तमस ज्योति - 42 Dr. Pruthvi Gohel द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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तमस ज्योति - 42

प्रकरण - ४२

मेरे मोबाइल पर रिंग बजी तो मैंने फोन उठाया और हेलो कहा। सामने की ओर से एक नई ही आवाज आई। वह आदमी बोला, "क्या मैं रोशनजी से बात कर सकता हूँ?" 

मैंने कहा, "हाँ। मैं रोशन ही बोल रहा हूँ। लेकिन आप कौन हो? मैं आपको नहीं पहचानता?"

सामनेवाले व्यक्तिने मुझे जवाब देते हुए कहा, "जी रोशनजी! आप मुझे नही जानते लेकिन मैं आपको जानता हूं। मेरा नाम निषाद मेहता है और मैं गुजराती फिल्मों के लिए संगीत तैयार करने का काम करता हूं। अगर आपको गुजराती गाने सुनना पसंद है तो आपने जरूर मेरा नाम सुना होगा... आप शायद मुझे नाम से भी जानते होंगे।"

जैसे ही उन्होंने यह कहा, मैंने अपनी याददाश्त पर ज़ोर डाला और मुझे अचानक याद आया कि एक बार मेरे पापाने मुझे उनके बारे में बताया था गुजराती संगीत में निषाद मेहता एक जानामाना नाम था। मैंने उनसे कहा, "हां! हां! निशाद मेहता! मुझे यह नाम याद आया। मेरे पापाने मुझे एक बार आपके बारे में बताया था। उन्होंने ये भी कहा था की आजकल निषाद मेहता गुजराती फिल्मों के संगीत को लेकर बहुत छाए हुए है। ज्यादातर गुजराती फिल्मो में उनका ही संगीत होता है। हां हां याद आया निषादजी! अब मैंने आपको पहचान लिया।

निषादने कहा, "हां, मैं वही निषाद मेहता बोल रहा हूं। मैं आपको अपना एक और भी परिचय देता हूं। मैं आपके पापा को भी बहुत अच्छी तरह से जानता हूं।"

उनकी ये बात सुनकर मैंने उनसे पूछा, "अरे! आप मेरे पापा को कैसे जानते हैं?" 

उन्होंने मेरे प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा, "मैंने बचपन में उनके कई संगीत समारोह को में देखा है। मेरे दादाजी आपके पापा के बहुत बड़े फैन थे। वह हमेशा मुझे आपके पापा के कॉन्सर्ट में ले जाते थे। मैं आपके पापा सुधाकरजी के गाने सुनकर बहुत खुश होता था। वैसे यह सब तो अतीत की बाते है। मैंने आज आपको फोन इसलिए किया है क्योंकि मैं अपना भविष्य जो की अब आपके हाथ में है उसके बारे में बात करना चाहता हूं।"

मुझे उनकी बात समझ में नहीं आई इसलिए मैंने उनसे  पूछा, "आपका भविष्य मेरे हाथ में! वो कैसे? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा!" 

निषादने कहा, "हां, मैंने यूट्यूब पर अभिजीत जोशी के साथ आपके द्वारा लॉन्च किए गए एल्बम के वीडियो देखे और उस एल्बम के हर गीत और संगीतने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैंने आपके बारे में खोजना शुरू किया। मैंने गूगल के जरिए से आपके बारे में बहुत सारी जानकारी ली। मुझे यह भी पता चला कि आप सूरदास हैं और आपके साथ पिछले दिनों कितनी दु:खद घटना घटी थी! मुझे यह भी पता चला कि आप इस समय मुंबई में नीरव शुक्ला के साथ काम कर रहे है। अब मैं चाहता हूं कि आप मेरे साथ भी काम करें। आप मुझे भी अपने साथ काम करने का मौका दीजिये। आप हमारी इन गुजराती भाषा की फिल्मों में संगीत दीजिए। मैं आपके साथ पांच साल का कॉन्ट्रैक्ट साईन करना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि आप मेरा प्रस्ताव स्वीकार करेंगे और मुझे एक मौका जरूर देंगे।"

मुझे अभी क्या करना है वो मुझे समझ नहीं आ रहा था इसलिए मैंने उनसे थोड़ा वक्त मांगा और कहा, "मुझे सोचने के लिए कुछ और समय दीजिए।" 

निषादने कहा, "ठीक है। आप जब भी कोई फैसला ले ले तो मुझे इस नंबर पर फोन कीजिएगा। मैं आपके कॉल का इंतजार करूंगा। मैं उम्मीद करता हूं, आपका रवैया सकारात्मक ही हो।"

ये कहकर मैंने फ़ोन रख दिया। जैसे ही मेरी बात निषाद मेहता से खत्म हुई की मैंने तुरंत ही फातिमा को फोन करने के बारे में सोचा। 

मैंने तुरंत फातिमा को फोन जोड़ दिया। सामने से फातिमा तुरंत गुस्से में बोली, "ओह! बड़े दिनों बाद तुम्हें मेरी याद आई ! तुम तो मुंबई जाकर बहुत बड़े आदमी बन गये हो, तो मुझे तो भूल ही गये हो! है न?"

