तिलिस्मी कमल - भाग 26 (अंतिम भाग) Vikrant Kumar द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तिलिस्मी कमल - भाग 26 (अंतिम भाग)

इस भाग को समझने के लिए इसके पहले से प्रकाशित सभी भाग अवश्य पढ़ें .........💐💐💐💐💐💐

राजकुमार धरमवीर ब्रम्ह राक्षस से लड़ने के लिए तैयार था। ब्रम्ह राक्षस ने राजकुमार को रोकते हुए बोले - " रुको राजकुमार मुझे तुमसे नही लड़ना है । मुझे तुम्हारे बारे में सब मालूम है । "

राजुकमार बोले - " मुझे तो यह जानकारी थी कि ब्रम्ह राक्षस किसी को भी देखते है तो उसे तुरंत मार देते । सलिये मैंने सोचा अगर मरना है तो लड़कर मरा जाए ।"

ब्रम्ह राक्षस राजकुमार की बाते सुनकर हँसने लगे और बोले - "  जो ब्रम्ह राक्षस 1000 वर्ष के हो जाते है उनमें भूत भविष्य व वर्तमान देखने की शक्ति आ जाती है। और मैंने तुम्हारा भूत काल देख लिया है इसलिए तुमसे लड़ने का कोई सवाल ही नही पैदा होता है । तुम एक नेक दिल और हिम्मती व्यक्ति हो राजकुमार और तुम तिलिस्मी कमल क्यो ले जाना चाहते हो  ये मैं सब जानता हूँ । " 

राजकुमार ब्रम्ह राक्षस की बात सुनकर बोले  -  "हे ब्रह्म राक्षस जब आप सब जानते है तो कृपा करके तिलिस्मी कमल मुझे दे दीजिए ताकि ये फूल वनदेवी को दे सकूँ और वे अपने पति और मेरे पिता को जीवित कर सके जिसके लिए मैंने इतने खतरे उठाये और न जाने कितनी मेहनत की । " 

राजकुमार के मुंह से वनदेवी का नाम सुनकर ब्रम्ह राक्षस बोले  - " राजकुमार अभी तुम  सच्चाई से वाफिक नही हो अगर सच जान जाओगे तो तुम्हारे पैरों तले जमीन खिसक जाएगी ।"

राजकुमार ब्रम्ह राक्षस की बात सुनकर सोच में पड़ गया कि ऐसी क्या सच्चाई है जो मुझे पता नही है काफी सोचने के बाद जब कुछ नही समझ मे आया तो ब्रम्ह राक्षस के सामने हाथ जोड़कर बोला - " मान्यवर मेरे तो कुछ भी समझ में नही आ रहा है , कृपा करके आप मुझे सच्चाई बता दे ताकि अगर कोई खतरा हो तो उसके प्रति सतर्क हो जाऊं। "

ब्रम्ह राक्षस राजकुमार से बोले -  " राजकुमार जिसके कहने में तिलिस्मी कमल की खोज में तुम यँहा आये हो वह वनदेवी नही है बल्कि तंत्र मंत्र की ज्ञाता , चुड़ैलों की रानी त्रिलोचना है जो तुम्हारे द्वारा अपना काम करवाना चाहती थी इसलिए उसने शेर वाली लीला रची । वह तिलिस्मी कमल को सिद्ध करके अमर होना चाहती है ।"

ब्रम्ह राक्षस के मुह से वनदेवी की सच्चाई जानने के बाद राजकुमार को ऐसा लगा जैसे सच मे उसकी पैरों तले जमीन खिसक गई । राजकुमार कुछ देर तो कुछ बोला ही नही चुपचाप शांत खड़ा रहा ।

ब्रम्ह राक्षस राजकुमार को सांत्वना देते हुए बोले  - "  राजकुमार जो हो गया अब उसके बारे मे न सोचिए अब जो आगे होना है उसकी तैयारी करो । अभी भी आप उस चुड़ैल से जीत सकते है ।"

राजकुमार उदास मन से ब्रम्ह राक्षस से बोले - "अब आप ही कोई तरीका बताइए ताकि उस चुड़ैल से अपने पिता व राज्य को बचा सकू । "

ब्रम्ह राक्षस राजकुमार से बोले - " आप उदास न होइए राजकुमार आप तो बहादुर इंसान है आप न जाने कितने अड़चनों व खतरों को पार करके यँहा तक पहुंचे है , आप पर उदासीपन अच्छा नही लगता है । "

