एक हटिल दरार Narayan Menariya द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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एक हटिल दरार

एक हटिल दरार...

पुस्तक 2015 में मेरे द्वारा लिखित कुछ कविताओं में से छः कविताओं का संग्रह है। प्रथम कविता - में कवि उन सब कारणों का वर्णन कर्ता है जिनकी वजह से एक प्रेमी और उसकी प्रेमिका के बीच नफरत की दरारें आ गईं थी। ओर कहता है की यदि ये दरारें दूर ना हुई तो शायद उनका प्रेम अधूरा ही रह जायेगा। दूसरी ओर तीसरी कविता - में कवि कहता है की प्रेमी हर जगड़े और हर गलत फहमी के लिए ख़ुद को जिमेदार बताता है जबकि गलतियां दोनो तरफ़ से हुई थी। और कविता के अंत तक आते- आते भगवान से अपनी प्रेमिका के सफ़ल जीवन की कामना करता है।
चौथी कविता - में कवि वर्णन करता है की प्रेमी हर कोशिश करता है की सारी गलत फहमिया दूर हो जाए और सबको माफ भी कर देता है। लेकिन शायद प्रेमिका खुद को किसी भी गलती की जिमेदर नही मानती है इसलिए हमेशा दूर भागती रहती है और प्रेमी के हर बलिदान और उसके प्रेम को कभी समझ ही नही पाई।

पांचवी कविता - में कवि, प्रेमिका की तारीफ करने के लिए प्रेमिका की सुंदरता और उसके हर व्यवहार/गुण को प्रकृति से जोड़ने की कोशिश करता है। और अंतिम कविता - में कवि कहता है की अब दोनो प्रेमी और प्रेमिका के बीच आखिर कार सारे क्लेश और सारी गलत फहमियां दूर हो गई है। ओर दोनो के अनन्त प्रेम का व्यख्यान करता है। कवि कहता है की अब दोनो का एक ही सपना है की उनकी ये राते और दिन कभी ख़त्म ना हो, दोनो का अपना घर हो और दोनो का ये मिलन अनन्त सालो तक बना रहे।


इन कविताओ में लिए गए कुछ शब्दों या पंक्तियों के अर्थ इस प्रकार है:-
1. खारा समंदर या समुंदर में उफ्फान - आंखो से आंसु आना या आंखो में छुपे आंसु
2. बेरंगीं हवाएं - नफरत की आग
3. शीशे का टूटना - दिल का टूटना
4. खारा खून - बहते आंसू
5. दोनों पहिए मिले - जीवन साथी मिले
6. मेरे पहिए में कील भी ना हो - मुझे कोई पानी पिलाने वाला या कोई सहारा भी ना मिले

 

कविता 1. एक हटिल दरार ...


धड़कन मेरी आज दिल की बड़ी,
जब सोचा तुम्हें करके बंद आंखों को।

खारा समंदर यूं बहने लगा,
जब धड़कन सुनी थाम के दिल को।


परेशान में यूं होने लगा - सोच कर तकदीर को,
क्यों मैं आया लेकर सांसें इस दुनिया में,
आज जब नहीं दिखी तस्वीर जो तेरी।


तस्वीर जो दिखी- तो देखा "थे हम जुदा",
मानो शहद भरा है तेरी तस्वीर में,
और उफ्फान ले रहा है समंदर मेरी तस्वीर में।


दिख रहा था साफ - लगी है आग आंखों में सबके,
और जल रही है तस्वीर तेरी उसमें।


बेरंगीन हवाएं यू टकराई कानों से मेरे,
साफ सुनाई दे रही थी आवाज पैरों की तेरे -
"महोब्बत यूं चलने लगी है अब ढूंढने को रास्ता नफरत का।"


देख न पा रहा था कोई - लहरें समंदर की आंखों में मेरे,
सुन पाया कोई - आवाज शीशे के टूटने की,
भले ही लिए खड़ा था बीच में, मैं सबके।


आख़िर, बेरंगीन हवाएं तो यूं रुक गई,
पर जोड़ ना पाया कोई - मेरे टूटे शीशे को वापिस।

शीशा साफ बता रहा था,
दरारे छुपी है बीच दोनों की तस्वीर में।
"बड़ी हट्टिल और पहाड़ सी खड़ी है -
राह तकदीर के एक दरार मुस्कुराते हुए।"


आई महोब्बत रिमझिम क्षण भर को,
पर कर गई उफान समंदर में।


महसूस दिल को हो रहा है.....
अगर हुई ना बारिश महोब्बत की,
ये बेरंगीन हवाएं ना हुई रंगीन वापस,
तो जिंदगी और महोब्बत कि यह अधूरी जंग,
शायद अधुरी ही खत्म हो जाएगी।


कविता 2. एक और दुआ ...


आज फिर शीशा टूटा,
फिर भी कोई सुन ना पाया।
खून निकला परंतु, स्वाद खारा था।


सांसे थमी उसकी,
तो जान मुझे छोड़ चली।
होंठ उसके कुछ कहना चाहते थे,
पर आवाज मेरे मुंह से निकली।


एक हसीन जिंदगी मैं तबाह की,
पर इल्जाम उसने ओढ़ लिया।
तबाह ज़िन्दगी में...
हर क्षण - आंसू तो उसके थे, परंतु आंखें मेरी।


डर तो इस बात का है कि,
जब जान मेरी निकलेगी - तो रूह किसकी होगी।


रब से दुआ है की -
अगले हर जन्म में जान भी मेरी हो,
और शरीर भी मेरा।


उसको हर जन्म में दोनों पहिये मिले,
चाहे मेरे अकेले पहिये में - एक कील भी ना हो।
जिंदगी भरे उड़ान उसकी,
चाहे मुझे बैसाखी भी ना मिले।


आंसू भी मेरे हो,
और आंखें भी मेरी।
धड़कन रुके मेरी तो,
दिल भी मेरा हो।


खुशी हो मेरी परंतु,
मुस्कान उसके चेहरे पर हो।
हां लेकिन- दुनिया जब भी नाम ले उसका,
तो सुनने वाला हर कान मेरा हो।


हा...
एक और दुआ है मेरी रब से,
जब भी सोऊं में - तो उसमें हर एक सपना उसका हो।

 


कविता 3. एक आशिकी ऐसी भी ...


