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राजकुमार धरमवीर उड़ता टापू से तिलिस्मी फल लेकर परीलोक में वापस आ गया । जहाँ सुकन्या परी राजकुमार का इंतजार कर रही थी । राजकुमार को अपने पास देखकर सुकन्या परी मन ही मन बहुत खुश हुई और साथ मे राजकुमार भी सुकन्या परी को देखकर धीरे धीरे मुस्कुराने लगे ।
अब राजकुमार को तिलिस्मी कमल तक पहुंचने के लिए केवल स्वर्णपँख चाहिए थे । जिसे सुकन्या परी बता सकती थी कि वह कहाँ मिलेगा ?
राजकुमार ने सुकन्या परी से स्वर्णपँख के विषय मे पूछा तो सुकन्या परी ने कहा - अभी आप थके हुए हो दो तीन दिन आराम कर लीजिए उसके बाद जाना , तब तक हम भी आपके साथ अपना समय व्यतीत कर लेंगे । "
राजकुमार धरमवीर - नही , अभी हमारे पास समय नही है जब तक हमारे राज्य में खतरा रहेगा हम कोई आराम नही करेंगे । आप स्वर्णपँख पाने का उपाय बताइये ।"
ऐसा जवाब सुनकर सुकन्या परी थोड़ा उदास हो गई कि राजकुमार के पास रह नही पाएगी लेकिन राजकुमार का दृढ़ निश्चय देखकर खुश हो गई ।
सुकन्या परी से राजकुमार से बोली - " स्वर्णपँख के लिए आपको पक्षी लोक में जाना होगा । जहाँ का राजा एक गंधर्व गिद्ध है । आपको उसी के पास स्वर्ण पंख मिलेगा । "
इसके बाद सुकन्या परी ने राजकुमार धरमवीर को एक जादुई अंगूठी दी और कहा - " इसे अपने पास रखे रहिये यह आपको खतरों से बचायें रखेगी । आज प्रातःकाल आप यँहा से उत्तर दिशा की ओर सीधे चले जाना । 100 कोस चलने पर आपको एक चमचमाता पर्वत मिलेगा । उस पर्वत में ही गंधर्व गिद्ध रहते है । "
राजकुमार रात भर परीलोक में रहा । और प्रातःकाल उठकर सुकन्या परी की दी हुई कालीन में बैठकर उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा । कालीन हवा से बाते करते हुए शाम तक चमचमाते पर्वत तक राजकुमार को पहुंचा दिया ।
चमचमाते पर्वत में शाम के भी ऐसा लग रहा था कि मानो दिन हो हर जगह अलग अलग रंग के पेड़ पौधे चमक रहे थे । ऐसा लग रहा था जैसे राजकुमार किसी पर्वत में न होकर स्वर्ग में हो । मनमोहक दृश्य था राजकुमार चमचमाते पर्वत के मनमोहक पेड़ पौधे देखकर उन मोहित हो गया ।
राजकुमार पर्वत की सुंदरता एकटक देख रहा था । तभी राजकुमार के सिर पर किसी नुकीली चीज का वार हुया । अपने ऊपर अचानक हुए वार से राजकुमार तिलमिला गया ।
और अपनी तलवार निकाल कर हवा में लहराया । तभी उसने अपने ऊपर एक पक्षी को उड़ते हुए देखा जो गिद्ध जैसा दिख रहा था और उसका रंग नीला था ।
वह पक्षी ( नीला गिद्ध )फिर से राजकुमार के ऊपर हमला करने के लिए बढ़ा लेकिन इस बार राजकुमार सावधान था । नीला गिद्ध जैसे ही राजकुमार के नजदीक आया वैसे ही राजकुमार ने अपनी तलवार से प्रहार कर दिया ।
लेकिन यह क्या राजकुमार आश्चर्य चकित हो गया । तलवार से नीले गिद्ध को कुछ नही हुया बल्कि उसकी तलवार ही टूट कर अलग हो गई ।