राजकुमार बोले - " आप सही कह रहे है उदास होने से कोई फायदा नही है । आप उस चुड़ैल को मारने का उपाय बता दीजिए । "

ब्रम्ह राक्षस - वह चुड़ैल कोई आम चुड़ैल नही है वह चुड़ैलों की रानी है इसलिए उसे मारना इतना आसान नही है। उसकी जान उसके शरीर मे नही है उसकी जान एक मणि में है जो वह हमेशा अपने गले मे पहने रहती है ।

इतना कहने के बाद ब्रम्ह राक्षस तालाब की ओर गए और तिलिस्मी कमल को अपने हाथ मे लिया । उधर जैसे पहला कमल ब्रम्ह राक्षस तोड़ कर उठाया था उसकी जगह दूसरा तिलिस्मी कमल फिर से उग गया। 

ब्रम्ह राक्षस राजकुमार को तिलिस्मी कमल देते हुए कहा - " राजकुमार ये लो तिलिस्मी कमल , यह कमल का प्रतिरूप है । तुम्हारा काम इससे भी हो जाएगा  । "

इसके बाद ब्रम्हा राक्षस राजकुमार को तालाब का पानी , एक रत्न जड़ित  खंजर और कुछ शक्तियां राजकुमार को दी। इसके बाद बोले - " राजकुमार यह तालाब का पानी तिलिस्मी है । इसके प्रभाव से बुरी शक्तियां दूर रहेगी। यह खंजर तुम्हे चुड़ैल को मारने में काम आएगा ।और ये शक्तियां चुड़ैल से लड़ने में मदद करेगी ।"

राजकुमार ब्रम्ह राक्षस से बोले  - " मान्यवर आपने एक अनजान इंसान के लिए इतना किया आप एक महान ब्रम्ह राक्षस है आपका एहसान मुझ पर हमेशा रहेगा । अब आप मुझे यँहा से जाने की आज्ञा दीजिए क्योकि उस चुड़ैल द्वारा दिये जाने वाला समय भी पूरा होने वाला है देर हो जाने में न जाने क्या उत्पात मचाये ।"

ब्रम्ह राक्षस राजकुमार को आशिर्वाद दिया कि जाओ राजकुमार तुम्हारा काम पूरा हो । इसके बाद ब्रम्ह राक्षस हवा में एक ताली बजाई । ताली बजाते ही राजकुमार हवा में गायब हो गया और उस पेड़ के पास प्रकट हो गया जंहा पर वनदेवी ने चुड़ैल  के  रूप में मिलने के लिए कहा था ।

राजकुमार जब प्रकट हुए तो वँहा पर कोई नही था । राजकुमार अपनी रियासत के अंदर आकर ऐसा लगा जैसे वह अपने घर पे ही हो। राजकुमार इधर उधर वनदेवी को देख रहा  था वनदेवी कही नही दिखी । राजकुमार तिलिस्मी कमल को जादू के शक्ति से गायब कर दिया और उसकी जगह अपने हाथ पर नकली तिलिस्मी कमल प्रकट कर लिया ।

राजकुमार असली कमल गायब करके नकली कमल को प्रकट ही किया था तभी वनदेवी ( चुड़ैल )  आ गई। राजकुमार वनदेवी के प्रति पहले से ही सतर्क था। 

वनदेवी राजकुमार के हाथ मे तिलिस्मी कमल देखकर बहुत प्रसन्न थी । ऐसा लग रहा था वनदेवी को मनचाही वस्तु मिल गयी हो। वनदेवी ने राजकुमार से तिलिस्मी कमल मांगा राजकुमार भी बिना हिचकिचाते हुए तिलिस्मी कमल दे दिया।

तिलिस्मी कमल मिलते ही वनदेवी अपने असली रूप में आ गई और जोर सेअट्टहास करने लगी  और कुटिल हंसी में राजकुमार से बोली - " राजकुमार मैं कोई वनदेवी नही बल्कि चुड़ैलों की रानी तंत्रिका त्रिलोचना हूँ। अब इस कमल को सिद्ध करके मैं अमर हो जाऊंगी । इतना कहने के बाद चुड़ैल वँहा से गायब हो गई ।"  

राजकुमार सब पहले से ही जानता था इसलिए उसे किसी बात की चिंता नही थी। राजकुमार चुड़ैल के गायब होने के बाद अपने महल की ओर चल दिया । कुछ देर में राजकुमार अपने महल के सीमा के पास पहुंच गया।