आंसू तड़प कर आंखों में ही रह गए,
आग बाहर आने लगी,
कातिल जबान जब आशिकी से लड़ी।


खुद को दिल अब कोसने लगा,
गलती में खुद को ये रखने लगा।
खैर....
यह तो होना ही था,
बात जो उन्होंने बरसों से नहीं की।


पता नहीं आंसू अब क्यों निकल रहे,
सज़ा में खुद को देने लगा।


याद किया उन्होंने अब,
नाराज में होने लगा।
लेकिन...
काफी नादान है दिल मेरा -
तड़पने ये उनके लिए लगा।


याद आई उसकी इस कदर,
में दुनिया में होकर भी, दुनिया से जुदा रहने लगा।


बहाने दिल बनाने लगा,
खुद को ये छुपाने लगा।


याद किया उसको तो,
एक हंसता चेहरा आंखों में छाने लगा।


एक नादानी उन्होंने की,
एक नादानी हमसे हुई,
दो दिल नजदीक आने लगे।


जीना गवारा हुआ उसके बिना,
दो दिल वापस - अब एक होने लगे।


कुछ हसीन यादों के सहारे दिन गुजरता है,
रात तो - चद्दर में मुंह छुपा कर रो लेते हैं।


महक उसकी इस कदर है,
कि फूल भी फीके लगते हैं,
बस इसी के सहारे तो - हम उन्हें हजारों में भी पहचानते हैं।


इंतजार है....
तो बस एक नई आशा का,
हसीन रात निकले उसकी - दुआ ये दिल करने लगा।

 


कविता 4. इश्क - ए - महोब्बत ...

इश्क - ए - महोब्बत ने दिल को सुकून दिया,
जब पास तुम आए।

नादान - ए - दिल ने मौत को गले लगाना चाहा,
जब महोब्बत हद पार कर गई।

महोब्बत झूठी थी या सच्ची,
ना जानकर उससे में बगावत कर बैठा।

रब ने महोब्बत करने का जुनून मुझे दिया,
उन्हें महोब्बत में तरसाना सिखाया।

साथ में चलकर हमदर्द बनना चाहता था उसका,
रब ने सारे दर्द मेरी ही झोली में भर दिए।

 

कुदरत का तोहफा मानकर -
शुक्रिया अदा किया था दिल ने जिस दिल का,
वह दिल इतना जल्दी मौत और जिंदगी बन जाएगा,
ये कभी सोचा ना था।

कोशिश की थी दिल ने -उस पर सब कुछ लुटाने की
हम तो लुटा बैठे,
उनकी झोली छोटी निकली,
तो इसमें मेरा क्या कसूर था।

दिल की धड़कन को उनके दिल से जोड़ा था,
सोचा नहीं था इतना जल्दी सांसों से दूर कर देंगे हमें।

सो मरतबा सुबह-शाम
आईने को देखकर सजा करते थे हम,
आज आईना देख 100 दिन बीत गए।

उसकी एक झलक के लिए
अपनों से आज भी लड़ना जानते हैं,
आज वो ख़ुद ही चेहरा, छुपा बैठा है,
तो इसमें मेरा क्या कसूर।

सोचा करता था- सच्ची महोब्बत बिना पर की चिड़िया है,
जो हमेशा एक ही डाली पर बैठी रहती है
खैर डाल तो थी मेरे पास,
परन्तु ऐसी कोई चिड़िया ही नहीं आई।

 

आई थी एक चिड़िया,
परन्तु डाली को कली समझ कर
वो नादान मेरा घोंसला ही उजाड़ चली गईं।

 

कविता 5. एक हसीन चिड़िया ...


उसकी तारीफ करना,
जैसे कुदरत की तारीफ करना।

कभी मदहोश कर दे चंचल हवाओं सी,
तो कभी पागल बना दे गर्म हवाओं सी।

अंधेरी रातों को,
चांदनी बनाने का हुनर सीखा है उसने।

समंदर सी गहरी नीली आंखों में,
कभी शांति तो कभी ऊंचे लहरी देखी है मैंने।

कली जैसी मुस्कान को,
होठों पर सजाकर अपनों को हंसाना सीखा है उसने।

वादों की पक्की,
इरादों की सच्ची,
एक हसीन चिड़िया है वो।

 

 

कविता  6. अनंत मिलन ...


एक मुलाकात की सिफारिश,
हजारों गुजारिश,
ओर एक और साल का सफर।

पल दो पल की मुलाकात,
बाजुओं का पाश,
ओर सालों की प्यास।

चांदनी रात,
तारों की चमक,
ओर दीवानों की महोब्बत।

आंसुओं भरी आंखें,
होठों पर इश्क,
ओर दिल से आवाज - "काश एक और रात"।

मंजिलों का सफर,
दिन भर की थकावट,
रातों के सपने और तुम्हारी यादें।

दोनों का सपना -
"घर आखरी मंजिल, कभी ना खत्म होने वाली रात, और अनंत मिलन।"

 

धन्यवाद !!!