नक़ल या अक्ल - 73 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 73

73

हादसा

 

किशोर को ऐसे लहूलुहान  देखकर, सरला और लक्ष्मण प्रसाद दौड़कर आए, सरला ज़ोर से चीखी, किशोर! और तभी उसकी आँख खुल गई। उसके देखा कि  वह  छत पर सोई  हुई  है।  बगल वाली चारपाई  पर उसका पति और बेटी काजल सो रहें हैं।   लाइट न होने की वजह  से तक़रीबन  सारा गॉंव  ही छत  पर सो रहा है। उसे बहुत घबराहट  होने लगी, उसने सुराही  से पानी  निकालना  चाहा, मगर सुराही  में  पानी नहीं है। वह पानी पीने  के लिए नीचे जाने लगी। उसका सिर घूम रहा है, उसे अब भी वो डरवाना सपना याद आ रहा है।  घबराहट  और अँधेरा होने के कारण उसे एक सीढ़ी  नज़र  नहीं आई और दूसरी  सीढ़ी पर पैर रखने के चक्कर  में उसका पाँव फिसला और वह धम्म धम्म  करती सीढ़ी  से नीचे  गिरने लगी।

 

उसके चीखने की आवाज  से लक्ष्मण प्रसाद और काजल भी उठ गए । “सरला !!” लक्ष्मण  प्रसाद चीखा, अब साथ वाले पड़ोसी  गजानन  भी उठ गए। आसपास और लोग भी इकठ्ठे  हो गए।   गजानन के दोनों बेटे लक्ष्मण  प्रसाद के साथ सरला को लेकर  हॉस्पिटल  भागे, गॉंव  के बाहर अस्तपताल  होने की वजह से वे लोग समय पर तो पहुँच गए पर सरला  का काफी खून बह  चुका है। डॉक्टर ने उसकी  हालत  को देखते हुए फौरन उसे आईसीयू में भर्ती  कर लिया। काजल ने अपने दोनों भाइयों को फ़ोन कर दिया।  

 

 

सब को सोता जानकर बड़ी सतकर्ता से मधु किसी दूसरे कमरे में गई और हरीश को  फ़ोन करकर कहा कि  “कल शाम पाँच बजे घर आ जाए। घर में कोई नहीं होगा, वह दरवाजा पहले से खोल देगी, वह सीधा उसके कमरे में आ जाये।  कल का दिन वह हरीश के लिए यादगार बना देगी।“ हरीश ने खुश  होते हुए कहा, लगता है, “बच्चे का बाप मैं हूँ।“ “ ऐसा ही समझ लें।“ मधु के चेहरे पर मुस्कान  है।

 

सुबह के सात बजे हैं, किशोर राधा की माँ को हॉस्पिटल में बिठाकर, गॉंव के बाहर बने अवन्ती  अस्तपताल में पहुँचा तो देखा कि निहाल और बापू पहले से मौजद है, तीनों  ने डॉक्टर से पूछा, “अगर आप कहें तो हम सरला को शहर के किसी बड़े अस्तपताल में  दिखा दें ।“ डॉक्टर ने जवाब दिया, सिर से खून बहुत बह चुका है, हमने मरहम पट्टी कर दी है। अगर उन्हेंदो घंटे में होश न आया तो आप जहाँ चाहे उन्हें ले जा सकते हैं।“  लक्ष्मण प्रसाद परेशान होकर बोले, “पता नहीं किसकी नज़र लगी, मेरे परिवार  को।“  निहाल ने उन्हें होंसला  दिया। किशोर भी अपने बापू को समझाने लगा।

 

 

कुछ देर बाद, सोनाली भी नंदन के साथ वहाँ पहुँची  तो उसने निहाल से बात न करकर, किशोर से बात की। 

 

भैया ! चाची  जी कैसी है ?

 

अभी बेहोश है। 

 

और राधा ?

 

उसने निराशा से ना में सिर हिला दिया।

 

आप परेशान मत होना, मैंने अपने कई रिश्तेदारों से बात की है। कुछ न कुछ हो जाएगा। उसने उसे तस्सली  दी। 

 

नंदन, नन्हें के साथ खड़ा हो गया। उसने सरला चाची का हालचाल पूछने के बाद, “उसने बताया कि कल हो सकता है, रिजल्ट आ जाये।“

 

इतनी जल्दी ?

