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चित्रलेखा राजकुमार को अपनी अंगूठी देकर चुड़ैल रानी के जल महल की ओर चली गयी । राजकुमार अंगूठी की ओर देख रहा था और उसके हरे रंग में बदलने का इंतजार कर रहा था ।
लगभग एक घंटे बीत गए , लेकिन अंगूठी के नग का रंग नही बदला । राजकुमार काफी परेशान हो उठा । उसके मन मे तरह तरह के विचार उठने लगे ।
चुड़ैल रानी महायोगिनी ने चित्रलेखा की बात मानी होगी या नही , या फिर चित्रलेखा को कैद कर लिया । यही सब बातें राजकुमार के मन मे चल रही थी ।
तभी अचानक अंगूठी के नग का रंग धीरे धीरे काले रंग में बदलने लगा । और थोड़ी देर में पूरी तरह काले रंग में बदलकर टूट का बिखर गया ।
राजकुमार समझ गया कि चित्रलेखा को महायोगिनी ने कैद कर लिया है । राजकुमार एक पल की देर किए बिना उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा जिधर काया चुड़ैल का निवास था ।
राजकुमार सावधानी पूर्वक उत्तर दिशा की ओर चला जा रहा था । लगभग एक घण्टे तक चलने के बाद राजकुमार के आस पास का वातावरण बदलने लगा । बड़े बड़े विशाल दिखने वाले पेड़ पौधे अचानक तेजी से छोटे होने लगे ।
राजकुमार एक जगह खड़े होकर यह सब देख रहा था । राजकुमार ने काया चुड़ैल को ढूढ़ने के लिए अपना अगला कदम बढ़ाया लेकिन कुछ सोचते हुए फिर वापस कर लिए ।
राजकुमार ने अपने मन सोचा जंगल तो काफी छोटा हो गया, यंहा तक कि जमीन पेड़ पौधे की वजह से नही दिखाई दे रही है न जाने इन छोटे पेड़ पौधों के नीचे कौन सा खतरा छिपा हो इसलिए अब पैदल न चलकर हवा में रहकर काया चुड़ैल की खोज करूँगा ।
यह सब सोचने के बाद राजकुमार वनदेवी की जादुई शक्ति से हवा में उड़ने लगा । और इधर उधर घूमकर काया चुड़ैल की खोज करने लगा । तभी अचानक जंगल के पेड़ पौधे बड़ी तेजी से बड़े होने लगे। राजकुमार कुछ समझ पाता उससे पहले ही कई पेड़ पौधे उसके शरीर से आ टकराये ।
अपने शरीर से अचानक इस तरह से पेड़ पौधों के टकराने से राजकुमार का संतुलन बिगड़ गया और वह जमीन पर नीचे जा गिरा । जमीन में गिरने के कारण राजकुमार के शरीर मे कई सारी खरोचों के निशान बन गए ।
राजकुमार कुछ देर जमीन में लेटा रहा । कुछ देर लेटने के बाद राजकुमार खड़ा हुया और जैसे ही आगे बढ़ा तभी उसे आस पास के पेड़ो ने अपने जड़ो से जकड़ लिया ।
राजकुमार समझ गया कि उस यह सब हमले काया चुड़ैल कर रही है । राजकुमार ने अपने आप को खुद जड़ो के कैद में रखा ताकि वह काया चुड़ैल को पकड़ सके । राजकुमार ने अपने आप को जड़ो से छुटाने की कोशिश नही की ।
राजकुमार शांत मुद्रा में कैद था तभी वह क्या देखता है उसके सामने का पेड़ धीरे धीरे एक आकृति में बदल रहा था। और जब वह आकृति पूरी हुई तो राजकुमार आश्चर्य चकित हो गया । उसके सामने और कोई नही बल्कि सुकन्या परी थी ।
( सुकन्या परी के बारे में जानने के लिए भाग 7 और भाग 8 पढ़े । )
राजकुमार को समझने में देर ने नही लगी कि यह सुकन्या परी नही बल्कि काया चुड़ैल है जो सुकन्या परी को रूप रख कर मुझे भ्रमित करने की कोशिश कर रही है । सुकन्या परी राजकुमार के पास आई । और राजकुमार को छूने वाली ही थी कि राजकुमार बोला - " रुको , तुम सुकन्या परी नहीं हो, तुम काया चुड़ैल हो । अगर तुम सुकन्या परी होती तो मुझे कैद नही करती ।"
काया चुड़ैल ठहाका मारकर हँसने लगी । इसके बाद काया चुड़ैल अपने असली रूप में आ गई । अपने असली में आते ही काया चुड़ैल ने राजकुमार से कहा - " तू जो भी अब मेरे माया जाल से नही बचेगा । "
काया ने अपने मंत्र शक्तियों से जड़ो का कसाव बढ़ाने लगी जो राजकुमार को कैद किये हुए थे । कसाव जैसे जैसे बढ़ रहा था राजकुमार वैसे वैसे दर्द से करहाने लगा ।
राजकुमार ने अपनी आंखें बंद की और अपनी जादुई शक्ति से जड़ो को टुकड़े टुकड़े करके बिखेर दिया । काया आश्चर्य चकित थी कि साधारण सा दिखने वाला आदमी मेरी जादुई जड़ो को तोड़ दिया ।
काया ने फिर से राजकुमार के हमला किया लेकिन राजकुमार ने अपने आप को अपने जादुई शक्ति से बचा लिया । इसके बाद राजकुमार ने काया को अपने ऊपर हमला करने का मौंका नही दिया ।
राजकुमार ने एक पल की देर किए बिना अपने पास से जादुई दर्पण निकाला और काया के सामने कर दिया । काया चुड़ैल जादुई दर्पण के वश में हो गयी । काया चुड़ैल अब राजकुमार के वश में थी ।
राजकुमार काया चुड़ैल को वश में करने के बाद वेदिका चुड़ैल की तलाश में चल दिया । वेदिका जो इच्छा शक्ति की स्वामिनी है । राजकुमार काया चुड़ैल से वेदिका तक पहुंचने का रास्ता पूछा ।
काया चुड़ैल राजकुमार के वश में थी अतः उसने वेदिका तक पहुंचने का रास्ता बता दिया । राजकुमार ने वेदिका का पता जानने के बाद काया चुड़ैल को मुक्त कर दिया और उससे काया से बोला - " मेरा मकसद तुम्हे बंदी बनाना नही है। तुम्हे हराकर तुम्हारा क्षेत्र पार करना है । अब तुम आजाद हो लेकिन मेरे जाने के बाद तुम मुझ पर हमला मत करना ।"
इतने कहने के बाद राजकुमार वँहा से चल दिया ।राजकुमार चलता जा रहा था । अचानक राजकुमार के सामने एक औरत प्रकट हो गयी । राजकुमार चौंक कर पीछे हट गया । और तुरन्त अपनी तलवार निकाल ली और उस औरत से पूछा तुम कौन हो ?
उस औरत ने जवाब दिया - "मेरा नाम वेदिका है और तुम मेरी इच्छा के बिना मेरे क्षेत्र में कैसे आ गए ? "
राजकुमार ने अपने आने का कारण बता दिया लेकिन वेदिका ने गुस्से से कहा तुम मेरी इच्छा के विरुद्ध आये हो इस लिए तुम्हे मरना होगा । इतना कहने के बाद वेदिका ने अपनी आंखें बंद कर ली ।
तभी राजकुमार को अहसास हुया की उसके पैर में कुछ चढ़ रहा है । राजकुमार ने अपने पैर के तरफ देखा तो चौंक गया । उसके पैर में जमीन की मिट्टी चढ़ रही थी । राजकुमार को समझते देर नही लगी कि यह सब वेदिका का किया धरा है ।
धीरे धीरे मिट्टी चढ़ते हुए राजकुमार के कमर तक में पहुंच गई । राजकुमार ने अपनी आंखें बंद की और अपने हाथ आसमान की ओर करके तेजी से जमीन की ओर पटक दिया । राजकुमार के ऐसा करते ही जमीन में गड्ढा हो गया और उसके ऊपर जो मिट्टी चढ़ रही थी वह हट गई।
राजकुमार आजाद हो गया । वेदिका ने अपने इच्छा से हवा में बड़ा सा पत्थर प्रकट किया और राजकुमार की ओर छोड़ दिया । राजकुमार ने बिना देर किए पत्थर को हवा में ही तोड़ दिया ।
अपने दो वार बेकार जाते देखकर वेदिका ने राजकुमार के ऊपर अपने इच्छा शक्ति से पेड़ पौधे उखाड़ कर फेंकने लगी । राजकुमार पेड़ पौधों से बचने लगा लेकिन कब तक बचता आखिर एक पेड़ लग ही गया । राजकुमार घायल हो गया ।
वेदिका राजकुमार के ऊपर अपना अगला वॉर करने की तैयारी कर रही थी , लेकिन राजकुमार ने वेदिका को अपने ऊपर अगला वॉर करने का मौका नही देना चाहता था ।
राजकुमार एक पल की देर किए बिना वनदेवी की जादुई शक्ति के मदद से वेदिका पर एक सम्मोहन किरण छोड़ दी । वेदिका किरण से बच नही पायी । किरण के लगते ही वेदिका सम्मोहन किरण में जकड़ गयी । वेदिका अब राजकुमार के वश में थी । वेदिका को वश में करने के बाद राजकुमार ने उसे अपने बारे में सब बता दिया । ।
काया और चित्रलेखा के बारे में भी बताया । सब बताने के बाद राजकुमार ने वेदिका को अपने सम्मोहन किरण से आजाद कर दिया । वेदिका सब कुछ जानने के बाद राजकुमार को अपने क्षेत्र से जाने के इजाजत दे दी। वेदिका से इजाजत मिलने के बाद वँहा से चल दिया ।
राजकुमार दो चुड़ैलों को हरा चुका था । अब राजकुमार का सामना तीसरी चुड़ैल यानी दामिनी से होने वाला था । जिसका निवास स्थान ज्वालामुखी के मुहाने में था । लेकिन राजकुमार को चित्रलेखा ने बताया था कि उसके क्षेत्र से अदृश्य रूप में ही निकला जा सकता है ।
राजकुमार भी दामिनी से नही लड़ना चाहता था क्योंकि वह दोनो चुड़ैलों को वश करने में काफी घायल और थक भी गया था । अतः राजकुमार ने अपने आप को अदृश्य रूप में कर लिया और अपने मंजिल की ओर बढ़ने लगा । राजकुमार बढ़ता चला जा रहा था ।
लगभग आधा मील चलने के बाद राजकुमार को एकाएक बहुत तेज गर्मी लगने लगी । राजकुमार पसीना में पूरी तरह से भीग गया । इस तरह से अचानक गर्मी बढ़ने पर राजकुमार को थोड़ा अजीब लगा ।
राजकुमार सोचने लगा ऐसा क्यो हो रहा है ? तभी राजकुमार का ध्यान दामिनी चुड़ैल के ऊपर गया । दामिनी का ध्यान आते राजकुमार तुरन्त समझ गया कि यह क्षेत्र दामिनी का है जिसका पूरा शरीर लावे के जैसा है । लेकिन राजकुमार को दामिनी का निवास स्थान ज्वाला मुखी का मुहाना दिखाई नही दे रहा था ।
यह सब राजकुमार सोच ही रहा था कि तभी राजकुमार का शरीर तेजी से हवा में ऊपर की ओर जाने लगा । राजकुमार समझ नही पा रहा था कि उसके साथ क्या हो रहा है ?
