद पेट्रोल को निकालकर उनपर आग लगा दी। लड़का यह देखकर घबरा उठा और वह वहां से भागा। वह भागता रहा जब तक वह वहाँ से दूर न निकल गया। उधर आग लगने की वजह से उन दोनों ने तड़प-तड़पकर अपना दम तोड़ दिया। वाहन का मालिक खटियाँ पर जैसे ही बैठने लगा कि एक जहरीले सांप ने उसे डस लिया। वाहन का मालिक यहाँ से भागने की कोशिश करने लगा। परंतु उसका पैर एक पत्थर से जा टकराया। अपने आप को संभालने की कोशिश में उसने झूल रही एक नंगी तार को पकड़ लिया। जिसके बाद हाई वोल्ट करंट की वजह से कुछ ही समय बाद उसके प्राण सूख गये। वह लड़का रुकता और फिर भागता, फिर रुकता फिर भागता। ऐसा करते-करते वह एक शहर में जा पहुंचा। साँसे तेज चल रही थी। वह थक चुका था और घर का रास्ता भी भूल चुका था। वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और इधर-उधर डरा-सहमा सा देखने लगा। काफी समय बीत गया। उस लड़के ने पेड़ पर चढ़कर रात बिताई। सुबह हुई। चिड़ियों और वाहनों की आवाजें आने लगी। वह नींद से उठा। उसे तेज भूख लगी थी। पर उसके पास न खाना था और न ही धन। उसने पेड़ के पत्तों को तोड़कर जितना खा सकता था खा गया। उसे घर की याद आई तो अनायास ही उसके ऑंखों में आँसू झलक आये। वह पेड़ से उतरकर दौड़ने लगा। उसे पता न था कि वह किधर जा रहा है। बस घर पहुंचने की आस थी कि वह एक न एक दिन अपने घर पहुँच जाएँगा।
सिया अलाइव 
July 15, 2023
आपने सिया मुवी में देखा कि सिया नामक गाँव की लड़की को नौकरी देने के बहाने एम.एल.ए उसके साथ संबंध बना लेता है। कुछ दिनों बाद एम.एल.ए का बेटा और उसके कुछ दोस्त मिलकर सिया को सड़क से उठाकर एक वीरान घर में कई दिनों तक सिया का ब्लात्कार करते है और पुलिस उन लड़को को सबूत के साथ गिरफ्तार कर लेती है। एम.एल.ए के बेटे और उसके दोस्तों को बैल पर छोड़ दिया जाता है और सिया इंसाफ पाने के लिए अपने एक दोस्त से मदद लेती है। जो एक वकील थे। जब एम.एल.ए को यह पता चलता है तब एम.एल.ए के आदमी सिया के पिता को बाहर निकालकर इतना मारते-पीटते और अधमरा करके छोड़ देते हैं। कुछ दिनों बाद सिया के चाचा को भी पुलिस अधिकारी उठाकर ले जाते हैं। कुछ दिनों पहले यह कैस सी.बी.आई को सौंप दिया गया था। इसलिए एम.एल.ए घबरा गया था। इतना तकलीफ सहने के बाद सिया के पिता बच न सकें। मर्डर की सजा पाने के डर से एम.एल.ए द्वारा कहे जाने से सिया के पिता को रात में ही जला दिया जाता है। उसके बाद सिया, उसकी माॅं, उसकी चाची और वकील एक टैक्सी में न्यायलय की ओर जा रहे थे। तभी एक ट्रक उन्हें टक्कर मार देती है। जिसके बाद सिया घायल हो जाती और बाकि सब मारे जाते है। उधर सिया हॉस्पिटल के बैड पर पड़ी रहती है। कुछ दिनों बाद सिया को होश आता है। कमरे के बाहर उसका छोटा भाई और सी.बी. आई अधिकारी सब राह देख रहे थे। उन अधिकारियों के सवाल जवाब के बाद सिया आराम करने लगती है। कुछ घण्टे बाद रात हो जाती है। सिया कमरे के बाहर झांकती है तो देखती है कि सी.बी.आई अधिकारी सब वहाँ से जा चुके थे। सिया अपने छोटे भाई को लेकर वहां से निकल जाती है। कई घंटों तक पैदल चलने के बाद वे वहां से काफी दूर आ चुके थे। उन्हें एक अनाथ आश्रम दिखा। वे उस अनाथ आश्रम के पास एक पेड़ के नीचे बैठ गये। सुबह जब अनाथ आश्रम खुली तो सिया ने अपने छोटे भाई को अनाथ आश्रम में रख दिया और वह वहां से चली गयी। कई घण्टों तक पैदल चलने के बाद वह उस गाँव से कई किलोमीटर दूर निकल गई। सिया के भाग जाने से इस केस को बंद कर दिया गया। सिया एक छोटे जंगल में चली गयी। वह एक पेड़ के ऊपर रहने लगी। दिन-प्रतिदिन सिया का क्रोध तीव्र होता जाता था। भूख लगने पर वह पेड़ के पत्तों को चबा जाती थी। उसने कहीं से सुना था डायनामाईट के बारे में। उसके मन में एक खतरनाक तरकीब ने जन्म लिया। वह दिन में सोती और रात के समय गाँव-गाँव में जाकर मछुआरों के यहाँ से डायनामाईट चुराने लगी। कई बार कारखानों से भी डायनामाईट चुराने लगी। जब डायनामाईट दस किलो से ज्यादा जमा हो जाते तो सिया उन डायनामाईटों को ले जाकर एम.एल.ए के घर के दीवारों के नीचे फीट कर देती और उसे मिट्टी से ढक देती। ऐसा करते-करते उसका शरीर थकान के मारे दर्द करने लगता। ऐसा करते-करते लगभग छः महीने बीत गए और वह दिन आया। जब सौ किलो से भी ज्यादा डायनामाईट फिट हो गए। सिया डायनामाईटों को कंट्रोल बॉक्स से जोड़कर। उसे सक्रिय करने की कोशिश करने लगी। हर डायनामाईट विद्युत तार के द्वारा जुड़े हुए थे। अँधेरी रात थी। उस घर में एम.एल.ए, उसके आदमी, उनका बेटा, उनके बेटे के दोस्त, घर की औरतें और छोटे बच्चें भी उपस्थित थे। सिया रात भर प्रयास करती रही। परंतु डायनामाईट सक्रिय नहीं हुआ। सुबह हुई। कुछ पुलिस अधिकारी वहां से गुजर रहे थे तो सिया को उन्होनें देखा। अधिकारी सिया को वहां से लेकर जाने लगी और तेज आवाज में कहा - आपलोग यहां पर किसी भी चीज को छूएगा नहीं। परंतु उस दिन सब गहरी नींद में थे। इसलिए किसी ने अच्छे से सुना नहीं। अधिकारी सिया को लेकर वहां से चली गई और सर्च टीम को काॅल कर दिया गया। कुछ समय बाद औरतें और बच्चें तैयार होकर मंदिर में पूजा करने निकल गये। घर का एक आदमी पेशाब करने के‌ लिए घर के पीछे तरफ बढ़ने लगा। वह अभी कुछ कुछ नींद में ही था । घर के बाकि सदस्य अभी भी गहरे नींद में थे। आसमान में काले बादल छाए हुए थे और हल्की हल्की गरज भी हो रही थी। घर के पीछे तरफ पैदल जाते हुए उसका पैर उस कंट्रोल बॉक्स से जा टकराया और डायनामाईट सक्रिय करने वाला बटन दब गया। जिससे डायनामाईट सक्रिय हो गए और एक धमाका हुआ। जिससे कुछ ही देर में घर ध्वस्त हो गया। घर के मलवे से दबकर उस व्यक्ति की भी मौत हो गई जिसका पैर उस बॉक्स से टकराया था। विस्फोट और ध्वस्त हुए घर के मलवे के कारण घर मैं मौजूद सभी लोग मारे गए। कुछ देर पहले सिया मन-ही-मन भगवान को बुरा भला कह रही थी। परंतु जब उसे घर के ध्वस्त होने और अपराधियों की मृत्यु होने की खबर मिली तो वह प्रसन्नचित हो उठी। उधर एम.एल.ए की पत्नी को घोर पछतावा हो रहा था। क्योंकि वह अपने बेटे और पति के बुरें कार्यों को जानने के बाद भी चुप रही। न्यायलय में सिया को पेश किया गया। एम.एल.ए की पत्नी ने न्यायलय में आकर सारी सच्चाई बता दी। जिसके बाद एम.एल.ए, उसके आदमियों, उनका बेटा और उसके दोस्तों को अपराधी करार दे दिया गया। सिया द्वारा डायनामाईट चोरी करने, डायनामाईट द्वारा घर ध्वस्त करने की कोशिश करने, किसी की जान नहीं लेने के कारण न्यायलय द्वारा सिया को कुछ साल की सजा सुनाई। सजा पूरी होने के बाद सिया को छोड़ दिया गया। सिया कई घण्टों पैदल चलकर आश्रम पहुँची। छोटे भाई ने बड़ी बहन को देखकर वह उसके गले लिपट गया और जोर-जोर से रोने लगा। शाम होने चली थी। कुछ देर बाद सूरज ढलने वाला था। सिया अपने छोटे भाई का हाथ पकड़कर अपने गाँव की ओर जाने लगी। द अननॉन विलेज 
