नक़ल या अक्ल - 39 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 39

39

बेचैन

 

“अरे ! भाई ! मेरी बात तो सुनो।“ “अगर बापू को पता चल गया तो मेरी पिक्चर ही खत्म कर देंगे। पता नहीं, यह किसकी हरकत की और वो सोनाली मुझे छोड़कर भाग गई।“ वो लोग उसे खींचते हुए सिक्योरिटी गार्ड के पास ले जा रहें हैं और वो पसीना पसीना हो रहा है। जब सिक्योरिटी के पास राजवीर को ले जाया गया तो उन्होंने उससे तरह-तरह के सवाल पूछे और उसने उनके सवालों का ज़वाब भी दिया, मगर जब राजवीर को लगा कि  बात पुलिस तक पहुँचने  वाली है तो वह एक सिक्योरिटी वाले को अपने साथ एकतरफ ले गया और अपनी परिस्थिति समझाते हुए उसने उसे कुछ रुपए पकड़ा दिए तो सिक्योरिटी गार्ड को भी बात समझ में आ गई दिया और फिर उसने जल्दी से अपनी बाइक उठाई और अपने गॉंव की ओर रवाना  हो गयाI घर पहुँचते पहुँचते रात हो गई, उसने अपनी हाथ की घड़ी में देखा तो रात के दस बज रहें हैं, फिर उसने अपना फ़ोन चेक किया तो उसकी भाभी मधु और सुधीर भैया की मिस कॉल आई हुई थीं। वह दबे पाँव घर के अंदर घुसा तो उसे बापू जी ने देख लिया,  वह उस पर चिल्लाते हुए बोले,

 

अपनी  आवारागर्दी को विराम  देने में  ही तुम्हारी भलाई है ।

 

बापू, वो दोस्तों के साथ समय का पता ही नहीं लगा ।

 

“अगर दोबारा  ऐसी हरकत की तो समय  के साथ साथ और भी बातों का पता चल जाएगा ।“ उसे गिरधारी ने घूरकर देखा तो वह झेंप  गया और अपना खाना, अपने कमरे में ही ले गया । अंदर जाते ही उसने सबसे पहले सोना को फ़ोन किया तो वह उल्टा उससे ही पूछने लग गई कि वह उसे छोड़कर कहाँ गया था। यह सुनकर वह सकते में  आ गया, अब उसने उसे सारी बात बताई तो वह मज़ाक बनाते हुए बोली, “क्या पता तुम अपनी रात की नींद पूरी कर रहें हो।“ वह चिढ़ गया । “तुमने फिल्म किसके साथ देखी?” “ निहाल के साथ” अब उसने मॉल में हुई सारी बात उसे बताई । उसने सोना को तो कुछ नही बताया, मगर वह समझ गया कि वह हरकत निहाल ने की होगी। उसने फ़ोन रखकर गुस्से में कहा, “नन्हें ! मैं तुझे नहीं छोड़ूँगा । यह तूने ठीक नहीं किया ।“

 

 

बिरजू पुड़िया लेकर छत पर सोने की कोशिश कर रहा है, तभी उसने महसूस किया कि  पुड़िया में  अब पहले वाला नशा नहीं रह गया है और यह बात वह काफी दिनों से महसूस कर रहा है । उसने जग्गी को फ़ोन मिलाया और उसकी आवाज़ सुनकर वह बोला,

 

जग्गी  क्या बात है? मैं कई दिनों से देख रहा हूँ कि पुड़िया में पहले जैसा नशा नहीं है ।

 

हाँ बिरजू भाई, कई  ग्राहक  शिकायत  कर चुके हैं ।

 

फिर तुम कुछ करते क्यों नहीं?

