नक़ल या अक्ल - 32 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 32

32

सात फेरे

 

जब बुआ जी को निहाल ने दोबारा आवाज लगाई तो एक बड़ी मरमरी सी आवाज़ उन लोगों  तक पहुँची, “मैं यहाँ हूँ”, निहाल फिर चिल्लाया, “बुआ जी!!” वह अब  खुद को संभालती  हुई बाथरूम से निकली और बोली,  “यह दस्त बहुत परेशान कर रहें हैं, तुम लोग जाओ, अभी मुझसे नहीं जाया जायेगा, मैं  बाद में  आती हूँ,  बहनजी कोई दवाई लाकर दे दें?” “थोड़ा  ज़ीरा  और नमक दे दो” I सरला जल्दी से रसोई  में  गई  और  उनके लिए जीरा और नमक ले आई फिर पानी का गिलास उन्होंने सुराही से निकाला और उसे देते हुए बोली,

 

 

जीजी  इससे खा लो I

 

उसने उसे पानी और जीरा नमक दिया और अपने मुँह में  डाल  दिया और फिर चारपाई  पर लेट गई I उनको ऐसे निढाल पड़े देखकर, उनको चिंता होने लगी लक्ष्मण ने पूछा, “आप कहे तो डॉक्टर के पास ले चले?”

 

“क्यों, शादी का दिन ख़राब करते हो, यह सब तो चलता रहता है, थोड़ी देर आराम कर लूँगी तो वहाँ पहुँच  जाऊँगी, तुम लगो जाओ और मेरी चिंता मत करोI” बुआ जी ने उन्हें आश्वस्त कियाI 

 

दो भाइयों की यह बहन, घर में सबकी लाडली हैI इसलिए लक्ष्मण प्रसाद का मन नहीं कर रहा कि वह अपनी बहन को घर में अकेला छोड़कर जाएँ I उसका छोटा भाई सुरेश और उसकी बीवी तो कबके ज़ा चुके हैंI अब बुआ ने उनको दोबारा देखते हुए कहा, “मैं ठीक हूँ, तुम लोग जाओI मैं आती हूँ, उन्होंने लक्ष्मण को आश्वासन दिया और वे लोग बाहर निकल गएI” तीनों वैन में बैठे तो किशोर ने पूछा,

 

भाई बुआ जी नहीं आई?

 

उनको दस्त लग गए हैं, उनकी हालत ठीक नहीं थीI कह रही है कि  बाद में  आ जाएगीI निहाल ने उसे बतायाI

 

 

ओह !!! वह मन ही मन मुस्कुराया, मगर खुद पर शर्मिंदा होते हुए बोला, “माफ़ करना बुआ जी, यह सब मेरी वजह से हुआ हैI”  अब उसकी आँखों के सामने वो दृश्य आ गया, जब उसने पंडित जी के कमरे से निकलकर, चारपाई पर लेटी, बुआ जी को शरबत का गिलास दिया था, उस गिलास में उसने, पेट  खराब  करने की दवा  मिला दी थीं’I यह दवा दस घंटे अपना काम करती है, फिर पेट अपने आप ठीक होने लगता हैI यह दवाई  वह ख़ुद जाकर गॉंव के बाहर जो हाकिम बैठता है, उससे लाया था I उसे इस तरह मुस्कुराते  हुए देखकर निहाल ने पूछा, “क्या बात  है क्यों मुस्कुरा रहा है?” उसने उससे नज़रे चुराते हुए कहा, “कुछ नहींI”

 

अब उनकी वैन शमियाने के बाहर आकर रुकी और वे भी सभी घरवालों के साथ उसमे से बाहर निकलाI लड़की वाले दरवाकजे पर खड़े है I पार्वती ने पहले किशोर की आरती उतारी और फिर थोड़े नाच-गाने के बाद, बारात अंदर आ गईI उसने देखा कि राधा के बापू ने काफी अच्छा इंतज़ाम किया हैI स्टेज एक झूले की तरह हैI मंडप भी सुन्दर सजाया गया हैI  खाने में पकवान भी बहुत दिख रहें हैंI अब उसे स्टेज पर बिठाया गयाI एक तरफ डीजे भी लगा है, जहाँ पर सभी नाच रहें हैंI निहाल ने देखा कि राजवीर सोना और उसकी सहेलियों के साथ नाच रहा हैI उसने सोना को देखा तो वह किसी परी से कम नहीं लग रहीं हैI उसका मन किया वह वहाँ जाए और राजवीर को धक्का मारकर उसके साथ नाचे, मगर उसको डॉक्टर की हिदायत याद  आ गई  और अपना  पुलिस  वाला बनने का का सपना भी  तो पूरा  करना हैI अगर शरीर ठीक नहीं होगा तो ट्रेनिंग कैसे करेगाI यही सोचकर वह किशोर के पास चला गयाI