राजकुमार का शरीर बादलों को पार करते हुए तेजी से ऊपर की ओर बढ़ रहा था । और कुछ दूर ऊपर जाने पर राजकुमार का शरीर हवा में रुक गया । राजकुमार को नीचे केवल बादलों का झुंड दिखाई दे रहा था । तभी राजकुमार को बादलों का झुंड हटता हुया दिखाई दिया ।
जब बादलों का पूरा झुंड हट गया तो राजकुमार को एक बड़ा सा मुहाना दिखाई दिया जिसमें लाल रंग की अग्नि जल रही थी । राजकुमार को समझने में देर नही लगी कि यह सब जो हो रहा है वह कौन है ? लेकिन राजकुमार इस बात से थोड़ा परेशान था कि दामिनी ने उसे अदृश्य रूप में कैसे पहचान लिया ?
तभी राजकुमार को ज्वालामुखी के मुहाने से किसी को अपनी ओर आते हुए देखा जिसका पूरा शरीर लावे की तरह जल रहा था । वह और कोई नही बल्कि दामिनी ही थी । दामिनी राजकुमार के पास गयी । राजकुमार अब अपना अदृश्य रूप त्याग कर अपने असली रूप में आ गया ।
दामिनी राजकुमार के ऊपर हमले करने के लिए जैसे ही आगे बढ़ी , राजकुमार ने तुरन्त दामिनी को तेजी से चिल्लाते हुए रुकने को कहा । राजकुमार के इस तरह का वर्ताव को देखकर दामिनी रुक गई ।
दामिनी के रुकते ही राजकुमार बोला -" सुनिए , हम आपसे लड़ना नही चाहते है , मैं आपके बारे में सब कुछ जानता हूँ , इसलिए आप मेरे यँहा आने का मकसद सुन लीजिये , क्योकि लड़ने में आप भी घायल होंगे और हम भी ।"
राजकुमार के मुंह से अपने बारे में सुनकर दामिनी बोली - तुम मेरे बारे में कैसे जानते हो और यँहा आने का मकसद क्या है ? "
राजकुमार ने शुरू से लेकर अब तक जिससे मिला , जितना सफर किया , जो जो उसके साथ हुया सब बता दिया । राजकुमार की बातें सुनकर दामिनी बोली - " हम यह कैसे मान ले कि आप जो कह रहे है वह सभी बातें सही है ? "
राजकुमार - " तो फिर बताइये हम क्या करे कि आपको हमारी बातों पर भरोसा हो जाये ? "
दामिनी - " तो सुनो अगर तुम्हारी बात सही है और तुम एक नेक मकसद से यँहा आये हो तो मेरे निवास स्थान यानी ज्वाला मुखी के अंदर दहकते लावे में यँहा से कूद जाओ अगर तुम इस लावे से जिंदा बच गये तो मैं मान जाऊँगी की तुम सच बोल रहे हो और तुम्हारा मकसद नेक और पवित्र है।"
राजकुमार ने कहा - " ठीक है । "
राजकुमार और दामिनी दोनो ज्वालामुखी के मुहाने के पास आकर रुक गए । इसके बाद राजकुमार लावे की तरफ हाथ जोड़ते हुए बोला - " हे , लावे की पवित्र अग्नि यदि मेरा मकसद नेक और पवित्र है तथा मैंने जो जो दामिनी को बताया है अगर वह सब सच है तो आप की आग मुझे कोई नुकसान नही पहुंचाएगी । "
इतना कहने के बाद राजकुमार आंख बंद करके लावे को प्रणाम करके उसी में कूद गया । राजकुमार लावे के अंत तक पहुंच गया । राजकुमार को ऐसा लग रहा था कि वह गर्म लावे में नही बल्कि ठंडे पानी मे हो । राजकुमार को अपने अंदर एक नई शक्ति का अहसास हुया ।
इधर बाहर दामिनी राजकुमार के बारे में सोच रही थी कि वह बच पायेगा या नही । काफी देर हो गयी राजकुमार बाहर नही आये । दामिनी को अब यही लगा कि राजकुमार लावे की आग में जलकर पिघल गया है ।
