भूतिया हवेली Tarun Dhanda द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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भूतिया हवेली

भूतिया हवेली की कहानी एक पुराने हवेली की है, जहाँ रहस्यमयी घटनाएँ और अदृश्य शक्तियाँ लोगों को डराती हैं।

 

यह कहानी कुछ साल पहले की है, जब मैं अपने दोस्तों के साथ एक हवेली में जा रहा था। हम विश्वास नहीं करते थे कि भूत-प्रेत होते हैं, और हमें यह सोचकर हवेली जाने का नाम भी नहीं आता था।


हम छुट्टीयों के मौके पर गए थे, और हमारे पास हवेली में एक सुंदर विला भी था। हमने एक सुखद दिन बिताया और रात के समय हम हवेली की ओर बढ़ गए।

 


हवेली एकदम सुनसान और बेजान सी लग रही थी। वहां की ठंडी आत्मा को चुभ गई, और हमें डर का एहसास होने लगा। हम अपनी कहानियों को दिलाने लगे और एक-दूसरे के डर को बढ़ाने के लिए चुटकुले बनाने लगे।

 


रात का समय बढ़ता गया, और हवेली की आवाजें और भी अजीब होने लगी। धीरे-धीरे हम सब अचानक थम गए और आवाज का पता लगाने की कोशिश करने लगे।

 


अचानक, हम ने सुना कि किसी कदमों की आवाज हवेली के कॉरिडोर से आ रही है। हम सब डर के मारे हुए उठ खड़े हो गए और वह आवाज की ओर बढ़ने लगे।

 


हम जब कॉरिडोर में पहुंचे, तो हमें एक बच्चे की कराहट की आवाज सुनाई दी। उस बच्चे के आवाज में डर और पीड़ा की भावना थी। हम उस बच्चे के पास गए और देखा कि वह एक छोटी सी कुर्सी पर बैठा हुआ था।

 


बच्चे ने हमें देखा और डर के मारे हुए आवाज में कहा, "कृपया मेरी मदद करो! मेरे साथ कुछ खिलवाड़ कर रहे हैं।"

 


हम डर के मारे हुए बच्चे के साथ उसके कमरे में गए और वहां कुछ अद्भुत घटनाएँ देखी। कुर्सी के आसपास कुछ आवाजें आ रही थीं, और हमने देखा कि कुर्सी खुद-ब-खुद हिल रही थी।

 


वहां कुछ समय तक हम खड़े रहे, और फिर अचानक बच्चे को कुर्सी से उठा दिया गया। हम सब डर के मारे हुए भाग गए और कुर्सी को छोड़ दिया।

 


फिर हमने वहां से निकल कर विला की तरफ बढ़ते हुए सुना कि बच्चे की हँसी और खेल वाली आवाज आ रही है। हम सब हैरान हो गए और सोचने लगे कि क्या अब तक हम जो देख चुके थे, वह सब एक होली का खेल था।

 


हमने अगले दिन हवेली के मालिक से पूछा और पता चला कि वहां पर एक पुराना खेल खेला जाता है, जिसमें बच्चों को खेला जाता है और उन्हें डराया जाता है। हवेली के मालिक ने हमें समझाया कि वह केवल एक मनोरंजन था और किसी भूतिया हवेली की आवश्यकता नहीं थी।

 


हमने वहां का सुन्दर दिन बिताया और जब हम वहां से लौटे, तो हमने किसी भी भूतिया हवेली के बारे में बच्चों को डराने का इरादा किया था, वही वास्तविकता बन गया।

 


 

इसका सबक यह है कि हमें कभी-कभी डर के मारे हुए हालात में ज्यादा से ज्यादा विश्वास नहीं करना चाहिए, क्योंकि हकीकत अक्सर हमारी सोच से अद्वितीय होती है।

 

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