रात का समय,
फातिमा हॉस्पिटल,
यश ने मिसेज माथुर के पैर छूते हुए कहा, " हां ! "
मिसेज माथुर ने उसे उठाते हुए कहा, " अरे नहीं बेटा, ठीक है । "
तभी भरत ने कहा, " वैसे, भैया कहां हैं भाभी ? "
ये सुन कर मिसेज माथुर की आंखों में नमी आ गई । उन्होंने अपनी आंखों में आते हुए आंसुओं को रोकते हुए कहा, " वो, अब इस दुनिया में नहीं रहे । "
ये सुन कर भरत को तो जैसे विश्वास ही नहीं हुआ लेकिन जैसे ही उनकी नजर मिसेज माथुर के सूने मांग पर पड़ी, उन्हें इस बात पर यकीन करना ही पड़ा ।
उन्होंने हल्के से अपना सिर झुका कर कहा, " माफ कीजिएगा भाभी, हमें पता नहीं था । "
मिसेज माथुर ने कहा, " कोई बात नहीं । "
भरत की इच्छा तो हुई इस सबके बारे में पूछने की लेकिन माहौल को देखते हुए उन्होंने बात को न बढ़ाना ही ठीक समझा ।
उन्होंने बात बदलते हुए कहा, " ये सर्वांश... "
मिसेज माथुर ने कहा, " वो हमारा छोटा बेटा है । "
भरत ने कहा, " अच्छा ! "
तभी मिसेज माथुर ने मुस्करा कर कहा, " लेकिन उसका असली नाम सर्वांश नहीं, सिद्धांत है । "
भरत और यश, दोनों ने ही हैरानी के साथ कहा, " सच में ! "
मिसेज माथुर ने कहा, " हां ! "
तो यश ने कहा, " पर हमने उसके वॉलेट में एक कार्ड देखा था, जिसमें उसका नाम सर्वांश माथुर लिखा हुआ था । "
इससे पहले कि मिसेज माथुर कुछ कहतीं, शांतनु ने कहा, " इस सबके बारे में तुम उसी से पूछ लेना, यश । "
यश ने अपने मन में खुद से ही कहा, " वो तो हम पूछेंगे ही । हमें भी जानना है कि वो सर्वांश बन कर क्यों रहता है और ऐसा क्या हुआ है उसके साथ जो वो इतना घायल हो गया । "
इतने में भरत ने शांतनु की ओर इशारा करके मिसेज माथुर से कहा, " अच्छा, ये आपका बड़ा बेटा है न ! "
मिसेज माथुर ने कहा, " हां ! "
फिर उन्होंने लक्ष्मी को ओर इशारा करके कहा, " और ये है... "
उनकी बात पूरी होने से पहले ही भरत ने कहा, " भोलू ! "
मिसेज माथुर ने कहा, " हां, लेकिन तुमने इसे कैसे पहचान लिया ? "
भरत ने कहा, " इसे कैसे नहीं पहचानेंगे हम ! उस वक्त यही तो सबसे ज्यादा शैतान थी । "
उन दोनों की बातें बच्चों को समझ में नहीं आ रही थीं इसलिए लक्ष्मी ने शांतनु से कहा, " दिमाग पर ज्यादा जोर मत डालो और यश को लेकर घर जाओ ताकि वो थोड़ा आराम कर ले । "
मिसेज माथुर ने भी यश की ओर देख कर कहा, " हां बेटा ! यहां हॉस्पिटल में तुम आराम नहीं कर पाओगे, इसलिए घर जाकर आराम कर लो । "
यश ने कहा, " आपके कंसर्न के लिए थैंक यू आंटी... "
लेकिन मिसेज माथुर ने उसकी बात पूरी होने से पहले ही कहा, " नहीं बेटा, थैंक यू तो मुझे तुम्हें कहना चाहिए कि तुम सिड को सही समय पर यहां ले आए वरना पता नहीं क्या होता ! "
उन्होंने इतना ही कहा था कि तभी पुलिस भी वहां पर पहुंच गई ।
पुलिस को देख कर मिसेज माथुर के माथे पर चिंता को लकीरें आ गईं जो भरत को भी दिख रही थीं इसलिए उसने कहा, " भाभी, वो सिड को लेने के लिए नहीं आए हैं । "
ACP ने आते ही भरत के पास आकर कहा, " कैसा है वो ? " उनके नेम प्लेट पर उनका नाम अनिरुद्ध सिन्हा लिखा हुआ था ।
भरत ने कहा, " चोट गहरी है, पर अब खतरे से बाहर है । "
