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पैसे
गिरधर ने सोना और गोपाल को कहा कि “वे दोनों निर्मला को कुछ न बताये, एक महीने बाद, उसे सब बता देंगे और अगर किसी ने उसे कुछ बताया तो मुझसे बुरा नहीं होगा I” उसने दोनों को आँखे दिखाई तो वे दोनों झेंप गएI
निर्मला ने अपने कपड़ें ठीक किये और बिरजू के गले में बाहें डालती हुई बोली, “इस बार सावन सूखा सूखा नहीं गया I” अब दोनों एक बार फिर एक दूसरे के अधरों का रसपान करने लगें फिर निर्मला ने उससे अलग होते हुए कहा, “अच्छा मैं चलती हूँI” वह अब उस जगह से निकली तो उसके थोड़ी देर बाद बिरजू भी निकल गयाI
राजवीर कंप्यूटर की तरफ देख ही रहा है कि रघु आ गया, उसे ऐसे गौर से देखते हुए बोला, “क्या देख रहा है?”
“तू भी देख लेंI” अब वह भी उसके साथ बैठ गया और वेबसाइट देखने लगा, “तू यह क्यों देख रहा है, इतनी पढ़ाई कौन करेगा” I
यह साईट रिमझिम देख रही थींI
रिमझिम? पर क्यों? वह हैरान हैI
“वही जाने, तभी बिरजू आ गया और बोला, “चलो हटो कैफे बंद करने का समय हो गया है” और फिर दोनों दुकान से निकल गए और बिरजू कैफ़े बंद करने लगा
रात को खाना खाने के बाद सरला ने लक्ष्मण प्रसाद से पूछा, “क्यों जी कुछ इंतज़ाम हुआ?”
“लगा हुआ हूँ, कल तक होने की पूरी उम्मीद हैI” उसने चारपाई पर लेटते हुए ज़वाब दियाI
निर्मला रसोई में खाना पकाते वक्त सोना को बड़ी खुश नज़र आ रही है, उसने पूछा, “दीदी क्या बात है?”
“कुछ नहीं सोना, बस फिर से जीना सीख रही हूँI” उसने मुस्कुराते हुए ज़वाब दियाI ‘बापू नीरू दीदी के साथ सही नहीं कर रहें हैंI उन्हें वहाँ ज़बरदस्ती भेजना ठीक नहीं है I’ उसने मन ही मन कहाI
जब खाना खाने के बाद सब सोने चले गए तो निर्मला ने भी अपनी चारपाई छत पर बिछा लीं और बिरजू से फ़ोन पर बात करने लगीI वह भी अपनी छत पर निर्मला के फ़ोन का ही इंतज़ार कर रहा थाI
“हेल्लो !!! निर्मू मैं तुम्हारे ही फ़ोन का इंतज़ार कर रहा थाI
मुझे भी तुम्हारी यद आ रही थीI उसने शरमाते हुए कहाI
मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता, तुम्हारे बापू ने उस सुनील से तलाक की बात की?
मुझे नहीं पता, वो मुझसे तो बात नहीं कर रहें हैं और अगर ऐसी कोई बात होती तो सोना मुझे ज़रूर बतातीI अभी कुछ दिन सब्र करो, मैं कुछ न कुछ करती हूँI”
अगले दिन नंदन ने नन्हें को बताया कि उसके बापू ने कोचिंग के लिए पैसे का इंतज़ाम कर दिया हैI
पर कैसे ?
जो पैसे बहन की शादी के लिए रखें थे, वही पैसे मुझे दे रहें हैंI
लेकिन यार!!! शालिनी दीदी के ब्याह के पैसा लेना ठीक नहीं है?
मैंने भी उन्हें मना किया था, वो नहीं माने, कहने लगे, “बेटा पुलिस अफसर लग गया तो जितना उन्होंने जोड़ा है, उससे कहीं ज़्यादा कमाकर दे देगाI “
हमारे माँ बाप को हमसे कितनी उम्मीदे हैI
हाँ नन्हें ? तू बता?
