जिद्दी मोहब्बत - 1 Gumnaam shayar द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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जिद्दी मोहब्बत - 1




 **खुशी का ऑफिस का पल**





मुंबई के सीनियर सरकारी ऑफिस में, खुशी सिंह राठौड़ अपने कार्यालय में बैठी थी। कमरे की दीवारें सुनहरे रंग की लकड़ी की थीं, और हर कोने में फाइन फर्नीचर था। कमरे का माहौल गंभीर और व्यवस्थित था, और यह अपने आप में एक ताकतवर और प्रभावशाली माहौल पैदा करता था।

खुशी, 26 साल की उम्र में, एक बेहद आत्म-निर्भर और आत्मविश्वास से भरी हुई महिला थी। आज उसने एक चकाचौंध कर देने वाली आउटफिट पहनी थी—एक गहरे नीले रंग की बूटकट पैंट और उसके साथ एक सफेद सिल्क की ब्लाउज़, जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी। उसकी ब्लाउज़ पर हल्के सिल्वर कढ़ाई की गई थी, जो ऑफिस के माहौल के साथ मेल खाती थी। उसने इसे एक मैचिंग ब्लेज़र के साथ पूरा किया था, जिसका फिट बिल्कुल परफेक्ट था। 

वह अपने लैपटॉप पर ध्यान दे रही थी, जिसमें मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और योजनाएं खुली थीं। उसकी आँखें स्क्रीन पर गहरी निगाह से जमी हुई थीं, और उसका चेहरा गंभीर और ध्यानमग्न था। उसकी ऊँची एड़ी की जूती का हल्का-सा कर्कश आवाज़ हर बार उठते कदम से कमरे में गूंज रहा था। खुशी की उंगलियाँ कीबोर्ड पर तेजी से चल रही थीं, जिससे उसके आत्म-समर्पण और ध्यान की गहराई स्पष्ट थी। 

ऑफिस का माहौल सुगंधित था, और कमरे में हल्की सी महक थी—सभी चीज़ें भव्य और उच्च स्तर की थीं, जिससे खुशी के उच्च वर्गीय दृष्टिकोण का पता चलता था। उसका डेस्क साफ और व्यवस्थित था, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण फाइलें और दस्तावेज़ सलीके से रखे हुए थे। एक ओर, कुछ व्यक्तिगत वस्तुएं, जैसे कि उसका सोने का रंग का पेन और एक चिकनी नोटबुक, जो उसने अपने विचारों को दर्ज करने के लिए रखी थी, कमरे की सुरुचि को और बढ़ा रहे थे।

एक गोल्डन फ्रेम में लिपटी हुई तस्वीरें, जिसमें उसकी सफलताओं और सम्मान की यादें थीं, दीवार पर लगी थीं। खुशी ने अपने आप को एक ही दिशा में केंद्रित किया था—मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने की दिशा में। 

वह लैपटॉप पर काम करते हुए कभी-कभी अपनी चश्मे के सर्कल को ठीक करती थी और उसकी नज़रें दस्तावेज़ पर गहराई से जमी रहती थीं। उसकी आँखों में एक चमक थी, जो उसकी निष्ठा और समर्पण को दर्शा रही थी। उसके माथे पर छोटी-छोटी लकीरें स्पष्ट हो रही थीं, जो उसके कठिनाई से भरे कार्य को बयां कर रही थीं। 

रूम की खिड़की से बाहर की दुनिया की चकाचौंध और शोरगुल, उसकी दुनिया की शांति और समर्पण के विपरीत था। अंदर का शांत माहौल उसकी एकाग्रता और फोकस को दिखाता था। खुशी ने एक गहरी सांस ली और अपने काम में फिर से लग गई। आज का दिन उसके लिए एक नई चुनौती लेकर आया था, और वह उसे अपने तरीके से पूरा करने के लिए पूरी तरह तैयार थी।





खुशी ने एक बार फिर से अपनी निगाहें स्क्रीन पर जमाईं। उसके चेहरे पर हल्की सी चिंता की लकीरें थीं, जो उसके काम की गंभीरता को दर्शा रही थीं। उसकी उंगलियाँ कीबोर्ड पर तेज़ी से चल रही थीं, जैसे कि वह एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट को अंतिम रूप देने में व्यस्त हो। 

