Devil se Mohhabat - 14 aruhi द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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Devil se Mohhabat - 14

और वहीं दूसरी तरफ अंजलि ,,,,,

दाई मां की तरफ देखते हुए,,,,,यह आंटी मुझे इतना सजा क्यों रही है ,,   ,अब तो मेरी शादी भी हो गई ना,,,,,मैंने रील में देखा है ,,,,,,,की यह तब ऐसे सजाया जाता है,,,,,,,जब उनकी शादी होती है ,,,,

 और फिर अपने बालों में लगे उसे गजरे को देखते हुए ,    और यह गचरा इसमें खुशबू तो अच्छी है ,,,,,,,पर ये इतना क्यों सजा रही है ,,,,,,मुझे आप तो मेरी उसे डेविल से शादी हो चुकी है,,,,,,क्या मैं बार-बार ,,, उससे शादी करती रहो,,,,,

की तभी दायमा अंजलि का घूंघट निकाल देते हैं,,,,,,जिसे महसूस कर अंजलि,,,,,यह मुझे छुपा क्यों रही है ,,,,,,,यार कितना अजीब रिवाज,,,, है,, इनका,,,,,,,,,हमारे यहां तो ऐसा कुछ नहीं होता,,,,,,व्हाइट ड्रेस पहनो ,,,,,,और एक किस करो ,,,,और सब कुछ खत्म

की तभी दाई मां ,,,,,अंजलि का हाथ पकड़ उसे विराज के कमरे में लेजा बेड पर बैठा देते हैं,,,,,और वही अंजलि जो घूंघट उठाने को होती है,,   कि तभी नहीं बेटा ,,,,यह रस्म होती है ,,,,,,तुम यह खुद घूंघट नहीं उठाओगे,,,,,,,,,तुम्हारा यह घुंघट,,,,,मेरा ,,,,उसने इतना ही कहा होगा,,,,,,कि तभी विराट के कमरे का गेट खुलता है,,,,,,जिससे दाई मां ,,,,उस तरफ देखती है,,,,,,तो विराज को गेट पर खड़ा देखा ,,,,,,,वह चुपचाप कमरे से बाहर निकल जाती है,,, 

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Aab aage__________

दाई मां का कमरे से बाहर निकलता देख ,,,,विराज दरवाजा बंद कर ,,,,वह अपने कदम बैठ की तरफ बढ़ा देता है,,,, 

और वही अंजलि,,,,,जो अब भी ,,,,बैड के ऊपर बैठी थी ,,,,,दरवाजे बंद होने की बात सुन,,,,वह थोड़ा डर जाती है ,,,,,,और फिर अपने मन में ,,,,,,यह दरवाजा यह दरवाजा क्यों बंद कर रहे हैं,,,

कहीं ये मेरे साथ ,,,,कुछ करेगा तो नहीं ,,,,,,नहीं लड़के लोग,, एसे ही कहते हैं,,,, हम कुछ नहीं , करेगे,,,,,, लेकिन ये कब  चेंज हो जाये,,,,,,किसी को पता नहीं,,,ह

यह कह वह खुद को समझने की कोशिश करती है,,,,,,कि तभी उसे कदमों की आवाज सुनाई देती है,,,,जो विराज का ही था

जो अपनी कदम ,,,,अंजलि की तरह बढ़ाये जा रहा था,,, 

जिसे महसूस कर अंजलि झट से बैड से उतरने  लगती है ,,,,,कि वह इतनी जल्दबाजी में बेड से उतरती है ,,,,,कि जिससे वह लड़खडा  गिरने को होती है ,,,,

उससे पहल आगे बढ़,, विराज,,,, उसे  गिरने से बच्चा लेता है,,,,,,जिसे महसूस कर अंजलि की तो जैसे सांस ही ऊपर नीचे होने लगते हैं ,,,,,जिससे अंजलि झट से ,,,,,हविराज को हल्का सा पुष कर,,,,,,

