फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग) Pradeep Shrivastava द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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फ़ाइनल डिसीज़न - भाग 4 (अंतिम भाग)

भाग -4

गार्गी खाने-पीने के बाद एक भारतीय न्यूज़ चैनल पर समाचार देख रही थी। यह उसका रोज़ का नियम था। इसके ज़रिए वह स्वयं को अपने देश से जुड़ा हुआ महसूस करती है। वहाँ की स्थितियों से अपडेट होती। इसके बाद वह थोड़ी देर अपने प्रोफ़ेशन से रिलेटेड बुक्स पढ़ती रहती है और कभी-कभी पढ़ते-पढ़ते ही सो जाती है। 

लेकिन जिस दिन दिमाग़ में हस्बैंड की एंट्री हो जाती है, उस दिन उसकी रात आँखों में ही बीत जाती है। और आज तो हस्बैंड की एंट्री दिन में ही हो गई थी। उसकी नज़र टीवी पर थी लेकिन ध्यान नहीं। 

इसी समय मेघना की कॉल फिर से आ गई। उसने फिर मीटिंग के बारे में और बहुत-सी बातें बता कर संडे को घर बुलाया। कहा, “और भी कई लोगों को बुलाया है। हम हिंदुओं के साथ यहाँ पर भेद-भाव हो रहा है, हम पर हमले हो रहे हैं और पहले की गवर्नमेंट की तरह यह गवर्नमेंट भी इस तरफ़ पूरा ध्यान नहीं दे रही है, कहने को अपने पी.एम.भारतवंशी हैं, गौ-माता की पूजा करते हैं। 

“इसलिए हम लोग अपना एक डेलिगेशन लेकर पीएम से मिलेंगे, उनसे अपनी प्रॉब्लम बताएँगे। कहेंगे कि हम पर हो रहे अत्याचारों को यदि आप भी नहीं रोकेंगे तो फिर कौन रोकेगा? हम लोग आख़िर कब-तक सहते रहेंगे? ऐसे तो क्रिया-प्रतिक्रिया का माहौल बन जाएगा और देश की व्यवस्था बिगड़ सकती है।” 

गार्गी बहुत असमंजस में पड़ गई कि वह क्या कहे? कहीं कोई बात बढ़ गई तो नौकरी भी जा सकती है। लेकिन जब उसे रोज़-रोज़ अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार की याद आई तो उसने सोचा मेघना जो कर रही है, ठीक कर रही है। यह तो बहुत ही पहले होना चाहिए था। 

आख़िर कब-तक ऐसे चुप बैठा रहा जाएगा, एक न एक दिन तो बोलना ही पड़ेगा। मुझे भले ही यहाँ से दो सालों के बाद वापस अपने देश चले जाना है, लेकिन डॉक्टर मेघना को तो यहीं रहना है। उसने कह दिया, “ठीक है मेघना मैं सही समय पर पहुँच जाऊँगी।” 

मेघना से डिस्कनेक्ट होते ही वह फिर हसबैंड से कनेक्ट हो गई। हस्बैंड के साथ पिछले कुछ महीनों में चार बार हुई मुलाक़ातों के समय की बातें उसके दिमाग़ में चल रही हैं। हस्बैंड की यह बात उसे झकझोर रही है कि ‘अब मैं विदुषी और अपने परिवार से यह बात ज़्यादा समय तक छुपाकर नहीं रह सकता कि ब्रिटेन में आने के एक साल बाद से ही हम दोनों अलग रह रहे हैं और डायवोर्स लेने की सोच रहे हैं। 

‘मैं फोन पर बेटी को अब और ज़्यादा धोखा नहीं दे सकता। अगर तुम मेरे साथ नहीं रह सकती, नॉर्मल लाइफ़ नहीं जी सकती तो अच्छा यही होगा कि जो भी करना है उसे कर लिया जाए। मैं अपने वैवाहिक जीवन को इस तरह अधर में रखकर और आगे नहीं चलना चाहता। तुम्हें अपना डिसीज़न बताना ही होगा कि साथ आना चाहती हो या डायवोर्स लेना चाहती हो।’ 

