नक़ल या अक्ल - 20 Swati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नक़ल या अक्ल - 20

20

सच

 

राधा ने जब देखा कि दोपहर को सब सोए हुए हैं तो उसने एक सेकंड भी बर्बाद करना ठीक नहीं समझा और अपनी  छोटी  बहन  सुमित्रा को  किसी सहली से मिलने का बोलकर घर से निकल गई।  बड़ी  सावधानी से छुपते छुपाते हुए वह वहाँ पहुँची तो उसने देखा कि किशोर अपने खेत में लगे पेड़ की छाँव में बैठा, उसी की  राह देख रहा है। उसके मुँह पर घूँघट है। उसके पास पहुँचते ही उसने उसे गले लगा लिया।  वह भी कुछ मिनटों तक उसके गले लगी रहीं,  फिर उसकी आँखे भर आई तो किशोर ने उसके आँसू पोंछते हुए कहा, “राधे! मैं सब ठीक कर दूँगा।"

 

अब क्या ठीक करोंगे। आज तो वो मुझे देखने घर आया था।

 

अच्छा !! तेरे बापू को तो बहुत जल्दी हो रहीं है। उसने गुस्से में  कहा। 

 

अम्मा कह रही थी कि अगर तेरे माँ बापू बिना दहेज़ के मान जाए तो तब हमारी शादी हो सकती है।

 

मेरे घरवाले कह रहें हैं कि जो दो लाख  रुपए  देने की बात  कहीं थीं,  वह भी पूरी हो जाए तो हमारी  शादी  हो सकती है। 

 

बापू  अभी सिर्फ शादी ही करेंगे। उसकी आँख से फिर आँसू निकल आयें।

 

राधा ऐसे रोकर मेरे दिल का दर्द मत बढ़ा,  उसने उसका हाथ पकड़ लिया।

 

अब हमें जुदा होने से कोई नहीं रोक सकता। राधा अब सिसकने लगी।

 

क्यों न हम भाग जाये। उसने फिर राधा को चुप करवाया। 

 

भागकर जायेंगे भी कहाँ?

 

शहर  निकल जायेंगे।

 

वहाँ रहना भी तो आसान नहीं है। पहले कोई नौकरी और घर ढूंढ और इसमें तो बहुत वख्त लगेगा।  अब किशोर सोच में पड़ गया। 

 

तू चिंता  मत कर राधे,  मैं कुछ करता हूँ। 

 

तेरे पास एक हफ्ता है, क्योंकि इस आने वाले एतवार को बापू  तुम्हें मना कर देंगे और मेरी मंगनी उस साहिल से कर देंगे।

 

मेरे लिए काफ़ी है,  मैं तुझे उस साहिल की तो कभी बनने नहीं दूँगा।  अब वे दोनों फिर  एक दूसरे के गले लग गए।

 

शाम को निहाल वहीँ अपनी जगह नदी के किनारे बैठा,  शांत नदी को निहार रहा है। तभी वहाँ से बिरजू गुज़रा और उसे देखकर उसके पास आकर बैठ गया। 

 

क्यों  नन्हें ? पेपर कैसा गया?

 

आपके भाई की मेहरबानी से ज़्यादा अच्छा  नहीं हुआ। वह हँसने लगा। 

 

अगर किस्मत में पुलिस की नौकरी लिखी है तो कोई नहीं रोक सकता। 

 

भैया आपने पेपर क्यों नहीं दिए ।  आप तो पढ़ाई में  बहुत अच्छे थें।

 

“मेरा तो इस दुनिया से ही मन उचाट हो गया है। पता नहीं, मैं जी कैसे रहा हूँ।“ बिरजू की आँखों में  नन्हें को दर्द साफ़ नज़र आया। अब उसने बिरजू को गौर से देखा,  वह बहुत कमज़ोर हो चुका है,  आँखे  अंदर धँसी हुई। चेहरे पर दाढ़ी और सिर के बाल भी काफ़ी बड़े हो चुके हैं। चेहरे का रंग साँवला हो गया  है। 

 

आपको देखकर मुझे राँझे  की याद  आ रही है।

 

मेरा हाल तो उससे भी बुरा है।  उसने हँसते हुए कहा तो निहाल ने गंभीर होकर पूछा,  “बिरजू  भाई, कोई बात है तो बताओ।“ 

 

