एक तरफा प्यार... - 1 Lotus द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • खोयी हुई चाबी

    खोयी हुई चाबीVijay Sharma Erry सवाल यह नहीं कि चाबी कहाँ खोय...

  • विंचू तात्या

    विंचू तात्यालेखक राज फुलवरेरात का सन्नाटा था. आसमान में आधी...

  • एक शादी ऐसी भी - 4

    इतने में ही काका वहा आ जाते है। काका वहा पहुंच जिया से कुछ क...

  • Between Feelings - 3

    Seen.. (1) Yoru ka kamra.. सोया हुआ है। उसका चेहरा स्थिर है,...

  • वेदान्त 2.0 - भाग 20

    अध्याय 29भाग 20संपूर्ण आध्यात्मिक महाकाव्य — पूर्ण दृष्टा वि...

श्रेणी
शेयर करे

एक तरफा प्यार... - 1

एक तरफा प्यार..... एक सच्ची कहानी....!!!!

भोपाल मध्यप्रदेश...
भोपाल शहर में एक रोहित नाम का लडका रहता था
रोहित की उम्र लग भग 18 की हो रही थी
वो कॉलेज में अपने पापा की तरह एक सिविल इंजीनियर की पढ़ाई कर रहा था
रोहित पड़ने लिखने में काफ़ी नॉर्मल था
मतलब की पढ़ाई लिखाई के मामले में रोहित ज्यादा तेज नही था
रोहित का रोल no अपनी क्लास में तीन या चार no पर ही था
रोहित पढ़ाई लिखाई के अलावा प्यार मोहब्बत वाली चीज़ पर काफी विश्वाश करता था
रोहित चाहता था की वो अपनी जिंदगी में किसी लड़की से प्यार कर के अपना घर बसाना चाहता था
मेरे क्लास में एक ही लड़की थी नेहा देखने में सावली
मगर बहुत ही प्यारी लड़की पड़ती थी
लेकीन वो लड़की स्कूल में हमेशा प्रथम आती थी
हा वहीं लड़की जिसका नाम नेहा था वह क्लास में प्रथम आती
पढ़ाई में नेहा रोहित से काफी आगे थी
पहले में कॉलेज उतना नही जाया करता था मगर जब से नेहा को देखा है तो रोज़ जाता हूं
नेहा से एक तरफा प्यार होने के कारण रोहित प्रति दिन टाइम से कॉलेज जाता था
और उसे देखने के लिए बेबस हो जाता
फिर मेरी पढ़ाई भी अच्छी होने लगी धीरे धीरे मुझे भी सब समझ आने लगा क्योंकी में नही चाहता था की प्यार के सामने मेरी बेज्जती हो इस डर से में पढ़ाई में स्ट्रॉन्ग होने लगा और सब कुछ पहले कर लिया करता था
में कॉलेज में नेहा को fast आते देख कर भाऊक हो जाता सोचता अगर में भी अच्छे से पड़ने लगा तो सायद वो मुझे पसंद करने लग जाए
लेकीन ये बात अलग है कि में नेहा को मन ही मन पसंद करने लगा था और एक मन करता था नेहा को देखते ही रहु बार बार आपके बता दू में हमेशा उसकी टेबल के पास ही बैठता था और मेरे सामने नेहा बैठती थी
फिर हम दोनो मे धीरे धीरे बात चीत होने लगी
और रोज़ प्रति दिन में उससे पहले कॉलेज पहुच जाता
और उसकी दोस्तो से भी अच्छी दोस्ती हो गई थी में घुल मिल गया था उनके संग
नेहा भी मुझे थोड़ी बहुत बात किया करती थीं
लेकीन नेहा का इरादा प्यार करने का बिल्कुल भी नही था
लेकीन मुझे समझ नहीं आ रहा था मेरे मन की बात में नेहा से कैसे कही कुछ समझ नहीं आ रहा था
आपको बता दूं जिंदगी जैसे जैसे आगे बड़ रही थी
कॉलेज की पढ़ाई भी बड़ रही थी
वैसे ही मेरी और नेहा की भी हो रही थी हम दोनों को बिछड़ने का दर्द मिलने ही वाला था
क्योंकि में नेहा से एक तरफा प्यार किया करता था
क्योंकि मेने नेहा से कभी कहा ही नही न इसकी कोई जानकारी दी उसे
धीरे धीरे कॉलेज के एग्जाम आ गए और हमारे अंतिम एग्जाम होने वाले थे मुझे काफ़ी दर्द महसूस होने लग गया नेहा से बिछड़ने का
अब तो धीरे धीरे मेरा मन बिल्कुल भी नही लगने लगा था
क्योंकि नेहा बिछड़ने वाली थी
और में ये किसी भी हाल में बिछड़ने का नही सोच रहा था
और मेने अपना हाल रोने जैसा बना लिया था

Thank you next part me देखेगे क्या होगा मेरा