डेस्क पर रखी उसकी स्मार्टफोन की स्क्रीन पर लगातार नोटिफिकेशन पॉप हो रहे थे, लेकिन खुशी ने उसे नजरअंदाज कर दिया। वह पूरी तरह से अपने काम में डूबी हुई थी। उसकी फाइलें व्यवस्थित तरीके से स्टैपलर और क्लिप्स से सजाई गई थीं, और दस्तावेज़ों के बीच में रंगीन पोस्ट-इट नोट्स लगे हुए थे, जो महत्वपूर्ण बिंदुओं को हाइलाइट कर रहे थे। 

फ्लोरोसेंट लाइट्स के नीचे, खुशी की त्वचा एक निखरी चमक के साथ दमक रही थी। उसकी चूड़ीदार आँखें, जो उसकी आँखों के काले लहजे को और बढ़ा रही थीं, लगातार स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित किए हुए थीं। उसके बाल, जो उसकी पीठ तक लहराते हुए थे, एक गहरे भूरे रंग में थे और उसे एक सुरुचिपूर्ण और पेशेवर रूप दे रहे थे। 

आफिस के कोने में रखा एक महंगा घड़ी टिक-टिक की आवाज़ कर रही थी, जो एक पल की भी देर का संकेत दे रही थी। खुशी ने एक बार फिर अपने घड़ी की ओर देखा और फिर से काम में लग गई। कमरे की खिड़की से आ रही धूप, जो उसके डेस्क पर हल्की-सी चमक बिखेर रही थी, उसके काम के तनाव को कुछ हद तक कम कर रही थी। 

उसे अचानक दरवाज़े पर दस्तक सुनाई दी। उसने अपने लैपटॉप की स्क्रीन को एक तरफ किया और चेयर से उठते हुए दरवाज़े की ओर बढ़ी। दरवाज़े पर खड़ा उसका सहायक, राहुल, उसे एक नई फाइल और एक नोट थमाते हुए बोला, "मैम, ये दस्तावेज़ आपके लिए हैं।"

खुशी ने दस्तावेज़ को लेते हुए मुस्कुराते हुए कहा, "धन्यवाद, राहुल। इन्हें मुझे तुरंत देखना है। कृपया सुनिश्चित करें कि कोई भी रुकावट न हो।"

राहुल ने सिर झुकाया और त्वरित कदमों से बाहर निकल गया। खुशी ने फाइल खोलते हुए एक गहरी सांस ली। दस्तावेज़ में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना था, और वह जानती थी कि ये उसके मिशन के लिए बेहद आवश्यक थे। 

ऑफिस में एक हल्की सी शांति थी, लेकिन खुशी के मन में कई प्रश्न और समस्याएँ चल रही थीं। उसकी आँखों में दृढ़ता थी, और वह पूरी तरह से समर्पित थी। उसने अपने लैपटॉप पर दस्तावेज़ को खोलते हुए, अपनी गहरी सोच और परिश्रम से काम को पूरा करने का दृढ़ संकल्प किया। 

फिर से उसके चेहरे पर एक गंभीरता की छाया छा गई। वह जानती थी कि दुबई में उसे एक मुश्किल और खतरनाक मिशन का सामना करना होगा। लेकिन उसके पेशेवर आत्म-समर्पण और उसकी अदम्य इच्छाशक्ति ने उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। खुशी ने अपनी चश्मे की पट्टी ठीक की और अपने काम में लग गई, एक नई चुनौती की ओर कदम बढ़ाते हुए। 

आफिस के माहौल की सख्ती और व्यवस्थितता उसके आत्म-समर्पण की झलक देती थी। खुशी का दिन व्यस्त और चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उसकी मेहनत और लगन से भरा हुआ था, और वह अपने मिशन को सफल बनाने के लिए पूरी तरह तैयार थी।


केसा लगा आज का एपिसोड कमेंट करके जरूर बतायें ओर दुसरा एपिसोड जरूर पढ़ें जिसमें आदित्य सिंघानिया का पागलपन नजर आने वाला है 



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