November 19, 2023
सुनिदा जो कुछ दिनों पहले नयी शिक्षिका बनी। उसके खुशी का ठिकाना न था। वह बेहद खुश थी। परंतु वह जिस विद्यालय में नियुक्त हुई। वह शहर से काफी दूर था। दूसरे दिन। वह अपने पिता का आशीर्वाद लेकर निकल ही रही थी कि उसके पिता ने कहा - बेटी कुछ छुट्टे रूपये ले जाओं। तुम्हारे काम आएंगे। सुनिदा ने कहा - पिताजी बाहर किसी से छुट्टे रूपये ले लुंगी। उसके बाद वह घर से बाहर निकल गई। वह बस स्टॉप की ओर बढ़ने लगी। कुछ देर बाद वह बस स्टॉप के पास पहुंची। उसने बस पकड़ी और विद्यालय की ओर चल पड़ी। उस विद्यालय के पहले एक अनजान गांव पड़ता हैं। जब सुनिदा ने विद्यालय का नाम स्मार्टफोन के नक्शे पर सर्च किया तो वह आ गया। परंतु विद्यालय से थोड़ी दूर पर स्थित उस अनजान गांव के बारे में नक्शे पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं थी या शायद किसी ने जानकारी नहीं छोड़ी थी। यह देखकर उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ। कुछ घण्टे बाद वह बस उस गांव से गुजरने लगीं। सुनिदा ने खिड़की से बाहर झांककर देखा तो उसे थोड़ी घबराहट हुई। उस गांव में कोई दुकान न थी। बाहर बैठे लोग सुनिदा को ही देखें जा रहे थे। जैसै- उन लोगों की नजरें सिर्फ़ सुनिदा पर ही टिकी हुई हो। सुनिदा ने बस की खिड़की बंद कर दी और स्मार्टफोन पर कुछ गाने सुनने लगी। कुछ समय बाद वह बस विद्यालय के पास पहुंची। सुनिदा बस से उतरकर विद्यालय की ओर जाने लगी। विद्यालय के एक बच्चे ने सुनिदा का स्मार्टफोन लेकर दौड़ने लगा। सुनिदा भी उसके पीछे पीछे भागने लगी। इस भागा दोड़ी में उसका स्मार्टफोन टूट गया। दूसरे शिक्षक और शिक्षिकाएं भी वहां गए। सुनिदा को बुरा तो लगा। परंतु फिर भी उसने उस बच्चे को माफ कर दिया। सुनिदा अपना नियुक्ति पत्र उन्हें दिखाती है‌ और अपना परिचय देती है। उसके बाद वह कक्षा में जाकर पढ़ाने लगती है। लंच ब्रेक के समय सुनिदा जब खाना खा रही थी। वह लड़का सुनिदा के के पास वाले बेंच में बैठकर उसने कहा - मेम आइ एम सॉरी। उसके बाद उस लड़के ने कहा - मेम आप रात होने से पहले यहां से चली जाना और यदि कभी रात के समय यहां रुकना पड़े तो किसी भी हालत में रात के समय अपना दरवाजा मत खोलना। सुनिदा ने कहा - क्यों। लड़का अब बोलने ही वाला था कि तबतक घंटी बज गई। वह लड़का अपने कक्षा में चला गया। सुनिदा ने सोचा। वह ऐसे ही मजाक कर रहा होगा। उन्होंने उस लड़के की बातों पर अधिक ध्यान नहीं दिया। दोपहर को विद्यालय की छुट्टी हुई। सुनिदा बस का इंतजार करने लगी। एक शिक्षक ने सुनिदा से कहा - क्या मैं आपको कहीं छोड़ दुं। सुनिदा ने कहा - अभी बस आने वाली है, में बस से चली जाउंगी। बाकि शिक्षक एवं शिक्षिकाएं अपने अपने वाहन से घर की ओर चल पड़े। परंतु सुनिदा को क्या पता कि आज बस पहले ही जा चुकी थी। बस शाम को वापस लौटती थी। परंतु किसी काम के कारण बस आज पहले ही चली गई थी। विद्यालय के आस पास कोई घर न था। शाम हो गई। परंतु बस नहीं। उन लोगों को देखने के बाद सुनिदा की हिम्मत नहीं हो रही थी कि उस अनजान गांव में जाने की। धीरे धीरे शाम ढलने लगी थी। सुनिदा ने आज विद्यालय में ही रूकने का फैसला किया। उसने हिम्मत करके एक पत्थर से कक्षा का ताला तोड़ा और अंदर चली गई। भीतर से दरवाजे और खिड़कियों को अच्छे से बंद कर दिया। रात हो चुकी थी। कीट पतंगों और सियारों की आवाजें आने लगी थी। सुनिदा एक बेंच पर लेट गई। कुछ समय बाद दरवाजे पर खटखट होती है। खटखट की आवाजें सुनकर सुनिदा उठ जाती है और बेंच पर बैठ जाती है। पहली बार में वह दरवाजा नहीं खोलती है, दूसरी बार भी वह दरवाजा नहीं खोलती है। परंतु तीसरी बार किसी के खटखटाने की आवाज आती है तो वह सोचती है। शायद कोई किसी समस्या में हो। यह सोचकर उसने दरवाजा खोल दिया। बाहर देखकर वह चोंक गई। बाहर पचास के लगभग लोग खड़े थे और वे बस सुनिदा को देखे जा रहे थे। सुनिदा ने दरवाजा बंद करने की कोशिश की परंतु तबतक एक आदमी ने उसे पकड़ लिया। दूसरे आदमी ने उसके मुंह को कपड़े से टाईट से बांध दिया। वे लोग सुनिदा के कपड़ों को एक एक करके उतार दिए। उन लोगों ने सुनिदा को उठाकर एक वीरान जगह ले गए। वे लोग एक एक करके सुनिदा का बलात्कार करने लगे। कुछ समय बाद सुनिदा ने दम तोड़ दिया। उसके योनि से खून टपके लगा। सुनिदा के मृत शरीर को भी उन्होंने नहीं छोड़ा। बाकि बचे लोगों ने मृत शरीर के साथ ही सेक्स करने लगे। कुछ घण्टे बाद जब उनकी हवस की प्यास बुझ गई। तब उन्होंने सुनिदा की लाश को एक गहरे गड्ढें में डाल दिया। जब पुलिस ने पूछताछ की तो न ही किसी गांव वाले ने और न ही विद्यालय के किसी कर्मचारी ने कुछ बताया। वे डर के कारण सब झुठी कहानी बनाकर पुलिस अधिकारी को सुना रहे थे। जब पुलिस को पूछताछ करने पर कुछ न पता चला। तब उन्होंने केस को बंद कर दिया और सुनिदा की पोस्टरस पर मिसिंग लिखकर, उसे दीवारों पर चिपका दिया। कुछ साल बाद उस गांव में एक वायरस फैल जाता है। उस गांव के सैकड़ों लोगों में पचास आदमी को छोड़कर बाकि सब ठीक-ठाक हो जाते हैं। परंतु आश्चर्य की बात यह थी कि डाक्टरों की दवाइयों को वे पचास गांव वाले ले तो रहे थे, परंतु बीमारी कम होने की जगह और बढ़ती जा रही थी। इससे डॉक्टर भी हैरान थे। वे पचास गांव वाले खुन की उल्टियां करने लगे थे और उनके शरीर के चमड़े धीरे धीरे फटने लगे थे। उन्हें असहनीय दर्द हो रहा था। वे डॉक्टर से कह रहे थे - हमें मार दो। परंतु डॉक्टर ऐसा नहीं कर सकता था। कुछ दिनों तक तड़पते रहने के बाद उनकी मौत हो गई।
फर्स्ट अटेम्प्ट 
February 11, 2024