“नहीं रे !! कुछ नहीं।  चल, मैं चलता  हूँ,  अपने पैर का ध्यान  रखियो।“  उअके जाते ही नदन उसके पास आकर  पूछने लगा, “ यह बिरजू  तुझे क्या कह रहा था ।“  उसने ना  में  सिर  हिलाया तो उसने कहा, “ नन्हें !! इस राजवीर के भाई से दूर रहने में ही भलाई है।“ 

 

यह  राजवीर की तरह नहीं है।  इनसे  अपनेपन की खुशबू आती है और मुझे ऐसा लगता है कि यह ज़रूर किसी दर्द को झेल रहें है।“  उसने साँस छोड़ते हुए कहा।

 

तेरा प्लास्टर कब हट रहा है?

 

पंद्रह दिन और बचे है। अब नंदन भी वहीं उसके पास बैठ गया।   

 

रिमझिम नाना की दुकान पर बैठी है,  तभी उसके नाना ने आकर कहा कि  घर चली जा तेरी नानी किसी कीर्तन मण्डली  में गई है।  वह भी उनकी बात मानकर वहां से चली गई।   घर पहुंचकर उसने देखा कि  नानी तो जा चुकी है तो वह रसोई में खाना बनाने लगी।  दाल तो नानी बना ही गई थी सिर्फ तरकारी  और फुल्के  बनाने में कितनी देर लगती ।  वह खाना बनाकर, अपनी किताबें लेकर बैठ गई।   तभी उसे याद आया कि वह कुछ नयी पुस्तकें भी लेकर आई है,  यही सोच, वह संदूक खोलने गई, जहाँ पर नई किताबें रखी है। 

 

उसने किताबें  तो निकाल ली,  फिर उसकी नज़र  पुराने संदूक पर गई उसने उसे भी चाव से यह सोचकर  उठाया कि इसमें भी कुछ  न कुछ तो होगा ।  खोलने पर कुछ पुराने कागज़ और एक पुरानी एलबम दिखीं । उसमे  उसकी माँ पापा की ब्लैक  एंड  वाइट तस्वीरें है।   अब उसने एलबम देखी तो कई अनजान चेहरे उसे नज़र आए। उसने एलबम निकालकर एक तरफ रख  लीं ।   रात को खाना खाने के बाद,  उसने वह एलबम नानी को दिखाई तो पहले तो उन्होंने गुस्सा किया कि “क्या ज़रूरत थी, इसे बाहर निकालने की।“ मगर फिर प्यार से पूछने लगी,

 

क्यों  माँ बाप की याद आ रही थी ?

 

नानी मैं तो बहुत छोटी थीं,  अब तो धुंधला चेहरा ही याद है।    उसने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा।  

 

नानी ! उस ज़माने में  कैमरे होते थें ?

 

तेरी माँ को फोटो का बड़ा शौक था इसलिए बाहर से मंगवाया था।  उस ज़माने में भी पचास रुपए ले गया था।   

 

नानी यह कौन है? जो हर फोटो में माँ के साथ है ।  

 

उसकी सहेली निम्मी है। सारा दिन हमारे घर में रहती थीं। नानी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।    

 

अब कहाँ है?

 

इसकी शादी धोलपुरा गॉंव में हो गई  थीं । अब तो सालों हो गए इसे देखे हुए। चल बेटा सो जा। यह यादो का पिटारा खोलो तो पता नहीं क्या क्या याद आता है।“   उसकी नानी  की आँख में आँसू आ गए। अब रिमझिम ने बत्ती बुझा दी और खुद वो एलबम लिए अपने कमरे में  चली गई। वह निम्मी की फोटो को देखकर सोच रही है,  ‘यह मुझे सही बात बता सकती है कि आख़िर मेरी माँ के साथ हुआ क्या था। लेकिन मुझे तो इनका पता भी नहीं मालूम। फिर मैं इन तक पहुँचोगी कैसे ?’  यही सब सोचते सोचते उसे नींद आ गई और सपने में उसे अपनी माँ दिखाई दी जो उसका नाम पुकार रही है, “रिमझिम! रिमझिम मेरी बच्ची!!!” और फिर उसे निम्मी दिखाई देती है जो उसकी तरफ हाथ बढ़ाती है। “माँ! “माँ! कहते हुए उसकी आँख खुल जाती है। मैं सच्चाई पता लगाकर ही रहूंगी। अब उसने पक्का  निश्चय कर लिया ।