चन्दनगढ़ की प्रजा अपने राजकुमार को सही सलामत देखकर खुशी से भावुक हो गए । राज्य की प्रजा राजकुमार को अपने कंधे में उठाकर महल तक ले गये।

राजकुमार को देखकर महल में खुशहाली का माहौल बन चुका था । सभी खुश थे अब राजकुमार महाराज और वनदेवी के पति ठीक हो जाएंगे और राज्य में फिर से पहले जैसे खुशहाली आ जाएगी ।

राजकुमार वनदेवी की सच्चाई तो पहले से ही जान गया था लेकिन प्रजा के सामने अभी खुशी का माहौल था इसलिए किसी से सच्चाई नही बताई । और अपने पिता को सही करने के लिए उनके पास पहुंच गया ।

राजकुमार अपने पास असली तिलिस्मी कमल जादू से प्रकट किया और उसका रस अपने बेहोश पिता के मुँह में डाल दिया । कुछ देर में राजकुमार के पिता को होश आया गया। पिता के होश आते ही राजकुमार खुशी के माई अपने पिता के गले लग गया ।

प्रजा भी अपने महाराज के ठीक होने पर ख़ुशी में नाच गाने करने लगी । हर तरफ खुशहाली का माहौल था । लेकिन राजकुमार सतर्क था उसे पता था कि जब वनदेवी सच्चाई जानेगी तो वह यँहा पर घायल नागिन की तरह फुफकारते हुए आएगी।

इधर वनदेवी जो अपने असली रूप में आ चुकी थी कमल को सिद्ध करने के लिए तरह तरह की तंत्र विद्या करने लगी । लेकिन कमल तो नकली था इसलिए कोई भी तंत्र मंत्र काम नही कर रहा था । चुड़ैल समझ गई कि राजकुमार उसके साथ धोखा किया है यह कमल असली नही बल्कि नकली है ।

चुड़ैल पागलों की तरह चीखने चिल्लाने लगी । महीनों की मेहनत उसकी एक ही झटके के साथ बेकार हो गई। चुड़ैल बिना एक पल की देर किए हुए चन्दनगढ़ की ओर चल दी।

चुड़ैल जब चन्दनगढ़ पहुंची तो वँहा पर महाराज के ठीक होने खुशी से नाच गा रही थी । चुड़ैल यह सब देख कर और गुस्से से तिलमिला गई । और अपनी शक्ति वँहा पर तेज तेज हवाएं चलाने लगी ।

तेज हवाएं चलते ही जो नाच गाना हो रहा है वह सब बंद हो गया और प्रजा हवाएं के तेज थपेडेसे बचने के लिए इधर उधर छितरा गई । इसके बाद चुड़ैल तेज गरजती आवाज में बोली  - " राजकुमार धरमवीर अगर तुम अपने राज्य व अपनी भलाई चाहते हो तो तिलिस्मी कमल मुझे वापस दे दो । अगर नही दिया तो यँहा पर कोई जीवित नही बचेगा।"

राजकुमार तो सब पहले से ही जनता था । राजकुमार चुड़ैल से बोला - " चुड़ैल त्रिलोचना अगर तुम अपनी जान बचाने चाहती हो तो जंहा से आई हो वापस चली जाओ ।तुमने मुझे धोखे रखकर मुझसे तिलिस्मी कमल मंगवाया है । और बात रही कमल का तो उसका उपयोग हो चुका है । उस कमल से मेरे पिता जी सही हो चुके है।"

इतना सुनने के बाद चुड़ैल राजकुमार से बोली  - " राजकुमार अब तुम अपनी और अपनी प्रजा की जान नही बचा पाओगे । " 

इतना कहने के बाद चुड़ैल ने अपने शरीर से लाखों की संख्या में चमगादड़ प्रकट किए । और प्रजा की ओर छोड़ दिया। राजकुमार के पास अभी भी चुड़ैल की दी हुई शक्तियां थी । राजकुमार ने जादू से अपने हाथ मे धनुष तीर प्रकट किया और एक तीर चमगादड़ों की ओर छोड़ दिया।

तीर हवा में जाकर रुक गया और आग का गोला बरसाने लगा । जितने चमगादड़ चुड़ैल के शरीर से निकलते उतने ही आग के गोले तीर  से निकलते जिससे चमगादड़ मारने लगे ।