किसान का 23 वर्षीय लड़का नसाकि। जब वह छोटा था। तब एक आई.ए.एस अधिकारी उसके गांव में आए थे। सब लोग उस अधिकारी का सम्मान कर रहे थे। तभी से नसाकि के मन में आई.ए.एस अधिकारी बनने की इच्छा जाग चुकी थी। बचपन में ही नसाकि की मां की मौत हो चुकी थी। नसाकि ने ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद,‌ उसने यू.पी.एस.सी की तैयारी शुरू कर दी। शहर जाकर पढ़ाई करने के लिए पर्याप्त धन तो नहीं था। इसलिए उसने घर से ही पढ़ाई करने के बारे में सोचा। वह सुबह को अढ़ाई घंटे और शाम को अढ़ाई घंटे पढ़ाई करता। उसके दोस्त उसे कहते कि अरे यार परीक्षा तो देके आओ। परंतु वह कहता - में पहले अच्छे से तैयारी करने के बाद ही परीक्षा दुंगा। कुछ दिनों बाद। जब नसाकि बाहर जाता तो कई लोग उसके बारे में कहते - बाहर जाकर ट्युशन पढ़ने वाले लड़के यू.पी.एस.सी की परीक्षा पास नहीं कर पा रहे हैं और ये किसान का लौंडा घर से पढ़कर परीक्षा पास करेगा। नसाकि को ये बातें चुभती। परंतु फिर भी वह शांत भाव से वहां से चलने लगता। लगभग 7 वर्ष बाद। नसाकि ने 25 से अधिक परीक्षा से संबंधित किताबों को पढ़ डाला था। वह अब 30 वर्ष का हो गया था। जिस दिन नसाकि परीक्षा देने जा रहा था। बैंक और पुलिस के अधिकारी आकर, उसके पिता को उठाकर ले गए। क्योंकि उसके पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए बैंक से 25 हजार रूपए का कर्ज लिया था। परंतु इस महंगाई में तय समय से वे कर्ज न चुका पाए। पहले ही घर और खेत के जमीन, दूसरे के यहां गिरवी पड़े हुए थे। नसाकि की आंखें नम हो गई। उसका मन उदास हो गया। परंतु फिर भी वह शहर जाकर यू.पी.एस.सी की परीक्षा दी। कुछ महीने बाद। नसाकि ने पहली बार में ही दोनों परीक्षाओं को पास कर लिया था। उसके खुशी का ठिकाना न था। परंतु अब भी एक चीज बाकि थी। वह थी इंटरव्यू। नसाकि ने थाने में जाकर यह खबर , अपने पिता को सुनाई तो पिता के आंखों से खुशी के आंसु झलक आए। नसाकि कभी कभार अपने पिता से मिलने जाया करता था। कुछ सप्ताह बाद।‌ इंटरव्यू के लिए जाना था। वह अपने स्मार्टफोन पर यूट्यूब प्लेटफार्म पर कई इंटरव्यू वीडियोज को देखकर, कोशिश करता रहता। इंटरव्यू का दिन आया। नसाकि तैयार होकर इंटरव्यू देने चला गया। इंटरव्यू ठीक-ठाक रहा। इंटरव्यू लेने वाले अधिकारियों ने कहा- आप इंटरव्यू में पास हो चुके है। परंतु सीट कम है और छात्र अधिक है। इसलिए आपको कम से कम पांच लाख रूपए, हमें देने होंगे। तभी आप आई.ए.एस अधिकारी बन सकते हैं। नसाकि के मुख से अनायास ही निकल गया - रिश्वत। अधिकारियों ने कहा - हां भाई तुम इसे जो कहो। यदि तुम कछ दिनों बाद पांच लाख का इंतजाम कर पाते हैं तो तुम्हारी सीट पक्की, नहीं तो यहां से अभी बाहर चले जाओं। नसाकि मुंह लटकाएं हुए, वहां से जाने लगा। अधिकारी कह रहे थे - जेब में रूपए नहीं और चले हैं आई.ए.एस बनने। नसाकि रात के समय स्ट्रीट लाइट के नीचे बैठकर पेड़ पौधों को देख रहा था। उसके आंखों से आंसु निकल रहे थे और नीचे टपक रहे थे। सुबह के समय। वह अपने गांव की एक बस पकड़कर , अपने घर चला गया। उसने इन बातों को अपने पिता को न बताई। क्योंकि वह अपने पिता को ओर दुःखी नहीं करना चाहता था। कई महीनों तक मजदूरी करके वह अपना पालन पोषण करने लगा। एक वर्ष बाद‌। जब नसाकि चाय पी रहा था। उस दुकान पर लटक रही , एक अखबार पर उसकी नजर पड़ी। वह उस अखबार को पढ़ने लगा। जिसमें लिखा था। इंटरव्यू लेने वाले अधिकारियों के घर पर सी.बी.आई की रेड पड़ी। उनके घर से करोड़ों रूपए , कालाधन जब्त किया गया और उन्हें अपने पद से सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। ये जानने के बाद, नसाकि जोर जोर से हंसने लगा और दौड़ता हुआ अपने घर जाने लगा। उसने फिर से पढ़ाई शुरू की और इस बार फिर से परीक्षा दी। नसाकि ने दूसरे प्रयास में भी परीक्षा पास कर ली। साथ ही इंटरव्यू भी पास कर ली। कुछ वर्षों की ट्रेनिंग के बाद , वह आई.ए.एस अधिकारी बनकर अपने गांव लौटा। गांववासी उसका सम्मान कर रहे थे, फुल मालाएं पहना रहे थे। एक महीने बाद, बैंक का कर्ज चुकाने के बाद , वह अपने पिता को छुड़ाकर अपने नए घर में ले जाने लगा। मदरहुड 
March 24, 2024
ललिता देवी। जिनका जन्म एक छोटे से गांव में हुआ था। उनकी दो बहनें और छ: भाई थे। बचपन के समय। ललिता विद्यालय जा रही थीं। उनकी नजर खोमा नामक एक लड़की पर पड़ी। खोमा के पिताजी बी.सी.सी.एल में कार्यरत थे। उनकी अच्छी सैलरी थी। खोमा हर दिन अलग - अलग कपड़े और चप्पलें पहनकर विद्यालय जाया करती थी। ललिता को उसके ढाट-बाट देखकर आश्चर्य होता था। ललिता अपने भाई - बहनों के साथ खेल खेलती, त्योहार मनाती। कुछ वर्षों तक पढ़ाई करने के बाद ललिता ने पढ़ाई छोड़ दी। वह छट्ठी या सातवीं कक्षा तक पढ़ चुकी थी। वे अब घर के ही कार्य में लगी रहती। कुछ वर्षों बाद। जब वे शादी लायक हो गई। उनके माता-पिता ने उनकी शादी शंकर नामक व्यक्ति से कर दी। घर की आमदनी अच्छी खासी नहीं थी। शंकर जी के पिता कुछ दिन काम पर जाते थे, बाकि दिन शराब के नशे में टुन रहते थे। शंकर जी कोयले बेचने का कार्य करते थे। लगभग एक वर्ष बाद उन्हें एक बेटा हुआ। परंतु कुछ वर्षों बाद पीलिया रोग से ग्रस्त होने के कारण वह बच्चा बच न सका। इससे ललिता जी का मन उदास हो गया। दुसरी बार जब उनका बच्चा पैदा हुआ। वह गंभीर हालत में था। डॉक्टरों ने उसे बचाने की कोशिश की परंतु वह भी बच न सका। फिर से ललिता जी का मन उदासी से भर गया। माता-पिता के आंखों से आंसू छलक आए। परिवार के दुसरे सदस्यों ने सलाह दी कि इस मृत बच्चे को ब्रिज के नीचे नदी के थोड़ी दुरी पर दफाना दिया जाए। उस मृत बच्चे को दफना दिया गया। उसके बाद फिर तीसरे बच्चे का जन्म हुआ। इस बार लड़की पैदा हुई। घर में खुशियों की लहर दोड़ी। उस समय ललिता जी के पांच नंनद थे। उनमें से कुछ की शादी हो गई थी। परंतु जिनकी शादी हुई थी। वे पति के घर कम रहती थी और कई महीनों और सालों तक मायके में ही पड़ी रहती थीं। क्योंकि यहां उन्हें उतना काम नहीं करना पड़ता था। साथ ही उनके बच्चे भी उनके साथ रहते थे। ललिता जी को अधिक काम करना पड़ता था। नंनदें काम कम और आराम ज्यादा करती थी। एक दिन उनकी बेटी राशन दुकान पर बिस्कुट लेने गई। उसके पास रूपए नहीं थे। इसलिए उसने राशन वाले से एक पचास पैसे (अठन्नी) वाली बिस्कुट उधार में मांगी। परंतु उस राशन वाले ने मना कर दिया और उसे वहां से भगा दिया। वह रोती हुई अपने मां के पास पहुंची। तब उसकी मां ने उसे बिस्कुट खरीद दिया। लगभग एक या दो वर्ष बाद चौथे बच्चे का जन्म हुआ। परंतु उस बच्चे की हालत भी गंभीर थी। डॉक्टरों के इलाज के बाद उस बच्चे की हालत कुछ सुधरी। कुछ सप्ताह बाद डॉक्टरों ने दवाईयां लिखकर दी और सलाह दी कि इस बच्चे को बल्ब की रोशनी के सामने रखें। उस समय गांव में बिजली तो नहीं थी। इसलिए उन्होंने उस बच्चे को सबसे बड़ी नंनद के घर ले जाने का फैसला किया। बड़ी नंनद अपनी ससुराल में रहती थी। जो धनबाद जिले में स्थित था। उनके पति बी सी सी एल में कार्य करते थे और उनके घर बिजली थी। लगभग एक या डेढ़ महीनें उस बच्चे को बड़ी नंनद के घर रखा गया। पिता कभी कभार उसे मिलने आया करते। कई बार ललिता जी अपने पति के साथ बच्चे को डॉक्टर के पास दिखाने जाती। जब वह बच्चा स्वस्थ हो गया तो उसे घर लाया गया। कुछ महीने बीत गए। ललिता जी के पति कोयले और मछली