गार्गी उनकी इस बात को लेकर स्वयं पर बहुत दबाव महसूस कर रही है कि इसी संडे को उसे अपना डिसीज़न बताना है। वह निर्णय नहीं ले पा रही है कि हस्बैंड की बात मान ले और फिर से एक साथ रहे, नॉर्मल लाइफ़ जिए। इतने दिनों में ही अलग रहते हुए उसे ज़िन्दगी वीरान उजाड़ काँटों भरी लगने लगी है। 

वह बार-बार महसूस कर रही है कि एकांकी जीवन, ज़िन्दगी के सारे रंग-रस ख़ुशियाँ समाप्त कर देता है। और ऐसा जीवन उस पेड़- सा हो जाता है जिसकी जड़ें कट गई हों और वह तेज़ी से सूखते हुए ख़त्म होने की ओर बढ़ रहा हो। उसे याद आ रहा है कि जब से अलग हुई है। उसके बाद से एक भी रात वह सुख-चैन की पूरी नींद नहीं सो पायी है। 

हर सप्ताह कम से कम दो रातें तो तकिए को भींचते, करवटें बदलते ही बीत जाती हैं। उसे कभी भी बी पी डायबिटीज़ आदि की कोई शिकायत नहीं रही लेकिन इधर दो महीनों से कई बार ब्लड प्रेशर हाई हो जा रहा है। यदि लाइफ़ ऐसी ही बनी रही तो वह दिन दूर नहीं जब वह ऐसी सारी बीमारियों से घिर जाएगी। इतना ही नहीं बेटी का जीवन भी डिस्टर्ब होगा, अभी तो वह यही जान रही है कि हम दोनों साथ हैं। 

वह कितनी बार पूछ चुकी है कि ‘मम्मी आप और पापा फोन पर एक साथ क्यों नहीं मिलते, वीडियो कॉल पर आप दोनों एक बार भी तो साथ में नहीं आए।’ कब-तक उससे, माँ से झूठ बोलूँगी। लेकिन उस डॉक्टर आयशा को कैसे बर्दाश्त कर लूँ? इनकी इस बात पर कैसे विश्वास कर लूँ कि अब यह उसके साथ नहीं रहते, क्योंकि वह अपने मज़हब की प्रशंसा के क़सीदे पहले तो थोड़ा बहुत पढ़ती थी, लेकिन जैसे ही साथ रहने लगी तो हर साँस में मज़हब, मज़हब सिर्फ़ मज़हब। 

वह उसके मोह में पहले तो यह बर्दाश्त करते रहे, लेकिन उन्हें एक रात उस समय यह लगा कि यह तो लिमिट क्रॉस कर चुकी है, जब वह शारीरिक संबंधों का एक भरपूर समय जी लेने के बाद वॉश रूम गई और लौटकर अपना गाउन पहनती हुई बड़े रोब के साथ बोली, “सोमेश्वर कल जुम्मा है, मैं छुट्टी ले रही हूँ, तुम भी ले लो। कल लंदन से बाहर कहीं और घूमने चलते हैं। तुम्हें कुछ ख़ास लोगों से भी मिलवाऊँगी। बहुत लंबा समय बीत गया है एक जगह रहते-रहते। बड़ी मोनोटोनस हो रही है लाइफ़। और हाँ, कल मैं तुम्हें बताऊँगी कि नमाज़ कैसे पढ़ी जाती है। हम दोनों एक साथ नमाज़ पढ़ेंगे।” 

उसने इतने कॉन्फ़िडेंस के साथ यह बात कही थी जैसे कि वह न जाने कितने समय से नमाज़ पढ़ने के लिए लालायित हैं और उससे चिरौरी कर रहे हैं। उन्होंने जब मना कर दिया तो वह नाराज़ हो गई और बहस करने लगी। सनातन धर्म को झूठा, पाखंड से भरा बताने लगी। इस पर वह भी नाराज़ हो गए और बात इतनी बढ़ गई कि वह डॉ. आयशा को उसी समय छोड़कर घर से बाहर निकल लिए। पूरी रात उन्होंने गाड़ी में बिताई। उसके बाद से वह आयशा की तरफ़ देखते भी नहीं। 

