लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 2 puja द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 2




शंकर : " दिव्या ये तुम्हारा कहना है लेकिन मेरा प्यार इतना मतलबी नहीं के तुमसे इस प्यार के बदले तुम्हारे अरमान ख्वाहिशें सब छीन लूं। बस कुछ वक्त मेरा इंतजार करना होगा और वैसे भी तुम्हारे लिए तुम्हारे परिवार ने भी बहत सपने देखे होंगे तुम्हारे पति और भविष्य को लेके । वो सब मैं तुम्हे मेरे आज के इन हालातो में नहीं दे सकता लेकिन कुछ वक्त बाद मैं इतना काबिल तो बन ही जाऊंगा की तुम्हारे अरमानों को पूरा कर सकू तुम्हारे मां बाप की नजरो में एक कमियाब इंसान के रूप में जाऊ, कोई बाप ये नहीं चाहता की उनकी बेटी ऐसे इंसान से शादी करे जिसे पेट भर खाना नसीब हो तो कपड़ो के लिए रोना पड़े और कपड़े नसीब हो तो सर पे छत ना हो ।



दोस्त ने भी कहा दिव्या इसकी बातो में दम है, इसे इतना समय तो तुम्हे देना ही होगा । और दिव्या सब की बात मान गई ।

वहीं राहुल जो की सभी दोस्तो में से एक ऐसा इंसान था जो शंकर के दिल के काफी करीब था उसके साथ कॉलेज के 4 साल और हॉस्टल का रूम शेयर करते हुए दोनो इतने नजदीक के दोस्त बन चुके थे जितना सगे भाई भी नहीं होते । चोट अक्सर शंकर को लगती थी लेकिन दर्द से राहुल तड़प उठता था । दर्द राहुल को होता था और आंसू शंकर के निकल आते थे । असल मायनों में शायद प्यार ये ही था । इसी वजह से शंकर राहुल को छोटे भाई की तरह प्यार करता था । 

वो जानता था की राहुल और उसका परिवार उसके कितना करीब था जिसने उसके अनाथ होने के दर्द को ही भुला दिया था । कॉलेज के शुरुआती दिनों में जब राहुल पहली बार आया था तभी ही रैगिंग के नाम पे कुछ लडको ने उसे परेशान किया और उनका झगड़ा हो गया। एक रहिस आर्मी मेन बाप का बेटा राहुल अपने पैसे जोश और ताकत की वजह से उनसे भीड़ भी गया लेकिन सामने कब 3 लोग 8 हो गए ये समझ नहीं आया और एक अकेला 8 लोगो से लड़ता ये देख शंकर भी लड़ाई में कूद पड़ा और 2 लोगो ने 8 लोगो को किसी फिल्मी तरीके से मारा ये देख कर कुछ और भी लड़के लड़कियां वहां आगे आ गए उनका साथ देने, क्यू की वो 8 लोग बहत परेशान करते थे सब को तो आज कोई ये मौका चूकना नहीं चाहता था ।

सब ने मिल कर बहत अच्छा सबक सिखाया उन मवालियो को और उसी दिन से वो सब आपस में दोस्त बन गए और राहुल शंकर का भाई बन गया उसका मुरीद हो गया एक अनजान के लिए अपनी जिंदगी दाव पर लगा देने वाला इंसान राहुल खोना नहीं चाहता था कॉलेज में पहले ही दिन उसे इतने दोस्त और भाई मिल गए जिनकी वजह से वो भी उसी ग्रुप में शामिल हो गया ।

शहर में अपना फ्लेट होने के बावजूद वो शंकर के साथ हॉस्टल में रूम मेट बन के रहा, जितना वो शंकर को जानता गया और उसके करीब आता गया,पढ़ाई, डांस, गाना बजाना, ड्राइविंग स्टंट, लड़ाई झगड़ा और अकेलापन और दर्द के साथ मुस्कुराना, दूसरो की मदद में अपने आप को भूल जाना, और किसी से किया वादा निभाने में हद से गुजर जाना, शंकर जैसा दिलेर उसने जिंदगी में नहीं देखा था ये ही वजह रही शंकर को राहुल ने 4 सालो में अपने परिवार का हिस्सा बना लिया था और इन्ही 4 सालो में राहुल के पिता मेजर राजेश्वर शर्मा, मां सुनीता  और बहन काव्या ने उसे बेटा और भाई बना लिया था। 

4 सालो में शंकर अपनी जिंदगी के 18 सालो के अकेले पन का दर्द ही भूल गया था उसे राहुल से एक परिवार मिल गया था । इसकी 2 वजह थी एक तो उसने राहुल की मदद की दूसरा राहुल की बहन काव्या के लिए खुद मौत के मुंह में चला गया था । हुआ यूं की...

अक्सर छुट्टियों के दरम्यान वो राहुल के साथ उसके घर भी चला जाया करता था, तब एक दिन राहुल की बहन काव्या सीडीओ से गिर गई और उसके सर में चोट लगने से खून काफी बह गया और उसे खून की जरूरत पड़ी तब राहुल का ब्लड ग्रुप अपनी ही बहन से मेल नहीं खाया मगर शंकर का ब्लड ग्रुप ए. बी. नेगेटिव ही निकला और उसकी बहन काव्या की जान बच पाई लेकिन शंकर की जान पर बन आई थी क्यू की खून की बहत ज्यादा जरूरत थी और शंकर को डॉक्टर ने और खून देने से मना कर दिया था लेकिन डॉक्टर के जाने के बाद उसने फिर से खून का दौरा शुरू कर दिया ड्रीप चालू हो गई ।

राहुल रूम के बाहर अपनी मां के साथ बैठा था पापा को खबर कर दी थी जो की आर्मी में होने के नाते तुरंत नहीं पहुंच पाए लेकिन दूसरे दिन आने वाले थे । कुछ देर बाद जब दूसरी जगह से सेम ग्रुप का खून न मिलने से नर्स और डॉक्टर वापस काव्या के पास उसकी नब्ज़ देखने आए तो उनको झटका सा लगा क्यू की डॉक्टर के जाने के बाद शंकर ब्लड ट्रांसफर करता ही रहा और अब काव्या तो खतरे से बाहर थी लेकिन वहीं शंकर बेहोश हो चुका था उसके शरीर में खून की भारी कमी आचूकी थी । 

तुरंत नर्स ने शंकर के शरीर से ब्लड का ड्रीप अलग किया और डॉक्टर ने राहुल और उसकी मां को बुला के कहा की आपके बेटे ने बहत बड़ी बेवकूफी कर दी है मैं इसे ब्लड देने के बाद रेस्ट करने का बोल के बाहर दूसरे ब्लड बैंक से और ब्लड अरेंज करने के लिए इसका ड्रीप बंद करके गया था जो की नर्स आके निकलने वाली थी वो इसने वो फिर से शुरू कर दिया और काव्या को खून देता ही रहा अब इसे खुद जान का खतरा है l काव्या तो अब खतरे से बाहर है लेकिन अगर कल सुबह तक हमारी दी हुई ट्रीटमेंट काम न आई इसका खून रिकवर ना हुआ तो इसका दिल रुक सकता है ।
ये देख कर राहुल और उसकी मां के होश ही उड़ गए .....



( जारी ...)