 

मैं पता लगा रहा हूँ, जो मेरे ऊपर डीलर बैठा है, उसी से बात करकर पता लगा रहा हूँ ।

 

अब अगली पुड़िया, मैं देखकर लूँगा, समझे!!! उसने यह कहकर फ़ोन पटक दिया।

 

रात को ठंडी ठंडी हवा चल रही है, पूरा आसमान चाँद और तारों से जगमगा रहा है । नन्हें आज के गुज़रे हुए दिन के बारे में सोचकर  खुश हो रहा है । उसे सोना के साथ फिल्म देखना और घूमना याद आ रहा है और साथ ही वह इस बात से भी चिंतित हो रहा है कि अगर वह समय पर न पहुँचता तो पता नहीं क्या होता। “कमीना कहीं का!!!” उसके मुँह से निकला ।

 

आधी रात का पहर है और बिरजू को अपने गुजरे हुए कल के सपने आ रहें हैं। वह बेचैन होते हुए नींद से जागा और पास रखा पानी पीने लगा,  ‘यह पुड़िया अपना असर ही नहीं कर रही है।‘ गुस्से में वह छत पर टहलने लगा और तभी उसकी नज़र, उसकी छत से दूर सोनाली की छत पर गई तो उसने निर्मला को आसमान को तकते देखा, “लगता है, इसे भी नींद नहीं आ रही है। निर्मला भी ससुराल में  होने वाली वापिसी को सोचकर परेशान हो रही है । ‘अब ज़्यादा से ज़्यादा दो दिन और, उसके बाद तो मुझे बापू पहली गाड़ी से कानपुर रवाना कर देंगे ।‘ तभी बिरजू के फ़ोन की घंटी बजी तो उसने देखा कि  जग्गी का फ़ोन है,

 

हाँ  बोल जग्गी !!

 

भाई पिछले एक-दो महीने से पुड़िया नकली आ रही है।

 

क्या !!! वह हैरान है।

 

तुमने इसमें भी मिलावट करना शुरू कर दिया। वह चिल्लाया।

 

भाई मुझे तो पता ही नहीं था। अभी डीलर के ज़रिए बात निकलवाई है।

 

अब पैसे वापिस कर ।

 

भाई वो तो नहीं हो सकते। लेकिन आप परेशां मत हो, अगले पैकेट पर मैं आपको  पूरा डिस्काउंट दूँगा।

 

“भाड़ में जा” कहकर उसने फ़ोन पटक दिया और अब वह और भी ज़्यादा बेचैन होने लगा।

 

अगले दिन रिमझिम ने सोना को उसके घर से लिया और दोनों बस में बैठकर नीमवती के गॉंव धोलपुरा के लिए निकल गई।  रास्ते में  सोना ने उससे पूछा, “रिमझिम तू उनसे कहेगी क्या?” “कहना क्या है!! “मुझे उनसे सिर्फ सच सुनना है और अगर उन्होंने नहीं बताया तो??” मैं सच जाने बिना वहाँ से नहीं जाने वाली” उसके चेहरे पर गज़ब के विश्वास को देखकर, सोना चुप हो गई।  “अच्छा सोना, तुझे क्या लगता है, राजवीर के साथ वो किसने किया होगा?” “मुझे क्या पता, मुझे फिल्म देखने से मतलब था सो वो पूरा हो गया” “पर मैं  तो ख़ुश हूँ कि उस राजवीर के साथ ऐसा हुआ।“  अब दोनों हँसने लग गई।

 

बस से उतरकर उन्होंने स्थानीय लोगों से नीमवती के पते के बारे में पूछा तो उन्होंने दायी मुड़ने का ईशारा किया। अब उन्होंने एक रिक्शा कर लिया और जैसे जैसे नीमवती का घर क़रीब आता जा रहा है, उसके दिल की धड़कन तेज़ होती जा रही है। उसने अपने नाना नानी को भी नहीं बताया कि वह अपनी माँ की बचपन की सहेली से मिलने जा रही है। अब दोनों को गली के बाहर, पीपल के पेड़ के नीचे कुछ औरते बैठी दिखी तो उसने एक बार फिर नीमवती का पता पूछा तो वे बोली, “सामने वाली गली में चले  जाओ, आख़िरी वाला मकान है।“   अब दोनों सामने वाली गली में घुस गई और दोनों के कदम आख़िरी मकान की ओर  बढ़ने लगें।  सोनाली  तो रिमझिम के साथ आई है, इसलिए उसके  मन में  रिमझिम के दिल की तरह उथलपुथल नहीं चल रही है, मगर रिमझिम तो सच्चाई जानने और उससे होने वाली तकलीफ़ के बारे में सोचकर बेचैन हो रही है।