बेचने का काम छोड़कर अपने इकट्ठे किए हुए रूपयों से एक हार्डवेयर की दुकान शुरू की। लगभग पांच वर्ष बाद ललिता जी को पांचवां बच्चा हुआ। उस बच्चे को गंभीर बीमारी तो नहीं हुई। परंतु बचपन में, उसे कान में कई बार दर्द होने लगता। जिसकी वजह से वह जोर जोर से रोने लगता। शंकर जी बच्चे को गोद में उठाकर उसे चूप कराने की कोशिश करते। बच्चे की रोने की आवाज सुनकर, मां का मन भी रोने जैसा हो जाता। डॉक्टर से इलाज कराने के बाद कुछ महीने में उसके कान का दर्द ठीक हो जाता है। लगभग दो वर्ष बाद छट्ठे बच्चे का जन्म होता है। उसे भी कोई गंभीर बीमारी तो नहीं थी‌। परंतु पैचीस नामक बीमारी ने कुछ परेशान किया। जो आगे जाकर ठीक हो गई। वह छट्ठा बच्चा जब सात या आठ वर्ष का था। उस समय जब उसकी मां उसके पास खाना ला देती तो कई बार वह झूठ बोलकर , अपनी मां को अपने पिता से डांट खिला देता। फिर भी मां उस बच्चे को माफ कर देती। जब उनकी बेटी शादी के लायक हो गई तो धूम धाम से उसकी शादी कर दी गई। कुछ वर्षों बाद छट्ठा लड़का मानसिक रूप से बीमार हो गया। कई तांत्रिकों और डॉक्टर को दिखाया गया। परंतु ठीक न हुआ। इससे माता-पिता की चिंता और बढ़ गई। परंतु कुछ वर्षों बाद वह मानसिक रूपी बीमारी से बाहर निकल गया। बेटी की शादी के लगभग सात वर्ष बाद ही कोराना की बीमारी के भय से उसके पति ने आत्महत्या कर ली। वह बेटी अब विधवा हो चुकी थी। ललिता जी और उनके परिवार वाले रोने लगे। उधर ससुराल में मौजूद बेटी को सदमा सा लगा। उसके दो बच्चे थे। उसे अंदर से यह चिंता खाएं जा रही थी कि वह अपने छोटे बच्चों का पालन पोषन कैसे करेगी। इस घटना के बाद अनायास ही कई बार अपनी बेटी और उसके बच्चों के बारे में सोचकर माता-पिता के आंखों में आंसू झलक आते। मन उदासीन हो जाता। परंतु माता-पिता ने अपनी बेटी का भरपूर साथ दिया।‌ उनकी बेटी कई महीनों तक अपने मायके में रही। उसके बाद वह ससुराल चली गई। ललिता जी अपनी पुत्री और उसके बच्चों के चिंता में लगी रहती। जब उनके पौते उनके घर आते। वे उन्हें लाड़ प्यार करती। उनकी छोटी-मोटी इच्छाओं को पूरा करती। उनके पास खाना पहुंचा देती।
कॉलेज डेलिनक्यूंट 
April 21, 2024
कॉलेज में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा था। कई विद्यार्थी कॉलेज में ही रात बिताने की सोचते हैं। सुबह के समय, जब शिक्षक और विद्यार्थी लोग , कॉलेज के आंगन में पहुंचते हैं। वहां का दृश्य देखकर, वे अंदर से कांप जाते हैं। आंगन में एक लाश पड़ी हुई थीं और यह लाश कॉलेज में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी की थी। जो कल रात शिक्षक दिवस की पार्टी मना रहा था। देखने पर ऐसा लग रहा था। उसे पेट पर कई बार चाकू घोंपा गया हो। जमीन पर काफी मात्रा में खून बिखरा पड़ा था। कुछ समय बाद पुलिस अधिकारीयों को खबर की जाति है और वे उस लाश को अपने साथ ले जाते हैं। साथ ही कॉलेज में मौजूद लोगों से पूछताछ भी की जाती है। दूसरे दिन। तीन भाई अपने पिता के साथ शहर आते हैं। कॉलेज शहर में ही था। कॉलेज में‌ जिस विद्यार्थी की लाश पाई गई थी। वह विद्यार्थी उसके बड़े भाई का दोस्त था। छोटे भाई को डिटेक्टिव मुवीज देखना काफी पसंद था। इसकी उम्र लगभग 18 वर्ष के आसपास थी। बड़े भाई का दोस्त होने के कारण, वह छोटा भाई कॉलेज पहुंचता है और छानबीन करने लगता है। किसी तरह अपराधी का सुराग मिल जाए। दोपहर होने चली थी। तेज धूप से जमीन भी तप रही थी। छोटा भाई निराशा होकर , वहां से चला जाता है। यह सब दूसरा आदमी देख रहा था। वह आदमी उसका पीछा करने लगता है। छोटा भाई किराए के घर में पहुंचता है। वह देखता है। पिताजी और दूसरे भाई पलंग पर गहरी नींद में सोए हुए थे। दरवाजा खुला हुआ था। अचानक एक वह आदमी कमरे में आ गया और छोटे भाई को डराने लगा। वह कहने लगा - उस हत्या की छानबीन और जांच पड़ताल छोड़ दो, वरना में तुम्हें। यह सुनकर छोटा भाई घबरा जाता है और कहता है। ठीक है, ठीक है। वह आदमी वहां से चला जाता है। उसके बाद वह एक लम्बी सांस भरता हुआ, अपने माथे से पसीना पोछता है। दरवाजे को बंद कर देता है और अपने दुसरे भाईयों के साथ पलंग पर सो जाता है। तीसरे दिन। दरवाजे पर खट-खट होती है। छोट भाई दरवाजा खोलता है‌‌। बाहर तरफ विद्यार्थियों की भीड़ लगी हुई थी। विद्यार्थी जन उस छोटे भाई पर आरोप लगा रहे थे कि यही अपराधी हैं, यही अपराधी हैं। क्योंकि दुसरे दिन, वह उस जगह पर कुछ खोज रहा था। पुलिस अधिकारी इन बातों को सुनकर, उसे गिरफ्तार नहीं करती है। क्योंकि कॉलेज के दरवाजे पर लगे हुए सीसीटीवी फुटेज में उसकी तस्वीर नहीं थी। पुलिस अधिकारी जानती थी कि कॉलेज का ही कोई अपराधी हैं। परंतु कौन? यह अभी तक पुलिस अधिकारीयों को नहीं पता चली थी। न ही वह चाकू मिला था। चौथे दिन। पिताजी और तीन भाई वाहन पर बैठकर, घर की ओर जाने लगते है। परंतु छोटा भाई और उसके चाचा का बड़ा भाई उतर जाते हैं। कुछ सामान खरीदने के लिए। सामान खरीदने के बाद , वे वाहन की तरह दौड़ते हैं, परंतु वाहन छुट जाती है। एक टकराने की आवाज आती है। वे नजर दौड़ते हैं तो देखते हैं, कि एक महीला स्कुटी समेत दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। वे उस महिला को उठाते हैं और एक जगह पर लिटा देते हैं। उसके बाद वे एम्बुलेंस को फोन लगाते हैं। लगभग आधे घंटे बाद एम्बुलेंस पहुंचतीं है। उस महिला को एम्बुलेंस अस्पताल ले जाती है। वे दोनों सड़क के किनारे खड़े हुए, दूसरे वाहन का इंतजार करने लगते हैं। दूसरी वाहन आती है और रुकती है। पहले चाचा बड़ा लड़का वाहन पर चढ़ता है और कुछ देर बाद वापस आता है। उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी थी। वाहन वहीं पर रूकी हुई थी। वाहन के भीतर क्या है? यह देखने के लिए छोटा भाई भी वाहन के अंदर जाता है। छोटा भाई यह दृश्य देखकर, आश्चर्यचकित हो जाता है। वाहन के भीतर एक कोमल पलंग पर पूर्ण रूप से नग्न एक विदेशी महिला बेठी हुई थी। वह महिला उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। छोटे भाई से रहा न गया। वह भी पूर्ण नग्न होकर, उसके साथ काफी समय तक योनि क्रिया करने लगा। तभी एक आवाज आती है - उठो! काफी समय हो गया है। वह नींद से जाग जाता है। उसे पता चलता है, यह मात्र एक सपना था। वह इधर - उधर देखने लगता है और नींद में देखें हुए सपने के बारें में सोचने लगता है। उसकी नजर अपनी पेंट पर पड़ती है। जो थोड़ी गिली हो गई थी। उसके बाद वह पलंग से उठकर, हाथ - मुंह धोने चला जाता है।
द ट्रेजेडी 
May 19, 2024