हॉस्पिटल में मिलती है तो उसकी तरफ़ एक घृणास्पद दृष्टि फेंक कर मुँह दूसरी तरफ़ घुमा लेते हैं। इसके बाद से वह कई बार उन्हें धमकी ज़रूर दे चुकी है कि “तुमने मुझे चीट किया है, इसका अंजाम तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा।” उन्हें इस बात की पूरी आशंका है कि वह उनपर पर हमला भी करवा सकती है, क्योंकि वह अनेक जेहादी संगठनों से जुड़ी हुई है, उनके लिए फ़ंड की व्यवस्था में भी जुटी रहती है। इसकी जानकारी उन्हें उससे अलग होने के बाद हुई। 

क्या मुझे उनकी इस बात पर विश्वास कर लेना चाहिए कि अब उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हो गया है। वह उसके बहकावे में आ गए थे। उसने एक षड्यंत्र के तहत उन्हें अपने जाल में फँसाया था। 

गार्गी ने महसूस किया कि उसका मन बार-बार कह रहा है कि हस्बैंड की बात पर पूरा विश्वास कर लो। उसने ग़लती ज़रूर की है, लेकिन अब सच बोल रहा है, उसे अपनी ग़लती का एहसास है, और अब वह अपने घर अपने परिवार, तुम्हारे पास लौटना चाहता है। सुबह का भूला शाम को लौट कर घर आ रहा है, यदि तुमने अभी उसे एक्सेप्ट नहीं किया तो वह फिर भटक सकता है। निराश होकर उसी आयशा के पास जा सकता, फिर वह उसे कलमा पढ़ाएगी, नमाज़ पढ़ाएगी, अपने जैसा कट्टर जेहादी बना देगी या फिर उसकी जैसी किसी और आयशा के चंगुल में फँस कर नष्ट हो जाएगा। गार्गी को सोमेश्वर की जान ख़तरे में दिखने लगी। 

संडे को डॉक्टर मेघना के घर उसे अनुमान से भी कहीं बहुत ज़्यादा लोग मिले। सभी की समस्या एक ही थी कि सभी के बच्चे स्कूल में एक जैसे भेद-भाव, हमलों, शोषण का शिकार हो रहे हैं। पेरेंट्स भी ऑफ़िस, होटल, पार्क, कालोनी हर जगह इसी स्थिति से गुज़र रहे हैं। 

सब ने मिलकर एक ज्ञापन तैयार किया, उस पर हस्ताक्षर किए और यह तय हुआ कि प्राइम मिनिस्टर से मिलने का टाइम लेकर, उन्हें यह ज्ञापन सौंपेंगे, प्रॉब्लम बताएँगे, उनसे कहेंगे अगर इस प्रॉब्लम को सॉल्व नहीं किया गया तो आगे चल कर यह ख़ुद ब्रिटेन के अस्तित्व के लिए एक बड़ा प्रश्न चिह्न बन जाएगी। 

मीटिंग से निकल कर गार्गी लंदन के पॉपुलर और सोमेश्वर के फेवरेट रेस्ट्राँ ‘वीरास्वामी’ रीजेंट स्ट्रीट पहुँची, जहाँ उसे सोमेश्वर ने उसका फ़ाइनल डिसीज़न जानने के लिए बुलाया था। वहाँ दोनों ने एक साथ लंबा समय बिताया। अपनी-अपनी बातें कहीं। गार्गी रेस्ट्राँ से सोमेश्वर के साथ बाहर निकली तो उसने घर वापस चलने के लिए टैक्सी नहीं मँगाई। घर से वह अपनी कार नहीं टैक्सी में ही आई थी। 

शायद उसे विश्वास था कि वापस घर वह सोमेश्वर को लेकर उसकी ही गाड़ी में आएगी। दोनों जब स्वामीनारायण मंदिर में पूजा कर, सेलिब्रेशन का ढेर सारा सामान लेकर घर पहुँचे तो रात हो चली थी। ड्रॉइंग रूम में पहुँचकर सबसे पहले उन्होंने बेटी को फोन किया, वीडियो कॉल, और बहुत देर तक बातें करते रहे। गार्गी ने विदुषी से कहा, “देखो बेटा, आज हम दोनों साथ में हैं।”