दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 3 R B Chavda द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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दिल से दिल तक एक तरफ़ा सफ़र - 3

मुझे यह समझ ही नहीं आ रहा की क्यों मुझे वो इंसान इतना अच्छा लग रहा था , क्यूंकि मुझसे इतनी जल्दी तो किसी को दोस्त भी नहीं बनाया जाता। लेकिन उसके बारे में सोचना , मतलब हर वक़्त सोचना और मन ही मन में मुस्कुराना जैसे की कोय बहुत ही खूबसूरत पल हो ऐसा लगता है। क्या यह प्यार हो सकता है ?

चलिए आगे की कहानी जानते है......

उससे पहले एक शायरी हो जाये...

"तेरे बिना ये जिंदगी वीरान सी लगती है,
हर दिन, हर रात तुझे याद करती है,
तू समझ न सके हमारे दिल की तड़प को,
बस एकतरफा प्यार की ये कहानी अधूरी रह जाती है।"

जिंदगी अच्छे से चल रही थी। रोज ऑफिस जाना साथ ही पढ़ाई करना और अपने बीमार करीबी की देखभाल करना। जब हम पिछली बार गए थे तब हमे डॉक्टर ने कुछ रिपोर्ट करवाने को कहा था और फरवरी की 18 तारीख को फिर से चेकअप करवाने जाना था। तो मैंने पहले अपने करीबी के रिपोर्ट्स करवाए और रिपोर्ट बिलकुल भी अच्छे नहीं आये थे। फिर में अपने करीबी को फिर से उसी हॉस्पिटल ले गयी जहाँ उनका पहले सी ही इलाज चल रहा था और जहाँ वो डॉक्टर भी काम करते थे। आज उसी हॉस्पिटल में आयी थी और मेरी आँखे बस उन्ही को ढूंढ रही थी मानो बहोत समय से प्यास लगी हो और बस अब उनको देख कर ही प्यास बुझेगी। मुझे बहोत बड़ी लाइन में खड़ा रहना पड़ा क्युकी वहां OPD के लिए बहुत से दर्दी आते थे। फिर लगभग 2 घंटे के बाद मेरे करीबी का नंबर आया , वह बहुत सारे डॉक्टर्स थे लेकिन उनमे से कोई वो डॉक्टर नहीं थे। फिर डॉक्टर ने मेरे करीबी का चेकअप किया और फिर बताया की उनको एडमिट करना होगा क्युकी उनका हीमोग्लोबिन बहुत ही कम था। फिर क्या था हम OPD विभाग से मैं विभाग जहाँ वार्ड होते है वहां गए और करीबी को बेड भी दे दिया। लेकिन डॉक्टर ने बोला था की कुछ और रिपोर्ट्स भी करवाने है। फिर हम अपना सामान बेड के पास रखकर रिपोर्ट्स करवाने गए तक़रीबन एक घंटे के बाद हम फिर से बेड तक आये तो डॉक्टर ने हमे बहुत डांटा के कितनी देर कर दी और भी बहुत कुछ। और आपको पता है जब में कुछ दवाई लेन बहार गयी थी और वापिस आयी तो उसी वार्ड में मेरे डॉक्टर साहब खड़े थे मतलब चेहरा नहीं देखा बस पीछे से ही देखा लेकिन में उनको पहचान गयी। उन्होंने आज तो क्रीम कलर का चैक्स वाला शर्ट और उसी कलर का पेंट पहना था। मुझे लगा की वह अब मेरी करीबी के पास आएंगे क्योंकि राउंड होगा उनका , लेकिन वह आये ही नहीं। मतलब आये लेकिन हमारे बेड के सामने एक दर्दी था बस उसी को देख कर चले गए।

फिर दूसरे दिन सुबह हमने नास्ता किया और आज सबसे पहले वही डॉक्टर आये जिनको देखने के लिए मेरी आँखे तरस रही थी। आज उन्होंने सेम कपडे नहीं पहने थे आज तो उन्होंने ब्लैक पेंट और लाइट ऐश कलर का शर्ट पहना था , इस बार उन्होंने स्मार्ट वाच पहनी थी और उनके हाथो में आज भी वही लाल और पिले रंग का धागा बंधा हुआ था। वह आये मेरे करीबी के बेड के पास और बोले कैसे हो मासी.......फिर से आना पड़ा आपको?  कैसे तबियत इतनी बिगड़ गयी , क्या आप अपना ध्यान नहीं रखते ? 