चुड़ैल ने जब अपना वॉर बेकार जाते हुए देखा तो उसे ध्यान आया कि राजकुमार उस दी हुई जादुई शक्तियां का उपयोग उसके ही खिलाफ कर रहा है । चुड़ैल ने तुरंत ही राजकुमार से अपनी दी हुई शक्तियां वापस अपने पास खींच ली।

चुड़ैल को लगा अब राजकुमार के पास कोई भी शक्ति  नही बची है वह शक्तिविहीन हो गया । उसने तुरंत अपने जादू से हवा में एक विशालकाय गिद्ध प्रकट किया । और राजकुमार की ओर छोड़ दिया। गिद्ध राजकुमार की ओर एक आग का गोला अपने मुंह से छोड़ दिया।

राजकुमार आग के गोले से बचने के लिए ब्रम्ह राक्षस की  दी हुई शक्ति से अपने हाथ मे एक चमचमाती तलवार प्रकट की और उसी तलवार पर गिद्ध के द्वारा छोड़ा गया आग के गोले को रोक लिया । 

इसके बाद राजकुमार ने उस तलवार को गिद्ध की ओर छोड़ दिया । तलवार गिद्ध की गर्दन काटते हुए हवा में गायब हो गई और साथ ही गिद्ध का शरीर भी हवा में गायब हो गया।

चुड़ैल का ये वॉर भी बेकार चला गया । राजकुमार भी ये लडाई लम्बी खींचना नही चाहता था । इसलिए राजकुमार ने एक किरण  चुड़ैल के गले मे पड़ी माला छोड़ दिया । किरण माला में पड़े लाल मणि में लगा ।  


मणि में किरण लगते ही चुड़ैल दर्द से तिलमिला उठी । मणि जादुई कवच में थी इसलिए मणि में कुछ खास चोट नही आई आई लेकिन चुड़ैल सकते में आ गई कि राजकुमार को कैसे पता?  कि मेरी जान इस लाल मणि में है।

चुड़ैल ने राजकुमार से अपने आप को बचाने के लिए अपने रूप के कई सारे हमशक्ल बना लिए और उसी में  मिल गई। अब राजकुमार परेशान हो गया कि असली चुड़ैल को कैसे ढूंढे ।

इधर सभी चुडैलों ने मिलकर एक साथ राजकुमार पर हमला कर दिया राजकुमार सब से तो बच गया लेकिन एक चुड़ैल का प्रहार राजकुमार को लग गया । राजकुमार घायल होकर नीचे गिर गया ।

राजकुमार को घायल देखकर  असली वाली चुड़ैल ने राजकुमार की जान लेनी के लिए एक आत्मघाती आग का गोला छोड़ दिया। राजकुमार में घायल होने के कारण फुर्ती थोड़ी कम हो गई थी इधर तब तक आग का गोला राजकुमार के नजदीक पहुंच गया था । राजकुमार को लगा कि अब अपनी जीवन लीला समाप्त हो जाएगी।

तभी अचानक एक किरण आग के गोले से आकर टकराई। किरण से टकराते ही गोल दूसरी तरफ मुड़ गया।राजकुमार को अपनी जान बचते देख कर बड़ा सकूं मिला। राजकुमार उस किरण के छोड़ने वाले कि तरफ मुड़कर देखा तो वह और कोई नही बल्कि उसकी प्रेमिका सुकन्या पारी थी ।

सुकन्या परी को देखकर राजकुमार को थोड़ा राहत मिली कि चुड़ैल के साथ लड़ने के लिए उसके साथ कोई तो है।सुकन्या परी के साथ मिलकर राजकुमार अब दुगुने जोश के साथ लड़ने को तैयार था ।

उधर चुड़ैल परी को देखकर और गुस्सा हो गई कि अब राजकुमार के साथ इससे भी लड़ना पड़ेगा । राजकुमार ने एक चुड़ैल की ओर अपने धनुष से तीर छोड़ दिया । तीर सीधा जाकर उस चुड़ैल के गले मे पड़े माला के लाल मणि में जाकर लगा । 

मणि में लगते ही वह चुड़ैल हवा में गायब हो गई लेकिन वह चुड़ैल असली चुड़ैल का प्रतिरूप थी । इस चुड़ैल के बदले दूसरे चुड़ैल फिर प्रकट हो गई । इसी तरह राजकुमार जितनी भी चुड़ैल को मारता उसकी जगह दूसरी चुड़ैल प्रकट हो जाती ।

इधर असली चुड़ैल सुकन्या परी को अपनी शक्तियों से हरा रही थी और उसे कई जगह से घायल भी कर दिया था । अब राजकुमार के पास एक ही उपाय बचा था कि असली वाली चुड़ैल को मार दिया जाए ।

