दिल से बनी दुनियां Guddu mehta द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दिल से बनी दुनियां

**Title:** *Dil Se Bani Duniya*

**कहानी:**

कभी-कभी छोटी-छोटी बातें हमारे जीवन में बड़ी सीख दे जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है गंगा नामक एक छोटे से गाँव की, जहाँ हर कोई अपने साधारण जीवन में व्यस्त था। इस गाँव में एक लड़का था, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन का दिल बहुत बड़ा था, लेकिन वह हमेशा दुखी रहता था। उसे लगता था कि उसकी जिंदगी में कोई मायने नहीं है, और वह बस समय बर्बाद कर रहा है।

एक दिन, अर्जुन अपने गाँव के बाहर एक पहाड़ी पर बैठा हुआ था, जब उसने एक बूढ़े आदमी को देखा जो पास के बगीचे में पौधे लगा रहा था। अर्जुन ने उससे पूछा, "बाबा, आप इतने बड़े हो गए हैं, फिर भी पौधे क्यों लगा रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि जब तक ये पौधे बड़े होंगे, तब तक आप इन्हें देख भी नहीं पाएंगे?"

बूढ़े आदमी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, "बेटा, मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ सीखा है, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम जो कुछ भी करते हैं, वह सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी होता है। अगर मैंने यह पौधे नहीं लगाए, तो आने वाली पीढ़ियों को छाया कहां से मिलेगी?"

अर्जुन इस जवाब से बहुत प्रभावित हुआ। उसने सोचा कि अगर यह बूढ़ा आदमी अपनी उम्र के इस पड़ाव पर भी दूसरों के लिए सोच सकता है, तो वह क्यों नहीं? 

वह गाँव वापस लौटा और उसने अपने जीवन का मकसद खोजने का फैसला किया। अर्जुन ने अपनी सारी उर्जा और समय को दूसरों की मदद में लगाने का निर्णय लिया। उसने गाँव के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया, गरीबों के लिए अनाज और कपड़े जुटाए, और गाँव के विकास के लिए योजनाएं बनाईं। धीरे-धीरे अर्जुन का नाम पूरे गाँव में फैल गया, और लोग उसकी तारीफ करने लगे।

समय बीतता गया और अर्जुन का गाँव एक आदर्श गाँव बन गया, जहाँ हर कोई खुश और संतुष्ट था। अर्जुन ने अपने जीवन में खुशी और संतोष को पा लिया था। वह समझ चुका था कि सच्ची खुशी दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में है।

**सीख:** 
यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन का असली मतलब दूसरों के लिए जीने में है। जब हम अपनी खुशियों को दूसरों के साथ बांटते हैं और उनके जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं, तभी हमें सच्ची खुशी मिलती है।

---**सारांश:** *दिल से बनी दुनिया*

अर्जुन नाम का एक युवक अपने जीवन में निराश और असंतुष्ट महसूस करता था। उसे लगता था कि उसके जीवन का कोई उद्देश्य नहीं है। एक दिन, एक बूढ़े आदमी से मिलने के बाद, उसकी सोच बदल गई। बूढ़ा आदमी एक बगीचे में पौधे लगा रहा था और अर्जुन ने उससे पूछा कि वह क्यों यह काम कर रहा है, जब वह खुद शायद इन पौधों के बड़े होते हुए नहीं देख पाएगा। बूढ़े ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह यह काम अपने लिए नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए कर रहा है। इस जवाब ने अर्जुन को गहराई से प्रभावित किया और उसने अपने जीवन को दूसरों की सेवा में लगाने का निर्णय लिया।

अर्जुन ने गाँव के बच्चों को शिक्षा दी, गरीबों की मदद की, और गाँव के विकास के लिए काम किया। उसके प्रयासों से गाँव का चेहरा बदल गया और यह एक आदर्श गाँव बन गया। अर्जुन को एहसास हुआ कि सच्ची खुशी दूसरों के लिए जीने में है। उसने देखा कि जब वह दूसरों के जीवन में खुशियाँ भरता है, तभी उसे सच्ची संतुष्टि मिलती है।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अपने जीवन को अर्थपूर्ण बनाने के लिए हमें दूसरों की भलाई के लिए काम करना चाहिए। जीवन का असली उद्देश्य केवल अपनी खुशियों को हासिल करना नहीं है, बल्कि उन्हें दूसरों के साथ बांटकर और उनके जीवन को बेहतर बनाकर असली संतोष पाया जा सकता है। 

अर्जुन की यात्रा इस बात का प्रतीक है कि जब हम अपने दिल से दुनिया को देखते हैं और दूसरों की मदद करते हैं, तो हमारी दुनिया भी खुशहाल और संतोषजनक बन जाती है। "दिल से बनी दुनिया" यह दर्शाता है कि जीवन में सच्ची खुशी और शांति दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने में ही निहित है।