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गज़ब
नीमवती के घर का दरवाजा खुला तो रिमझिम ने देखा कि उसकी उम्र के आसपास की लड़की ने दरवाजा खोला है, “जी कहिए!! मेरा नाम रिमझिम है, मैं नीमवती जी से मिलना चाहती हूँ।“ उस लड़की ने उसे गौर से देखते हुए पूछा, “बताओ !!! क्या बात है?” “उन्हीं को बता पाऊँगी।“ अब वह उसे अंदर एक कमरे में ले गई। जहाँ पर नीमवती पलंग पर मुँह मोड़कर लेटी हुईहै। “अम्मा! तुमसे कोई मिलने आया है।“ “मुझसे?” उसने अब अपना मुँह अपनी बेटी की तरफ किया और उस लड़की की तरफ देखा तो दोनों एक दूसरे को हैरानी से देखती रही, उसकी बेटी शीतल ने पूछा, “अम्मा आप इन्हें जानती है?” “अरे!!! तुम तो मालपुरा गॉंव की हो? “ “आप निम्मी मौसी है।“ वह अब बिस्तर उठ खड़ी हुई। “तुम? तुम कौन हो?” “मैं सुजाता की बेटी रिमझिम हूँ।“ “रिमझिम !! सुजाता की बेटी।“ नीमवती के चेहरे पर ख़ुशी और हैरानी के मिले जुले भाव है। “सुजाता की बेटी!!” अब उसने उसे गले लगा लिया। रिमझिम भी इस ममतामयी आलिंगन से भावुक हो गई। शीतल दोनों को ऐसे गले लगे हैरानी से देख रही है।
माँ यह सुजाता मौसी की बेटी है?? शीतल की आवाज सुनकर उसने कहा, “जा बेटी, कुछ खाने को ले आ।“ फिर उसने रिमझिम को वही पलंग पर बिठा लिया, “आजा बेटी बैठ!!” कुछ सेकण्ड्स तक उसे देखने के बाद, वह बोली,
बिल्कुल अपनी माँ पर गई हो।
सब यही कहते है।
आज यहाँ कैसे आना हुआ और तुम्हारे नाना नानी को पता है?
नहीं!!! मैं उन्हें बिना बताये आई हूँ।
पर क्यों?? वह हैरान है।
मुझे आपसे सच जानना है।
कौन सा सच ?
मेरी माँ की मौत से जुड़ा हुआ। अब नीमवती गंभीर हो गई। उसे ऐसे देखकर रिमझिम बोली, “मौसी देखिये मुझे बताए, मैं कई रातों से ठीक से सोई नहीं हूँ और जब सोती हूँ तो मुझे मेरी माँ नज़र आती है।‘ उसकी आँखों में आँसू आ गए।
पर बेटा तेरे नाना नानी ने मुझे मना किया था, तभी तो मैंने अपनी शादी के बाद तुझसे कोई रिश्ता नहीं रखा। अब शीतल प्लेट में लड्डू और शरबत का गिलास लेकर आ गयी। “ले बेटा, पहले कुछ खा लें, फिर बात करते हैं।“ उसने शरबत का गिलास लिया और हाथ में लड्डू भी उठा लिया।
बिरजू से मिलकर निर्मला घर पहुँची तो उसके बापू ने उसे खुश देखकर पूछा, “यह डिब्बा लेकर कहाँ गई थीं।“ “ कहीं नहीं बापू अपनी सहली रानो से मिलने गई थीं।“ “सुना है, वो भी अपने ससुराल नहीं गई!! सब की सब एक जैसी है। गिरधर ने मुँह बनाते हुए कहा पर निर्मला ने कोई ज़वाब नहीं दिया। आज वह बहुत खुश है, उसे सही मायने में एक अरसे बाद ऐसा महसूस हो रहा है।
बिरजू ने भी अपने बापू को कहा कि वह शहर जाकर कंप्यूटर खरीदना चाहता है। उसके बापू ने राजवीर को अपने साथ ले जाने के लिए कहा तो वह मान गया। दुकान तो उसने देख ही रखी है और अब वह काम शुरू करना चाहता है।
शरबत का गिलास खाली करने के बाद उसने पूछा, “अब बताये मौसी मेरी माँ की क्या कहानी है?” निम्मी की आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा, “देख बेटा, मैं तुझे बता भी दूँ तो तेरा मन ही ख़राब होगा, तू पढ़ रही है तो अपना ध्यान पढ़ाई में लगा और भूल जा,” जो गुज़र गया उसे बदल तो नहीं सकते।