राजकुमार ने तिलिस्मी तालाब का जल लिया और ब्रम्ह राक्षस के शक्ति से सभी चुड़ैलों  के ऊपर तिलिस्मी जल फेंक दिया । चुड़ैलों के ऊपर जल पड़ते ही जितनी भी चुड़ैलें असली चुड़ैल का प्रतिरूप थी वे सभी चुड़ैल भस्म हो गई । और असली चुड़ैल के शरीर मे बड़े बड़े घाव हो गए ।

अब केवल असली चुड़ैल ही बची थी जो तिलिस्मी जल के कारण दर्द से कराह रही थी। अब चुड़ैल घायल नागिन की तरह और खतरनाक हो गई । और उसने सुकन्या परी को अपने जादुई शक्ति से कैद कर लिया ।सुकन्या परी दर्द से तड़प उठी । सुकन्या परी को ऐसा लग रहा था कि अब उसके प्राण ही निकल जाएंगे।

राजकुमार सुकन्या परी का दर्द नही देख सका और पूरी शक्ति लगाकर चुड़ैल के गले मे पड़ी माला के लाल मणि की ओर ब्रम्ह राक्षस द्वारा दिया हुआ रत्न जड़ित तिलिस्मी खंजर  फेंक दिया । राजकुमार का निशाना अचूक था ।

खंज़र सीधा लाल मणि में जाकर लगा । मणि शीशे की तरह चकनाचूर हो गई । मणि के टूटते ही चुड़ैल त्रिलोचना पागलो की इधर उधर भटकते हुए चिल्लाने लगी । और कुछ देर में उसके प्राण पखेरू उड़ गए ।

चुडैल के मरते ही सुकन्या परी आजाद हो गई । प्रकति का वातावरण साफ सुथरा हो गया । ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो । राजकुमार ब्रम्ह राक्षस का मन ही मन आभार व्यक्त किया। सुकन्या परी दौड़कर राजकुमार के गले लग गयी । थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे के गले लगे रहे ।

तभी इधर महाराज देवप्रताप ने प्रजा के सामने राजकुमार और सुकन्या परी क्व विवाह का ऐलान कर दिया। प्रजा खुश होकर सभी दुख दर्द भूलकर नाचने गाने लगी। 

राजकुमार और सुकन्या पारी के शादी में सभी आसपास के राज्य व परीलोक में निमंत्रण भेज दिया गया। महल में शादी की तैयारी जोर शोर से होने लगी । और दो दिन बाद दोनों की धूम धाम से शादी कर दी ।

शादी करने के बाद महाराज ने एक और घोषणा कर दी । घोषणा यह थी कि अब चन्दनगढ़ के महाराज हम नही बल्कि राजकुमार धर्मवीर होंगे। घोषणा सुनने के बाद प्रजा दुगुने उत्साह के साथ अपने नए महाराज का स्वागत किया।

राजकुमार महराज बनने के बाद अपने राज्य में अनेक ऐसे काम करवाये जिससे उनकी प्रजा खुश रहे उन्हें कोई दिक्कत न हो प्रजा भी अपने  नए महाराज से बहुत खुश थी । और उसी तरह हर जगह खुशहाली ही खुशहाली थी।और फिर उसके बाद चन्दनगढ़ में कभी भी कोई मुसीबत नही आई । सभी लोगो के दिन अच्छे से गुजरने लगे ।




                   💐💐💐💐💐   समाप्त  💐💐💐💐💐



इस रचना का अंतिम भाग पढ़कर आप सबको  कैसा लगा यह अपनी सुंदर से समीक्षा देकर जरूर बताएं ताकि अगली रचना लिखते समय मेरा मनोबल और विश्वास मजबूत रहे । इसी तरह की रहस्यमय , तिलिस्मी व रोमांचक रचना पढने के लिए मुझे जरूर फॉलो करें ताकि जैसे मैं कोई नई रचना अपलोड करू उसका नोटिफिकेशन आपके पास पहुंच जाए । अगर रचना लिखते वक्त मुझसे कोई गलती हो गई हो तो अपना छोटा या बड़ा भाई समझ कर माफ कर देना ।नई रचना आने तक आप सब पाठकगण को मेरा राम राम 🙏🙏🙏🙏



विक्रांत कुमार
असोथर फतेहपुर
उत्तर प्रदेश
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