अनिरुद्ध ने कहा, " चोट तो गहरी होनी ही थी, हमला ही ऐसा हुआ था उस पर ! "
मिसेज माथुर ने नासमझी से कहा, " मतलब ! "
अनिरुद्ध ने अपने मोबाइल में एक वीडियो प्ले करके भरत को देते हुए कहा, " ये देखिए ! "
भरत ने वो वीडियो देखा तो वो वीडियो उस जगह की थी जहां से सिद्धांत निशा को बचा कर लाया था । वो सारी घटना वहां के स्ट्रीट कैमरे में कैप्चर हो गई थी ।
भरत ने दूसरी वीडियो देखी तो वो वहां की थी जहां सिद्धांत बेहोश हुआ था ।
उस वीडियो को देख कर मिसेज माथुर अंदर तक कांप गईं तो अनिरुद्ध ने उनसे कहा, " मैम, आपका बेटा बहुत बहादुर है और ऐसे नौजवानों की बहुत जरूरत है इस देश में । अगर उसने वक्त रहते उस लड़की को बचाया नहीं होता तो न जाने अब तक उसके साथ क्या हुआ होता । "
फिर उन्होंने हल्के से मुस्करा कर कहा, " और आपको पता है, वो किसकी बेटी थी ! "
मिसेज माथुर ने कहा, " नहीं ! " तो अनिरुद्ध ने कहा, " MLA की ! "
सबके मुंह से एक साथ निकला, " MLA की बेटी ! "
अनिरुद्ध ने हां में सिर हिलाते हुए कहा, " हां, आपके बेटे ने MLA की बेटी को बचाया है और वो इस वक्त आपके बेटे को ढूंढने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं । "
मिसेज माथुर ने नासमझी से कहा, " सिड को, पर उसे ढूंढने की कोशिश क्यों ? "
अनिरुद्ध ने कहा, " क्योंकि उनकी बेटी का रो रोकर बुरा हाल है । "
लक्ष्मी ने नासमझी से कहा, " पर वो क्यों रो रही है ? "
अनिरुद्ध ने कहा, " क्योंकि उसे बचाते हुए ही सर्वांश का ये हाल हुआ है और उसी के सामने सर्वांश घायल भी हुआ था । "
मिसेज माथुर ने कहा, " ऐसा था तो वो सिड को लेकर हॉस्पिटल क्यों नहीं आई ? भाग क्यों गई वहां से ? "
अनिरुद्ध ने कहा, " वो वहां से गई थी अपने गार्ड्स को लाने क्योंकि उसके खुद के पैर में मोंच आई थी, वीडियो में देखा होगा आपने ! "
मिसेज माथुर ने कहा, " हां ! "
अनिरुद्ध ने कहा, " इसीलिए वो अकेले सब कुछ हैंडल नहीं कर सकती थी और उसका घर भी थोड़ी ही दूरी पर था इसलिए वो अपने गार्ड्स को बुलाने चली गई थी लेकिन जब तक वो वापस आई... "
उनकी बात पूरी होने से पहले ही यश ने कहा, " तब तक हम उसे यहां ले आए थें । "
अनिरुद्ध ने उसकी ओर देख कर नासमझी से कहा, " तुम ! " तो भरत ने कहा, " ये ही सिड को यहां लेकर आया है । "
अनिरुद्ध ने सिर हिलाते हुए कहा, " ओह अच्छा, लेकिन ये वहां कर क्या रहा था ? "
उसके सवाल पर यश ने उसे घूर कर देखा, लेकिन फिर उसने खुद को शांत करके कहा, " वो, एक्चुअली हम आज ही यहां शिफ्ट हुए हैं और हम पापा के साथ नहीं आ रहे थे क्योंकि हम अपने दोस्त के घर पर थे । यहां का रास्ता हमने देखा नहीं था इसलिए इतनी देर रात तक बाहर थे । "
अनिरुद्ध ने कहा, " तो तुमने क्या देखा था ? "
यश ने कहा, " हम एक कैब में थे और वो उसी रोड से गुजर रही थी जब सिद्धांत के गिरने की आवाज हमारे कानों में पड़ी । "
अनिरुद्ध ने कहा, " तो तुमने उन सबको हॉस्पिटल क्यों नहीं पहुंचाया ? "
इस बार यश ने एक कदम उनकी ओर बढ़ कर कहा, " सर, उनकी शक्लें ही बता रही थीं कि वो सब कोई शरीफ इंसान नहीं हैं और वहां पर सिर्फ एक बाइक थी जिसका मतलब साफ था...