आज एडोल्फ ने दो चुहों को पानी में डूबाकर मार दिया। किसी दिन , सीढ़ियों में तेल डालकर, उसके घरवालों में से किसी को गिरा दिया। कभी कुत्ते को छत से फेंक दिया। वह दिन प्रतिदिन, किसी न किसी जन्तू को तड़पाता , मारता। उसे ये सब करने में , काफी आनंद आता है। घरवालें परेशान थे। एडोल्फ लगभग 18 वर्ष का हो चुका था। रात के चार बज रहे थे। एडोल्फ ने अपनी चप्पलें पहनी और घर से बाहर निकल आया। वह कच्चे रास्ते पर टहल रहा था। उसे एक बालू का ढेर दिखा। वह ढेर के पास जाकर, बालू से खेलने लगा। वहां पर एक विशाल आम का पेड़ था। पेड़ की टहनियों से आवाजें आने लगी। एडोल्फ ने ऊपर की ओर देखा। उसका माथा पसीने से भरने लगा। एक काला बन्दर, गुस्से से उसकी तरफ देख रहा था। उसकी आंखें लाल हो चुकी थी। कुछ दिनों पहले , एडोल्फ ने उस बन्दर को खाना देने के बहाने, उसपर आग लगा दी थी। वह बन्दर पास के तालाब में जाकर , अपनी जान तो बचा लेता है। परंतु उसका शरीर काला हो गया था। एडोल्फ वहां से उठकर, दौड़ने लगा। वहां पर किसी ने कुल्हाड़ी छोड़ दी थी।‌ बन्दर पेड़ से कुदा और कुल्हाड़ी लेकर एडोल्फ की ओर दौड़ने लगा। एडोल्फ का पैर पत्थर से जा टकराया। वह नीचे गिर पड़ा। वह उसपर कुल्हाड़ी से हमला करने ही वाला था कि एडोल्फ जोर से चींखकर नींद से जाग जाता है। वह इधर-उधर देखता है। उसे एहसास होता है कि यह मात्र एक सपना था। वह उस जगह पर जाता है , जहां पर उसने बेरहमी से बन्दर को जला दिया था। बन्दर के मृत शरीर को देखकर, वह जोर जोर से हंसता है। तभी आम वृक्ष का एक मोटा तना टूटकर, उसके ऊपर गिरता है। वह घायल होकर , नीचे दब जाता है। कई घण्टों तक , वह बेजान सा पड़ा रहता है। उसके बाद , उसके घरवाले आकर , उसे अस्पताल में भर्ती कराते हैं। कई दिनों तक दर्द से तड़पने के बाद। इलाज होने के बाद। लगभग कुछ महीनें बाद, वह ठीक हो जाता है। घरवाले फिर से समझाते है - गलत काम मत करो। यह सुनकर एडोल्फ हंसने लगता है। गुस्सा होकर , उसकी मां उसे एक चाटा जड़ देती है। कुछ दिन बीत जाते है। शाम का समय था। एडोल्फ छत से इधर-उधर देख रहा था। कुछ दूरी पर नल बनाया जा रहा था। उसकी नजर , अपने पिता पर पड़ी। जो नल बनाने में मदद कर रहे थे। वह सीढ़ियों से नीचे उतरा। चलते-चलते वह अपने पिता की ओर बढ़ने लगा। सूरज ढलने लगा था। नल का काम पूरा हो चुका था। उसके पिता शोर्ट-कट रास्ते से जाने लगे। जो एक कच्चा रास्ता था। एडोल्फ उनके पीछे-पीछे जाने लगा। उनके बीच की दूरी लगभग 10 मीटर के आसपास थी। उसके पिता रास्ते से मुड़कर , घर की तरफ बढ़ने लगे। एडोल्फ भी मुड़कर , घर की तरफ बढ़ने ही वाला था कि एक महीला ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया। उस महिला के साथ और दो आदमी थे। उसे लगा , ये लोग अपहरणकर्ता तो नहीं। उस समय एडोल्फ इतना डर गया था कि उसके मुंह से आवाज ही नही निकल रही थी। वह हाथ छुड़ाने की काफी कोशिश कर रहा था। वे तीनों डरवाने अंदाज में हंसे जा रहे थे। एडोल्फ ने अपने दांतो से , उनका हाथ काट दिया और हाथ छुड़ाकर अपने घर की ओर भागा। दो सप्ताह बाद। एडोल्फ अपने साथियों के साथ, एक छोटे बैंक को लूटने की योजना बनाता है। तभी एक बकरी का बच्चा , उसका पैर चाटने लगता है। एडोल्फ गुस्से में आकर , उसे तेज गति से लात मारता है। जिसके बाद वह जोर जोर से रोने लगता है। एडोल्फ यह देखकर, मन में काफी खुश हो जाता है। साथियों को एडोल्फ का यह बर्ताव काफी बुरा लगता है। रात का समय। वे काले कपड़े पहनकर, रात के चार बजे के लगभग बैंक का ताला तोड़ने की कोशिश करने लगते हैं। तेज आवाज की वजह से, कुछ देर बाद वहां पुलिस अधिकारी पहुंच जाते हैं। वे वहां से भागने लगते हैं। अधिकारी गोली चलाते हैं। परंतु गोलियां उनके सामने से गूजर जाती है। वे काफी समय तक दौड़ते रहते हैं। वे एक छोटे वन के भीतर पहुंचते हैं। कुछ देर बाद सुबह हो गई। वे एक पेड़ के ऊपर देखते हैं। उनका हृदय भय की वजह से जोर जोर से धड़कने लगता है। पेड़ के ऊपर , फंदे से एक आदमी लटक रहा था। यह दृश्य देखकर, वे तेज गति से अपने घर की ओर भागते हैं। रात के लगभग 11 बज रहे थे। चांदनी रात थी। एडोल्फ दरवाजा खोलता है और सीढ़ियों से नीचे की ओर देखता है। वहां पर एक विदूषक, एक डरावनी मुस्कान के साथ एडोल्फ को देख रहा था। एडोल्फ डरकर , जोर से दरवाजा बंद कर देता है। उसका बड़ा भाई उससे पूछता है - क्या हुआ? वह कहता है - कुछ नहीं। शाम के समय। वह सड़क से जा रहा था। उसे एक रिवोल्वर पड़ी मिलती है। वह उसे उठाकर , अपने पास रख लेता है। वह आगे बढ़ने लगता है। उसके आगे , एक बारात जा रही थी। उस बारात में, एक विदूषक धीरे-धीरे नाच रहा था। एडोल्फ अपनी रिवोल्वर से , उस विदूषक पर गोली दाग देता है। गोली लगने से , वह विदूषक नीचे जमीन पर गिर जाता है। एडोल्फ वहां से भागता है। कुछ घण्टे बाद, उसे एहसास होता है कि वह कोई दूसरा विदूषक था। परंतु पछतावा होने की जगह , वह जोर से हंसता है। वह अपनी रिवोल्वर लेकर , आसपास आने वाली जन्तुओं पर गोली चलाता जाता है। पांच मासुम जीव , वहीं पर गोली लगने से मारे गए। दूसरे दिन। इस घटना पर छानबीन शुरू होती है। परंतु वह दूसरे शहर चला जाता है। किसी रिश्तेदार की शादी में। शादी की तैयारियां चल रही थी। एक लड़की उसका हाथ पकड़कर , सीढ़ियों से ऊपर ले जाते हुए, एक कमरे में ले जाती है। वहां पर एक खांट रखा हुआ था। एडोल्फ सोचता है - यह शायद मुझसे संबंध बनाना चाहती है। एडोल्फ उसके ऊपर चढ़ जाता है। उत्तेजित होकर, उसका वीर्य पेंट में ही निकल जाता है। पहले से ही उस कमरे में, लड़की की मां और एडोल्फ के पिता मौजूद थे। वे छुपे हुए थे। जब एडोल्फ अपने पिता को देखता है, तो वह डरकर खड़ा हो जाता है। उसके पिता गुस्सा होकर, बिना कुछ कहें। वहां से चले जाते हैं। लड़की और उसकी मां भी वहां से चली जाती है। एडोल्फ थोड़ा उदास होकर, सीढ़ियों से नीचे उतरने लगता है। शादी वाले घर से, कुछ दूरी पर स्थित एक मैदान में, वह टहलने लगता है। चांदनी रात की रोशनी में कुछ-कुछ दिखाई दे रहा था। उसे एहसास हुआ कि पैर के नीचे कुछ है। परंतु क्या है? उसे यह पता न था। वह आगे की ओर देखता है। शादी वाले घर के सामने , एक पेड़ पर लाईट लगाया गया था। उसके नीचे, वह बकरी का बच्चा एडोल्फ को देखकर मुस्कुराएं जो रहा था। एडोल्फ काफी सोच विचार करता है। उसके बाद, उसे पता चलता है कि यह एक पुराना लैंड माइन है। कुछ समय के लिए वह गम में डूब जाता है। अपने बुरें कार्यों को याद करके पछताता है। उसके बाद। वह बकरी के बच्चे की ओर देखकर मुस्कराता है और अपना पैर हटा लेता है। एक विस्फोट होता है और उसके शरीर के चिथड़े हो जाते हैं। अनकंट्रोल्ड हेलिकॉप्टर 
