प्लीज मुझे जानें दीजिए - 3 Siya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्लीज मुझे जानें दीजिए - 3

Hello dosto आशा है आप सब एकदम मस्त होंगे, तो चलिए आगे बढ़ते है अपनी कहानी में पिछे आपने पढ़ा विराज आकांक्षा को ऑइंटमेंट लगा कर उठा..





अब आगे....



वॉशरूम जाते वक्त आकांक्षा से बोला अभी कपडे मत पहेनना दवाई लगाई। है, ओर वाशरुम गया हाथ धोने और जब वापस आया दिखा तो आकांशा ऐसे ही बैठी थी विराज उसके सामने सोफे। पे। बैठा और अपना काम करने लगा क़रीब। 1 घंटे बाद उठा और बोला पहन लो कपडे और निचे आओ घर। के काम तुम करोगी खाना बनाना और मेरे सारे काम, लेकीन आकांक्षा बोली धीरे से की मुझे खाना बनाना नहीं आता, विराज बोला कड़क आवाज घर में इतना भी नही सीखा कहा से सीखोगी धोखेबाज इंसान की लाडली बेटी जो हो लेकीन यहां तुम्हे रोज मेरे और अपने लिए खुद खाना बनाना होगा और हां रूम से बहार जाने की परमिशन दी है तो बस घर पे रहना भागने की कोशिश भी की तो अंजाम तुम्हे भुगतना पड़ेगा, आकांक्षा हिम्मत करके बोली आप को कोई हक नहीं मेरे पापा को धोखेबाज बोलने का विराज ने गुस्से में एक थप्पड़ जड़ दिया और बोला धोखेबाज है तेरा बाप वक्त आने पर सब पता चल जाएगा तुझे आकांक्षा ने बस गर्दन हा में हिला दी और कपडे पहनने लगी। विराज अपने स्टडी रूम में चला गया।

द्वेवेदी हाउस





आकांक्षा के पापा राकेश , मां स्वाति और भाई साहिल सब बहुत परेशान थे। आकांक्षा की मां का तो रो रो कर बुरा हाल था आखिर उनकी बेटी गई तो गई। कहा 2 दिन से कुछ पाता नही चल रहा था, राकेश और साहिल पुलिस स्टेशन जा के रिपोर्ट भी लिखवा आए पुलिस उल्टा उनको ही बोली बालिक थी बेटी तुम्हारी भाग गई होगी किसी यार के साथ साहिल। गुस्से में सर मेरी बहन ऐसी नही है उसका किसी से कोई अफेयर नही था आप उसे ढूंढने की कोशिश करे इंस्पेक्टर बोला हमे मत समझाइए हमारा काम फिर राकेश बोला चुप साहिल और फिर इंस्पेक्टर से रिक्वेस्ट करते हुए बोला सर प्लीज मेरी बेटी को ढूंढने में मदद करिए 2 दिन हो गए उसका कोई पता नहीं चल रहा है हम बहुत परेशान हैं इंस्पेक्टर बोला ठीक है और कुछ जानकारी ली और वो लोग घर चले गए||





इंस्पेक्टर ने उन लोगो के जाने के बाद विराज को कॉल किया और बोला सर राकेश द्विवेदी और उनका बेटा साहिल द्वेवेदि आए थे अपनी बहन और बेटी को मिसिंग complaint लिखा के गए, विराज बोला ठीक है तुम थोडा केस को घुमाओ और फिर बंद कर देना।

इंस्पेक्टर बोला ठीक है सर और फ़ोन रख दिया। इधरद्वेवदी हाउस में उसका भाई आकांक्षा के दोस्तो को फ़ोन कर कर के पूछ रहा था की आकांक्षा उनके साथ तो नहीं है पर सबने यही बोला नही वो हमारे साथ नहीं है और ना ही हमसे मिली हैं। राजेश स्वाति को समझाने लगा था कि मिल जायेगी कही नही गई होगी परेशान मत हो लेकिन स्वाति समझ नही रही थी बस रोए जा रही थी उसका भाई भी परेशान था आज तक आकांशा बीना बताए कही नही गई फिर एक दम से खास गायब हो गई ।

