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शादी
निर्मला की साँस ममता की अब त्योरियाँ चढ़ गई, वह गुस्से में बोली, “भाईसाहब सच्चाई बता क्यों नहीं देते कि आपकी बेटी घर से भाग गईI” गिरधर यह सुनकर शर्मिंदा हो गए, उन्होंने बात को संभालते हुए कहा, “भागी नहीं है, कहीं चली गई।“ अब ममता ने मुँह बनाते हुए ज़वाब दिया, जो भी है, लछण तो आपकी बेटी के सही नहीं लग रहें हैं और दोष हमारे बेटे को दे रही है।“ अब वे अपनी कमर पकड़कर उठी और सुनील के साथ साथ अपने पति और छोटे बेटे को देखते हुए बोली, “चलो सुनील!!! गलत घर में तुम्हारा रिश्ता कर दिया, चलो यहाँ से।“ सुनील तो निर्मला के घर से भाग जाने की खबर सुनकरस जड़ हो गया है है, उसे लग रहा है कि दो कौड़ी की लड़की ने उसे उसकी औकात दिखा दीं, उसे अपने पाँव की जूती समझने वाले सुनील को लग रहा है कि यह जूती उसके सिर पर ही गिर गयी है। मैं इसे छोडूंगा नहीं, उसने मन ही मन कुढ़ते हुए कहा। “चलो !! बेटा !! कहा खो गए। यहाँ एक मिनट नहीं रुकना।“ गिरधर ने हाथ जोड़कर कहा, “बहनजी मैं जल्द ही उसे आपके पास लेकर आऊँगा” मगर ममता ने उनकी बात को अनसुना किया और सबको लेकर घर से निकल गई।
गिरधर वही सिर पकड़कर बैठ गया, उसने गोपाला को कहा कि निर्मला का सामान देखें, गोपाल ने जब उसकी अलमारी देखी तो उसने अपने बापू को आकर बताया कि ‘निर्मला अपने कपड़े और गहने लेकर गई है।‘ ‘मैंने ही इस लड़की को ज़रूरत से ज़्यादा छूट दे दीथी । इसने आज मुझे कही भी मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा ।‘ गिरधर ने ज़ोर से ज़मीन पर पैर पटकते हुए कहा।
निर्मला बिरजू एक साथ बस में बैठकर दिल्ली जा रही है। उसके चेहरे पर घर से भागने का दुःख है, मगर इस बात का संतोष भी है कि उसने हालात के आगे हार नहीं मानी । बिरजू ने फ़िलहाल अपने घर में बताया है कि वह एक दोस्त की शादी में शामिल होने के लिए दिल्ली जा रहा है और कुछ दिन वहीँ रहने वाला है। उसने अपना कैफे का काम वहाँ काम कर रहें प्रीतम को सौंप दिया है।
आनंद विहार बड्स अड्डे पर उतरकर बिरजू ने निर्मला का हाथ पकड़ा और उसे सावधानी से बाहर की तरफ ले जाने लगा, बिरजू ने एक ऑटो किया और दोनों उसमे बैठ गए। निर्मला ने उससे पूछा, “हम कहाँ जा रहें हैं?”
“एक दोस्त से बात की है, एक कमरा किराए पर मिल गया है।“ थोड़ी देर में वे दोनों वहाँ पहुँच भी गए। उन्होंने वहाँ उनका इंतज़ार कर रहें दलाल से चाभी ली और बिरजू ने उसे पैसे पकड़ायें । अब दोनों अंदर आ गए। निर्मला ने देखा कि उनका फ्लैट तीसरे माले पर है, दो कमरे एक रसोई और बाथरूम के साथ बॉलकनी भी है। उसने खुश होते हुए कहा,
यह तो बहुत अच्छा है।
तुम्हें पसंद आया?
बहुत! पर महँगा नहीं है?