फिर मैंने अपने करीबी की फाइल दिखाई और बोला की हम इससे पहले भी आये थे हॉस्पिटल लेकिन उस वक्त आप नहीं थे और दूसरे डॉक्टर को दिखाके चले गए थे। फिर उन्होंने मेरे करीबी का चेकअप किया फिर फाइल में कुछ लिखा और अगले दर्दी के पास चले गए। फिर रात को सोने के टाइम वह फिर से आये किसी दूसरे दर्दी के पास जाना था देखने लगभग रात के 11 बजे होंगे। मुझे नहीं पता क्यों में उनकी तरफ एक खिचाव सा महसूस करती हूँ ? क्यों मुझे उनको देखने भर से ख़ुशी मिलती है ? कुछ समझ ही नहीं आ रहा था...और वो उस दर्दी को देख रहे थे और में उनको! फिर वो चले गए ....

फिर आया तीसरा दिन, आज भी उन्होंने कल वाले सेम ही कपडे पहने थे। जब वो हमारे बेड के आगे वाले बेड के दर्दी को चेक कर रहे थे तो वह थक गए थे फिर उन्होंने खुर्सी ली और बैठ कर उनका चेक अप किया। फिर वह हमारे बेड के पास आये तो मैंने सामने से उनको खुर्सी दी लेकिन वह नहीं बैठे...मुझे तो बहोत बुरा लगा था क्योंकि मैंने खुर्सी दी तो वो बैठे नहीं | फिर उन्होंने खड़े रहकर ही मेरे करीबी का चेकअप किया फिर दूसरे दर्दी के पास चले गए। 

अगले दिन वो फिर से आये और इस बार आप जानते हो क्या हुआ ? इस बार मैंने उनसे अपने करीबी की बीमारी के बारे में पूछा और उन्होंने ने मुझसे आँखे मिलकर बात की। लगभग हमने बीमारी के बारे में 15 मिनट बाते करि होंगी लेकिन मजाल है की में उनके आँखों में देखना बंध करू। इस बात पे मुझे एक बात याद आ गयी, लोग कहते है आप जिसको चाहते हो उनसे कभी भी eye contect नहीं रख सकते ! लेकिन यहाँ तो एकदम उल्टा ही हुआ मुझे पहली बार उनके साथ बात करने का मौका मिला और उनसे नज़रे मिलाने कर बातें करने का। लेकिन क्या इस incident से हम यह कह सकते है की मुझे उनसे प्यार नहीं था क्यूंकि मैंने उनके साथ आँखे मिलकर जो बाते की थी ....क्योंकि लोग कहते है की अगर लड़की प्यार में हो तो वह अपने पसंदीदा व्यक्ति के साथ आँखे मिलकर बात नहीं कर सकती। लेकिन मेरा तो उल्टा है क्योंकि में अनजान लोगो के साथ eye contect नहीं रख पति लेकिन अपने प्रिय व्यक्ति के साथ eye contect रख कर बात कर सकती हूँ। फिर अगले दिन सुबह वो एक बड़े डॉक्टर के साथ आये और मेरे करीबी के पास आये तो में अपने करीबी के पास खड़ी थी तो उन्होंने मुझे इशारे से कहा की वहां से हट जाओ और मुझे उनका इशारा भी समझ आ गया था। 

फिर अगले दिन उन्होंने हमें एक वार्ड में जाने को कहा जहाँ एक सर्जन डॉक्टर थी और उनसे मिलने को कहा था बोलै मेरा नाम देना। फिर उन्होंने ने मेरे करीबी को देखा और कुछ छोटी सी सर्जरी करने की सलाह दी। फिर अगले दिन हम वो सर्जरी करवाने OT में गए। और शाम तक वापस उसी वार्ड में आ गए। तो उन्होंने हमे देखा तो बोले आप OT नहीं गए थे क्या ? मैंने कहा....हम अभी अभी जाके आये है। फिर उन्होंने कहा ठीक है लेकिन उसी दिन रत को मेरे करीबी को सर्जरी वाले वार्ड में भेज दिया गया और उस वार्ड में लगभग 10 दिन तक मेरे करीबी को रखा।  में इन् 10 दिनों में बहुत बार उस वार्ड के पास से गुजरती थी , बस इसी उम्मीद के साथ की कही वह दिख जाये लेकिन 10 दिन भी गुज़र गए और मैंने उनको देखा ही नहीं। फिर दसवे दिन मेरे करीबी को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिल गया और में उनको लेके घर वापस आ गयी ....

 

देखते है आगे क्या होगा.......to be continue