 

कुछ कह नहीं सकते, मगर सुनने में  यही आ रहा है।

 

तभी डॉक्टर ने बताया कि  सरला को होश आ गया।  सबके चेहरे पर ख़ुशी की लहर  दौड़ गई।

 

शाम के पाँच  बजे हैं, हरीश  दबे पाँव  जमींदार के घर की तरफ बढ़ रहा है, उसने अपना मुँह गमछे से ढका  हुआ है।  जमींदार चौधरी  का घर आते ही उसने दरवाजे को हाथ लगाया तो वह खुल गया ।  अब वह अंदर आ गया और मधु के कहे अनुसार कमरे में चला गया। वहाँ उसने मधु को चादर तानकर  सोते देखा तो वह मुस्कुराता  हुआ बोला, “आग तो मुझे भी लगी हुई है, जानेमन।“ और वह उसके ऊपर  गिर गया। वह ज़ोर से चिल्लाई और सभी नौकर चाकर आ गए, उसने देखा कि वह मधु नहीं बल्कि  मधु की ननंद दमयंती  है। वह “माफ़ कर दो” कहता हुआ, भागने लगा, मगर नौकरो ने उसे पकड़ लिया और मारने लगें, तभी सुधीर भी आ गया।  उसने डरी हुई दमयंती और हरीश को पिटते देखा तो उसने हैरानी  से पूछा, “क्या हुआ?” “भैया यह मेरे कमरे में घुसकर मेरे ऊपर चढ़  गया।“  “तेरी यह हिम्मत !!” उसने भी हरीश को चाटा  लगा दिया।  “साहब! मेरी बात सुनो!!!” “ उसने उसकी गर्दन पकड़ते हुए कहा, “मैं कब से देख रहा हूँ, तू  बिना बात मेरे घर के चक्कर लगाता है।“ अब जमींदार के आते ही उसे पुलिस को दे दिया गया। मधु छत पर खड़ी  हरीश को पुलिस की गाड़ी  में बैठे देखकर  बोली,” मैंने ही दमयंती को अपने कमरे में  सुलाया था और मैंने ही सोती दमयंती के ऊपर चादर डाली  थी।“ अब रह जेल में।" उसके चेहरे पर मुस्कान  आ गई। 

 

किशोर अपने घर गया हुआ ताकि पिताजी और माँ के लिए रात का खाना ला सकें।  निहाल डॉक्टर की बताई दवाईयाँ लेने अस्पताल से बाहर गया हुआ है।  लक्ष्मण  प्रसाद  सरला के पास बैठे हैं। सरला के सिर पर पट्टी  बंधी  हुई है और उसके आसपास मशीने लगी हुई है। 

 

तूने तो डरा ही दिया था । उनका गला भर आया । 

 

सुनो !! किशोर कैसा है?

 

घर गया है, खाना लाने  के लिए। तू ज्यादा  मत बोल, डॉक्टर ने मना  किया है। 

 

हमारा बुरा वक्त चल रहा है, अगर मुझे कुछ  हो गया.......

 

कुछ नहीं होगा तुझे, यह वक्त भी निकल जायेगा।  घबरा मत। 

 

मैं अपने जीते जी अपने बच्चे की अर्थी नहीं देख सकती।  अब उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। 

 

क्या पागलो जैसी बातें  कर रही  है। 

 

मेरी बात सुनो!!! अब उसकी साँस चढ़ने लगी। 

 

ठीक है, बोल .....?

 

निहाल दवाई लेकर लौटा तो उसे नंदन का फ़ोन आया और वह रोते हुए बोला, “भाई  हम बर्बाद हो गए, हमारी सारी  मेहनत बेकार चली  गई।“  “क्या बकवास कर रहा है, और यह क्या बच्चो की तरह रो रहा है, पूरी  बात बता।“  अब निहाल के दिल की धड़कने भी तेज़ होने लगी। 

 

लक्ष्मण प्रसाद ने सरला की पूरी बात सुनी तो वह बोले, “तू ठीक हो जा हम बाद में बात करते हैं।“  तभी उसकी  सांस उखड़ने लगी।  वह ज़ोर से चिल्लाया डॉक्टर साहब  जल्दी आये, नर्स और डॉक्टर भागकर आये, डॉक्टर ने उसे देखते ही नर्स से कहा, इनका बीपी गिर रहा है। “नर्स इन्जेशन  दो।“  अब सरला को इंजेक्शन लगाए गए, मगर उसकी हालत  खराब होती गई।  “आप बाहर जाये।“  लक्ष्मण  प्रसाद बाहर  गए तो सरला को ऑक्सीजन  मास्क  लगाया गया। अब किशोर भी वहाँ  पहुँच  चुका  है। 

 

क्या हुआ बापू ?

 

तेरी माँ को शहर ले जाना पड़ेगा। 

 

“मैं राजू ट्रेवल को फ़ोन करता  हूँ।“  उसने झट से उसे फ़ोन लगाया।  तब तक डॉक्टर  भी बाहर  आ गए और दोनों बाप बेटा  उनका मुँह  देखने लगे।