सात हज़ार किराया है।
हमें तो एक कमरा बहुत था ।
“हल्की कॉलोनी में लेता तो लोग तरह-तरह के सवाल करते है, यह जगह ठीक है, इन फ्लैटों में कोई किसी से मतलब नहीं रखता।“ उसने सामान एक एक तरफ़ रखते हुए कहा। पता नहीं, बापू मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे।“ “अगर तेरा बाप तेरे बारे में सोचता तो यहाँ आने की ज़रूरत नहीं पड़ती।“ अब निर्मला उदास मन से ज़मीन पर बैठ गई तो वह उसके पास बैठते हुए बोला,
“देख निर्मू !! तू कुछ दिन बाद अपने घर फ़ोन लगाकर पता करियो कि वहाँ क्या चल रहा है। तब तक मैं किसी वकील से भी बात करता हूँ।“ उसने बिरजू की आँखों में देखा तो उसे अपने लिए प्यार नज़र आया। वह हलके से मुस्कुरा दी। अब बिरजू ने साथ लाए सूटकेस से चादर निकाली और फर्श पर बिछा दी फिर दोनों उसी पर लेट गए।
लक्ष्मण प्रसाद. जब राधा को देखकर अस्पताल से वापिस आये तो सरला ने उनको पानी का गिलास थमाते हुए कहा, “मैंने कहा था न मत जाए, बेकार में इतना थक गए।“
उन्होंने उदास मन से कहा, “मुझसे से तो उस लड़की की हालत देखी नहीं जा रही, आखिर उसकी उम्र ही कितनी है।“
अब इसमें हमारी गलती तो नहीं है। सरला चावल साफ़ करने बैठ गई ।
वैसे मैंने अपनी किडनी भी चेक करवा लीं है ।
क्या ??? गुस्से से उसकी आँखे लाल हो गई।
क्यों पागल सांड हो रही है, डॉक्टर से बातचीत करकर ही चेक कराई है, मगर मेरी किडनी भी बहू से नहीं मेल खाई। उन्होंने पानी का पीकर गिलास नीचे रख दिया।
यह सुनकर सरला को तस्सली हुई।
एक बार तू भी अपनी किडनी दिखा लें।
मैं तो मरकर भी वहाँ न जाओ। उसने गुस्से में कहा तो वह चुप हो गए।
दिन बीतते जा रहें हैं, आज नन्हें का पेपर है, इस बार सबका सेंटर अलग अलग पड़ा है। नंदन का सेंटर निहाल से दूर है, इसलिए वह सुबह जल्दी निकल गया। राजवीर और सोनाली का सेंटर पास पास है, इसलिए दोनों एक साथ ही वहाँ के लिए निकल गए। रघु, समीर और उसके दोस्तों के साथ निकल गया। ठीक समय पर पेपर शुरू हो गया, इस बार निहाल पूरी तन्मयता से पेपर दे रहा है। उसका ध्यान भटकाने के लिए वो राजवीर नहीं है। पेपर पहले से मुश्किल आया है, मगर निहाल के लिए यह एक आसान पेपर है क्योंकि उसे सब आता है। तीन घंटे बाद, जब वह पेपर देकर निकला तो उसके चेहरे पर रौनक है। उसे पूरा यकीन है, इस बार पेपर क्लियर हो जायेगा।
रिमझिम के पेपर भी अच्छे जा रहें हैं। वह भी खुश है कि अगर सब सही चलता रहा तो वकालत के चार साल देखते देखते निकल जायेगे। आज उसका आख़िरी पेपर है, एग्जाम हॉल से बाहर आकर उसने देखा कि विशाल उसका इंतज़ार कर रहा है।
आज कोचिंग के शांतनु, निर्मल और मयंक सर ने कोचिंग में पार्टी रखी है क्योंकि एग्जाम के बाद, यह बैच चल जायेगा और फिर नया बैच आ जायेगा। ठीक शाम के छह बजे सब कॉचिंग पहुँच गए। सोनाली एक कोने में पूर्वा के साथ खड़ी है तो वहीं निहाल नंदन के साथ खड़ा कोचिंग के बाकी स्टूडेंट्स के साथ बतिया रहा है। अब कोचिंग के सर सभी से उनका यहाँ पढ़ने का अनुभव पूछते है, सभी एक-एक करकर अपने अनुभव को साँझा कर रहें हैं। फिर थोडी देर बाद, नाच गाने के साथ खाना शुरू हो गया,
राजवीर सोना के पास आया तो सोना उसके चेहरे की चमक देखकर बोली, “क्या बात है? आज का पेपर ज़्यादा अच्छा चला गया क्या?” “बिल्कुल !!” फिर वह सोना के करीब आकर बोला, “सोना मुझसे शादी करोगो?? यह आवाज जब नन्हें के कानो में गई तो वह राजवीर को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगा ।