रात का समय,
नेशनल हाईवे,
सिद्धांत ने अपने सिर पर हाथ रख कर कहा, " ओ भाई साहब, हो गया बंटाधार ! "
निशा ने कहा, " कुछ कहा तुमने ! "
सिद्धांत ने कहा, " नहीं, नहीं, मैम ! कृपया अब आप जल्दी से अंदर जाइए । "
निशा बाइक से उतर गई । गेट खुला तो उसने अंदर जाते हुए कहा, " ओ के, बाय ! "
फिर उसने पलट कर सिद्धांत से कहा, " एंड, थैंक यू हैंडसम ! "
सिद्धांत ने अपने हाथ जोड़ लिये तो निशा खिलखिला कर हंस पड़ी और अंदर चली गई ।
जैसे ही गेट फिर से बंद हुई, सिद्धांत ने एक गहरी सांस लेकर कहा, " हाह ! जान छूटी । "
फिर उसने घड़ी देखी तो उसमे दस बज कर पंद्रह मिनट हो रहा था ।
सिद्धांत ने खुद से ही कहा, " हेल नो ! इतना टाइम हो गया, जल्दी चल सिड और कोई बहाना भी सोच माता श्री के सामने बोलने के लिए । "
इतना बोल कर उसने अपनी बाइक घुमा ली लेकिन तभी उसका फोन बज उठा । उसने चिढ़ कर बाइक रोकी और जल्दी से फोन निकाल कर चेक किया तो उस पर मिसेज माथुर का कॉल आ रहा था ।
उसने कॉल आंसर करके उनसे बात की और जल्दी से फोन जेब में डाल कर बाइक की स्पीड बढ़ा दी । जल्दी - जल्दी में उसने ये भी नहीं देखा कि उसका वॉलेट वहीं गिर गया था जिस पर वॉचमैन की नजर पड़ गई ।
वॉचमैन ने वो वॉलेट उठा कर सिद्धांत को आवाज लगाई लेकिन तब तक सिद्धांत जा चुका था लेकिन आज उसका बैड लक हाथ धोकर नहीं, नहा धोकर उसके पीछे पड़ा था ।
उसने अपनी बाइक उस सड़क से उतार कर दूसरी ओर के सड़क पर बढ़ाई ही थी कि इतने में एक क्यूट सा पप्पी अचानक से उसकी बाइक के सामने आ गया ।
उसे बचाने के चक्कर में सिद्धांत को भी अचानक से ब्रेक लगाना पड़ गया । ब्रेक लगाते हुए उसकी आँखें बंद हो गई थीं और वो अपनी बाइक पर ही सिकुड़ गया ।
लगभग दो मिनट बाद उसने आंखें खोलीं तो वो पप्पी रोड के साइड में खेल रहा था । उसे देख कर सिद्धांत ने राहत की सांस ली और उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई ।
मास्क की वजह से उसकी मुस्कान दिख तो नहीं रही थी लेकिन उसकी आंखों में खुशी साफ झलक रही थी कि वो पप्पी सेफ है लेकिन तभी उसकी नजर उसके पीठ पर पड़ी जहां एक चोट का निशान था ।
ये देख कर सिद्धांत ने अपनी बाइक साइड में पार्क की और फर्स्ट एड किट जो वो हमेशा अपने साथ रखता था उसे लेकर उस पप्पी के पास चला गया । उसने उसकी मरहम पट्टी की और कुछ बिस्किट्स खिलाने लगा ।
वो अपने काम में मग्न था कि इतने में उसके कानों में निशा की आवाज पड़ी, " हे हैंडसम ! "
ये आवाज सुनते ही सिद्धांत ने अपनी आँखें मींच लीं । उसने धीरे धीरे अपनी गर्दन पीछे की ओर घुमाई तो निशा वहीं पर खड़ी थी ।
सिद्धांत ने इस बार थोड़ा चिढ़ कर कहा, " अब आप यहां क्या कर रही हैं ? "
निशा ने उसके पास आते हुए कहा, " जब भी कभी कोई अच्छा काम करते हैं तो अपनी झूठी पहचान नहीं बताते हैं, मिस्टर सर्वांश माथुर ! "
उसके मुंह से ये नाम सुन कर सिद्धांत हैरान रह गया । उसने कहा, " हाऊ डू यू नो माय रियल नेम ( आपको हमारा असली नाम कैसे जानती हैं ) ? "
निशा ने कुछ कहे बिना उसके पास बैठ कर उसका वॉलेट उसके सामने कर दिया । सिद्धांत ने अपने पॉकेट्स चेक किए तो उसका वॉलेट सच में उसके पास नहीं था ।
उसने झट से निशा के हाथ से अपना वॉलेट लेकर कहा, " थैंक यू बट वेयर डिड यू गेट इट ( धन्यवाद, लेकिन ये आपको कहां मिला ) ? "
निशा ने भी उस पप्पी को सहलाते हुए कहा, " इन फ्रंट ऑफ माय हाउस ( मेरे घर के सामने ) ! "
उसने इतना ही बोला था कि इतने में वहां पर वही गुंडे आ गए जिन्हें कुछ वक्त पहले सिद्धांत ने पीटा था लेकिन इस बार वो बीस से भी ज्यादा थे ।
उन सबने सिद्धांत और निशा को घेर लिया था । उन सभी के हाथों में अलग अलग हथियार थे । उन्हें देख कर निशा के होश उड़ गए ।
उनमें से एक ने दूसरे को देख कर कहा, " अबे, हमें तो जैकपॉट मिल गया । "
दूसरे ने कहा, " हां, हम तो सिर्फ हीरो को सुलाने आए थे । यहां तो तो हीरो - हीरोइन दोनों मिल गए । "
उन सभी को देख कर निशा और सिद्धांत, दोनों ही शॉक के साथ उठ खड़े हुए ।
निशा ने उन सबको देख कर घबराते हुए कहा, " ये क्या ? "
सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " क्या ये क्या ? आसमान से गिरे और खजूर में अटके ! "
निशा ने डरते हुए कहा, " अब हम नहीं बचेंगे क्या ? "
सिद्धांत ने उसे अपने पीछे करके सामने देखते हुए ही कहा, " हम पर भरोसा रखिए । आपको कुछ नहीं होगा । "
निशा ने कहा, " पर ये सब इतने सा... "
लेकिन सिद्धांत ने उसकी बात बीच में ही काट कर कहा, " हमने कहा न, आपको कुछ नहीं होगा । "
उसकी बात सुन कर पहले वाले गुंडे ने कहा, " पहले तू खुद को बचा ले मुन्ना, फिर उसे बचाना । "
सिद्धांत ने इधर उधर देखा तो सारी दुकानें बंद हो चुकी थीं लेकिन तभी उसकी नजर कुछ कदम की दूरी पर स्थित एक दुकान के बाहर रखे सॉफ्ट ड्रिंक्स के बॉटल्स पर गईं जो कि कांच की बनी हुई थीं ।
उसने एक भी पल गवाए बिना निशा का हाथ पकड़ा और उस दुकान की ओर भागा । निशा के पैर में दर्द था लेकिन अपनी जान बचाने के लिए वो भी अपने दर्द को नजरंदाज करके सिद्धांत के साथ दौड़ पड़ी ।
इसी के साथ वो गुंडे भी उसके पीछे दौड़ पड़े । सिद्धांत ने वहां पहुंच कर निशा को साइड में बैठाया और खुद कुछ बॉटल्स अपने हाथ में उठा कर उन गुंडों की ओर पलट गया ।
उसने खुद से ही कहा, " सिड, नाउ टर्न ऑन योर बीस्ट मोड ! " और उन सबकी ओर दौड़ पड़ा ।
पहले गुंडे ने उस पर मुक्के से वार करना चाहा तो सिद्धांत ने एक बॉटल उसके सिर पर दे मारी और वो गुंडा वहीं लड़खड़ा कर गिर गया ।
वहीं सिद्धांत ने तुरंत वो बॉटल्स सामने से आ रहे गुंडों पर फेंकी और दो बॉटल्स को आपस में लड़ा कर तोड़ दिया और उन्हीं टुकड़ों को लिये हुए आगे बढ़ने लगा ।
इस बार चार गुंडे एक साथ आए और उन सबने एक साथ सिद्धांत पर वार किया । पहले गुंडे को तो सिद्धांत ने एक जोरदार किक मारी जिससे वो दूर जा गिरा । दूसरे और तीसरे गुंडे के पेट में उसने बॉटल का टुकड़ा घुसा दिया ।
चौथा गुंडा उसके पास पहुंचा तो सिद्धांत ने उसे उठा कर जमीन पर दे मारा । इसी के साथ बाकी के गुंडे भी उसकी ओर दौड़ पड़े ।
सिद्धांत ने इस सबको भी इसी तरह से धोना शुरू किया लेकिन इतने में उसकी नजर निशा के पास जाते हुए एक गुंडे पर पड़ गई और उसका ध्यान अपने सामने खड़े गुंडों से हट गया ।
बस इसी बात का फायदा उठा कर एक गुंडे ने एक चाकू सिद्धांत के पेट में मार दी । दर्द से सिद्धांत की आँखें बंद हो गईं लेकिन उसने तुरंत ही अपनी आँखें खोली और उस गुंडे को एक जोरदार किक मार कर निशा की ओर दौड़ा ।