“मौसी मैं यहाँ से बिना जाने नहीं जाऊँगी, मैं पहले भी यहाँ आई थीं, मगर आप लोग यात्रा पर गए हुए थें।“ “अच्छा तो वो तुम थीं, मेरे पड़ोसियों ने मुझे बताया था।“ “अब कृपा करकर मुझे बतायें। निम्मी ने अब उसके सामने हथियार डाल दिए और फिर बोलना शुरू किया, “ठीक है, जैसी तेरी मर्ज़ी।“
“तेरी माँ तेरी तरह ही सुन्दर और प्यारी थी इसलिए तेरे बापू महेश को वो पहली ही नज़र में पसंद आ गई थीं। जब उसने तेरे नाना नानी से कहा तो उन्होंने कहा कि वह दहेज़ नहीं दे सकते। सिर्फ शादी कर देंगे। महेश तो मान गए, मगर उसके घरवाले नहीं माने। बहुत जतन के बाद, उसने अपने घरवालों को भी मना लिया। शादी के बाद, वे लोग सुजाता को दहेज़ के लिए जलीकटी सुनाते, उल्टा सीधा बोलते, मगर वो महेश की वजह से सब सहती गई क्योंकि उसे पता था कि उससे बहुत प्यार करते हैं। एक बार उन्होंने उसको जलाने की कोशिश की तो तेरे नाना नानी ने महेश को अलग घर लेने के लिए कहा।“ रिमझिम बड़े ध्यान से उसकी बातें सुन रही है । “दोनों उसी गॉंव सोनपुरा में अलग कमरा लेकर रहने लगे। फिर तू पैदा हो गई। तू अभी कुछ महीनो की थी कि तेरे बापू को साँस की बीमारी लग गई और तेरे जन्म के एक डेढ़ साल बाद वो चल बसे।“ तेरी माँ ने ससुराल वालों से तेरे लिए अपना हक़ माँगा तो उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया।“ निम्मी अब गहरी सांस लेते हुए बोली,
“तेरी माँ यह बात पंचायत तक लेकर पहुँची तो वे लोग मान गए। फिर पंचायत के फैसले के बाद, तेरी दादी ने उसे प्यार से कुछ दिन अपने साथ रहने के लिए बुला लिया। वह भी उनकी पोती यानी तुझे लेकर अपने ससुराल चली गई। बस यही भूल कर दी तेरी माँ ने, जो उन ज़हरीले लोगों पर विश्वास कर लिया।
क्यों ऐसा हुआ मौसी ?
उसकी आँख में आँसू आ गए। उन्होंने एक दो महीने उसे बड़े प्यार से रखा, फिर एक दिन उसके दूध में जहरीली जड़ी बूटियाँ डालकर उसे जान से ही मार दिया ।
क्या !!!! रिमझिम की आँखें बड़ी हो गई।
पुलिस तक भी बात पहुँची । रिपोर्ट भी लिखी गई, तेरे मामा और नाना ने बड़ी कोशिश की, मगर कुछ नहीं हुआ। तेरे दादा का कोई दोस्त थाने में था इसलिए कागजों में ही रिपोर्ट दबा दी गई, तेरे चाचा के गुंडे दोस्तों ने तेरे दोनों मामा को बहुत पीटा और जान से मारने की धमकी देकर चुप रहने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने नाम करने के लिए, कुछ पैसे देकर तुझे तेरी नाना नानी के घर भेज दिया।
फिर क्या हुआ ??
होना क्या था? बात खत्म हो गई। पूरे गॉंव को यही बताया गया कि तेरी माँ मेरे बाप के जाने के सदमे से चल बसी। मैं अपनी थी, इसलिए मुझे सच्चाई का पता थी। अब उसने अपने आँसू पोंछे। पास खड़ी शीतल की आँख भी भर आई।
वही दूसरी ओर नंदन भागता हुआ नन्हें के पास आ रहा है। उसके होश उड़े हुए हैं। नन्हें किताबें लेकर अपने कमरे में बठा पढ़ाई कर रहा है। बाहर का दरवाजा खुला और वह चिल्लाया, “नन्हें कहा है तू?” “भैया, तो अपने कमरे में है।“ राधा ने ज़वाब दिया। अब वह लपककर उसके कमरे में गया और बोला। “नन्हें गज़ब हो गया !!” “क्या हुआ ?” नन्हें भी उसके चेहरे के हाव भाव देखकर डर गया।