June 02, 2024
सिद्दू उन्नीस वर्षीय एक हट्टा-कट्टा लड़का था। उसका शरीर थोड़ा स्थूल और मोटा था। दूसरें लड़के, उसका मजाक उड़ाते। हाथी कहकर चिढ़ाते। साथ ही उसके साथ कोई न खेलता और न ही उसके साथ कहीं घूमने जाते। उसका मन उदास हो जाता था। एक दिन वह मेला घुमने गया। उसने अपनी साइकिल रखी और क्रिकेट खेल देखने लगा। उसके गांव के कुछ लड़के, मेले से कुछ दूरी पर क्रिकेट खेल रहे थे। एक उबड़-खाबड़ खेत में। वह अकेला, एक जगह पर बैठा हुआ था। उसके पास गेंद आती है। एक बदमाश लड़का , जिसका नाम चितमण था। वह सिद्दू के पास आकर, मां की गाली देकर कहता है- गेंद दें इधर। सिद्दू गुस्सा होकर, अपने हाथ से जोर लगाकर, गेंद को झाड़ियों की ओर फेंक देता है। उसके बाद वहां पर मौजूद सभी लड़कें आकर, सिद्दू से कहते हैं- यदि तुमने गेंद नहीं ढूंढा तो कल हम सब मिलकर तुम्हें पीटेंगे। वे लोग वहां से चले जाते हैं। सिद्दू अकेला, झाड़ियों में गेंद ढुंढने लग जाता है। कुछ देर बाद, शाम होने वाली थी। उसे गेंद नहीं मिलती है।‌ हताश होकर, वह अपनी साइकिल लेकर घर की ओर चला जाता है। दूसरे दिन। सिद्दू के पिता ने कुछ सप्ताह पहले, एक नयी गेंद खरीद दी थी। वह अपनी नयीं गेंद को उन लड़कों को दे देता है। नयी गेंद पाकर , वे खुश हो जाते हैं। परंतु चितमण को कुछ खास मजा नहीं आया। क्योंकि चितमण यहां पर सिद्दू की पिटाई का मजा लेने आया था। परंतु हुआ कुछ और। फिर भी चितमण उसे महामुरख कहकर, वहां से चला जाता है। सिद्दू कभी कभार भेड़ बकरियों को बिस्किट खिला देता‌‌ था। जिसे करके, उसे काफी प्रसन्नता होती थी। शाम का समय था।‌ उसने अपनी चप्पलें पहनी और बागान की ओर जाने लगा। वहां पर दो लड़कियां, उसे पुकारने लगी। वह लड़कियों के पास पहुंचा। लड़कियों ने कहा- क्या तुम हमारी सहायता करोगे। उसने कहा- कैसी सहायता? लड़कियों ने कहा- कंडोम की जांच करने में, तुम हमारी सहायता करोगे। सिद्दू थोड़ा हिचकिचाया और कहा - हां ज़रूर। सिद्दू अलग-अलग कंडोम पहनकर, उन लड़कियों के साथ यौन क्रिया करने लगा। सिद्दू को काफी आनंद आ रहा था। उसने पहली बार यौन क्रिया किया। सूरज ढल चुका था। आसपास अंधेरा छा गया था और आसपास कोई न था। यह कार्य पूरी होने के बाद। सिद्दू और वे लड़कियां अपने-अपने घर चली गयी। काफी देर मोबाइल चलाने के बाद, सिद्दू सोने के लिए, छत पर कंबल बिछाकर, लेट जाता है। तभी एक अनियंत्रित हेलिकॉप्टर छत से कुछ मीटर ऊपर उड़ता हुआ दिखाई देता है। हेलीकॉप्टर के पीछे वाली सीट पर, एक पीली जर्सी पहना हुआ बन्दा बैठा हुआ दिखाई दे रहा था। सिद्दू को ऐसा लग रहा था कि कहीं हेलीकॉप्टर, उसके ऊपर न गिर जाए। वह अनियंत्रित हेलिकॉप्टर इधर-उधर उड़ता हुआ। चितमण के घर के आंगन में मौजूद, दीवार पर जा गिरा। क्या हुआ? यह देखने के लिए सिद्दू हड़बड़ाकर उठा और छत से देखने लगा। उसने भगवान को प्रणाम किया और मन में सोचने लगा। यदि यह अनियंत्रित हेलिकॉप्टर, मेरे ऊपर गिर जाती तो कितनी बड़ी दुर्घटना हो सकती थी। अनियंत्रित हेलिकॉप्टर के गिरने से, दीवार टूटकर नीचे गिर चुकी थी। वहां पर अधिक से अधिक लोग जमा हो रहे थे। हेलीकॉप्टर से आग की लपटें निकलने लगी थीं। काफी मात्रा में धुआं निकल रहा था और आसमान की ओर बढ़ रहा था।
ए यंग वूमेन 
July 21, 2024
मिनदनी जो काफी रूपवान थी। वह जब पैदा हुई। तब एक‌ दुर्घटना में, उसके माता-पिता की मौत हो गई थी। उसे उसकी दादी ने पाला था। वह छोटी उम्र से ही ब्लोगिंग करती थी। जिसमें उसकी दादी, उसका भरपूर साथ देती थी। उसने दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई करना छोड़ दिया था। कुछ वर्षों बाद। उसका यूट्यूब चैनल काफी प्रसिद्ध हो चुका था। अब वह ऑनलाइन कमाई भी करने लग गई थी। अब वह अपनी दादी के साथ, नयी-नयी जगहों में घुमती। नये-नये ब्लॉग बनाती। भरपूर व्यूज और लाइक्स मिलते। कुछ दिनों बाद। सब्जी खरीदने के लिए मिनदनी बाजार जाती है। सोनिच नामक एक यूवक। जो एक नसेड़ी यूवक था। वह आएं दिन किसी न किसी लड़की को परेशान करता रहता था। उसके पास आता है और कहता है:- क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी। यह सुनकर पहले तो मिनदनी को हैरानी होती है। उसके बाद वह गुस्से में आकर, उसे न कह देती है। सोनिच रोजाना पोर्न विडियो देखता था और रोजाना नशा करता था। सोनिच की बुरी आदतों की वजह से, उसके पिता उसे छोड़कर, दूसरे शहर में बस गए थे। उसके मां की मृत्यु पहले ही हो चुकी थी। वह सर्कश में जोकर का काम करता था। जिससे उसका गूजारा चलता था। रात का समय था। मिनदनी की दादी, गहरी नींद मे थी। रात के एक बज रहे थे। उसकी दादी गहरी नींद में सोयी हुई थी। मिनदनी को नींद नहीं आ रही थी। इसलिए वह अपने स्मार्टफोन पर रील्स देख रही थी। हर तरफ सन्नाटा छाया हुआ था। उसे घर के दरवाजे से जोर-जोर से आवाजें आने लगी। उसने खिड़की से देखा तो वह डर गयी। सोनिच जोकर बनकर , दरवाजे को जोर-जोर से पीट रहा था। उसके हाथ में एक कुल्हाड़ी थी। सोनिच मिनदनी को देख लेता है। वह एक डरावने मुस्कान के साथ, उसे देखता है। उसके बाद, वह कुल्हाड़ी से लकड़ी के दरवाजे पर मारने लगता है। मिनदनी का चेहरा भय से भर जाता है। वह देरी न करते हुए। 100 नम्बर पर कॉल लगाती है। यहां से पुलिस थाना लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर था। इसलिए पुलिसकर्मी यहां जल्दी ही पहुंच जाते हैं। दरवाजा टूट-फूट चुका था। सोनिच घर में घुसने ही वाला था कि पुलिसकर्मी उसे पकड़ लेते हैं। मिनदनी की जान में जान आती है। अब भी दादी गहरी नींद में सोयी हुई थी। सुबह के समय। वह दादी को सारी घटना बाताती है। जिसे सुनकर दादी काफी घबरा जाती है। इस घटना के बाद मिनदनी अपनी कमाई का 25 प्रतिशत हिस्सा अनाथ आश्रमों में दान कर देती। साथ ही जरूरतमंदों की मदद भी करती। ऐसा करके उसे एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती। एक महीने बाद। मिनदनी और उसकी दादी वन की सैर करने निकल पड़ती है। दादी ने कितनी ही बार उसे कहा:- रात के समय हमें यहां नहीं ठहरना चाहिए। दादी भी उसे अकेला कैसे छोड़ देती। वे दोनों एक टेंट बनाकर, रात काटती थी। जरूरत की समानें टेंट में मौजूद थी। तीन दिन पहले। सोनिच ने एक पुलिसकर्मी को पच्चीस हजार रिश्वत देकर, जेल से रिहा हो गया। छुटने के पश्चात ही वह मिनदनी की खोज शुरू कर चुका था। अब मिनदनी दादी की गोद में सर रखकर, कहानियां सुन रही थी। वे दोनों इस बात से बेखबर थे कि सोनिच वन में मौजूद है। चांदनी रात में चांद चमक रहा था। उसकी रोशनी से कुछ कुछ दिखाई दे रहा था। सोनिच