नीले गिद्ध ने राजकुमार के ऊपर हमला कर दिया । राजकुमार घायल होकर जमीन पर गिर गया । तभी नीले गिद्ध ने राजकुमार की ओर एक नीली किरण छोड़ दी । किरण राजकुमार की ओर धीरे धीरे बढ़ रही थी । तभी राजकुमार को सुकन्या परी द्वारा दी गई जादुई अंगूठी ध्यान आया और जादुई अंगूठी को आदेश दिया - " हे जादुई अंगूठी मुझे नीले गिद्ध के द्वारा छोड़ी गयी नीले किरण से बचाओ । "
राजकुमार के इतना कहते ही जादुई अंगूठी से एक लाल किरण निकली और नीले किरण से टकरा गई , टकराते ही एक धमाका हुया । और नीले गिद्ध का वार खाली चला गया । अपना खाली वार देखकर नीला गिद्ध क्रोधित हो गया । और जोर से चीखते हुए अपना मुँह खोला । मुँह खुलते ही उसमे से बड़े बड़े नीले रंग के पत्थर निकल कर राजकुमार के ऊपर गिरने लगे ।
राजकुमार ने जादुई अंगूठी से तुरन्त अपना सुरक्षा कवच बनने को कहा । जादुई अंगूठी तुरन्त राजकुमार की सुरक्षा कवच बन गयी । नीले पत्थर सुरक्षा कवच से टकरा कर चूर चूर होते जा रहे थे ।
अपना यह वार भी खाली जाता देखकर नीले गिद्ध ने अपना मुँह बंद कर लिया । नीले गिद्ध के मुँह बंद करते ही राजकुमार धरमवीर ने जादुई अंगूठी से कहा - हे जादुई अंगूठी एक ऐसा पिंजड़ा बनकर इसे कैद कर लो जिसमे इसकी कोई भी शक्ति काम न करे । "
आदेश पाते ही जादुई अंगूठी ने एक बड़ा सा पिंजड़ा का रूप ले लिया और नीले गिद्ध को उसमे कैद कर लिया । पिंजड़ा अंदर से मजबूत शीशे के बना हुया था जिसमे नीला गिद्ध यदि कोई भी किरण छोड़ता वह शीशे से टकराकर उल्टा उसी को लग जाता था और पत्थर टकरा के चूर चूर हो जाते थे ।
अंतिम में हारकर नीला गिद्ध शांत हो गया और राजकुमार से कहा - " तुम कौन हो और यहाँ क्यो आये हो ? "
राजकुमार धरमवीर नीले गिद्ध से बोले- " मेरा नाम धरमवीर है । और मैं यहाँ स्वर्णपँख की तलाश में आया हूँ । "
नीला गिद्ध - " स्वर्णपँख तुम्हे किसलिए चाहिए और क्यो चाहिए ? "
राजकुमार धरमवीर - स्वर्णपँख पंख से तिलिस्मी द्वार खोलने के लिए चाहिए और यह सब मैं अपनी प्रजा और अपने पिता जी के लिए कर रहा हूँ । अब बताओ वह स्वर्णपँख कहाँ है? मुझे बताओ मैं ले लूंगा और उसके बाद तुमको आजाद करके यहाँ से चला जाऊंगा । "
राजकुमार की बात सुनकर नीला गिद्ध उदास हो गया और बोला - " वह स्वर्णपँख केवल मेरे मित्र अदृश्य पक्षी शंखचूड़ के पास होता है और वह तुम कभी नही पा सकते हो क्योकि शंखचूड को शक्तिशाली तांत्रिक कपाली ने कैद कर रखा है । और साथ मे मेरे जैसे दिखने वाले 99 नीले गिद्ध का भी अपहरण करके उनकी बलि चढ़ा दिया है ।
और उनकी आत्माओं को अपने सिर के बालों में बांध रखा है । वह सौंवा नीला गिद्ध ढूढ़ रहा बलि देने के लिए ताकि वह अमर बन जाये और अपने मंत्रो की वजह से पूरी दुनिया मे राज करे । और वह अपनी शक्तियों की वजह से अदृश्य रूप में रहता है ।
मैं उससे बचता फिरता रहता हूँ ताकि मुझे न मार पाए अगर मुझे मार देगा तो उसकी 100 बलि पूरी हो जाएगी और वह अमर बन जायेगा । अब बताओ मैं तुम्हे स्वर्णपँख कैसे दे सकता हूँ ? अब तो पूरी बात जान चुके हो अब तो मुझे आजाद कर दो अपने इस जादुई पिंजड़े से मुझे इस पिंजड़े में घुटन हो रही है।
