आईना (एक हैवानियत का ) Alone Soul द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • उजाले की ओर –संस्मरण

    मनुष्य का स्वभाव है कि वह सोचता बहुत है। सोचना गलत नहीं है ल...

  • You Are My Choice - 40

    आकाश श्रेया के बेड के पास एक डेस्क पे बैठा। "यू शुड रेस्ट। ह...

  • True Love

    Hello everyone this is a short story so, please give me rati...

  • मुक्त - भाग 3

    --------मुक्त -----(3)        खुशक हवा का चलना शुरू था... आज...

  • Krick और Nakchadi - 1

    ये एक ऐसी प्रेम कहानी है जो साथ, समर्पण और त्याग की मसाल काय...

श्रेणी
शेयर करे

आईना (एक हैवानियत का )

दिन शुक्रवार 
17 aug 2023

बस यू ही upp  (उत्तरप्रदेश पुलिस)  की परीक्षा दे के लौट रही रूप का हाल बस इस कादर खराब हो चुका था वो भीड़ , वो गाड़िया , वो बस ,

डरिए मत डरिए मत अकेली नहीं थी 
होगी भी कैसे अभी अभी ही तो कोलकाता नर्स का रैप हुआ था कैसे एक एक रूह को दबोच के आपने उससे मर दिया कैसे उसकी चीख निकलीं आखरी सांस लेते वक्त भी मगर आप लोग डरिए मत रूप के साथ उसके पिता थे साथ 
रात की ट्रेन छूट जाने के बाद पिता  ने उचित नहीं समझा कि 6 बजे की बस से उससे भेजे घर क्यों की पिता का व्यवसाय लखनऊ में ही था 
रूप को बनारस के लिए वो बाप रवाना नहीं कर पाया 
और उसको अपने पास ही रहने को कहा 
आप लोगों की बहरबानी से 
रात खा पी के  सो के बीत गई 
सुबह हुई पिता बस से लेट होने के डर से ट्रेन रिजर्वर कर लिया रात में ही 
सुबह रूप को टिकट दिखा के उसको बोला चलो 
और स्टेशन आ गए 

ट्रेन को आने में वक्त था तो बाप - बेटी ने चाय पीने का मन बनाया 
और चाय की दुकान पे न पहुंचे 
बाप से देखा कि वक्त लगेगा तो बोले तुम बैठो बैच पे मैं ले आता हु 
और चाय आई 
बाप अपने आस पास टहलने लगा थोड़ा 
देखने सुनने लगा 
की रूप के पीछे एक सज्जन आए 
यही रहे होगे 30 के करीब 
 अशिक्षित 
उन्होंने अपने  शरीर का स्पर्श किया एक बार रूप की पीठ पे
(आप अंदाजा लगा सकते है पीठ पे कौन सा भाग आएगा)
उस नीच ने दो बार किया तीन बार किया 

अब ये मत ज्ञान दीजिएगा कि अरे चिल्लाओ 
नहीं हो पाता है लड़की बन के देखो 

(चलो थोड़ा flash back me चलते है जाना आपको और सच्ची बताते हैं )



2018
दशावी कक्षा 

रूप रोज की तरह ऑटो से आती है कि अचानक उनके बगल एक सजन बीच रस्ते में बैठते हैं 
जो कि 45 की अवस्था में थे लगभग 
रूप मनमौजी , हस्ती खेलती 
थकी सी 
अचानक उसको एहसास होता है कि कुछ गढ़ रहा है टांगो के बीच में 
जैसे वो झटके से बैग हटाती  हैं कुछ  नहीं होता उसको लगता है बैग का प्लास्टिक h jo गढ़ रहा है 
फिर  आराम से बैठ जाती है 
5 min bad फिर वहीं लगता है 
फिर हटाती हैं फिर कुछ नहीं दिखता और बैग को उल्टा रख लेती है अपने पैर पे 
और बस सोचती है घर जा के आज मां से नया बैग बोलूंगी खरीद दो मुझे ये गढ़ता है 
चलो  पहुंचने वाली हु छोड़ी भूख लगी है मम्मी क्या बनाई होगी 
 बस यू ही ख्याली पुलाव में चली जाती हैं फिर वो  फील होता है इस बार उसने बिना अपने  मूवमेंट किए अचानक से बैग उठाया 
वो जो सजन रस्ते में बैठे थे वो उनका हाथ की उंगली  थी 

 ड्राइवर बोलता है
उतरो बेटा आपका स्टॉप आ गया है 
वह भी चिला देना था उसको 
 हर रोज  चिल्ला चाहिए रूप जैसी कितनी लड़कियों को 
क्यों कि वो चिलाती नहीं है न इसी लिए ये लोग ऐसे बिहेवियर  करते है 
नमन है हर एक पुरुष जाति को 
नफरत है हर उस लड़की को जो  चिल्लाई नहीं 
क्यों कि तुम तो दुर्गा मां बन के आई हो हर रोज काली बनो 


मुबारक हो इस समाज को 
मुबारक हो आपको बेटी हुई है 
हर दिन की घटना है अपने पास बच के रहो बेटियों 
नहीं हर किसी की हैवानियत के शिकार नहीं होना तुमको 

बाकी तो आप पुरुष हो ........,🤐,
💔