अचानक टेंट में घुसता है और मिनदनी को घसीटते हुए बाहर निकालता है। वह जोर जोर से चिंखती है। सोनिच एक लकड़ी से , उसके सर पर मारता है। जिससे वह घायल हो जाती है। वह अपनी हवस बुझाने के लिए, उसपर टूट पड़ता है। परंतु दादी, उसके सर पर लकड़ी मारती है और उसे घायल कर देती है। दादी मिनदनी को उठाती है और कहती हैं:- बेटी यहां से भाग जाओं। में इसे संभालती हुं। मिनदनी गिरते पड़ते वहां से भागने लगती है। तभी सोनिच गुस्से में आकर , टेंट पर बंधी रस्सी से दादी का गला बांध देता है और दूसरे सिरें को पेड़ से खिंचने लगता है। दादी का दम घूंटने लगता है। वह दादी को फंदे से लटका कर , दुसरे सिरे को पेड़ पर बांध देता है। कुछ देर दादी तड़पती हैं। उसके बाद उनकी मौत हो जाती है। अब सोनिच उसके पीछे जाने लगता है। मिनदनी एक ऊंचे झरने के पास पहुंचती है। मिनदनी एक पत्थर को धकेल कर झरने में गिरा देती है और किसी जगह पर छूप जाती है। सिनोच वहां पर आता है। उसे झरने में किसी के गिरने की आवाज आई थी। वह झरने के पास जाकर देखता है। उसे लगता है, वह यूवती इस झरने में कूद गई है। अपनी हवस न बुझा पाने के कारण, उसे अफसोस हो रहा था। उसने सोचा। चलो दुसरीं यूवती मिल जाएगी। वह वहां से जाने के लिए पैर बढ़ाता है। तभी उसका पैर फिसल जाता है और उसका सिर एक पत्थर से जोर से टकराता है। वह उंचाई से झरने में जा गिरता है। कुछ देर दर्द से तड़पने के बाद। उसकी दर्दनाक मौत हो जाती है। उसकी लाश तेज पानी में बहते हुए चली जा रही थी। मिनदनी टेंट के पास आती है। पेड़ पर लटके हुए दादी को देखकर , वह बेहोश होकर नीचे गिर पड़ती है। सुबह के समय। वन अधिकारी वहां आकर उनकी दादी को नीचे उतारती है और मिनदनी पर पानी छिटकर, उसे होश में लाते हैं। उन्हें अस्पताल ले जाया जाता है। कुछ दिनों बाद। उस रिश्वतखोर पुलिसकर्मी को पद से हटा दिया जाता है। दादी के पार्थिव शरीर को मिट्टी में दफना दिया जाता है। अब मिनदनी उस घर को बेच देती है और अनाथ आश्रम में रहकर, बच्चों के साथ समय बिताने लगती है। थर्ड पर्सन 
August 04, 2024
माता-पिता का बड़ा लड़का रेमू। जो नशे की आदत लगा चुका था। अधिकतर समय ऑनलाइन जुहा खेलता और नशा करने में व्यस्त रहता। माता-पिता कई बार उसे डांटते। परंतु वह उनकी बात न सुनता। न ही परिवार वालों की बातों पर ध्यान देता। माता-पिता ने सोचा - क्यों न बड़े लड़के की शादी कर दी जाएं। शायद बहु के आने से, वह सुधर जाएं। उसके लिए रिश्ते देखें जाने लगे। कई लड़कियां देखने के बाद। फाइनली उसे एक लड़की पसंद आ जाती है। कुछ महीनें बाद। उनकी शादी हो जाती है। वे दोनों खुश थे। कुछ दिनों बाद। रेमू की पत्नी - वसुना। अपने मायके चली जाती है। रेमू इस बात से अनजान था कि उन दोनों के बीच थर्ड पर्सन की एंट्री पहले ही हो चुकी थी। वसुना अपने सगे काका के लड़के सिदूराम के साथ प्यार करने लगी थी। वसुना और सिदूराम बचपन से ही एक-दूसरे को चाहने लगे थे। वसुना ने जब दसवीं परीक्षा पास की। परिवार में उसकी शादी की बात चलने लगी थी। जिसके कारण सिदूराम ने एक बार वसुना को अकेले पाकर, उसके मांग पर सिंदूर लगा दी थी और वहां से भाग गया था। अब मायके में, वसुना के शादी के बाद की रस्में पूरी की जा रही थी। सिदूराम ने जैसे ही वसुना को देखा। वह देखता ही रह गया। उसकी नजरें, उससे हट ही नहीं रही थी। वह सिर्फ देखता ही जा रहा था। रेमू अपनी पत्नी को मायके में छोड़कर दूसरे ही दिन , अपने घर चला गया था। जब सभी रस्में पूरी हो गई। वसुना कमरे में अकेली बैठी हुई श्रृंगार को निखार रही थी। तभी सिदूराम कमरें में आता है। वसुना और सिदूराम कुछ समय तक एक-दूसरे को देखते है। उसके बाद वो वसुना के पास आकर बैठ जाता है। दोनों काफी समय तक बातें करते हैं। उसके बाद वे दोनों सेक्स करते हैं। एक महीने बाद। रेमू उसे वापस ससुराल ले आता है। हर त्योहार पर वसुना अपने मायके जाती। सिदूराम और वसुना का यह सिलसिला चलता रहता। कई महीनों तक रेमू और वसुना के संबंध के बाद। लगभग आठ महीने के उपरांत। वसुना अपने बच्चे को जन्म देती है। जिसका नाम तरूनी रखा जाता है। कुछ महीने बाद से ही सास-बहू की नोंक झोंक शुरू हो जाती है। बहु भी घर का काम छोड़कर, बच्चे को सुलाकर या बच्चे को ससूर को देकर , अधिकतर समय टी.वी. देखती रहती। जब मन होता तो थोड़ा बहुत काम कर लेती। वह फोन पर उत्साहित मन से सिदूराम से ऐसे बात करती कि रेमू को उसपर संदेह होने लगता। जिसके कारण रेमू कई बार दुसरा बहना बनाकर, उसे डांटता-फटकारता। परंतु इसका उसपर अधिक असर न होता। रेमू अब भी काम की तलाश में था। उसकी पत्नी अब हर दो या डेढ़ महीने बाद ही मायके जाने की जिद करने लगती। जिसके कारण रेमू कई बार गुस्सा हो जाता। एक वर्ष बाद। वसुना रेमू से तलाक ले लेती है और उसे बुरा-भला कहकर, लड़-झगड़कर, अपने बच्ची को साथ लेकर सिदूराम के पास चली जाती है। रेमू वहीं पर उदास सा खड़ा होकर देखता रहता है। उसके बाद रेमू और परिवारवालों को भी यह बात पता चल जाती है। सिदूराम भी एक बेरोजगार यूवक ही था। उसके पिता स्मार्टफोन बैचने का काम करते थे। वह सिदूराम से कहती है- अब हम शादी कर सकते हैं। सिदूराम कहता है- में तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकता। सिदूराम वहां से चला जाता है। असलियत में सिदूराम को वसुना से प्यार न था। वह सिर्फ नाटक करके, अपनी हवस बुझा रहा था‌। उस समय वसुना को घोर पछतावा होने लगा। वह घुटनों के बल नीचे बैठ गई। धीमी-धीमी बारिश होने लगी। वसुना के आंखों से आंसू टपकने लगे। मायके वालों ने भी वसुना को घर में रहने की इजाजत न दीं। इस घटना के कुछ सप्ताह बाद ही रेमू काम करने के लिए बाहर चला गया। तीन वर्ष बाद। सेदूराम ने बैंक से कर्ज लेकर, एक दुकान खोली थी। परंतु वह न चली और वह कर्जें में डूब गया। रेमू अब एक कंपनी में अच्छी सैलरी पर काम करता है। उधर वसुना एक किराए के घर पर रहती है और सिलाई का काम करके, अपना और अपने बच्ची का पेट भरती है। कभी कभार रेमू अपनी बच्ची से मिलने आता। उसकी जरूरत की चीजें खरीद देता और उससे स्नेह करता।
चन्द्रलेखा 
September 01, 2024