वह सीधा होने के चक्कर में ,,,,,,वह जमीन पर गिर जाती है ,,,,,और यह अचानक जमीन पर गिरने की वजह से,,,,,अंजलि का दुपट्टा विराज के हाथ में ही रह जाता है ,,,,,,क्योंकि वह जब राज के ऊपर गिरी थी ,,,,,,तो अचानक से अंजलि के दुपट्टा विराज के घड़ी में अटक गया था,,,,और यूं जल्दबाजी में विराट को खुद से धक्का देने की वजह से ,,,,,,वह दुपट्टा विराज के हाथ में ही रह गया ,,,,,और वह अंजलि खुद जमीन पर जा गिरी थी,,, 

अंजलि इस वक्त जमीन पर पीठ के बाल गिरी थी,,,,,जिसे हल्का सा उसका लहंगा भी ऊपर की तरफ उट गया था,,,,,जिससे अंजलि की गोरी टांगें साफ दिखने लगी थी,,,,,,,और अंजलि का ब्लाउज भी काफी छोटा था,,,,,,जिससे दुपट्टा ना होने की वजह से,,,,,,उसका पूरा पेट विजिबल हो रहा था,,, ,,, 

और वही विराज तो ,,,,कभी अपने हाथ को ,,,,,तो कभी अंजलि को देखा,,,,,,,जो इस वक्त जमीन पर लेटी थी,,,,,,की तभी विराज की नजर अंजलि के,,,,,अंजलि के चेहरे पर जाती है,,,,,जो अपनी आंखें मुदे,,,,,अब भी ,,,,,जमीन पर गिरी थी,,,,,,जिसे देख विराज की नजर ,,,,,धीरे-धीरे अंजलि के चेहरे से होते हुए ,,,,,उसके होठों से ले सीने से ले ,,,,,,उसके पैरों तक जाती है ,,,,,,जिसे देख विराज एक तक अंजलि को ही देखे जा रहा था,,,,,, 

और वही अंजलि खुद पर किसी की तपिश महसूस कर,,,,,,वह अपनी आंखें खोल देखती है,,,,तो,,,,विराज उसी को घुरे जा रहा था

जिसे देख  अंजलि एक नजर खुद को देखते हैं,,,,,,तो खुद को इस तरह देख ,,,, वह झट से जमीन से उट,,,,अपने सीने को कवर कर,,,,, ,

विराज की तरफ घूरते हुए,,,,,,,तुमने कहा था ना कि तुम मेरे साथ कोई फर्स्ट नाइट नहीं बनाओगे,,,हहहतो यह क्या कर रहे थे ,,,, देखो तुमने मेरे साथ जबरदस्ती शादी की है ,,,,,,,,लेकिन मेरे करीब तुम जबरदस्ती नहीं आ सकते,,,,उसका इतना ही कहना था

 अंजलि का इतना ही कहना था,,,,,,कि विराज की आंखों के सामने,,,,,,,कुछ सीन नजर आने लगता है,,,,,,,प्लीज मेरे करीब मत आओ ,,,,,,मुझे जाने दो,,,,,,मेरा क्या कसूर,,,,,जाने दो,,,,,,मुझे हाथ मत लगाना,,,,,,और फिर एक चीख

जिसे याद कर विराट की आंखों में खून उतर आया था ,,,,,,और उसके आंखों में इस वक्त गुस्सा साफ देखा जा सकता था,,,,,,जिससे विराज बगैर वक्त गवाए अपना हाथ आगे बढ़ा ,,,,,अंजलि को गरदन सहित पकड़ ,,,,,,उसे अपने करीब खिंच लेता है,,,,,,,और फिर विराज की आंखों में देखते हुए,,,, 

तुझे इसको खेल लगता है ,,,,,,तेरे बाप ने मेरे घर को जाहनुम बना दिया ,,,,,मेरी आंखों के सामने मेरी बुआ की जिंदगी तहस-नहस कर दी,,,, और तुझे ,,,,और तुझे यह सब मजाक लगता है,,,,,,तेरे रंगो में भी,,,,,तेरे बाप का गद्दा खून होगा,,,, 

