नक़ल या अक्ल - 57 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 57

57

बरबाद

 

कुछ सेकण्ड्स तक निहाल रिमझिम को देखता रहा, तो वह मुस्कुराते  हुए बोली, “ऐसे क्यों देख  रहें हो?” “तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, रिमझिम?” “कुछ  तो चल ही रहा है, नन्हेंI” उनको इस तरह बात  करते सोना ने भी देख लिया और कहीं  न कहीं उसे बुरा  भी लगा कि  नन्हें उसे अनदेखा कर रिमझिम से कुछ ज़्यादा  ही बतिया  रहा है पर उन दोनों की बातचीत अब भी ज़ारी है,

 

“बताओ न रिमझिम” नन्हें ने उससे ज़ोर देकर कहा, अब इससे पहले वो कुछ बताती उसे कुछ काम  याद आ गया और वो उससे बाद में मिलने का बोलकर, वहाँ से चली गई I अब नन्हें की नज़रें दूर  खड़ी, सोनाली पर गई तो उसने उसे देखकर मुँह फेर लियाI यह देखकर वह उसके पास आई और उससे बोली,

 

क्या बात है? नन्हें? तुम ठीक होI 

 

हाँ मुझे क्या हुआ है?

 

तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रहें है?

 

कर तो रहा हूँI उसने सोना  को गौर से  देखकर जवाब  दियाI

 

आजकल तुम्हारी  रिमझिम से बहुत बन रही हैI

 

“मेरी दोस्त है, बात करने में  हर्ज  क्या है!!!’ सोनाली ने कोई ज़वाब  नहीं दिया तो वह ढलते सूरज को देखकर बोला, “अच्छा सोना, मैं  चलता हूँI  वह तो उठकर चला गया, मगर सोना वही बैठी रही और ढलते सूरज को एकटक देखती रहीI 

 

निर्मला जब वपिस घर लौटी तो उसके बापू गिरधर ने उसे टोकते हुए पूछा,

 

कहाँ  से आ रही हो?

 

सोना ने आपको बताया नहीं कि मैं कंप्यूटर सीख रही हूँI

 

देखो !! नीरू शादी के बाद लड़कियाँ अपने ससुराल में अच्छी लगती  हैI

 

वो ससुराल नहीं नरक हैI  उसने गुस्से में ज़वाब दियाI

 

ठीक है, मैं कल कानपूर के लिए रवाना हो रहा हूँ, अगर मुझे सब सही लगा तो तुम वापिस जाऊँगीI

 

आपको कुछ गलत लग भी कहा रहा है और कुछ घंटे वहाँ रहने से आपको क्या समझ आ जायेगाI कम से कम एक महीना, वहीं रहकर देखिएI तभी गोपाल बोल पड़ा,  “दीदी मैं भी इनके साथ जाऊँगाI  तुम चिंता मत करोI”

 

आप लोग वहाँ जाये या न जाएI  मैं तो वापिस नहीं जाने वाली क्योंकि जिसे चोट लगती है, उसे ही दर्द का पता होता हैI

 

यह तुम्हारा अंतिम फैसला है?? उसके बापू ने पूछाI 

 

बिल्कुल !!! मेरा उस सुनील से तलाक करवाएI बापू ने तलाक शब्द सुना तो वह बौखला  गएI 

 

हमारी सात  पुश्तों में  भी कभी किसी लड़की का तलाक  नहीं हुआI 

 

“शायद उनमे  बोलने की हिम्मत  नहीं होगी, मगर मुझमें आ गईI”  गिरधर ने एक ज़ोरदार चाटा  उसके मुँह पर दे मारा तो गोपला ने उन्हें रोकते हुए कहा, “यह आप क्या कर रहें हैं!!!”

