स्त्री २ फिल्म रिव्यू Mahendra Sharma द्वारा फिल्म समीक्षा में हिंदी पीडीएफ

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स्त्री २ फिल्म रिव्यू

स्त्री 2 फिल्म का नाम पुरुष 1 होना चाहिए था, यहां भूत पुरुष है और शायद आने वाली स्त्री 3 में तीसरा लिंग दर्शाया जाए तो हमें कोई हैरानी नहीं होगी। फिल्म को जितना मीडिया में उछाला जा रहा है उतना इस में दम नहीं है पर एक प्रकार का अभी नहीं तो कभी नहीं वाला या फोमो वाला भाव दर्शकों के मन में है इसलिए अधिक लोग इस फिल्म को देखने जा रहे हैं।

फिल्म की पृष्ठ भूमि में वही चंदेरी गांव है, गांव का रखवाला राजकुमार राव मतलब विकी दर्जी है, गांव के सुज्ञ पुरुष पंकज त्रिपाठी मतलब रुद्र भैया और हैं दोस्त लोग बिट्टू और झाना। इन सभी की कॉमेडी टाइमिंग टाइम बॉम्ब की तरह है, धीरे धीरे धमाके के साथ फूटती है। फिल्म का सबसे मज़बूत पहलु कॉमेडी ही है जो आपको डरा डरा के हसाएगी और फिर डराएगी। 

फिल्म के गीत इंटरनेट पर बहुत ही तेज़ी से वायरल हो रहे हैं, बहुत पसंद किए जा रहे हैं। तमन्ना भाटिया का गीत उनके डांस मूव देखने के लिए प्रेक्षक कई बार यूट्यूब रिप्ले कर के देख रहे हैं। खेतों में आई नहीं गीत में राजकुमार को इतना अच्छा डांस करते आप पहली बार देखेंगे, श्रद्धा तो अच्छी डांसर है ही, उसने abcd और तू झूठी मैं मक्कार में अपने डांस का जलवा दिखाया था। गांव वाला फील आज कल दर्शकों पर बहुत ही अच्छा प्रभाव डाल रहा है, इसलिए लोगो को ऐसी फिल्में और सीरीज देखने में आनंद आ रहा है। पंचायत सीरीज भी इसी मनोविज्ञान की वजह से बहुत प्रचलित हुई है।

कहानी में कुछ नयापन नहीं है, स्त्री 1 को जोड़ती नई कहानी स्त्री 2 पर लेकर आई है। पहली कड़ी में श्रद्धा कपूर ने स्त्री की कटी चोटी अपने साथ ले ली थी और अपनी चोटी से जोड़ दी थी, वहीं लगा था की स्त्री 2 आयेगी जरूर पर शायद नई कहानी बनाने और बजेट में बिठाने में 6 साल का समय लग गया। दूसरी किश्त देखने के पीछे मनोविज्ञान है। हम सभी को लगता है की पहली वाली तो ओटीटी पर देखी अब सिनेमा में देख लें। दूसरा मनोविज्ञान है मार्केटिंग। रोज़ खबर आती है की फिल्म से इतने करोड़ का बिजनेस हुआ, रिकॉर्ड टूट गए वगैरह। बस फिर हम तो आदमी हैं अवतार नहीं की इस जाल में न फांसें। अगर आपके बच्चे हैं तो आप और जल्दी में फिल्म का बुकिंग करवा लेंगे।

सर कटा राक्षस डरावना है पर उसके आने जाने के माहोल से सिनेमा के साउंड सिस्टम बॉम्ब की तरह शायद फट रहे हों ऐसा कानों को प्रतीत हो रहा था। शायद राक्षस से डराने का कोई उद्देश्य नहीं था, क्योंकि रामसे ब्रदर्स जैसी डरावनी फिल्में आज तक बनी नहीं या फिर बी पी सिंह की टेली सीरीज आहट जैसा डरावना माहोल किसी ने पैदा नहीं किया, आहट सीरीज सोनी पर 1995 में आई थी और अब सोनी ओटीटी पर उपलब्ध है। 

अक्षय कुमार फिर एक बार एक सीरीज में बिना बताए आ गए हैं और आगे जाकर अक्षय को अधिक स्क्रीन समय मिल सकता है। भेड़िया वाले वरुण धवन भी आ गए हैं तो शायद अब मेडोक सुपर नेचरल सिरीज़ को एवेंजर सीरीज की तरह अलग अलग किरदार लेकर कभी अलग तो कभी साथ में लाकर भूत प्रेत के नए प्रयोग आपके सामने लेकर आएंगे।

श्रद्धा कपूर भारत की स्त्री नंबर वन बन चुकी हैं, उनकी एक्शन पर तालियां बज रहीं हैं, राजकुमार की भूमिका सुंदर और सटीक है, हमारे प्यारे पंकज त्रिपाठी तो हर किरदार में एक दम फिट हैं। सब कुछ ठीक है पर कहानी पर थोड़ा काम करना चाहिए था, वहां नमक कम है ।

आपको फिल्म कैसी लगी और मेरा फिल्म रिव्यू कैसा लगा, अवश्य बताएं।

– महेंद्र शर्मा