लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 1 puja द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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लावारिस....!! (एक प्रेम कहानी) - 1


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कॉलेज की जिंदगी तो अक्सर रंगीनियो से भरी होती है जवानों के लिए अपनी जिंदगी में भविष्य तय करने के लिए और आने वाले भविष्य को संवारने के साथ साथ यहां जिंदगी रोज उत्सव जैसी ही होती है कभी दोस्तो के साथ गुमना फिरना कभी कैंटीन की छोटी बर्थडे पार्टियां तो कभी मौज मस्ती फंक्शंस कभी परीक्षाओं की सर दर्दी और कभी छोटी मोटी आपसी लड़ाई के मत भेद और इन सब से अलग होता है इसी समय में पहली नजर वाला प्यार जो अक्सर कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के लड़कियों को हो जाता है । लेकिन आने वाली जिंदगी अपने साथ क्या इम्तिहान लाने वाली है इससे सब बेखबर होते है और बेखबर थे शंकर और दिव्या भी । 


ऐसे ही एक कॉलेज में शंकर भी पढ़ता है और दिव्या भी, आर्मी टाइप लॉन्ग काले जूते जींस और फुल स्लीव शर्ट में स्लीव को फोल्ड कर बिना इन किए गले में मफलर लगा के रखना, छोटे अच्छे स्टाइल में बाल और चेहरे पर हल्की ट्रिम दाढ़ी, एक पॉकेट में माउथ ऑर्गन  के साथ शर्ट की ऊपर की जेब में एक सिगरेट जिसे न कभी शंकर ने जलाया और न ही कभी सिगरेट ने शंकर को जलाया बस कभी कभी शंकर उस बुझी हुई सिगरेट को होंठो से लगाता जब वो कुछ सोचता और बिना जलाए वापस जेब में रख लेता जब वो सोच लेता , इसके सिवा सब की मदद के लिए आधी रात में भी शंकर हरदम तैयार होता उसने कभी ना कहना सीखा ही नहीं और दिव्या तो थी ही सुंदर सिंपल मगर एक पैसे वाले बाप की बेटी । 

शंकर के ये स्टाइल से प्रभावित उसे देख देख के दिव्या उसके प्यार में आगे बढ़ती चली गई । सब के कॉमन दोस्त है रोज रोज साथ में उठते बैठते दोस्तो में कब ये दोनो की दोस्ती भी प्यार में बदल गई इसका एहसास तो इन दोनो को भी नहीं था ।



शंकर तो कभी अपनी जिंदगी की उलझनों से ही फारिग नहीं हो पाता था उसे कहां प्यार जाहिर करना समझ आता लेकिन उसके दिल में भी प्यार अपना घर तो बना ही चुका था। जिसका एहसास दिव्या खुद उसे हर कदम पे करवा रही थी जिसे देख कभी तो शंकर खुश हो जाता की उसकी जिंदगी में भी कोई है लेकिन फिर डर उदासी उसे अपने और ज्यादा पास महसूस होती अपनी किस्मत को वो अच्छे से जानता था, क्यू की दिव्या को तो सिर्फ प्यार ही दिख रहा था शंकर की अच्छाई दिख रही थी उसका भोला मासूम दिल और सुंदर चेहरा दिख रहा था लेकिन वहीं शंकर को दुनिया का डरावना रूप मालूम था अपने भाग्य की धोखेबाजी से वो अच्छी तरह वाकिफ था। देखते ही देखते 4 साल निकल गए और दोनो में से किसी ने पहल नहीं की थी। उनका प्यार उनकी तरह ही खामोश था ।


कॉलेज का आखरी साल भी खतम होने को था परीक्षाएं सर पर थी, वहीं दिव्या ने शंकर से अपने दिल की बात एक दिन अचानक सुबह ही साधारण तरीके से सब दोस्तो के सामने कह दी । 


दिव्य : " शंकर ये कॉलेज का आखरी साल है इन एग्जाम्स के बाद हम सब अलग हो जाएंगे लेकिन आज मैं सब दोस्तो के सामने तुमसे अपने प्यार का इजहार करती हूं, I Love U शंकर मैं तुमसे कभी अलग नहीं होना चाहती इसलिए मैं चाहती हूं तुम एग्जाम्स के बाद हमारे लिए मेरे पापा से मिल के बात करो ।"


कुछ देर रुक कर दिव्य फिर आगे बोली ...

