लिखू......तो "लफ्ज़" वो है,
सोचु...... तो "ख्याल" वो है,
मांगू...... तो "दुआ" वो है.....
आज तीन महीने हो गए हमे हॉस्पिटल गए क्योंकि उस टाइम कुछ ऐसी महामारी आयी थी की हॉस्पिटल चेकअप करवाने जा ही नहीं सकते थे।
फिर क्या उन् तीन महीनो में मैंने बस उनको उनके सोशल मीडिया पे ही देखा, लेकिन उस टाइम उनकी बस ले दे कर एक ही फोटो थी जो बार बार देखे जा रही थी मैं। और कभी कभी उनकी वह इंटरव्यू वाली वीडियो देख लेती थी। आपको पता है उनके वह इंटरव्यू में वो बिलकुल ही अलग ही लग रहे है मतलब उम्र में छोटे और बहुत ही मासूम। वैसे मैंने यह इंटरव्यू वाली बात आपको पहले भी बताई है। फिर इन तीन महीनो के बाद फिर से हमारा आमना सामना हुआ ....
पहले दो चार पंक्तियाँ हो जाये....
यह ना रस्म है ना रिवाज है ,
यह तो एक अनछुआ एहसास है ,
जिससे भी हो जाये बस वही खास है......
आज 1 जुलाई है और इस दिन को हम डॉक्टर डे के रूप में भी मानते है, लेकिन पहले मुझे यह डॉक्टर डे वाली बात नहीं पता थी। वो तो जब 1 जुलाई आयी और उनको देखा तो मैंने गूगल किया की डॉक्टर डे किस दिन मनाते होंगे मतलब मुझे शायद डॉक्टर डे पर ही लेकिन उनसे बात करने का तो मौका मिल सके। बस इसी लिए मैंने गूगल किया और पता चला की 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर डे मनाया जाता है। चलिए अब उस दिन के बारे में विस्तार से बताती हूँ .......
हम अगले दिन ही उस शहर पहुँच गए थे जिस शहर में वह हॉस्पिटल है। फिर क्या था मुझे उनसे मुलाकात होने की उम्मीद थी क्यूंकि आप तो जानते ही है की वह हॉस्पिटल बहुत बड़ा है और उस हॉस्पिटल में उनको ढूँढना बहुत ही मुश्किल.....
आज सुबह बहुत जल्दी उठ गयी क्यूंकि मेरे करीबी को हॉस्पिटल ले के जाना था। में सोच रही थी की कैसे तैयार होक जाऊ मतलब मुझे उनके सामने अच्छा दिखना था लेकिन में तो बहुत ही सिंपल हु मुझे तैयार होना ही नहीं आता जैसे बाकि लड़किया मेकअप और ड्रेसिंग स्टाइल मैनेज करती है। तो फिर में तैयार हुई लेकिन पता है कैसे, मैंने पिले कलर की कुर्ती पहनी थी और बालों का बन बना लिया था। हमने चाय - नास्ता किया और हॉस्पिटल जाने के लिए निकले। हमे हॉस्पिटल के OPD विभाग में जाना था। फिर हम पहुंचे OPD विभाग में और हर बार की तरह ये बड़ी लाइन और फिर में उस लाइन में लग गयी तक़रीबन एक या दो घंटो के बाद में जिस लाइन में उसी के सामने एक रूम आया और उस रूम से दो लड़कियों के साथ डॉक्टर साहब निकले। बताओ इतनी जल्दी उनके दर्शन हो गए। आज उन्होंने पिले कलर का शर्ट और ब्लैक कलर की पेन्ट पहनी थी। आपको पता है में उनको 3 - 4 महीनो के बाद देख रही थी और मेरी आँखों से आंसू आ गए क्यूंकि ख़ुशी थी उनको देखने की।
फिर वो वापिस उसी रूम में चले गए और शायद किसी काम से मुझे भी उसी रूम में भेजा गया लेकिन उसी समय वो वहां से निकल गए फिर पता नहीं वह कहाँ गए होंगे। फिर में, फिर से लाइन में लग गयी और अभी तो बहुत समय तक लाइन में खड़े रहना पड़ा तब जाके नंबर आया। उस रूम में डॉक्टर साहब नहीं थे मतलब दूसरे डॉक्टर थे उन्होंने मेरे करीबी की फाइल देखीं और फिर कुछ दवाईयां लिख दी और एक रूम का नंबर लिख दिया, कहा एक बार वहां भी दिखा दीजिये। हम गए उस रूम की तरफ और वहां उस रूम में डॉक्टर साहब थे फिर मैंने उनको फाइल बताई और कहा की पहले हम दूसरे डॉक्टर के पास गए थे और उन्होंने ही हमे आपको बताने के लिए कहा। फिर उन्होंने फाइल देखीं कुछ दवाईयां लिखी और मुझे बोलै की नंबर लिखो मुझे उस टाइम लगा की शायद वो मुझे उनका फ़ोन नंबर दे रहे है लेकिन ऐसा नहीं था वो तो मुझे किसी और डॉक्टर का नंबर दे रहे थे क्यूंकि मेरे करीबी को अब उस डॉक्टर के पास ले के जाना था....
फिर उन्होंने नंबर दिया और साथ ही उन्होंने खुद ही उस डॉक्टर को फ़ोन किया और बात करि की एक दर्दी आपके पास भेज रहा हूँ एक बार उनकी फाइल देख लीजियेगा। फिर अब मुझे वह से जाना था उस दूसरे डॉक्टर के पास अपने करीबी को लेकर। और फिर हम गए उस डॉक्टर के पास और मुझे लगा की अब शायद ही कभी मिलना हो पायेगा डॉक्टर साहब से, फिर हमने उस डॉक्टर को फाइल बताई और उन्होंने देखा फिर कहा की अभी तो कुछ चिंता करने वाली बात नहीं है आप अगले महीने आना। फिर हम हॉस्पिटल के एग्जिट गेट पर पहुंचने ही वाले थे की मैंने फिर से डॉक्टर साहब को देखा। आपको पता है उनका जन्मदिन भी जुलाई में ही आता है तो मुझे लगा की क्या में उनको एडवांस में जन्मदिन की मुबारक बात दू ? फिर सोचा रहने देती हु। और हम हॉस्पिटल से निकल गए और रस्ते में ही मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर डॉक्टर डे की पोस्ट भी डाली और उस दिन से लेकर आज तक में हर डॉक्टर डे पर पोस्ट डालती हु। और उसी दिन उन्होंने अपनी फोटो पोस्ट करि और मैंने कमेंट भी किया "बेस्ट डॉक्टर"......एक और बात बताती हूँ मेरी अभी तक उनसे 3 - 4 बार मुलाकात हुयी होगी लेकिन उन्होंने मेरा चेहरा नहीं देखा क्युकी में हर बार उनके सामने मास्क पहने ही गयी हूँ। और ऐसा कम्पलसरी था की हॉस्पिटल में बिना मास्क लगाए नहीं जाना है इस लिए हर बार में मास्क लगाए ही रहती थी। फिर आ गए हम घर।
आगे की कहानी मेरे नेक्स्ट पार्ट में बताउंगी क्यूंकि वो आखरी बार था जब मेरी मुलाकात उनसे हुयी........TO BE CONTINUE