ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(२) Saroj Verma द्वारा महिला विशेष में हिंदी पीडीएफ

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ब्रुन्धा-एक रुदाली--भाग(२)

किशना को मौन देखकर गोदावरी फफक फफककर रो पड़ी और रोते हुए किशना से बोली....
"अभी भी वक्त है,दबा दो इस बच्ची का गला,मर जाऐगी तो किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा",
"पागल हो गई है क्या,फूल सी बच्ची को मारने की बात करती है,ये मेरा खून नहीं है तो क्या हुआ लेकिन ये मेरी बेटी है,मैं इसे पालूँगा",किशना ने गोदावरी से कहा....
तब किशना गोदावरी से बोला....
"कल को तेरे मन में ये बात तो नहीं आऐगी कि ये ठाकुर का खून है",गोदावरी ने रोते हुए पूछा...
"कभी नहीं गोदावरी! मैं ये बात कभी भी अपने मन में नहीं ला सकता,मैं तुझसे प्यार करता हूँ और अभी से नहीं,मैं तुझे तब से प्यार करता हूँ ,जब से तुझे ठाकुर ने पहली बार हवेली बुलाया था,उस समय तू चौदह साल की थी और मैं तब बीस साल का था,उसी वक्त से मैं तुझे चाहने लगा था,पहली ही नजर में तेरे भोलेपन ने मुझे तेरा दीवाना बना दिया था,मैं अनाथ था,दूसरे गाँव से आया था,मेरा घर बाढ़ की चपेट में आकर बह गया था और माँ बाप तो बचपन में ही चल बसे थे,तब ठाकुर साहब ने मुझे सहारा दिया था,उस रात जब तू ठाकुर के बिस्तर पर लाई गई थी तब मुझे बड़ा कष्ट पहुँचा था,तेरी चीखों से सारी हवेली गूँज गई थी और मैं कुछ ना कर सका था"
"मत याद दिला किशना! वो मनहूस रात,किस तरह से ठाकुर ने मेरे बचपने को बिस्तर पर रौद डाला था,वो सब सोचकर मैं आज भी सिहर उठती हूँ",गोदावरी रोते हुए बोली....
"चल नहीं याद दिलाऊँगा,कुछ भी याद नहीं दिलाऊँगा,लेकिन अभी तो खुशियाँ मनाने का वक्त है,इसमें इस परी का क्या कुसूर है,ये तो ईश्वर ने हमें जीता जागता उपहार दिया है,देखना इसके आने से हमारे बीच का प्यार और भी पक्का हो जाऐगा",किशना मुस्कुराते हुए बोला....
"सच्ची! तू बड़े दिलवाला है किशना! तेरी जगह और कोई होता था तो इस बच्ची का मुँह भी ना देखता", गोदावरी बोली...
"बड़े दिलवाला हूँ तभी तो तेरा हूँ,नहीं तो क्या तू मुझसे ब्याह करती भला!",किशना मुस्कुराते हुए बोला....
अभी किशना और गोदावरी की बातें खतम नहीं हुई थीं कि बाहर से मन्तो दाईमाँ चिल्लाते हुए बोली....
"अरे! दोनों तोता मैंना की गुटरगूँ खतम हो गई हो तो मैं भीतर आ जाऊँ"
"अच्छा! अब मैं जाता हूँ और अब कोई भी गलत विचार मन में लाना,तुझे मेरी कसम"
और ऐसा कहकर किशना ने बच्ची को गोदावरी के बगल में लिटाया और वो कोठरी से बाहर आकर मन्तो दाईमाँ से बोला....
"जाओ! दाईमाँ! भीतर जाओ"
"अगर तू ना भी कहता तो भी मैं भीतर ही जाने वाली थी,बड़ा आया मुझे सलाह देने वाला,मेरा नेग कब देगा", दाईमाँ मन्तो बोली...
"जल्द ही दे दूँगा",और ऐसा कहकर किशना अपना सिर खुजाता हुआ वहाँ से चला गया,फिर दाईमाँ मन्तो गोदावरी के पास पहुँची और उससे बोली...
"कोई तकलीफ़ तो नहीं है ना!",
"ना! दाई माँ! सब ठीक है",गोदावरी बोली....
इसके बाद किशना हवेली हाजिरी देने पहुँचा और ठाकुर साहब के पास जाकर बोला....
"खम्मा घणी! ठाकुर सा !छोरी आई है!"
"ये तो बड़ी अच्छी खबर सुनाई तूने,लेकिन अब गोदावरी शायद कुछ दिनों तक हमारे पास नहीं आ पाऐगी, इसलिए तू रुदालियों के मुहल्ले में कोई ऐसी लड़की तलाश कर जो हमारे काबिल हो",ठाकुर साहब बोले....
"जी! हुजूर!",किशना बोला....
"और देखना उम्र ज्यादा ना हो,हमें ज्यादा उम्र की लड़कियाँ पसन्द नहीं है",ठाकुर साहब बोले....
"जी! हुजूर!",किशना ने फिर से जवाब दिया...
और तभी वहाँ पर ठाकुराइन पन्नादेवी हाजिर हुई,उन्हें देखकर किशना ने अपनी नजरें नीची करके कहा....
"खम्मा घणी ! ठाकुराइन सा!",