"... मैं अच्छी तरह जानती हु की तुम भी मुझसे बहत प्यार करते हो लेकिन तुम ये कभी कह नहीं पाते इस लिए मैंने ही आज कह दिया क्यू की तुम्हारे कहने का इंतजार करती तो ये जन्म ही निकल जाता ।"


शंकर क्या कहता, प्यार तो उसे भी था पर मजबूरिया इंसान को खामोश रहना सीखा देती है वो भी खामोश ही था लेकिन आज दिव्या की पहल के बाद उसे अपना प्यार बहत पास महसूस हुआ और उसने भी इजहार का इकरार उन सभी दोस्तो के सामने कर दिया । लेकिन अपना प्यार इतना पास देख कर भी दूसरो की तरह उसके चेहरे पर कोई खास खुशी नहीं थी बस जैसे कहने भर को ही वो कह रहा था । लेकिन सच था प्यार उसे भी था बस डरता था न जाने किससे ।


शंकर : " दिव्या तुम सही कह रही हो मैं भी आज सब दोस्तो के बीच तुमसे अपने प्यार का इजहार करता हु आज से नहीं कॉलेज की शुरुआत से ही तुम मुझे पसंद हो तुम्हारे कहने पर मैं एग्जाम्स के बाद तुम्हारे पापा से भी मिल लूंगा लेकिन तुम्हे शादी के लिए इंतजार करना होगा क्यू की मैं पहले इस काबिल बन जाना चाहता हु की तुम्हारी हर ख्वाहिश को पूरा कर सकू ।"


" सभी दोस्त एक साथ बोले वाह क्या बात है सच्चे आशिक, एक दम सही बोला ।"


दिव्या : " शंकर मुझे तुमसे सिर्फ प्यार चाहिए और कुछ नहीं, तुम जिस हालत में रखोगे मैं रह लूंगी जो मिलेगा उसमे गुजारा कर लेंगे हम लोग ।" 


शंकर : " दिव्या ये तुम्हारा कहना है लेकिन मेरा प्यार इतना मतलबी नहीं के तुमसे इस प्यार के बदले तुम्हारे अरमान ख्वाहिशें सब छीन लूं। बस कुछ वक्त मेरा इंतजार करना होगा और वैसे भी तुम्हारे लिए तुम्हारे परिवार ने भी बहत सपने देखे होंगे तुम्हारे पति और भविष्य को लेके । वो सब मैं तुम्हे मेरे आज के इन हालातो में नहीं दे सकता लेकिन कुछ वक्त बाद मैं इतना काबिल तो बन ही जाऊंगा की तुम्हारे अरमानों को पूरा कर सकू तुम्हारे मां बाप की नजरो में एक कमियाब इंसान के रूप में जाऊ, कोई बाप ये नहीं चाहता की उनकी बेटी ऐसे इंसान से शादी करे जिसे पेट भर खाना नसीब हो तो कपड़ो के लिए रोना पड़े और कपड़े नसीब हो तो सर पे छत ना हो ।



( जारी ... )


(लेखिका सूचना ....)


यह कहानी (लावारिस) एक कलाकार की आत्मा की अभिव्यक्ति है, जिसे प्यार से बनाया गया है और आपके दिलों तक पहुँचाने के लिए साझा किया गया है। कृपया इसे सम्मान के साथ पढ़ें और साझा करें, लेकिन इसकी सामग्री को बिना अनुमति के पुनः प्रस्तुत या वितरित न करें।


किसी भी रूप में पुनरुत्पादन, वितरण, या संचरण की अनुमति नहीं है, जब तक कि लेखक की पूर्व अनुमति न हो।


धन्यवाद!"