कि उन सबने एक बंदे पर अटैक किया है और वहां पर सिर्फ यही था जिसने riding gloves पहने हुए थे बस इसीलिए हम सिर्फ इसे ले आए । "
अनिरुद्ध के होठों पर मुस्कान आ गई । उसने भरत की ओर देख कर कहा, " वाह, आपके बेटे का दिमाग तो बिल्कुल आप पर गया है सर ! "
भरत ने भी हंस कर कहा, " ये तो हमारी खुशकिस्मती है, सर ! "
अनिरुद्ध ने बाहर की ओर मुड़ते हुए कहा, " तो हम माननीय MLA जी को बता देते हैं कि सर्वां... "
फिर उसने अचानक से मिसेज माथुर की ओर देख कर कहा, " मैम, इसका क्या नाम बताया आपने ? "
मिसेज माथुर ने अंजान बनते हुए कहा, " सिद्धांत ! क्यों, क्या हुआ ? "
अनिरुद्ध ने कन्फ्यूजन के साथ कहा, " नहीं, निशा ने हमें उसका नाम सर्वांश बताया था । "
मिसेज माथुर ने रिक्वेस्टिंग टोन में कहा, " अगर सिड ने उसे अपना नाम सर्वांश बताया है तो प्लीज, आप भी सबको उसका नाम सर्वांश ही बताइएगा । "
अनिरुद्ध ने कुछ सोच कर कहा, " पर क्यों ? "
शांतनु ने कहा, " ये सवाल तो आप सिड से ही पूछिएगा कि वो अपनी असली पहचान को छिपा कर क्यों रखता है । "
अनिरुद्ध ने हल्के से हंस कर कहा, " असली पहचान ही नहीं चेहरा भी । "
मिसेज माथुर ने नासमझी से कहा, " क्या मतलब ? "
अनिरुद्ध ने कहा, " मतलब ये कि आपके बेटे का दिमाग बहुत ही तेज है ।
इसने उन गुंडों को तो अपना चेहरा दिखाया है जिसे देखते ही वो गुंडे भाग खड़े हुए लेकिन ये काम भी इसने इतनी सफाई से किया है कि उन गुंडों के अलावा निशा को भी उसका चेहरा नजर नहीं आया ।
निशा तो क्या CCTV कैमरे में भी उसने अपना चेहरा आने नहीं दिया है । "
लक्ष्मी ने कहा, " वो ऐसा ही है सर और इसीलिए हमारी आपसे रिक्वेस्ट है कि उसका असली नाम या फिर उसका चेहरा किसी के भी सामने न आए । "
अनिरुद्ध ने सभी लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा, " ठीक है हम इसका असली नाम किसी के सामने नहीं लेंगे । "
हांलाकि इस बीच उसकी नजरें बार बार लक्ष्मी पर ही जा रही थीं । वो चाह कर भी अपनी नजरों को लक्ष्मी से ज्यादा समय के लिए हटा नहीं पा रहा था ।
वहीं इस सबसे अंजान मिसेज माथुर ने कहा, " थैंक यू, सर ! "
इतने में शांतनु ने कहा, " वैसे सर, ये निशा कौन है ? "
अनिरुद्ध ने उसकी ओर देख कर कहा, " अरे, यही तो MLA जी की बेटी है । "
शांतनु ने भरत के हाथ से वो फोन लेकर निशा को देखा और फिर उसे घूरते हुए ही कहा, " अच्छा, तो ये है वो लड़की जिसे बचाने में सिड का ये हाल हुआ है । "
इतना बोल कर उसने वो वीडियो अपने फोन में भेजने की कोशिश की और सफल भी हो गया क्योंकि अनिरुद्ध का ध्यान तो अपने फोन पर नहीं बल्कि लक्ष्मी पर था जो शांतनु के साथ खड़ी होकर वो वीडियो देख रही थी ।
शांतनु ने अपना काम करने के बाद वो फोन अनिरुद्ध की ओर बढ़ाया तब जाकर उसे होश आया ।
उसने अपना फोन लेने के बाद सबकी ओर देख कर कहा, " आई शुड लीव नाउ ( अब हमें चलना चाहिए ) । "
फिर उसने भरत की ओर देख कर हल्के से सिर झुका कर कहा, " प्लीज ! एक्सक्यूज मी, सर ! "
भरत ने भी हां में सिर हिला दिया तो पुलिस वापस चली गई ।
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यश ऑफिसर अनिरुद्ध की बातों से इतना चिढ़ क्यों रहा था ?
क्या था अनिरुद्ध के मन में ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस
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लेखक : देव श्रीवास्तव