उत्कर्ष-अभिलाषा - भाग 5 शिखा श्रीवास्तव द्वारा कल्पित-विज्ञान में हिंदी पीडीएफ

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उत्कर्ष-अभिलाषा - भाग 5

कुछ देर तक यूँ ही बैठे रहने के बाद उत्कर्ष ने कहा "सुन भाई चल कुछ देर सो लिया जाए। अब इन्हें मनाने की अगली योजना हम कॉलेज से लौटकर बनाएंगे।"

"हाँ भाई चल।" प्रणय ने भी अपनी सहमति जताई।

लगभग नौ बजे प्रणय की नींद टूटी। फ्रेश होकर वो फ़टाफ़ट कॉलेज जाने के लिए तैयार हुआ और अपने कैमरे में उत्कर्ष का ग्रांडे द्वीप पर उसने जो वीडियो बनाया था उसे एक पेनड्राइव में सेव करके उसने अपने बैग में डाल दिया ताकि कॉलेज पहुँचकर उसे निहाल और बाकी सहपाठियों को दिखा सके।

उत्कर्ष भी अब तक तैयार हो चुका था और घर के नियमानुसार अब सभी लोग सुबह के नाश्ते के लिए डायनिंग हॉल में आ चुके थे।

उत्कर्ष और प्रणय ने इस वक्त भी अपने पिताओं से बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन उनकी ये कोशिश नाकाम ही रही।

तेज़ी से अपना नाश्ता निपटाकर जहाँ ऋषिकेश जी दफ़्तर के लिए निकल गए, वहीं शरण बाबू भी अपने कामों की सूची बनाकर उसके सिलसिले में बाहर चले गये।

बुझे हुए मन से उत्कर्ष और प्रणय भी कॉलेज की तरफ चल पड़े।

जैसे ही वो दोनों कॉलेज पहुँचे उनके सभी सहपाठियों ने उन्हें घेर लिया और ग्रांडे द्वीप की उनकी अनोखी यात्रा के किस्से सुनने की ज़िद करने लगे।

बस एक निहाल ही था जो कोने में चुपचाप बैठा था।

उसके पास जाकर उत्कर्ष ने कहा "दोस्तों मैं आप सबको सारे किस्से सुनाऊंगा लेकिन उससे पहले जरा उन तीस मिनट की वीडियो भी देखी जाए जो मैंने और प्रणय ने दुनिया के उस सबसे खतरनाक द्वीप पर बिताए।

उत्कर्ष की बात सुनते ही सब लोग इस तरह बैठ गए कि उन्हें वीडियो देखने में परेशानी ना हो।

सबके बैठते ही प्रणय ने लैपटॉप में पेनड्राइव लगाकर वीडियो ऑन कर दिया।

खतरनाक ज़हरीले साँपों को आराम से कभी उत्कर्ष और प्रणय के इर्द-गिर्द तो कभी उनके शरीरों पर विचरते हुए देखकर सबके रोंगटे खड़े हो गए थे।

जैसे-जैसे वीडियो आगे बढ़ रहा था दो लोगों के दिलों की धड़कन बढ़ती जा रही थी।
ये दो लोग थे उत्कर्ष और निहाल।

जहाँ उत्कर्ष इस चिंता में डूबा हुआ था कि कहीं पेड़ से फल तोड़ते हुए वो कैमरे में तो कैद नहीं हो गया, वहीं निहाल इस चिंता में था कि उसकी और उत्कर्ष के पायलट की मिलीभगत का कोई सबूत तो कैमरे में कैद नहीं हो गया।

कुछ ही देर में लैपटॉप की स्क्रीन पर वो दृश्य आ गया जब उत्कर्ष और प्रणय उस अजीब फल वाले पेड़ के पास पहुँचे थे।

ये देखकर उत्कर्ष ने चैन की साँस ली कि आगे एक मोटे-घने पेड़ की ओट में प्रणय के घिर जाने के कारण उत्कर्ष कुछ देर के लिए कैमरे की रेंज से गायब हो गया था जिसकी वजह से पेड़ से उसके फल तोड़ने वाले पल की तस्वीर कैमरे में कैद नहीं हो पाई थी।

लेकिन जैसे ही वीडियो अपने अंत पर पहुँचा अचानक ही वो रिवाइंड होकर वापस स्टार्टिंग पॉइंट पर पहुँच गया और स्क्रीन पर वो दृश्य उभर आया जब उत्कर्ष के द्वीप पर उतरने से पहले पायलट ने उसे गले से लगाया था।

वीडियो में पायलट स्पष्ट रूप से उत्कर्ष के सुरक्षा-सूट पर एक विशिष्ट प्रकार के चाकू से कट लगता हुआ दिख रहा था।

इस दृश्य को देखते ही उत्कर्ष के साथ-साथ वहाँ मौजूद सभी लोगों के होश उड़ गए।

एक सहपाठी ने कहा "हे भगवान उत्कर्ष ये क्या था यार? तू फटा हुआ सूट पहनकर उन खतरनाक साँपों के बीच में टहल रहा था।"

"सचमुच तेरा ज़िंदा लौटकर आना भगवान का चमत्कार ही है।" दूसरे सहपाठी ने कहा तो सबने इस बात पर अपनी सहमति जताई।

उत्कर्ष सबकी बातों पर कोई प्रतिक्रिया देता उससे पहले ही एक और दृश्य लैपटॉप की स्क्रीन पर उभरा।