सिंघानिया मेंशन

आकांक्षा तैयार होकर निचे आई और किचन मे गई वहा कुछ नौकरानी थी जिन्हें पहले ही विराज ने सब बता दिया था, एक मेड जिसका नाम शांति था उसने आकांक्षा को बताया कि विराज सिर ब्रेकफास्ट लंच और डिनर में क्या करते हैं सब बताने लगी आकांक्षा उदास मुंह से सुन रही थी, मेड के सब बताने के बाद मेड बोली चलिए आप बनाइए में बताती जाति हू केसे बनेगा क्युकी सर को आज से आपके हाथ से बना खाना खाना है, आकांक्षा ने सिर हां मैं हिला दिया और डिनर बनाने लगी और शांति बताती जा रही थी वो वैसे ही बनाए जा रही थी, थोडी देर में डिनर बन गया ओर दोनो ने मिल कर डाइनिंग टेबल पर रख दिया और विराज को बुलाने गई आकांक्षा स्टडी रूम में, जाकर बोली विराज खाना बन गया है खा लीजिए विराज ने देखा और बोला चलो तुम में आता हूं। वो चाली गई।





थोडी देर बाद विराज आया डाइनिंग टेबल पर आकांक्षा खान सर्व करें लगी वो खाने लगा एक बाइट लिया और बोला तुमने बनाया आकांशा बोली हां विराज बोला ठीक है अच्छी कोशिश थी, पॉलिटली बोला वो उससे और बोला तुम भी खा लो साथ में तुम्हे उसके बाद मेहनत भी करनी है एनर्जी तो चाहिए वो बोली उसके अलावा आप कर भी क्या सकते हो मुझे टॉर्चर करना और क्या ओर बैठ गई खाने को विराज गुस्से से देख रहा था बोला कुछ ज्यादा ही जुबान चल रही है इसे काटनी भी आती हैं अभी चुप चाप खाना खाओ में था तमाशा नही करना चाहता , दोनो खाना खाने लगे और फिर अपने रुम की तरफ चल दिए।







रुम मे आने के बाद सोफे पे बैठ के विराज अपना लैपटॉप पे काम करने लगा और आकांक्षा विंडो के पास खड़ी होकर बहार करने देखने लगी और सोच रही थी ऐसा क्या हुआ होगा पापा और विराज के बिच, विराज क्यू पापा को धोखेबाज बोल रहा है मुझे पता लगाना होगा आखिर कब तक मुझे यहां रखेगा पापा को कोई नुकसान तो नही पहुंचाने वाला है ये क्या करने वाला है









ये, वो सोच रही थी फिर एक दम से बोली विराज क्या हुआ था आपके और पापा के बिच आप क्यू उनको धोखेबाज बोल रहे हो ओर मेरे भाई ने किया क्या है मुझे किस बात की सजा मिल रही हैं आप कब तक मुझे ऐसे ही कैद रखेंगे वो बस बोलती ही जा रही थी विराज गुस्से से तमतमाता खड़ा हुआ और आकांक्षा की तरफ बढ़ने लगा और उसकी बाह पकड़ के एक खीच के चाटा मारा और बेड पे गिरी और बोला तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे सवाल करने की तू दो कोड़ी की धोकेबाज बाप की लड़की तू मेरे सामने अपना मुंह बंद रखा कर समझी इस बार तो आकांशा को भी गुस्सा आया







वो उठी और डायरेक्ट विराज को एक चाटा मार दिया और कॉलर पकड़ के आंख में आंख डाल के बोली भाग जाउंगी में तुम्हारी कैद से और हा मेरे पापा के बारे में एक शब्द नही बोलना वो बीना डरे इतना बोल गई अंजाम जाने बीना विराज गुस्से में उसे झटक दिया वो नीचे गिर गई







बाय बाय दोस्तो आज बस इतना ही लिख पाए मुझे एक फंक्शन में जाना था आगे की कहानी कल मिलेगी आपके और हा प्लीज लाइक और कमेंट करे और कुछ सुधार करना हो तो वो भी बताएं में कोशिश करूंगी सुधार हो चलिए बाय कल मिलते है यही



हर हर महादेव 🙏🏻🙏🏻