16 वीं शताब्दी में। एक छोटे से राज्य का राजा, जिसका नाम चन्द्रसेज था। उसके राज्य का नाम सतनमपूर था। सतनमपूर राज्य फल-फूल रहा था। चन्द्रसेज की एक इकलौती पुत्री थी। जिसका नाम चन्द्रलेखा थी। वह लगभग 20 वर्ष की हो चुकी थी। उसे नृत्य में महारथ हासिल थी। साथ ही वह काफी रूपवान थी। जिसके नृत्य और रूप की चर्चा राज्यभर में होती थी। चन्द्रसेज और उसकी पत्नी, उसके विवाह को लेकर काफी परेशान रहने लगे थे। साथ ही उन्हें इस बात का हमेशा डर लगा रहता था कि कोई दुसरा शक्तिशाली राजा, हमारे राज्य पर हमला न कर दे। कुछ वर्ष बाद। दिपावली का दिन था। दीयों की रोशनी से, पूरा राज्य जगमगा रहा था। धूमधाम से उत्सव मनाया जा रहा था। एक गुप्तचर हांफता हुआ आकर कहता है- एक निर्दयी राजा नागवन्नम , अपने विशाल सैनिकों के साथ हमारे राज्य की ओर बढ़ रहा है। वह इतना निर्दयी है कि राज्य को जीतने के बाद। उस राज्य में मौजूद सभी स्त्रियों को उठाकर ले जाता है और बाकि लोगों को जिंदा जला देता है। यह सुनकर राज्य के लोगों की हंसी-खुशी, कुछ ही क्षणों में विलुप्त सी हो जाती है। उसके बारे में यह भी कहा जाता है कि एक वर्ष पहले, उसने अपने पिता को मारकर, खुद राजा बन बैठा। चन्द्रसेज के पास इतना समय था कि अपने परिवार समेत, कहीं दूर निकल जाएं। परंतु जब उसने राज्य के लोगों के उदास और डरे हुए चेहरे देखें। उसने युद्ध करने का फैसला किया। चन्द्रसेज ने अपनी पुत्री से कहा - चन्द्रलेखा तुम अपनी मां को लेकर, एक तेज घोड़े के द्वारा यहां से दूरी चली जाओं। परंतु उसकी पुत्री यहां से भागने से इन्कार कर देती है और युद्ध करने का फैसला करती है। राज्य के कई लोग, यहां से पलायन करने लगते हैं। साथ ही राज्य के बहुत सारें लोग, राजा का साथ देने के लिए तैयार रहते हैं। कुछ समय बाद। राज्य में चिख-चिल्लाहट का सिलसिला शुरू हो जाता है। अमावस्या की काली रात में युद्ध शुरू हो चुका था। दोनों तरफ से सैनिक लड़ रहे थे। उधर चन्द्रलेखा भी अपने हाथ में तलवार उठा चुकी थी। वह किसी तरह अपने तलवार से सैनिकों से लड़ रही थी। मशालों की रौशनी में। नागवन्नम की नजर, चन्द्रलेखा पर पड़ती है। वह उसके सुंदर रूप पर मौहित हो जाता है। सैनिकों को आदेश दिया जाता है कि उस कन्या पर कोई भी सैनिक , जानलेवा हमला नहीं करेगा‌। कुछ घंटों बाद। राजा चन्द्रसेज यह युद्ध हार जाते हैं। राजा नागवन्नम चन्द्रलेखा के सामने, अपने सैनिकों को आदेश देते हैं। उसके बाद‌ नागवन्नम के सैनिक, उसके पिता के साथ बचे हुए सैनिकों, लोगों और बच्चों के ऊपर मिट्टी का तेल डालकर, उन्हें जिंदा जला देते हैं। चीख-चिल्लाहटों से पूरा सतनमपूर गूंज उठता है। चन्द्रलेखा के आंखों से आंसू टपकने लगते हैं। कुछ मीनट बाद, इस काली रात में सब शांत हो जाता है। नागवन्नम और उसके सैनिक राज्य के स्त्रियों को उठाकर ले जाती है। कई दिनों तक उसके सैनिक, उन स्त्रियों के साथ जबरदस्ती अपनी प्यास बुझाते हैं। नागवन्नम ने चन्द्रलेखा के नृत्य के बारें में काफी कुछ सुना था। परंतु अपनी आंखों से, उसका नृत्य न देखा था। राजा नागवन्नम ने न जाने कितनी ही बार , उसे जबरदस्ती नृत्य करने को कहा। परंतु वह न मानी। रोज रात नागवन्नम, जबरदस्ती चन्द्रलेखा से अपनी हवस बुझाता। साथ ही कोई बात न मानने पर , उसके शरीर पर चाबुक से मारता। शरीर पर जख्म उभर आए थे। चंद्रलेखा ने खाना पीना छोड़ दिया था। दिन प्रतिदिन , उसका शरीर कमजोर हो रहा था। वह मन ही मन सोचती। काश उस दिन अपने पिता की बात मान ली होती तो शायद आज यह दिन न देखने पड़ते। आधी रात का समय था। राजा नागवन्नम भोजन करके, चंद्रलेखा के कमरे की ओर बढ़े। उन्होंने दरवाजा खोला तो देखा। चन्द्रलेखा फंदे से लटकी हुई झूल रही थी। उसके बाद। राजा नागवन्नम अधिकतर समय नशे और चिंता में डूबे रहने लगे। कुछ महीने बाद। जब राजा दो दिनों से कमरें से बाहर नहीं निकलें तो मंत्रीगण दरवाजा तोड़कर अंदर जाते हैं। वे देखते हैं- राजा नागवन्नम कुर्सी पर बेजान से बैठे हुए हैं। हकीम आकर जांच करता है तो पता चलता है कि दो दिन पहले ही हृदयाघात से उनकी मौत हो चुकी है। राजा के मृत्यु के बाद, उस राज्य में विद्रोह शुरू हो जाता है। जिसमें सेनापति और बहुत सारे सैनिक मारे जाते हैं। कुछ सप्ताह बाद, यह विद्रोह शांत हो जाता है। बाद में पता चलता है कि इस विद्रोह के पीछे नागवन्नम की छोटी बहन नागेंदि का हाथ था। सेनापति खुद राजा बनना चाहता था। इसलिए नागेंदि ने यह विद्रोह रचा। नागेंदि उस राज्य की रानी बन जाती और शासन करने लगती है। चन्द्रलेखा की मां युद्ध भूमि में बेहोश हो गई थी। जिस कारण सैनिकों ने समझा था‌। यह मर गयी है और वे वहां से चले गए थे। दूर छिपे हुए लोगों ने उसकी मां का इलाज किया और जान बचाई। जब पति और पुत्री की मृत्यु की खबर , उनके पास पहुंचती है। वे दुःख के अथाह सागर में डूब जाती है। परंतु कुछ दिनों बाद, क्रोधाग्नि में चन्द्रलेखा की मां कहती हैं- जिस तरह उसने मेरा परिवार का सर्वनाश किया है, उसी तरह में उसके खानदान के आखिरी चिराग तक को बुझा दुंगी। पति और पुत्री की दर्दनाक मौत ने उसे निर्दयी बना दिया था। छ: महीने बाद। चन्द्रलेखा की मां हेमवती, नागेंदि के राज्य पहुंचती है। काफी प्रयास के बाद।‌ हेमवती को उसके महल में दासी का कार्य मिल जाता है। रानी नागेंदि का एक पुत्र, जो महज सात वर्ष का था। हेमवती के काम के प्रति एकाग्रता के कारण, रानी नागेंदि भी कई बार उसकी तारीफ किया करती थी। एक महीने में ही वह सभी के साथ काफी घुल मिल गई थी। शाम का समय था। महल के छत में रानी का पुत्र खेल रहा था। आसमान में काले बादल घिरे हुए थे। बारिश होने वाली थी। इसलिए हेमवती कपड़ों को रस्सियों से उतार रही थी। हेमवती की नजर , रानी के पुत्र पर पड़ती है। वह कपड़ों को जमीन पर पटक देती है और रानी के पुत्र को जबरदस्ती उठाकर, छत से नीचे फेंक देती है। धम से आवाज आती है। रानी छत की ओर देखती है। हेमवती भी एक डरावने मुस्कान के साथ नीचे कूद जाती है। ऊंचाई से नीचे गिरने के कारण हेमवती की मौके पर ही मौत हो जाती है। रानी दौड़ती हुई, अपने पुत्र के पास आती है और उसे गोद में उठा लेती है। सर से काफी खून बह रहा था। परंतु किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर था। उसकी सांसें धीमी गति से चल रही थी। परंतु दोनों पैर टूट चुके थे। देरी न करते हुए, उसे बड़े हाकिम के पास ले जाया गया। तीन वर्षों तक इलाज चलने के बाद, वह स्वस्थ हो जाता है। परंतु उसके पैरों पर अब जान न थी। अब वह कभी भी अपने पैरों पर नहीं चल सकता था। साथ ही कभी कभार दिमाग की चोट भी उभर आने की संभावना बनी रहती। उसका पुत्र अब दस वर्ष का हो चुका था। सतनमपूर राज्य के लोगों को यह खबर मिलती है। उसके बाद कई बार , उसपर जानलेवा हमला होता है। अब रानी अपने पुत्र को लेकर काफी डर गई थी। वह अपने महल को अनाथ बच्चों के एक ट्रस्ट को दे देती है और अपने पुत्र को लेकर विदेश चली जाती है। कहते हैं- उसके बाद ,रानी नागेंदि कभी अपने राज्य वापस नहीं लौटी।

© पंकज एस शॉर्ट स्टोरीज