"और किशना कैंसे हो",ठाकुराइन पन्ना देवी ने पूछा...
"जी! आपकी दया है सब",किशना बोला....
"कहो कैंसे आना हुआ?",पन्ना देवी ने पूछा...
"जी! चाँद सी छोरी आई है",किशना बोला...
"छोरी चाँद सी खूबसूरत क्यों ना होगी भला! आखिर ठाकुर साहब का खून जो ठहरा",पन्ना देवी ने जहर उगला...
और उनके ऐसा कहने पर ठाकुर साहब गुस्से से उबलकर बोले....
"ठाकुराइन! जरा जुबान पर लगाम लगाइए",
"ओहो....तो आप हमें हमारी जुबान पर लगाम लगाने को कह रहे हैं,वैसे कहा जाएँ तो लगाम तो आपको अपने ऊपर लगाने की जरूरत है ठाकुर सा! क्योंकि इस उम्र में भी आप अपने बिस्तर के लिए कमसिन और जवान लड़की ढूढ़ रहे हैं",पन्ना देवी ने फिर से जहर उगला....
"आप जब देखो तब आप सबके सामने हमारी बेइज्जती करतीं रहतीं हैं ठाकुराइन! ना जाने किस जन्म का बदला निकाल रहीं हैं",ठाकुर साहब बोले...
"किसी और जन्म का नहीं ठाकुर सा! इसी जन्म का बदला निकाल रहे हैं,आपको अपना किया हुआ सब याद तो होगा ही,शायद मुझे याद दिलाने की जरूरत नहीं है",पन्ना देवी अदाओं के साथ इतराते हुए बोली...
"कभी कभी जी चाहता है कि हम आपका गला दबा दे,जिससे आपकी ये जहरीली जुबान हमेशा के लिए बन्द हो जाएँ",ठाकुर साहब गुस्से से बोले...
"इसका अन्जाम तो आप अच्छी तरह से जानते ही होगें,अगर हम आकाल मौत मरे तो आपकी सारी दौलत और ये हवेली सरकार हमेशा के लिए जब्त कर लेगी",पन्ना देवी ने अपनी आगें की अल्कों(लट) को अपनी उँगलियों पर लपेटते हुए कहा...
"इसी बात का तो डर है,नहीं तो अब तक तो आपकी समाधि बनकर उस पर फूलमाला चढ़ चुकी होती" ठाकुर साहब बोले...
"शायद आपका ये सपना कभी पूरा नहीं होगा",पन्ना देवी फिर से मुस्कुराकर बोलीं....
"अभी इसी वक्त आप मेरी आँखों के सामने से चली जाइएँ,क्यों आती हैं आप हमारी आँखों के आगें, आपको अपने सामने देखकर हमारा खून खौल उठता है", ठाकुर साहब गुस्से से बोले...
"इसलिए तो हम आपके सामने आते हैं कि आपका खून खौल उठे",पन्नादेवी बोलीं...
"आप पत्नी नहीं नागिन हैं,जो केवल फुफकारना चाहती है",ठाकुर साहब गुस्से से बोले...
"वैसे डस भी सकते हैं हम,लेकिन ये काम हम वक्त आने पर करेगें",ठाकुराइन पन्ना देवी बोली...
"लाज क्या होती है,वो तो जैसे आपको पता ही नहीं है",ठाकुर साहब गुस्से से बोले...
"ये तो आपको भी पता नहीं है ठाकुर साहब कि लाज क्या होती है,तभी तो आप मासूम,बेबस,लाचार और गरीब रुदालियों का फायदा उठाकर उन्हें अपने बिस्तर पर बुलाकर मसल देते हैं,आपको पता है कि रुदालियों को मनहूस माना जाता है,तभी तो उनकी बस्ती गाँव से दूर होती है,लेकिन आप उसी मनहूसियत को हर रात अपने बिस्तर पर बुलाते है,तब आपको लाज नहीं आती", पन्ना देवी गुस्से से काँपते हुए बोली...
"अब आप अपनी हदें पार कर रहीं हैं ठाकुराइन!"ठाकुर साहब बोले...
"हाँ! सच कहा आपने! हदें तो केवल नारियों के लिए बनाई जातीं हैं,शायद पुरुषों के लिए तो आज तक कोई हद ही नहीं बनाई गई",ठाकुराइन गुस्से से बोली...
"हाँ! ऐसा ही है",ठाकुर साहब बोले....
"अरे! जाइए! हद की बात आप हम स्त्रियों से मत कीजिए,नारी के गर्भ से पैदा होकर नारी को ही नीचा दिखाने वाले बड़े पुरूषत्व वाले बनते हैं आप लोग,जिस दिन हम नारियाँ अपनी हद पार करने लग जाऐगीं ना तो उस दिन ये धरती नहीं बचेगी,सारा पुण्य हम स्त्रियों ने ही सम्भाल रखा है,तभी आप पुरुष इतना पाप कर पाते हैं", पन्ना देवी नागिन की तरह फनफनाते हुए बोली....
"अब अगर आपकी बकवास पूरी हो गई हो तो जाइए यहाँ से",ठाकुर साहब गुस्से से बोले...
"हाँ! जा रहे हैं हम,वो तो हम ने किशना को अपने कमरे के झरोखे से देखा इसलिए चले आएँ थे यहाँ पर",
और इतना कहकर ठाकुराइन पन्ना देवी वहाँ से चलीं गईं....

क्रमशः....
सरोज वर्मा....