राजकुमार को नीले गिद्ध के बातों में सच्चाई दिखाई दी । उसने जादुई अंगूठी से नीले गिद्ध को आजाद करने को आदेश दे दिया । और जादुई अंगूठी ने नीले गिद्ध को आजाद कर दिया ।
राजकुमार धरमवीर ने नीले गिद्ध से कहा - " अच्छा ये बताओ तांत्रिक कपाली तक कैसे पहुंचा जाए ? ताकि मैं उससे स्वर्ण पंख छीन कर उसे मार सकूं ? "
नीला गिद्ध - " वह हर रोज मेरी तलाश में इस चमचमाते पर्वत में निकलता है लेकिन मुझे आज तक तलाश नही पाया और वह हमेशा अदृश्य रूप में रहता है ताकि उसे कोई देख न सके । इस पर्वत के पूर्व दिशा ने एक चमत्कारी वृक्ष है जिसकी पत्तियां खाने से कोई भी अदृश्य शक्ति को देख सकता है । इसी वृक्ष की पत्तियां खाकर तांत्रिक कपाली ने मेरे मित्र अदृश्य पक्षी शंखचूड़ को देख पाया है फिर उसका अपहरण कर लिया है। वह वृक्ष उसी के क्षेत्र में स्थित है । "
इसके बाद नीले गिद्ध ने अपनी आंख से एक किरण जमीन में छोड़ी । किरण के हटते ही वहाँ पर एक तलवार नजर आयी । उस तलवार को नीले गिद्ध ने राजकुमार को दे दिया और बोला - " यह लो चमत्कारी तलवार जो स्वर्णपँख प्राप्त करने में तुम्हारी मदद करेगी और स्वर्णपँख प्राप्त करने में मैं भी तुम्हारी मदद करूँगा । "
राजकुमार धरमवीर और नीला गंधर्व गिद्ध बड़ी देर तक एक दूसरे से बात करते रहे । नीले गिद्ध ने राजकुमार को तांत्रिक कपाली की असीम शक्ति तथा उसकी क्रूरता एवं दुष्टता की अनेक घटनाएं बताई । और ये भी बताया कि उस चमत्कारी वृक्ष की पत्तियां खाकर हम अदृश्य शक्ति को देख सकते है ।
नीला गिद्ध राजकुमार से बोला - " सबसे पहले हमें उस चमत्कारी वृक्ष की पत्तियां खानी होगी ताकि हम कपाली को देख सके ।"
राजकुमार - " लेकिन हम उस चमत्कारी वृक्ष तक पहुंचेंगे कैसे ?"
नीला गिद्ध - " वहाँ तक मैं तुम्हे ले चलूंगा ।"
दोनों बातें ही कर रहे थे कि अचानक नीले गिद्ध ने अपने पंख फड़फड़ाये और राजकुमार से बोला - " राजकुमार , हमे अभी इसी समय पूर्व दिशा की ओर चलना है ।"
राजकुमार तो पहले से ही तैयार था । वह अपने कालीन पर सवार हो गया और पूर्व दिशा की ओर चल पड़ा । और कुछ ही देर बाद वो चमचमाते पर्वत के एक विचित्र वन में आ पहुंचे । इस वन के सभी वृक्ष एक जैसे दिख रहे थे ।
लेकिन चमत्कारी वृक्ष वहाँ पर नही था जिसकी पत्तियां खाकर कोई भी अदृश्य शक्ति की देख सकता था । चमत्कारी वृक्ष न पाकर नीला गिद्ध आश्चर्य चकित हो कर बोला - " अरे वह वृक्ष कहाँ गया ? "
" राजकुमार ! लगता है , हमारे बारे में तांत्रिक कपाली को मालूम हो गया है । उसी ने अपनी तांत्रिक शक्ति से चमत्कारी वृक्ष को गायब..... " गंधर्व नीले गिद्ध की घबराई हुई आवाज राजकुमार को सुनाई दी और वह भी बीच मे अधूरी रह गई ।
क्रमशः ...............🙏🙏🙏
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विक्रांत कुमार
फतेहपुर उत्तरप्रदेश
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