तेरे बाप ने मेरी मेरी बुआ की जिंदगी बर्बाद की ना ,,,,,,,और आज मे तेरी जिंदगी ,,, बरबाद कर दूंगा,,,,यह कहे विराज,,,,,बगैर देरी करें ,,,,,,आजली के होठों पर होट अंजलि को किस करने लगता है,,,,,,वहां उसे किसी से ज्यादा बइट कर रहा था ,,,,,जिसे अंजलि छटपटाने लगी थी ,,,,

और फिर वहां विराज के सीने पर हाथ रख,,,,,उसे खुद से दूर करने की कोशिश करने लगती है,,,,,लेकिन विराज उसके हाथ को पकड़ ,,,,,उसके बैक पर,,,,,उसके होठों को ,,,,,,और भी डिपली किस करने लगता है ,,,,,,और फिर उसी  तरह अंजलि को पीछे की तरफ ले जाते हुए ,,,,,,, बेड पर धक्का दे देता है,,,, 

जिससे अंजलि सीधा बेड पर जा कर गिरती है ,,,,,और इतनी लंबी किस की वजह से,,,,,उसके सासे आब भी भारी हो रही थी,     जिससे उसकी आंखों में आंसू आ जाते हैं ,,,,,और वह अपने नंम ही आंखों से ,,,,,विराज की तरफ देखने लगती है,,,,,इस वक्त अंजलि को विराज से बहुत डर लग रहा था,,,,,,इतना की जैसे कि उसके सामने कोई रकक्षा हो,, 

और वही विराज की आंखें गुस्से से लाल थी,,इस वक्त उसे कुछ भी,,,,नहीं नजर आता है,,,,,सिवाय उसकी बुआ की चीखें ,,,,,जिसे वह ,,,किसी भी हालत दूर करना चाहता था ,,,,,जिससे विराज खुशी को गुस्से से घुरते हुए,,,,,,अपने शर्ट के बटन खोल ,,,,,एक झटके में खुशी के ऊपर आ जाता है

और बगैर देरी कीए,,,,,अंजलि की होठों पर अपने होठों को रख,,उसे,,,,दोबारा किस करने लगता है,,,,,और बड़ी बेरहमी से ,,,,अपने हाथों को अंजलि के शरीर पर चलाने लगता है,,,,,जिसे अंजलि और भी ज्यादा डरने लगी थी,,,, 

की तभी विराज,,,,अंजलि के होठों को छोड़ ,,,,उसके गर्दन पर आपने होट,,,, चलाने लगता है ,,,,,और वही अंजलि जो डर और इतनी लंबी किस की वजह से,,,,,आब भी लंबी-लंबी सांसे ले रही थी ,,,,,और अपने हाथों की मुट्ठी बना ,,,,,वह विराज के बैक पर मारे जा रही थी ,,,,,,ताकि वह उसे छोड़ दें,,,, 

और फिर विराज एक झटके में,,,,अंजलि के ऊपर से उठ जाता है ,,,,,और फिर गुस्से से अंजलि की तरफ देख,,,,,,वह अपना हाथ आगे बढ़ा,,,,,अंजलि का ब्लाउज ,,,,,उसके शरीर से अलग कर देता है,,,,,,जिससे अंजलि एक चीख के साथ ,,,,,वह झट से ,,,,,पलट जाती है ,,,,,और फिर रोते हुए,,,,,प्लीज प्लीज विराज ऐसा मत करो

मैं मर जाऊंगी,,,,प्लीज प्लीज ,,,, एसा मत करो ,,,,अगर मुझसे गलती हुई हो तो ,,,,प्लीज मुझे माफ कर दो,,,,पर ऐसा मत करो,,,,,यह कहते हुए ,,,,वह डर से कांपने लगी थी,  