वो गुंडा निशा के पास पहुंच ही गया था लेकिन इससे पहले कि वो कुछ करता, सिद्धांत ने पीछे से उसका गला पकड़ लिया और उठा कर बाकी के गुंडों पर पटक दिया ।
फिर वो उन गुंडों की ओर पलटा तो वो सब अभी भी उसके सामने खड़े थे । उसने एक नजर अपने जख्म पर डाली जो कुछ ज्यादा ही गहरा था । ये देख कर बाकी के गुंडे हंसने लगे लेकिन उनकी ये मुस्कान सिर्फ कुछ पल की मेहमान थी ।
क्योंकि सिद्धांत ने अपना मास्क उतार दिया था और उसके होठों पर भी हँसी आ चुकी थी लेकिन वो हँसी इतनी डरावनी थी कि उनमें से कुछ गुंडों के रीढ़ की हड्डी में सिहरन सी दौड़ गई ।
उनमें से एक गुंडे ने डर से कांपते हुए कहा, " ये, ये तो उसके जैसा है । "
दूसरे गुंडे ने भी पहले गुंडे की ओर देख कर कहा, " हां, ये तो बिल्कुल उसके जैसा लग रहा है । "
फिर उसने सिद्धांत की ओर देख कर कहा, " ए, तू, तू वो डी... "
उसने इतना ही बोला था कि सिद्धांत ने अपने होठों पर उंगली रख कर कहा, " श... "
अब तक उसकी हँसी गायब हो चुकी थी और जो भाव उसके चेहरे पर थे उन्हें देख कर उन गुंडों से कुछ बोलते ही नहीं बना ।
ये देख कर उनके बाकी साथियों ने कहा, " ए, क्या है बे, एक बच्चा ही तो है ही और तुम सब एक बच्चे से डर रहे हो । "
जिन गुंडों ने सिद्धांत को पहचान लिया था उनमें से एक ने कहा, " अबे ये बच्चा नहीं, बाप है हम सबका । "
फिर उसने अपनी गन फेंक कर कहा, " मुझे नहीं लड़ना इससे, मैं तो चला । "
इतना बोल कर वो भागने लगा । बाकी के गुंडे जो सिद्धांत को पहचान रहे थे उन सबने भी अपने - अपने हथियार फेंक कर कहा, " और मैं भी । "
इसी के साथ वो सब भी भाग खड़े हुए । अब वहां पर गिनती के चार गुंडे ही बचे थे जिन्हें लगा कि वो सिद्धांत को हरा सकते हैं । वो सब एक साथ सिद्धांत की ओर बढ़े ।
सिद्धांत ने वापस से अपना मास्क पहना और अपनी गर्दन को झटका देकर उनकी ओर बढ़ गया । सिर्फ दो मिनट के अंदर ही वो गुंडे जमीन पर पड़े हुए कराह रहे थें । सिद्धांत ने उन गुंडों को बहुत अच्छे से धोया था ।
सिद्धांत वापस निशा के पास आया तो वो शॉक में बैठी हुई थी । सिद्धांत ने उसके पास बैठ कर उसके आंखों के सामने चुटकी बजाई तो वो होश में आई ।
होश में आते ही उसने अपना सिर सिद्धांत के सीने में छिपा लिया और रोने लगी । सिद्धांत को एक झटका सा लगा और उसके हाथ हवा में ही रह गए ।
निशा ने डरते हुए कहा, " प्लीज, डॉन्ट लीव मी, प्लीज ! "
सिद्धांत ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और न ही उसे खुद से अलग किया । वो बस अपने हाथ ऊपर और अपनी आँखें बंद किए हुए बैठा था क्योंकि निशा की वजह से उसके घाव में और भी दर्द हो रहा था ।
कुछ पल बाद निशा को एहसास हुआ कि वो क्या कर रही है तो वो अचानक से सिद्धांत से दूर हुई । उसने अपनी नजरें नीचे करके कहा, " आई एम सॉरी ! "
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आगे क्या होगा ?
क्या थी सिद्धांत की असली पहचान ?
वो गुंडे सिद्धांत का चेहरा देखते ही भाग क्यों गए ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
बियोंड वर्ड्स : अ लव बॉर्न इन साइलेंस
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लेखक : देव श्रीवास्तव