जीवन की सच्ची खुशी Guddu mehta द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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जीवन की सच्ची खुशी

***राजेश एक छोटे से गाँव का रहने वाला था। उसकी ज़िंदगी में काफी उतार-चढ़ाव आए, लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी। एक दिन उसके गुरुजी ने उससे पूछा, "राजेश, तुम अपनी ज़िंदगी को खुश कैसे बनाए रखते हो?"राजेश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "गुरुजी, मैंने जीवन में कुछ छोटी-छोटी बातें अपनाई हैं जो मुझे सच्ची खुशी देती हैं।"गुरुजी ने रुचि लेते हुए कहा, "क्या तुम उन बातों को हमारे साथ साझा करोगे?"राजेश ने कहना शुरू किया, "सबसे पहली बात, मैंने यह सीखा है कि संतुष्टि सबसे बड़ी दौलत है। मैंने अपने पास जो कुछ भी है, उसे सराहा और उसकी कद्र की। मैं कभी भी दूसरों से तुलना नहीं करता। जो मेरे पास है, उसे सबसे कीमती मानता हूँ।""दूसरी बात," उसने कहा, "मैंने अपनी प्राथमिकताओं को सही रखा है। परिवार और स्वास्थ्य को सबसे पहले रखा। मैं रोज़ सुबह जल्दी उठकर योग और ध्यान करता हूँ, जिससे मेरा मन शांत रहता है और शरीर स्वस्थ।"राजेश ने थोड़ा रुककर आगे कहा, "तीसरी बात, मैंने यह सीखा है कि किसी से भी ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। जितनी कम उम्मीदें होंगी, उतनी ही कम निराशा होगी। मैं अपने कर्म पर ध्यान देता हूँ, परिणाम की चिंता नहीं करता।"गुरुजी ने उसकी बातों से प्रभावित होकर कहा, "राजेश, तुम्हारी बातें बहुत सरल और व्यवहारिक हैं। इन बातों को अपनाकर कोई भी अपनी ज़िंदगी में खुशी ला सकता है।"राजेश ने नम्रता से सिर झुकाते हुए कहा, "जीवन को खुश रखने के लिए हमें बड़े काम करने की जरूरत नहीं, बस छोटे-छोटे बदलाव करने की जरूरत है।"उस दिन से गाँव के लोग राजेश की बातों को मानने लगे और उन्होंने भी अपने जीवन में छोटी-छोटी खुशियों को महत्व देना शुरू किया। गाँव में अब पहले से ज़्यादा खुशी और संतोष का माहौल था।---यह कहानी सिखाती है कि खुशहाल जीवन के लिए हमें छोटी-छोटी बातों को अपनाना चाहिए। संतुष्टि, प्राथमिकताओं का सही चयन, और उम्मीदों को कम रखकर ही हम जीवन में सच्ची खुशी पा सकते हैं।





यह एक प्रेरक कहानी है जो हमें जीवन की सच्ची खुशी के बारे में सिखाती है। राजेश की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी जिंदगी में छोटी-छोटी बातों को महत्व देना चाहिए और संतुष्टि को अपनाना चाहिए।

इस कहानी से हमें यह भी सीख मिलती है कि हमें अपनी प्राथमिकताओं को सही रखना चाहिए और अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, परिणाम की चिंता नहीं करनी चाहिए।

यह कहानी हमें यह भी सिखाती है कि हमें किसी से भी ज्यादा उम्मीद नहीं रखनी चाहिए और हमें अपने जीवन में छोटी-छोटी खुशियों को महत्व देना चाहिए।

इस कहानी का सारांश यह है कि जीवन को खुश रखने के लिए हमें बड़े काम करने की जरूरत नहीं, बस छोटे-छोटे बदलाव करने की जरूरत है।

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मिलते हैं एक नई किताब के साथ तब तक के लिया विदा लेता हूं।