और वही विराज अंजलि की चिख सुन ,,,अपने होश में आता है ,,,,जिससे वह एक नजर,,, अंजलि,,को देखता है ,,,,जो उसकी तरफ बैक किया,,,रोते हुए बेड पर लेटी थी,,,,, जिसे देखते हुए उसके जहेन में ,,,,अपनी मां की कही हुई बातें,,याद आने लगती है ,,,

बेटा कभी भी हो जाए ,,,,,, तू चाहे जितना टूट जाए लेकिन तू कभी भूलना मत कि तू मेरा बेटा है ,,,,, तू अपनी अस्तित्व मत भूलना ,,,,की लड़कियां कोई खिलौना नहीं होती,,,,,,उनकी भी कोई इज्जत और शोक होते हैं,,,,,,,तो उन्हें कभी भी अपने दुश्मनी मोहब्बत या जलन की वजह से,,,,,,अपने पैरों के नीचे कुचलना मत,,,,,,क्योंकि बहुत तकलीफ होता है ,,,,जब किसी के साथ ऐसा होता है,,, 

जिससे रूद्र उसकी गोरी नाजुक दूध जैसी,, खुली बैक साफ देख सकता था ,,,,,जिसे देख विराज अपनी आंखें मुद लेता है ,,,,,और बगैर देरी किए ,,,,,वह बेड से उतर,,,,,अंजलि के ऊपर चादर फेक ,,,,,वह वहां से ,,,,सीधा वॉशरूम चला जाता है, 

और वही अंजलि विराज को वॉशरूम जाता है देख,,,,, वह झट से ,,,,,खुद को चादर से कवर कर ,,,, बेड पर आराम से ,,,,बैठ जाती है ,,,,,वह इस वक्त ,,,,,बहुत ही ज्यादा डर चुकी थी,,,,,,विराज से ,,,,

उसे नहीं लगा था,,,,,कि विराज उसके साथ ऐसा कुछ करेगा ,,,,,,जिससे वह अब भी कुछ देर पहले हुए ,,,,,उस हादसे को सोच,,,,अंजलि की आंखों में आंसू आ जाते हैं,,, 

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 और दूसरी तरफ विधि ,,,,किसी खरगोश के बच्चे की तरह बेड पर लेते बार-बार छत पर हुई,,,,,उस बातें और उसे वीडियो को सोच सोच खुद से ही,,,,,विधि तो इतनी बेवकूफ क्यों है,,,,,,हो गई ना तेरी मोए मोए,,,,,,,, अब मैं क्या करूं,,, 

और वहीं दूसरी तरफ विराज ,,,,,वॉशरूम में सावर के नीचे खड़ा हो,,,जाता है ,,, और वह खुद को,,,,,शावर के ठंडे पानी से भिगो ,,,,,अपने गुस्से को शांत करने लगता है ,,,,,लेकिन उसका गुस्सा आब भी सांत नहीं हो रहा था,,,,

उसे इस वक्त बहुत गुस्सा आ रहा था ,,,,,,वह इस हद तक,,,,,कैसे जा सकता है ,,,,वह कैसे उस,, ,,,  वैहसी  की तरह हो सकता है ,,,,, उसे वह कैसे अपनी मां की बातों को भूल गया ,,,,,यह सोच वह गुस्से से ,,,,,आइने पर अपना हाथों की मिट्टी बना,,,,, आइने पर दे मारता है,,,,,जिससे वह आइना,,,टुकड़ों में टूट कर बिखर जाती है,,,और विराज के हाथों में छुब जाता है,,, 

आज के लिए बस इतना ,,,,तो देखते हैं कल क्या होने वाला है ,,,,क्या होगा विधि और अंजलि के लाइफ में,,,,,क्या ऐसे ही वह इन दोनों की जिंदगी में खेल के तरह रह जाएगी ,,,,,या फिर आएगा कोई नया तूफान ,,,,जानने के लिए पढ़ते रहे,,,