नक़ल या अक्ल - 27 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 27

27

मदद

 

रिमझिम कुछ सेकंड्स तक  उसके गले लगी रही फिर राधा को प्यार से अलग होते हुए बोली,

 

यह  नहीं हो सकता।

 

क्या नहीं हो सकता? तू कहें तो मैं  किसोर से बात करो।

 

नहीं उसकी ज़रूरत नहीं है।

 

क्यों ?

 

क्योंकि निहाल सोना को प्यार करता है। अब राधा के चेहरे के हावभावऐसे हो गए,  जैसे उसे रिमझिम का यह कहना समझ न आया हो।

 

मैं कुछ समझी नहीं।

 

इसमें न समझने वाली बात कौन सी है। वह हमेशा से ही सोना से प्यार करता है और मैं दोनों के बीच में नहीं आना चाहती। इसलिए मैं उसकी दोस्ती से ही ख़ुश हूँ। राधा का मुँह उतर गया।

 

यह सब करना आसान नहीं होता।

 

“मुश्किल  भी नहीं होता। अब मेरी छोड़ और अपना सारा ध्यान अपने ब्याह में  लगा।“ तभी उसके पिता  बृजमोहन  अंदर आए  तो वे दोनों चौंक  गई,  “अरे ! रिमझिम तू अपनी उस दूर  की बहन  को भी बुला लें,  इतना  लम्बा  कद था उसका,  लाइट लगाने का काम कर  लेगी।“ यह कहकर वह हँसने  लगें। “कौन  सी बहन ?”  तभी उसे राधा ने कोहनी  मारी तो वह बोली,  “अच्छा वो?  चाचा वह नहीं आ सकती।“ “क्यों?”  “क्योंकि  वो..... वो..... कोलकाता गई  हुई  है इसलिए नहीं आ सकती।“ उसने सोचते  हुए जवाब दिया । अब यह सुनकर  बृजमोहन  तो चले  गए पर वे दोनों  ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।

 

किशोर अब बात सँभालने के लिए बीच में  बोल पड़ा, “ शादी  वाले घर में  छोटी मोटी  परेशानी  तो होती रहती है।  अब उसने अपनी अम्मा को टोकते  हुए कहा,  “माँ  देर हो रही है,  बाबू जी अभी आने वाले हैं।“ “हाँ हाँ चलो,  अच्छा बहनजी।“ वह मुस्कुराते हुए पार्वती से विदा लेते हुए आगे बढ़ गई।  “कमाल  है?  समधिन  जी की ननंद  इतनी  बीमार है, मगर यह तो काफी खुश लग रही है।“  उन्होंने  सुमित्रा को कहा  तो वह बोली,   “अम्मा किसी को अपने ससुराल वाले पसंद नहीं होते,  आपको पसंद है?”  “चुप कर ज़्यादा  ज़बान  चलने लग गई है।“ वही दूसरी ओर सरला भी यही बात किशोर को कहने लगी तो उसने कहा,  “बुज़ुर्ग होगी, फिर आज नहीं तो कल भगवान के पास जाना ही है।“ उसके मुँह से यह सुनकर वह चुप हो गई।

 

राधा का घर भी सज चुका है। उसके रिश्तेदार आने शुरू हो गए हैं। उसके बापू ने रामलीला मैदान में शमियाना  लगाया है।  हलवाई भी आकर बैठ  गया।  बृजमोहन का उत्साह देखते ही बनता है।  लड़के वालों को दहेज़ में कुछ  नहीं चाहिए। यही सोचकर वह शादी  की तैयारी  में  कोई कमी  नहीं रखना  चाहता ।  खाने से लेकर मेहमाननवाजी  तक सभी कुछ  एकदम बढ़िया  होना चाहिए । गॉंव के लोगो को भी न्योता  पहुँचना  शुरू  हो गया है। जमींदार गिरधर चौधरी को राधा के बापू  खुद  बुलाने आये थें तो वहीं किशोर के बापू लक्ष्मण प्रसाद वापिस आने के लिए ट्रैन में बैठ चुके हैं। राजवीर को रघु ने पूछा,  “क्यों राज जायेगा  उस नन्हें की भाई की शादी  में ?”