तभी दामिनी को राजकुमार लावे के आग से बाहर आते हुए दिखाई दिए । राजकुमार आग से सुरक्षित निकल आये थे । पूरे शरीर मे कही भी जलने के निशान नही था । दामिनी आश्चर्यजनक नजरो से राजकुमार को देख रही थी ।
राजकुमार दामिनी के पास गया और बोला - " अब तो आपको मेरी बात का विश्वास हो गया । "
दामिनी राजकुमार से कुछ नही बोली बस चुपचाप खड़ी रही । दामिनी को राजकुमार के ऊपर विश्वास हो गया कि वह जो बताया है वह सब सच सच है ।
राजकुमार दामिनी से जाने की इजाजत मांगी । दामिनी न चाहते हुए भी राजकुमार को मना नही कर सकी क्योंकि राजकुमार उनकी बात में खरा उतरा था । राजकुमार ने दामिनी से कालिका चुड़ैल के पास पहुंचने का रास्ता पूछा। दामिनी ने राजकुमार से बोली - " यँहा से सीधा चले जाना , जब आपको मानवरूपी पेड़ दिखने लगे तो समझ जाना कि वह क्षेत्र कालिका का है । "
राजकुमार वँहा से चल दिया । राजकुमार को अब अपने अंदर एक अलग प्रकार का अहसास हो रहा था । और वह इस बात से भी खुश था कि उसे दामिनी से लड़ना नही पड़ा , बिना लड़े ही इस बाधा को पार कर लिया।
अब राजकुमार का सामना कालिका चुड़ैल से होने वाला था जो काली शक्तियों की स्वामिनी थी , जिसका निवास स्थान एक गुफा है । राजकुमार चलता जा रहा था लेकिन उसे कोई मानवरूपी पेड़ दिखाई नही पड़ रहे थे । केवल सामान्य पेड़ दिख रहे थे ।
राजकुमार पैदल चलने के कारण थोड़ा थक गया , इसलिए आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया , और आराम करने लगा । राजकुमार को आराम किये हुए अभी कुछ देर ही हुया था कि राजकुमार को एक आवाज सुनाई देने लगी ।
राजकुमार आवाज की दिशा की ओर मुड़ा और जो देखा दंग रह गया । राजकुमार ने देखा कि चमगादड़ो का एक बड़ा सा झुंड उसकी ओर बढ़ रहा था । राजकुमार के पास इतना समय नही था कि उस झुंड को मार सके या रोक सके ।
राजकुमार ने बिना एक पल गवाए अपने शरीर के चारो ओर सुरक्षा कवच बना लिया जिसके चारों ओर आग जल रही थी । लेकिन वह आग सुरक्षा कवच के बाहर जल रही थी । चमगादड़ का झुंड इतने तेज गति से आगे बढ़ रहा था कि वह अपने आप को रोके तो भी नहो रुक पाएंगे ।
चमगादड़ का झुंड राजकुमार के ऊपर हमला कर दिया । राजकुमार सुरक्षा कवच में होने के कारण चमगादड़ो से बचे रहे । और चमगादड़ सुरक्षा कवच से टकराते हो जल कर मरते जा रहे थे ।कुछ देर में सारे चमगादड़ जलकर मर गए ।
सभी चमगादड़ो के मरते ही राजकुमार ने अपने ऊपर से सुरक्षा कवच हटा लिया । और आगे बढ़ चला । राजकुमार कुछ कदम ही बढ़ा होगा कि उस जगह का वातावरण तेजी से बदलने लगा । आस पास के पेड़ पौधे मानवरूपी पेड़ पौधे में बदलने लगे ।
राजकुमार कुछ समझ पता उससे पहले ही राजकुमार को एक मानवरूपी पेड़ ने अपने जड़ो और शाखाओं में जकड़ लिया ।
क्रमशः ----------------🙏🙏🙏🙏
यह भाग आप सब को पढ़कर कैसा लगा यह अपनी सुंदर समीक्षा देकर जरूर बताये और अगला भाग जैसे ही प्रकाशित हो आपको पता चले इसलिए मुझे जरूर फॉलो करें ।
विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
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