मैंने कहा, "नहीं, नहीं फातिमा! ऐसी कोई बात नहीं है। मैं बहुत दुविधा में हूं। तुम तो जानती हो कि मेरी सभी समस्याओं का इलाज तो तुम ही हो और इसीलिए आज मैने तुम्हें गलत समय पर फोन किया है।" 

फातिमाने पूछा, "समय की चिंता तुम मत करो। तुम अच्छी तरह से जानते हो कि तुम मुझे कभी भी कॉल कर सकते हो। लेकिन अब बताओ, तुम किस दुविधा में हो?"

फातिमाने मेरी दुविधा के बारे में पूछा तो मैंने उसे निषाद मेहता के प्रस्ताव के बारे में सब कुछ बताया और पूछा, तुम क्या सोचती हो इस बारे ? क्या मुझे यह प्रस्ताव स्वीकार करना चाहिए? मैं तुम्हारी राय जानना चाहता हूं।"

फातिमाने कहा, "मुझे लगता है कि आपको उनका प्रस्ताव खुशी-खुशी स्वीकार कर लेना चाहिए। गुजराती हमारी मातृभाषा है और अगर हम मातृभाषा के लिए कुछ कर सकें तो यह हमारे लिए बहुत गर्व की बात है। मेरी मानो तो तुम्हे यह प्रस्ताव को जरूर स्वीकार करना चाहिए।"

मैंने कहा, "ठीक है। मैं तुम्हारी बात पर सोचूंगा। चलो अब मैं फोन रखता हूं। अब मुझे नीरव शुक्ला के स्टूडियो जाना है। उनकी फिल्म के आखिरी गाने की रिकॉर्डिंग बाकी है वो भी आज पूरी करनी है।”

फातिमाने कहा, "ठीक है, तुम भी जाओ और मैं भी अब विद्यालय जाने के लिए निकल रही हूं। आजकल ममतादेवीने मुझे विद्यालय की बहुत अधिक जिम्मेदारियां दे दी हैं, इसलिए मुझे भी ज्यादा समय नहीं मिलता है। मुझे यह भी पता नहीं चलता कि पूरा दिन कहां खत्म हो जाता है।" इतना कहकर फातिमाने भी फोन रख दिया।

जब फातिमाने मुझसे इस ऑफर को स्वीकार करने के लिए कहा तो मैं इस ऑफर को स्वीकार किए बिना नहीं रह सका। लेकिन इस ऑफर को स्वीकार करने से पहले मैं नीरव शुक्ला का काम खतम करना चाहता था। इसलिए अगले दिन जब मैं उनके पास गया तो मैंने उसे निषाद मेहता की ऑफर के बारे में बताया और कहा, "नीरवजी! मैं आपके इस प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करना चाहता हूं और निशाद मेहता के साथ काम करना चाहता हूं। मैं अपना संगीत अब गुजरात की धरती को समर्पित करना चाहता हूं। गुजरात की इस धरती ने मुझे बहुत कुछ दिया है और अब मैं भी इस धरती का कर्ज चुकाना चाहता हूं।”

नीरवने कहा, "वैसे मेरा मन तो नहीं मान रहा लेकिन जिस तरह से तुम मेरे साथ ये बात कर रहे हो, मैं अब तुम्हें ना कहने की हिम्मत ही नहीं कर पा रहा हूं। वैसे मैं चाहता था कि आप मेरे साथ एक और प्रोजेक्ट पर काम करें, लेकिन कोई बात नहीं। यह प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद मैं आपको फ्री कर दूंगा।" 

अब मैंने निषाद मेहता से काम करने का मन बना लिया था।

मुझे यह ऑफर मिली है ये जानकर मेरे घर पर भी सभी लोगो को बहुत ख़ुशी हुई।  

दर्शिनी को भी फैशन डिजाइनिंग में अब अहमदाबाद में दाखिला मिल गया था तो अब वह भी अहमदाबाद जानेवाली थी। 

दर्शिनी के अहमदाबाद रवाना होने से एक दिन पहले उसका दोस्त समीर उससे मिलने हमारे घर आया। तब हममें से किसी को नहीं पता था कि दर्शिनी और समीर के भविष्य में क्या लिखा है। 

इस और मैंने भी अब निषाद मेहता को फोन मिला दिया।

(क्रमश:)