मेरा तो मुश्किल है, मैंने बापू को कह दिया कि मेरे लिए परेशान मत होI ठीक किया, अब नंदन ने उसके कंधे पर हाथ रखकर दिलासा दिया I
रिमझिम के नानाजी दुकान पर बैठे है, वह दुकान में गई और उन्हें कहने लगी, “नानू आपने जो मेरे लिए ज़मीन रखी थी, उसे बेच दीजियेI” उसके नाना केशवलाल हैरान रह गएI
पर क्यों बिटियाँ ? वो तेरे शादी के लिए रखी है I
शादी का इंतजाम मैं खुद कर लूंगीI फ़िलहाल मुझे पढ़ाई के लिए पैसे चाहिएI
पढ़ाई कर तो ली, अब तो पेपर देन है!!! उसने उन्हेंसवालियाँ नज़रों से देखाI
नानू मैं एलएलबी की पढ़ने करने वाली हूँI
वो क्या होता है?
मैं वकालत करना चाहती हूँI उसमें चार साल लगेंगे I
लेकिन बेटा, क्या ज़रूरत है?
मुझे क्लर्क नकर सुबह नौ से पाँच बजे की नौकरी करने में कोई दिलचस्पी नहीं हैI मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती हूँ, मैं उन लड़कियों के लिए कुछ करना चाहती हूँ, समाज में दहेज़ जैसे जाने किंतने ही अपराध का शिकार हो रही हैI आप देंगे तो ठीक है, वरना मैं स्टूडेंट लोन की बात बैंक में करो I
नहीं बेटा!! मुझे कोई एतराज़ नहीं हैI
ओह !!! नानू !! उसने अब अपने नानू को गले लगा लियाI
यह बात रिमझिम की नानी शांता को पता चली तो वह बहुत नाराज़ हुई, मगर नाना ने उन्हें बताया कि उन्हें तो अपनी रिमझिम पर गर्व है, इसलिए वह भी उसके इस फैसले में उसका साथ देंI शांता यह सुनकर चुप हो गई तो रिमझिम ने उन्हें गले लगाते हुए कहा, “नानी एक दिन मैं काले कोट में आऊँगी तो आपको भी मुझ पर नानू की तरह गर्व होगा” “बेटा लेकिन इतने बड़े शहर में अकेले कैसे रहेगी,” “जैसे बाकी के बच्चे रहते है I मैंने सब इंतज़ाम कर लिया है, आप चिंता मत करेंI” चिंता तो होगी ही तू नातिन नहीं बेटी है, हमारीI” नानी की आँखों में आँसू आ गए तो वह दोबारा उनके गले लग गईI “आप ठीक कहती है नानी, मैं आपकी बेटी हूँI” अब वह भी भावुक हो गईI
किशोर ने अम्मा को बताया की वह कुछ दिनों के लिए राधा को उसके मायके छोड़ने जा रहा है I उसकी माँ ने चिढ़कर जवाब दिया, “जब सब खुद ही कर लिया है, तू यह भी क्यों बता रहा है “I यह सुनकर वह झेंप गया I कुछ देर बाद वो उसे लेकर उसके घर के पास लेकर पहुँचा तो उसने उसने राधा को कहा,
“अपने बापू को कुछ न बताइओ I
मैं पागल हूँ क्या !! वो तो और भड़क जायेंगे I” अब दोनों अंदर गए तो उनका हमेशा की तरह भव्य स्वागत हुआ I वह कुछ देर तक वही रुका और फिर राधा को वहाँ छोड़कर चला गयाI
रात को खाना खाने के बाद, निहाल को उसके पिता लक्ष्मण प्रसाद ने अपने बुलाया और उससे कहा, “पैसो का इंतज़ाम हो गया हैI” उन्होंने उसे पैसे दिए, यह देखकर वह हैरान हो गया I “बापू !!! यह सब आपने कैसे किया?” “बस कर लिया, तू यह पैसे रख और अपनी तैयारी अच्छे से कर I” उसने यह सुना तो वह बोला, मैं इन पैसो को हाथ नहीं लगाऊँगा जब तक आप मुझे बताओगे नहीं कि पैसे कहाँ से आयेI” अब दोनों पति पत्नी एक दूसरे का मुँह देखने लगेI