अनचाहा रिश्ता... - 2 Suhani द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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अनचाहा रिश्ता... - 2

दूसरी तरफ :

एक बड़े से कमरे में मखमल की मुलायम चादर से लिपटे बिस्तर पर एक लड़की दुल्हन के लिबास में लिपटी , लेटी हुई थी । वो बेहोश थी । मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र था । उसका लिबास बता रहा था कि उसकी शादी हो चुकी थी ।

तभी कमरे का दरवाजा खुला और एक लंबा चौड़ा आदमी कमरे के अंदर आया ।

चौड़ा सीना जिसमे 8 pack abs थे , सुडौल और कसा हुआ गठीला बदन । वो किसी बड़े परदे के कातिलाना हीरो से कम नहीं लग रहा था । उम्र में वो करीब 29 साल का था ।

चेहरे पर हल्की दाढ़ी , सलीके से बनाए गए बाल । गहरी काली आंखें और गहरे भाव उसे रहस्मयी बना रहे थे । काला सूट पहने वो बहुत अट्रैक्टिव नजर आ रहा था । ऐसा लड़का जिसे देखने भर से ही हर किसी लड़की को उसे पाने की लालसा उत्पन्न हो जाए ।

उसने दरवाजा बंद किया और एक ठहराव के साथ आगे लड़की की तरफ बढ़ गया ।

लड़की के नजदीक आकर वो गौर से उसके चेहरे को देखने लगा । गोरा बेदाग चेहरा , बड़ी बड़ी जुल्फें जो बिस्तर पर बिखरकर फैली हुई थी ।

काजल सनी आंखें , जिनके ऊपर बड़ी बड़ी पलकों पहरा लगाए हुए थीं । उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग की कोई अप्सरा आकर बेड पर लेट गई हो ।

लाल लहंगे में उसकी खुली कमर की झलक दिखाई दे रही थी । उसका net का दुपट्टा उसके सीने पर से सरक चुका था ।

लहंगे का ब्लाउज उसके बदन पर बिल्कुल सही नाप का था । गला गहरा होने की वजह से उसके उभार की आकृति बिल्कुल उभरकर दिखाई दे रही थी । उसे देखते हुए उस लड़के का गला सूखने सा लगा था ।

लड़के ने अपना कोट उतारा और एक झलक लड़की को देखकर बाथरूम के अंदर चला गया ।

कुछ देर बाद वो नहाकर टॉवेल लपेटे बाहर आया तो देखा कि वो लड़की अभी भी सो ही रही थी ।

उसे देखते हुए वो करीब आकर बैठ गया । आज दिन की यादें उसकी आंखों के सामने चलने लगी । जब एक सजे हुए घर में भरे मंडप में पहुंचने से पहले ही वो राधिका को उठा लाया था ।

वो पूरे वक्त बेहोश थी । उसकी बेहोशी में ही उसने उसके साथ शादी भी कर ली थी ।

कुछ सोचते हुए उसके होंठों पर गहरी मुस्कुराहट तैर गई । राधिका की कमर को देखकर कुछ पल वो खो सा गया फिर उठा और cupboard की तरफ कपड़े बदलने चला गया ।

करीब आधी रात के वक्त राधिका की नींद खुली तो उसने कसमसाते हुए अपनी आंखें खोल दी ।

सामने का नजारा देखा तो वो किसी बिल्कुल अंजान जगह पर थी । उसके सामने इतना बड़ा कमरा था जितना उसने कभी सपने में भी नहीं देखा था ।

जिस बेड के उपर वो अभी बैठी हुई थी वो भी बहुत बड़ा बेड था और बहुत मखमली था । लेकिन इन सबके बावजूद भी राधिका को वो सब देखकर अचंभित होने के बजाए घबराहट हो रही थी ।

वो झट से बेड से नीचे उतरी और आस आस देखते हुए वहां के बड़े से दरवाजे के सामने जाकर खड़ी हो गई । फिर उसे खोलने की कोशिश करने लगी ।

काफी कोशिशों के बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो राधिका कमरे को देखते हुए बोली " ये हम कहां आ गए ? हमारी तो शादी होने वाली थी ना । तो हम इस अंजान जगह पर कब आए "

बोलते हुए वह पूरे कमरे में घूम कर वहां से बाहर निकलने के लिए जगह तलाशने लगी । उसके चलने से पायलों की आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी ।

अगले ही पल बड़ा सा दरवाजा खुला और किसी के कदमों की आहट राधिका के कानों में पड़ी । उसने पलटकर देखा तो सामने एक बिल्कुल अंजान चेहरा था ।

" कौन कौन हैं आप ? " राधिका ने पूछा तो आदमी बोला " उत्कर्ष सिन्हा " आदमी ने बहुत शालीनता से जवाब दिया । उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था ।

" हमें यहां क्यों लाए हैं ? "

उत्कर्ष उसकी तरफ कदम बढ़ाते हुए बोला " शादी की है आपसे । तो अपने साथ ही लायेंगे ना "

बोलकर वो उसके बिल्कुल सामने आकर खड़ा हो गया ।

" ये क्या बोल रहे हैं आप ? आपसे हमारी शादी कैसे हो सकती है ? हमारी शादी अधिराज जी से हो रही है "

उत्कर्ष मुस्कुराया और बोला " huh... भूल जाइए । अब आप हमारी हुई । और अब यही सच और यही शादी है "

" आप ऐसे कैसे कह सकते हैं । धोखा किया है आपने " राधिका ने चिल्लाते हुए कहा तो उत्कर्ष ने आंखें बंद कर ली ।

राधिका आगे बोली " किडनैप करके लाए हैं आप हमें । हम इस शादी को बिल्कुल नही मानते । हमे जाना है यहां से "

बोलकर वो दरवाजे की तरफ जाने लगी तो उत्कर्ष ने उसका हाथ पकड़ लिया ।

राधिका ने पलटकर देखा तो उत्कर्ष ने कसकर उसके हाथ को पकड़ा हुआ था । उत्कर्ष की शर्ट की बाजुएं चढ़ी हुई थी जिससे राधिका को उसकी फूली हुई नसें साफ दिखाई दे रही थी ।

" दुल्हन हैं आप हमारी , और अब से आप हमारे साथ ही रहेंगी । जितना जल्दी हो सके इस शादी को मान लीजिए । अच्छा होगा आपके लिए " बोलकर उसने राधिका को देखा ।

उत्कर्ष का लहजा बहुत ठंडा था । उसकी आवाज की ठंडक महसूस करके राधिका के बदन में सिहरन दौड़ गई थी ।

" आज शादी हुई है और कल सुहागरात होगी । आज आप सो सकती हैं । तो आराम कर लीजिए " बोलकर उत्कर्ष ने उसका हाथ छोड़ा और कमरे से बाहर निकल गया ।

राधिका बेवाक सी उसे देखती रह गई । उसे समझ नही आया था कि इतनी जल्दी ये सब क्या होने लगा था उसके साथ । कोई अनजाना आदमी इस तरह से कैसे हक जताने आ गया था ।

क्या फंस गई है राधिका ? क्यों की है उत्कर्ष ने उसे अगवा करके शादी ?