 

हमें  तो लड़की वालो की तरफ से न्यौता आया है,  इसलिए जाना तो बनता है। उसने हँसते हुए कहा। 

 

क्यों नहीं?  हम ही तो वहाँ रौनक लगाएंगे। रघु ने हँसते हुए कहा । 

 

नंदन ने अपनी सोच में मग्न  किशोर को टोकते हुए कहा, “ घोड़ी वाला आया है। एक बार जाकर बात कर लो।“  वह बाहर गया  और उसने घोड़ी वाले से पैसे का मोलभाव किया और फिर उसे मना कर दिया।  घर में  सभी को हैरानी हुई।  अम्मा ने पूछा,  “क्यों किशोर घोड़ी पर नहीं बैठेगा ।“  “नहीं अम्मा ! मैंने ट्रेक्टर सजा दिया है,  उसी मैं जाऊँगा।“  “पर क्यों भैया ?”  काजल ने पूछा। “गर्मी बहुत है, वहाँ  पहुँचने से पहले  ही पसीने से तरबदर  हो जाऊँगा।  फिर कपड़ों से बदबू  भी आएगी और क्यों  उस बेज़बान  जानवर  को भी परेशांन  किया जायें।“ उसके मुँह से यह सुनकर  निहाल ने उसकी बात का समर्थन करते हुए कहा,  “भाई! बिल्कुल ठीक कह रहा है। ऐसा करते हैं,  मैं राजू ट्रेवल को बोल देता हूँ,  वह गाड़ी को सजाकर ले आएगा।  उसी में बारात जाएगी और डोली भी उसी में आएगी।“ “वाह!! नन्हें,  यह तो बढ़िया होगा। गॉंव में पहली बारात होगी जो गाड़ी में जाएगी।“ सब इस बात से खुश होने लगें पर किशोर सोच रहा है,  ‘इन्हें कैसे बताओ कि मैंने क्यों घोड़ी के लिए मना किया है। क्या ही गर्मी और क्या ही वो बेचारी घोड़ी।  इस समय तो मैं बेचारा हूँ जो अपनी शादी करने के लिए कैसे कैसे हाथ पैर मार रहा हूँ। अगर घोड़ी आई तो वह धीरे चलेगी। सब नाचने में टाइम लगाएंगे और शादी में देर नहीं होनी चाहिए।  इसी में राधा और मेरी भलाई है। गाड़ी बुलाओ या ट्रेक्टर मुझे तो जल्दी पहुँचने से मतलब है।“

 

सोनाली किशोर की शादी में पहनने के लिए कपड़े देख रही है। तभी उसके बापू ने उसे टोकते हुए कहा, “अभी कोई न्यौता तो नहीं मिला।  “क्यों  बापू?  राधा के बापू  तो आये  थें।“ “पर नन्हें का बापू  तो नहीं आया।“ “वो आएंगे भी नहीं।“  “क्यों?” क्योंकि  वह यहाँ है ही नहीं। इसलिए नन्हें ने ही अपने रिश्तेदारों को फ़ोन पर निमंत्रण भेजा है और गॉंव के लोगो को राधा के बापू ही बुला रहें हैं।“ 

 

“कितने चालाक  लोग है,  लड़के की शादी में  कोई  सगन  तो देगा नहीं ;इसलिए  क्या करना है, बुलाकर।   वही लड़की की शादी  में  सभी शगुन  देंगे, तभी बृजमोहन  ने यह ज़िम्मा  अपने ऊपर ले लिया।“  “बापू! आपने भी तो शगुन लिया हुआ है।  देना भी पड़ा तो क्या हो गया।“ अब निर्मला बोली तो वह झेंप गया।  

 

 

रात के आठ  बजे  रहें हैं।  नन्हें का घर लाइटों से जगमगा रहा है। कुछ रिश्तेदार भी चुके हैं। नन्हें के कहने पर सरला ने दो खाना बनाने वाली भी रख ली है।  घर में रौनक लगी हुई है।  सभी चहक रहें हैं।  अब लक्ष्मण प्रसाद भी अपनी बहन सीमा यानी उनकी बुआ को लेकर घर आ गए।  वह लक्ष्मण  प्रसाद की एकलौती  बहन है। उनको देखकर सब बच्चे उनसे लिपट  गए और घर की बहुएँ उनके पैर छूने  लगी। किशोर के माथे पर बल पड़ गए। ‘राधा की बुआ जी तो जम्मू रहती है वहाँ पर कोई सैन्य  परिक्षण होने की वजह से उनका आना तो मुमकिन नहीं है, मगर मैं अपनी बुआ का क्या करो। इन्हें अब कहाँ पहुँचाओ जिससे मेरी शादी में कोई विघ्न न पड़े। इनकी तंदुरस्ती देखकर कोई कह नहीं सकता कि यह भगवान को प्यारी  होने वाली है। हे भगवान! अब तू ही मेरी मदद कर ।“ किशोर ने धीरे से बुदबुदाते हुए कहा।