समय की यादें Rishi Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • आई कैन सी यू - 40

    अब तक हम ने पढ़ा की रोवन और लूसी की रिसेपशन खत्म हुई और वो द...

  • जंगल - भाग 9

    ---"शुरुआत कही से भी कर, लालच खत्म कर ही देता है। "कहने पे म...

  • My Devil Hubby Rebirth Love - 52

    अब आगे वाइफी तुम्हारा रोना रूही गुस्से में चिल्लाई झूठ बोल र...

  • स्पर्श की ईच्छा

    वो परेशान था   शरीर उसका सामने पड़ा था वह कुछ भी नहीं कर पा...

  • बैरी पिया.... - 55

    अब तक : वाणी जी ने उसके सिर पर हाथ फेरा तो शिविका बोली " मैं...

श्रेणी
शेयर करे

समय की यादें

आप लोगो को मेरा प्रणाम  एक समय मै एक लड़का था उसका नाम ऋषि था समय की नजाकत को तो देखिए अगर आपको मेरी कहानी पड़कर आसू आ जाए तो माफ करना यह कहानी की शुरुआत २००७ से होती जब ऋषि का जन्म हुआ था उसे सबसे ज्यादा अपने माता पिता प्यारे लगते थे और बाकी रिश्तेदार तो सब अपने मतलब से आते थे कुछ समय बाद उसकी मां  को कैंसर हो गया एक दिन रात को ऋषि और उसकी मां छत पर ऋषि की मां ऋषि से कहती है कि मेरे बाद तुमारा कोन खियाल रखेगा और कुछ दिन बाद मां की मृत्यु हो गई अब कोई भी रिश्तेदार ऋषि के बहनों उसके पापा को नहीं पूछते  लेकिन ऋषि को इन सब बातों से कोई फर्क नही पड़ता उसने सोचा अभी दीदी है पापा है ऋषि को अपनी बड़ी दीदी पूजा से बहुत लगाव था समय बीतता चला गया पूजा की पढ़ाई पूरी हुई एक रात को ऋषि और उसकी बहन पूजा बैठे ही बैठे  पूजा ऋषि से बोलती है कि मेरी जॉब लग जाए तो बहुत बढ़िया होगा क्योंकि उनके पापा अच्छे नही थे ये बस  ऋषि का वहम था की पापा अच्छे हैं कुछ दिन बाद ऋषि की  बड़ी दीदी पूजा की जॉब लग गई और दीदी मथुरा चली गई अब ऋषि अकेला सा पद गया हालाकि उसकी एक और उससे बड़ी बहन थी उसका नाम छोटी था सब उसे छोटी बुलाते थे समय आगे बढ़ता गया २०२४ आया समय की यादें भी पीछे छूट ती गई अब ऋषि १८ साल का हो चुका था एक रात  छत पर अकेला बैठा  था और वह क्या  करे जो कभी अपनी मां और दीदी के साथ बैठा करता था आज वह अकेला बैठा है अब ऋषि उन सभी दिनों को याद कर रहा था की वह कैसे अपनी मां और बहन के साथ बैठता था ऋषि समय की यादों को याद कर रहा था और उसकी आखों से आसू आ रहें थे क्योंकि  उसकी छोटी से ज्यादा पटती नहीं थी और पापा हर वक्त ताना या डाटते रहते थे बिना गलती के ऋषि को हर वक्त उसके पापा सुनाते रहते थे   सब वह ज्यादा से ज्यादा भगवान की माला  जपना  शुरू कर दिया और समय के साथ साथ यादें भी कम होती चली गई और वो कहते है न 

कि समय की यादों से पर्दा न कर 

ये पर्दा ही समय की यादें होती है

ऋषि अब ज्यादा किसी से  बोलता  सिर्फ अपने आप  मै  मस्त रहता  ।

एक बार विद्यालय से ऋषि एक विज्ञान मेला मैं जाना था और ऋषि का सिलेक्शन भी हो गया ऋषि ने पूरी तैयारी कर ली लेकिन ऋषि जाने ही वाला था तभी उसके पापा ने उसे रोक लिया उसने पिता की बात मान ली वह नही गया लेकिन उसके पापा की तरफ से ये बहुत बड़ा धोखा था ऋषि उसे समझ नही पाया लेकिन समय के सामने आज तक किसकी चली है ऋषि को बड़ा दुख हुआ की बताओ अपने सगे पिता भी ऐसा कर सकते भला इसीलिए अपनो पर विश्वास न करना ।

आपका  सह धन्यवाद