 

किशोर ने रिमझिम को धीरे से कहा कि राधा को लेकर आ जाओI

 

क्या बात है, बड़े उतावले हो रहें हो? रिमझिम से उसे छेड़ते  हुए कहाI

 

समय बीतता  जा रहा है, इसलिए कह रहा हूँI

 

“ठीक है, जाती हूँI” अब उसने देखा कि उसके बापू तो अपने रिश्तेदारों में व्यस्त है और राधा के बापू अपने घर के  लोगो के साथ कुछ चर्चा कर रहें  हैंI अब कुछ ही सेकण्ड्स बाद  राधा  भी  आती नज़र  आईI लाल रंग के शादी के जोड़े में वह किशोर को किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही हैI “बस राधा कुछ घटे और निकल जाए, उसके बाद तो मैं और तू हमेशा के लिए एक हो जायेगेI अब राधा को उसकी सहेलियों ने उसके पास लाकर बिठा दियाI शर्म के मारे, उसका चेहरा अभी नीचें ही हैI उसने उसे धीरे से कहा, “आज तू गज़ब की खूबसूरत लग रही हैI” “तू भी बिलकुल हीरो लग रहा हैI” अब जयमाला की  रस्म  शुरू  हो गईI किशोर के भाई बंधुओ ने उसे उठा  लिया तो वही राधा की सहेलियाँ  भी उसे  ऊपर उठाने लगीI इसी तरह हंसी  ख़ुशी से यह रस्म अदा हुई तो रिश्तेदार, उनके साथ फोटो खिंचवाने लगे, यह देखकर किशोर को उन’पर गुस्सा आने लगाI उसने अब किशन को बोलकर, पंडित जी को बुलवाया और कहा कि “आप फेरे की रस्मे शुरू करवायेंI “

 

पंडित तो पहले से ही किशोर के साथ है, उसने फेरो की रस्मो के लिए दुल्हा  और दुल्हन  को मंडप में   बुलवा लिया I राधा के बापू ने अब पंडित को टोकते हुए कहा,

 

पंडित जी! पहले खाना हो जाता, उसके बाद फेरो की  रस्म करतेI

 

भाईसाहब! आप कौन  है?

 

मैं लड़की का पिता हूँ I

 

अच्छा  तो आप लड़की के पिता हैI आपको बहुत अच्छा दामाद मिला हैI कितनी  फ़िक्र करता है, आपकीI

 

मैं कुछ समझा नहीं, अब किशोर ने यह सुना तो वह घबरा गया उसे लगा कि यह पंडित ज़रूर  सारा काम  बिगाड़  देगाI

 

तभी किशोर  ने टोकते हुए कहा,

 

“पंडित  जी आप  फेरे शुरू करें, मेरे माँ बाप  भी इसी  मंडप में  हैI” उसने उसे चुप रहने का ईशारा किया तो वह ज़ोर से बोला, “अब फेरों की रस्म शुरू होती हैI उसने मंत्र बोलने शुरू कियेI कुछ देर बाद, पंडित ने उन्हें फेरो के लिए, खड़े होने के लिए कहा तो राधा के माँ बाप उन दोनों का गठबंधन करने लगेI  फेरे शुरू  हो गएI लक्ष्मण प्रसाद ने सोमेश से कहा कि “जा बुआ जी को लेकर आI”  यह सुनकर किशोर को घबराहट के मारे पसीना आने लगाI बृजमोहन ने पूछा, “भाई साहब  आपकी बहन  इस हालत में  आ जाएगी ?” किशोर ने अपने  फेरो की गति बढ़ा दीI सब उसे फेरो के लिए तेज़ चलते देखकर हैरान होने लगेंI