 

“रहने दे गोपाल  !! उस आदमी की जूत से कहीं अच्छे इनके थप्पड़ हैI  अब वह आँख में आँसू लिए अपने कमरे में चली गई और वहाँ जाकर फूटफूटकर रोने लगीI 

 

नन्हें के घर में सन्नाटा है, सरला तो मुँह फुलाकर अपने कमरे में बैठी है, राधा खाना बना रही है तो काजल खाना परोस रही हैI  लक्ष्मण प्रसाद ने कहा, “जा बिटिया! खाना अम्मा को कमरे में ही दे आI  अब उसने एक थाली उठाई और कमरे में चली गईI  उन्होंने भी अनमने मन से दो रोटियाँ खाई और सोने चले गएI  लक्ष्मण प्रसाद तो किशोर की तरफ देख भी नहीं रहेंI नन्हें भी खाना खाकर  छत पर चला गया तो किशोर ने राधा को अपने पास बुलाया और उसे अपने हाथ से खाना खिलाने लगा, “तुम खाओ, मुझे भूख  नहीं हैI’ उसकी आँख में  आंसू की दो बूँद  देखकर उसने उसके आँसू  पोंछे और उसे  एक कौर खिलाता  हुआ बोला, “तुम नहीं खाऊँगी तो मुझसे भी नहीं खाया जायेगाI उसने अब एक कौर उसके मुँह में डाल  दियाI 

 

कुछ देर बाद, किशोर छत पर गया तो देखा कि  नन्हें चारपाई पर लेटा,  सोने की कोशिश कर रहा हैI वह उसके साथ वाली चारपाई पर बैठता हुआ बोला,

 

नन्हें तू भी मुझसे नाराज़  है?

 

नहीं भाई! ऐसा कुछ नहीं हैI

 

दे ! नन्हें मैंने जी किया वो सही नहीं थाI

 

भाई, आप मुझे तो बता सकते थेI 

 

सोचा तो था पर तू अपनी पढ़ाई में व्यस्त  और मुझे लगा तू इतना ईमानदार है, मेरा इस काम में कभी साथ नहीं देगाI

 

“हाँ मैं इस काम में  तुम्हारा  साथ  नहीं देता पर कोई न कोई रास्ता तो निकालता I”  उसने किशोर को गौर से देखते हुए ज़वाब दियाI

 

मुझे माफ़ कर दें भाई !! मेरी वजह से तू कोचिंग नहीं ले सकेगाI

 

कोई नहीं!!! चार किताबें ज़्यादा  पढ़ लूँगाI उसने मुस्कुराते  हुए कहा तो उसने उसे गले लगा लियाI

 

लक्ष्मण  प्रसाद और सरला की आँखों में नींद नहीं हैI   सरला ने उदास स्वर में  कहा,

 

“हमारे नन्हें ने बचपन से लेकर आजतक हमसे कुछ नहीं माँगा, पहली बार उस लड़के ने कुछ कहा तो हम वो भी पूरा नहीं कर पा रहें हैंI”

 

तुम ठीक कहती हो, किशोर तो फिर भी ज़िद करता था, मगर इस लड़के ने कभी कोई ज़िद नहीं कीI कल को इंस्पेक्टरबनेगा तो हमारा नाम ही रोशन करेगाI

 

मैं तो कहती हूँ कि तुम राधा के बापू के पास जाओ और उन्हे किशोर की सच्चाई बताकर, पैसे की बात करोI

 

मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाला, पूरे गॉंव में बदनामी होगी, लोग हमारे किशोर के बारे में पता नहीं क्या क्या कहेंगेI इसलिए यह तो भूल जा I

 

बिरजू ने सोते समय निर्मला को फ़ोन किया तो उसने रोते हुए अपने बापू के थप्पड़ मारने  की बात बताई I वह उसे समझाते हुए हिम्मत न हारने का दिलासा देने लगा लेकिन मन में उसे निर्मला के बापू पर गुस्सा आ रहा हैI 

 

“अच्छा भाई!! मुझे पूरी बता बता,” उसने झेंपते हुए, उसे सब बता दिया तो नन्हें हँसने लग गयाI  “वाह!! एक अच्छा ख़ास ड्रामा घर में चल रहा था और हमें पता ही नहीं चला, यह दिमाग पढ़ाई में भी लगा लेताI जा अब सो जा, भाभी!!! किशोर भी वहाँ से उठकर चला गयाI 

 

सरला मैंने सोच लिया है, “मैं नन्हें के सपने को बरबाद नहीं होने दूँगा, मैं उसके लिए पैसे का इंतज़ाम  करकर रहूँगाI” “पर कैसे?” सरला ने चिंतित स्वर में पूछाI  “कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा, अब तू सो जाI” मैं उसका बाप हूँ, कुछ न कुछ कर ही लूँगाI