सबने ध्यान से देखा तो पाया कि पायलट अपने फोन से किसी को मैसेज भेज रहा था "सॉरी उत्कर्ष बच गया।"

जब उन्होंने ध्यान से वीडियो में मैसेज पाने वाले का नाम पढ़ा और फिर चौंककर उस तरफ मुड़े जहाँ निहाल बैठा हुआ था तो उन्होंने पाया कि वो अपनी जगह से गायब हो चुका है।

"इस निहाल की इतनी जुर्रत की उसने खेल की आड़ में मेरे भाई की जान लेने की कोशिश की। मैं छोडूंगा नहीं उसे।" लैपटॉप बन्द करते हुए प्रणय गुस्से में चीख पड़ा।

उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उत्कर्ष ने मुस्कुराकर कहा "शांत हो जा मेरे भाई। उससे हम फिर कभी निपट लेंगे लेकिन पहले आस्तीन के सांप इस पायलट का हिसाब-किताब करना होगा।"

प्रणय ने हाँ में सर हिलाया तो उत्कर्ष ने कहा "भाई लेकिन एक बात तो बता ये दोनों दृश्य कैमरे में कब और कैसे रिकॉर्ड हो गए?"

उसकी बात सुनकर सोचने का अभिनय करते हुए प्रणय ने कहा "जहाज से उतरने से पहले जब मैं कैमरा ऑन करके उसका फोकस एडजस्ट कर रहा था तब शायद रिकॉर्ड हो गया होगा।
चूंकि मैं बहुत घबराया हुआ था उस वक्त तो मेरा ध्यान नहीं गया होगा और जहाज में वापस आने के बाद भी कैमरा ऑन ही था जिसे मैंने टांग दिया था, तब शायद वो मैसेज भेजने वाला दृश्य रिकॉर्ड हुआ होगा।"

"हम्म अब इससे पहले की वो पायलट हाथ से निकल जाए हमें पुलिस को खबर कर देनी चाहिए।" उत्कर्ष ने अपना फोन निकालते हुए कहा ही था कि तभी उसके फोन की घँटी बजी।

उत्कर्ष ने चौंककर देखा तो स्क्रीन पर ऋषिकेश जी का नाम फ़्लैश हो रहा था।
उसने तुरंत फोन उठाया।

"हाँ पापा।"

"इसी वक्त तुम और प्रणय पुलिस स्टेशन पहुँचो।"

"पुलिस स्टेशन? पर क्यों?"

"ज्यादा सवाल करने की जरूरत नहीं है। तुरंत निकलो।"

"ठीक है पापा। हम अभी आते हैं।"

फोन रखने के बाद उत्कर्ष ने प्रणय को सारी बात बताई और वो दोनों घबराये हुए से पुलिस-स्टेशन की तरफ चल पड़े।

वहाँ पहुँचकर उन्होंने देखा कि वो पायलट जिसकी अभी-अभी वो पुलिस में शिकायत करने की योजना बना रहे थे वो पुलिस की गिरफ्त में था और थाना प्रभारी मिस्टर प्रसाद की कुर्सी के ठीक सामने की कुर्सियों पर ऋषिकेश जी और शरण बाबू बैठे हुए थे।
उन दोनों का चेहरा ही बता रहा था कि वो कितने ज्यादा परेशान और बेचैन थे।

उत्कर्ष और प्रणय को देखते ही मिस्टर प्रसाद ने उनसे कहा "तुम दोनों के पास इस पायलट के खिलाफ कोई वीडियो है?"

"हाँ है और हम उसे लेकर आपके पास आने वाले थे, लेकिन आपको पहले ही उसके विषय में कैसे पता चला?" उत्कर्ष ने चौंककर पूछा।

मिस्टर प्रसाद ने उसके सवाल का जवाब देते हुए कहा "तुम लोग जब तक आने की सोच रहे थे ना तब तक ये महाशय देश छोड़ने की योजना बनाकर हवाई-अड्डे पर पहुँच चुके थे।

वो तो भला हो उस गुमनाम फोन कॉल का जिसमें किसी ने हमें बताया कि एक अपराधी जिस पर अटेम्प्ट टू मर्डर का इल्जाम है और जिसका वो मर्डर करने वाला था प्रसिद्ध उद्योगपति ऋषिकेश जी का इकलौता बेटा उत्कर्ष ऋषिकेश, उसी के कैमरे में इस अपराधी के खिलाफ सबूत है।

बस फिर हम तुरंत हवाई-अड्डे पहुँचे और इसे पकड़ लिया। गिरफ्त में आते ही सूखे पत्ते की तरह काँपते हुए इसने स्वयं अपना अपराध कुबूल कर लिया और बाकी वीडियो भी है ही।
इसके माध्यम से इस काम को अंजाम देने वाला वो बिगड़ा रईसजादा निहाल भी अभी यहाँ आता ही होगा।"

"ओहह थैंक गॉड। पर वो फोन किसका हो सकता है?" उत्कर्ष ने सवालिया नज़रों से प्रणय की तरफ देखते हुए कहा तो प्रणय ने इस संबंध में अपनी अनभिज्ञता जताते हुए अपने दोनों कंधे उचका दिए।

सबकी नज़र बचाते हुए प्रणय के होंठो पर एक रहस्यमयी हँसी की रेखा खिल उठी और अपने सीने पर हाथ रखकर उसने धीरे से कहा "बहुत-बहुत धन्यवाद माँ।"
क्रमशः